Friday, March 31, 2023

मोहन भागवत जी संबोधन 1/4/2023

*समापन सत्र-परम पूजनीय सरसंघचालक जी*
१.डॉ हेडगेवार जी ने प्रारंभ में ही पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य रखा था संपूर्ण स्वतंत्रता की यात्रा पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना है,इसको प्राप्त करने के लिए भारत को खड़ा करना है
२.हम अब हम इतने बड़े हो गए हैं कि संपूर्ण स्वतंत्रता और विश्व पर हमारा प्रभाव दिखने लगा है 
३.उपनिषद की कथा- एक वृक्ष पर एक जीव फल खा रहा है दूसरा मित्र देख रहा है, यह धारा चलती रहेगी,केवल आत्मा परमात्मा से सृष्टि नहीं चलती सारी प्रकृति को संभालना है तो हमने जो किया है उसे और शक्ति चाहिए 
४.बाहर की चीजों को संभालने के लिए समाज में स्थिति एवं रचना उत्पन्न करना बदनाम करने की प्रवृत्ति से निपटने के लिए समाज को भी तैयार करना 
सारे समाज को आत्मीयता चाहिए सेवा आदि के माध्यम से समाज का प्रबोधन करना
५.हम क्या है क्या होना चाहिए  चुनौतियां क्या क्या है समाधान में हमारे क्या भूमिका हो इस काम की एक प्रकृति है, दूसरा काम उसका प्रकार ओर पद्धति भी अलग है, यह दोनों जुड़े हैं 
६.जीव है इसलिए आत्मा है ये चाहकर भी अलग नहीं हो सकते पूर्ण भिन्न फिर भी दोनों की धाराओं को संभाल कर चलना
७.जिला स्तर तक के कार्यकर्ता के मन में अंतर स्पष्ट होना चाहिए अभी नहीं है 
८.हमारी सामूहिक पद्धति है पहले हम सब समझने वाली बातों को ठीक ढंग से सुने समझें,छोटी-  छोटी बातें रास्ते से हटा देती है 
९.पुरानी एवं शाश्वत बातें स्थाई है कुछ को हटाना पड़ता है कुछ को जोड़ना पड़ता है,नित्यानित्य विवेक हमको समझना पड़ेगा तब समझकर नीचे उतरेगा 
१०.अब हम छुप नहीं सकते दुनिया हमको दिखाएगी ,अब समुत्कर्ष महाविद्यालय शिविर नाम देना पड़ता है क्यों ? नए-नए विचित्र नाम क्यों देना, दिखने के लिए होंगे तो दिखे जाएंगे,दिखने से परे जाकर संगठन श्रेणी के काम करने की आवश्यकता
११.समाज के जितने प्रकार हैं उनमें हमको काम खड़ा करना पड़ेगा प्रांत भाषा क्षेत्र सब स्तर पर,सर्वस्पर्शी काम हो 
१२.मनुष्य निर्माण- शाखा में १३ सूर्य नमस्कार, वही नहीं रुकना रुक जाएगा तो अच्छा कार्यकर्ता नहीं बन सकता, उंगली से चांद दिखाना उंगली ही नहीं देखते रहना, इन सब में से कार्यकर्ता कैसा बन रहा है,मित्र बनाने की कला होना चाहिए
१३.सब लोगों को साथ जोड़ने की कला अपनी दृष्टि ऐसी बनानी पड़ेगी लेकिन उसकी दृष्टि सब को अपना बनाने की नहीं बन रही है मन की आत्मीयता होते हुए प्रगति को संभालना,मित्र बनाने वाले स्वयंसेवक खड़ा करेंगे करना उसको जानकारी,विवेक होना चाहिए 
१४.राम कृष्ण परशुराम बुद्ध देश काल परिस्थिति के अनुसार आचरण,सामने वाला कैसा है उसके आधार पर आचरण इसका विवेक इसलिए स्पीड लिटरेस दोनों का संतुलन,जो दुनिया में से रास्ता निकाल सके ऐसी बातों को समझने और समझकर चलेंगे तो सब ठीक होगा 
१५.इसलिए समन्वय का स्वभाव होना चाहिए,२०१४ के पहले का विरोध का स्वभाव, पहले हम प्रभु नहीं थे अब प्रभु हो गए हैं लड़ने की आदत थी अब समन्वय का स्वभाव बनना चाहिए, शिवाजी का उदाहरण,कहीं पर लड़ना नहीं है यह विवेक जागृत करना पड़ेगा, आमने-सामने पड़ेंगे तब समन्वय का स्वभाव ताजा करना पड़ेगा 
१६.नए लोग भी आएंगे उनका प्रशिक्षण,बुद्धिमान श्रद्धा ,भक्ति तर्क दोनों को लेकर चलना पड़ेगा श्रद्धा और विश्वास के आधार पर अपनी तैयारी करके सब बातों को लेकर चलेंगे तो सब ठीक होगा 
व्यक्ति दोष युक्त हो तब भी छोड़ते नहीं है,समाज भी हमारे जैसा व्यवहार करने की इच्छा कर रहा है नागरिक अनुशासन पांच बातें
१७.विमर्श को अपने पक्ष में करना,उनका विमर्श अंदर से पोला है टिकने वाला नहीं है झूठ पर खड़ा है, हमारा आधार सत्य का है हम भी खड़ा करेंगे तो स्थाई और मजबूत होगा 
१८.दो धाराएं उनको संभालना ऐसे स्वयं को एवं परिवार को बनाना 
१९.विजय का विश्वास सतत परिश्रम करते चलें ,समूह में कैसे रहना,नियम व्यवस्था पालन 
२०.हमारा स्वयं का उदात्त क्या है अब  जो कार्य हमारे हाथ में हैं वह आसान नहीं है, अंतिम परीक्षा होती है वह कठिन होती,यहीं से फिसलने का भय रहता है,हमको आगे ही जाना है विजयी होंगे, योग्यता प्राप्त करें और ऐसे लोगों को खड़ा करें 
२१.समाज को दूसरी आशा नहीं है इसको चलाने के लिए हमारी तैयारी कितनी है ? एक एक स्वयंसेवक एक एक कुटुंब 
२२.जय-विजय की तैयारी करना है,हमने ऐसा बनाना और जिला स्तर के कार्यकर्ताओं को ऐसा बनाना इस काम को ठीक से करना 
२३.सत्य संकल्प हमारा है हमारी विजय है दुनिया के लिए दूसरा मार्ग नहीं है थोड़ा परिश्रम है किंतु फल अच्छा होगा......।

Thursday, March 30, 2023

यज्ञ में आहुति कैसे दी जाए 30/3/2023

यज्ञ में आहुति कैसे दी जाए। आहुति देते समय अपने सीधे हाथ के मध्यमों

 और अनामिका उगलियों पर सामग्री और अंगूठे का सहारा लेकर ग से उसे प्रज्वलित अग्नि में ही छोड़ा जाए हमेशा शुरू करना चाहिए यह भी इस तरह कि पूरी आहूति अग्नि में ही गिरे। जब आहुति डाली जा रही हो सभी सब एक साथ 'स्वाहा' बोलें स्वाद अग्निदेव की पत्नी है। देव आह्वान के निमित्त मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा का उच्चारण कर निर्धारित हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवताओं को पहुंचाते हैं। हवन अनुष्ठान की ये आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है। कोई भी यह तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि विका ग्रहण देवता न कर से, किंतु देवता ऐसा हविष्य तभी स्वीकार कर सकते हैं जबकि अग्नि के द्वारा 'स्वाहा' के माध्यम से अर्पण किया जाए। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं 'स्वाहा को यह दिया था कि उसी के माध्यम से देवता ग्रहण कर पाएंगे जीय प्रयोजन तभी पूरा होता है जब आह्वान किए गए देवता को उनको रथ का भोग पहुँचा दिया जाय की याजिक सामग्रियों में मीठे पदार्थ का भी शामिल किया जा सकता है





How to give oblations in Yagya.  middle of your right hand while offering oblations

 And with the help of thumb and material on the ring finger fingers, it should be released into the burning fire itself, it should always be started in such a way that the whole oblation falls into the fire itself.  When the oblation is being put, everyone should say 'Swaha' together. Taste is the wife of Agnidev.  While reciting the mantras for invoking the deities, chanting Swaha, the offerings of the prescribed Havan material are delivered to the deities through fire.  This is the last and most important act of the Havan ritual.  No one can consider it successful unless Vika is accepted by the deity, but the deity can accept such a prediction only if it is offered through 'Swaha' by Agni.  According to Shrimad Bhagwat Mahapuran, Lord Shri Krishna himself had given 'Swaha' that through him the deity would be able to receive the soul.  have to join.

 A contented creature is 'wealthy'.

 सन्तुष्ट प्राणी ही 'धनवान' है।


घर में सुख व शान्ति के लिए 30/3/2023

घर में सुख व शान्ति के लिए अपनाएं निम्नलिखित वास्तु सुझाव

 1. वास्तु वास्तु अनुसार रसाई प्लाट के अग्निकोण में बनानी चाहिए और रसोई के अग्निकोण में खाना पकाने के साथमा माइक्रोवेव हीटर आदि रखने चाहिए। रसोई घर ईशान में नहीं होना चाहिए और नहीं रसोई में ईशान में चूल्हा हो। ईशान में पीने का पानी में सिंक होना चाहिए। 2. मुखिया का कमरा: घर के मुखिया को नै में अपना कमरा बनाना चाहिए। मुखिया प्रभावशाली रहेगा।

 अगर नौकर (काम करने वालों का कमरा में होगा तो कर्मचारी आप पर हाथी रहेंगे। कमरे में पलंग |

 इस प्रकारों को सिर दक्षिण व पैर उत्तर को रहें। सिर पूर्व में भी रखा जा सकता है परन्तु सिर उत्तर की

 तरफ भूल कर भी न करें।

 3. मुख्य द्वार (दरवाजा) अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए और मुख्य द्वार में प्रयास कर देहरी अवश्य बनाएं। मुख्यद्वार पूर्व उत्तर अथवा ईशान में बनाना शुभ होता है परन्तु ईशान का द्वार तो हो होता है। 4. घर में टूटी फूटी का पुराना सामान खराब मशीन, बिगड़ा इलैक्ट्रानिक्स का सामान न रखें इसे तुरंत बादी को दे दें। पैसे देकर भी इसे हटाना पड़े तो हटा दें। घर से जल की निकासी पूर्व उत्तर या ईशान में शुभ होती है। अगर वास्तु दोष दूर करना संभव न हो तो वास्तु देव को प्रसन्न करने के लिए वास्तु दोष निवारण का अनुष्ठान करा कर काफी हद तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।



 तृष्णाग्रस्त व्यक्ति दरिद्र' है।


Follow the following Vastu tips for happiness and peace at home

 1. According to Vastu, the kitchen should be made in the fire corner of the plot and along with cooking, microwave heaters etc. should be kept in the fire corner of the kitchen. The kitchen should not be in the north-east and the kitchen should not have a stove in the north-east. There should be a sink in drinking water in Ishan. 2. Head's room: The head of the household should make his own room in the Nai. The chief will be influential.

 If the servant is in the worker's room then the worker will be elephant on you. Bed in the room.

 These types should keep their head towards south and feet towards north. The head can also be kept in the east but the head should be in the north.

 Don't do it even by mistake.

 3. The main door should be bigger than other doors and make efforts in the main door to make Dehri. It is auspicious to make the main door in the east, north or north-east, but there should be a door in the north-east. 4. Don't keep old broken items, damaged machines, damaged electronics in the house, give it to the badi immediately. If you have to remove it even after giving money, then remove it. Drainage of water from the house is auspicious in the north-east or north-east. If it is not possible to remove Vastu Dosha, then to please Vastu Dev, a Vastu Dosha Nivaran ritual can be beneficial to a great extent.



 A person who is thirsty is poor.

दिशाशूल 30/3/2023

दिशाशूल 
 शनिवार को पूर्व की सामवार को दक्षिणपूर्व को गुरुवार को दक्षिण की बुवार को पश्चिमको को पश्चिमको शुक्रवार को उत्तरपश्चिम की मंगलवार को उत्तर की कार का उत्तरपूर्वको यात्र होती है। अतः उत दिनों में वर्णित दिशाओं को करें सिंहान्द्रपूर्वकर का दक्षिण में मिथुन-तुका पश्चिम में तथा कक वृश्चिक-मीन का चन्द्रमा उत्तरदिशा में रहता है। साओं में सम्मुख चन्द्रमा से धनलाभ, दाहिने चन्द्रमा से सुख सम्पत्ति पीठ के चन्द्रमा में शोकसन्ताप बाएँ चन्द्रमा से धननाश होता है ध्यान रहे पूर्व से पूर्व सम्मुख दक्षिण दाहिनी पश्चिम पीछे तथा उत्तर बाएँ होगी। ऐसे ही सभी दिशाओं में समझना चाहिए। पुण्य-अश्विनी मृगशिरा नक्षत्र तथा कन्या मिथुन-मकर-तुला लग्नों में सभी दिशाओं की यात्रा शुभ होती है। (शिशु 58-02 10-1111 एक ही दिन में कहाँ जाकर सीटने वालों पर ये नियम लागू नहीं होती घर से निकलते हुए दर्पण एवं इष्टदेव की छवि का दर्शनकर भगवान विष्णु एवं उनके बारह महाभागवतों का स्मरण करके निकलना चाहिए.

 वनमाली गदी शाङ्गी शंखी चक्री व नन्दको श्रीमान् नारायणो विष्णु वासुदेवोऽभिरक्षतु ॥ ॐ वामनाय नमः । ॐ त्रिविक्रमाय नमः ॐ माधवाय नमः। प्रहलाद नारद- पराशर पुण्डरीक व्यासाम्बरीष शुक- शौनक भीष्म दालभ्यान् । रुक्मांग - दार्जुन वसिष्ठ- विभीषणादीन् पुण्यान् इमान परम-भागवतान् नमामि ॥

 पुरुषार्थहीन प्राणी 'मृत है।

disoriented 

 On Saturday, East, Monday, Southeast, Thursday, South, Monday, West, Friday, Northwest, Tuesday, North car travels to Northeast. Therefore, do the directions described in those days, in the south, Gemini-Tuka is in the south and the moon of Scorpio-Pisces is in the north direction. In Saaon, money is gained from the moon in front, happiness and wealth from the right moon, grief and sorrow from the left moon, money is lost from the left moon, keep in mind that from east to east, south will be right, west behind and north left. Similarly, it should be understood in all directions. Traveling in all directions is auspicious in Punya-Ashwini Mrigashira Nakshatra and Virgo-Gemini-Capricorn-Libra ascendants. (Shishu 58-02 10-1111 This rule does not apply to those who go and sit somewhere in a single day. While coming out of the house, seeing the mirror and the image of the presiding deity, one should remember Lord Vishnu and his twelve Mahabhagwats.

 Vanmali Gadi Shangi Shankhi Chakri and Nandko Shriman Narayano Vishnu Vasudevoऽभिरक्षतु॥ Om Vamanaya Namah. Om Trivikramaya Namah Om Madhavaya Namah. Prahlad Narad-Parashar Pundrik Vyasambreesh Shuk-Shaunak Bhishma Dalbhyan. Rukmang - Darjun Vasishtha - Vibhishanadin Punyaan Imaan Param-Bhagwatan Namami ॥

 An effortless creature is 'dead'.

मंत्र नवग्रह

सूर्य

 :

 ॐ

 ह्रां

 ह्रीं

 ह्रीं

 सः

 सूर्याय नमः

 चन्द्र

 ॐ

 श्रीं

 श्रीं

 श्रीं

 सः

 चन्द्राय

 नमः

 मंगल

 ॐ

 क्रां

 क्रीं

 क्रौं

 सः

 भौमाय नमः

 बुध

 ॐ

 ब्रां

 ब्रीं

 ब्रौं

 सः

 बुधाय नमः

 गुरु

 :

 ॐ

 ग्रां

 ग्रीं

 ग्रौं

 सः

 गुरवे नमः

 शुक्र

 :

 ॐ

 द्रां

 द्रीं

 द्रौं

 सः

 शुक्राय नमः

 शनि

 :

 ॐ

 प्रां

 प्रीं

 प्रौं

 सः शनये नमः

 राहु

 :

 ॐ

 भ्रां

 भ्रीं

 भ्रौं

 सः

 राहवे नमः

 केतु

 ॐ

 प्रां

 प्रीं

 प्रौं

 सः

 केतवे नमः

 हितोपदेष्टा ही 'गुरु' है।

भागवतम् चतुःश्लोकि भागवतम् 30/3/2023

चतुःश्लोकि भागवतम्

 चतुःश्लोकि भागवतम्

 अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यत्सदसत्परम्।
 पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम् 11111
 ऋतेऽर्थं यत् प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि। तद्विद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तमः 11211 
यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु। प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् 113।। 
एतावदेव जिज्ञास्यं तत्वजिज्ञासुनाऽऽत्मनः । अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत् स्यात् सर्वत्र सर्वदा 11411।


Chatushloki Bhagavatam

 Ahmevasmevagre nanyadyatsadasatparam.
 पश्चाधाहं यदेतच योऽवाशिष्येत सोऽस्म्यहम 11111 रीतेऽर्थं यत प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मणि। Tadvidyadatmano Maya Yatha'bhaso Yatha Tamah 11211 Yatha Mahanti Bhutani Bhutesuchavachesvanu. 113. Entry Pravishtani and Teshu no Teshwaham. Etavdev Jigyasya Tatvajigyasuna'atmanah. अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत स्यात सर्वत्र सर्वदा 11411

गुरु और शुक्र का अस्त होना (जिसे तारा डुबना भी कहा जाता है)

गुरु-शुक्रास्त में वर्जित कर्म

 गुरु और शुक्र का अस्त होना (जिसे तारा डुबना भी कहा जाता है) भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक ग्रह को तारा माना गया है, इनके अस्त हो जाने पर भारतीय ज्योतिष शास्त्र किसी भी नर-नारी के विवाह को अनुमति नहीं देता और न ही किसी उत्तम मांगलिक कार्य की निम्नांकित शुभ कार्यों को शास्त्र वचनानुसार निषिद्ध एवं त्याज्य माना गया है-गृहारम्भ, गृह प्रवेश, कुआँ तालाब का निर्माण, व्रतारम्भ, व्रतोद्यापन, नामकरण, मुण्डन, कर्णवेध, यज्ञोपवीत सगाई विवाह व गृह प्रवेश, गोदान, देवप्रतिष्ठा (मूर्ति स्थापना) चातुर्मास्य प्रयोग, अग्निहोत्र (यज्ञ) प्रारम्भ, सकाम अनुष्ठान, यात्रा, दीक्षा, संन्यास ग्रहण आदि। तारा अस्त होने से पहले तीन दिनों का वृद्धत्व दोष एवं उदित होने के बाद तीन दिनों का बाल्यत्व दोष होता है।

 जहाँ मन शुद्ध रहे, वही 'तीर्थ' है।


Forbidden deeds in Guru-Shukrast

 The setting of Jupiter and Venus (which is also known as Tara Dipna) In Indian astrology, Jupiter and Venus are considered as stars, after their setting, Indian astrology does not allow the marriage of any male and female. The following auspicious works of an auspicious auspicious work have been considered prohibited and discarded according to the scriptures - home beginning, house warming, construction of well pond, fasting, fasting, naming, shaving, Karnavedh, Yajnopavit engagement marriage and house warming, Godan, Devapratishtha (idol Establishment) Chaturmasya experiment, Agnihotra (Yajna) start, Sakam ritual, Yatra, Diksha, Sannyas eclipse etc. Before the star sets, there is old age defect for three days and after rising, there is childish defect for three days.

 Where the mind remains pure, that is the 'pilgrimage'.

Wednesday, March 29, 2023

One Shloki Durga Saptshati very important MANTRA 30/3/2023

एक श्लोकी दुर्गासप्तशती

 या अंबा मधुकैटभ प्रमथिनी या माहिषोन्यूलिनी। या धूम्रेक्षण चण्ड मुण्ड मथिनी या रक्तबीजाशिनी। शक्ति: शुंभ निशुंभ दैत्य दलिनी, या सिद्धलक्ष्मी: परा सादुर्गा नवकोटि विश्व सहिता, माम् पातु विश्वेश्वरी।

,

 गुरु और वेद की बात सदा सुनें।

One Shloki Durga Saptshati

 Or Amba Madhukaitabh Pramthini or Mahishonulini. Or Dhumrekshan Chand Mund Mathini or Raktabijashini. Shakti: Shumbha Nishumbha Daitya Dalini, or Siddhalakshmi: Para Sadurga Navkoti Vishwa Sahitha, Maam Patu Vishweshwari.



 Always listen to Guru and Vedas.

तुलसी तोड़ने के नियम व मंत्र03073/2023

तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिय। चिनेमि केशवस्यार्थे वरदा भव शोभने 


विधान इस प्रकार से प्रार्थना करके वर्जित दिनों को छोड़कर तुलसी पत्तियों के साथ अग्रभ तोड़ना चाहिये। अर्थात् एक-एक पत्ता न तोड़कर दल तोड़ना चाहिये। वर्जित दिन (जिसमें ना ना चाहिये) रवि, मंगल एवं शुक्रवार, द्वादशी, अमावस्या पूर्णिमा एवं संक्रान्ति, जन्म एवं मर पाठक) रात्रि एवं दोनों सन्ध्याओं में भी तुलसीदल न तोड़ें। वैधृति एवं व्यतीपात योगों में भ मन तो निषिद्ध समय में तुलसी वृक्ष से स्वयं गिरी हुई पत्ती से पूजा करें। शालिग्राम पूजा निषिद्ध तिथियों में भी तुलसीदल तोड़ा जा सकता है।



 कंचन और कामिनी सदा 'त्याज्य' हैं


Tulsymrut Janmasi is always loved by Keshav. Chinemi keshavsyarthe varada bhava shobha vidhan, praying in this way, the forehead should be broken with Tulsi leaves except on forbidden days. That is, instead of breaking each leaf, the group should be broken. Forbidden days (which do not require Sun, Tuesday and Friday, Dwadashi, Amavasya Purnima and Sankranti, birth and death reader) do not pluck Tulsi plant at night and in both the evenings. In Vaidhriti and Vyatipat Yogas, if you have a mind, worship yourself with a leaf that has fallen from the Tulsi tree in prohibited times. Tulsidal can be plucked even on Shaligram Puja prohibited dates.

 Kanchan and Kamini are always 'discarded'

sanatani Savitri 34 rule of life 30/3/2023

सनातनसावित्री

 सत्य, समता, सन्तोष, सरलता, तेज, दया, विवेक, त्याग, शुद्धि, धृति, क्षमा, राम (मनोनिग्रह) दम (इन्द्रियनिग्रह), यज्ञ तथा अद्रोह, अनुग्रह और दानरूप शील, तप, राष्ट्ररक्षा, अस्तित्वरक्षा आदर्शरक्षा, गोरक्षा, आर्तसेवा , मातृसेवा, पितृसेवा, आचार्यसेवा, अतिथिसत्कार, स्वाध्याय ईशभक्ति, आत्मज्ञान सर्वात्मभाव और अभय-ये बत्तीस श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त और सत्पुरुषों द्वारा आचरित शुभ सार्वभौम सनातनधर्म है।

 चिन्ता ही 'ज्वर' है।

Sanatan Savitri

 Truth, equanimity, contentment, simplicity, sharpness, kindness, discretion, renunciation, purification, dhriti, forgiveness, Ram (Manonigraha), Dum (Indriyagraha), Yagya and Adroha, Grace and Charity, Modesty, Tenacity, National Defense, Survival, Ideal Defense, Cow Protection, Arteseva Mother service, father service, Acharya service, guest hospitality, self-study, devotion to God, self-knowledge, self-respect and fearlessness - these are the auspicious universal Sanatana Dharma practiced by the thirty-two Shrutismriti Puranokta and good men.

 Worry is the 'fever'.

Sutak Patak (Asheech) Thoughts 30/3/2023

सूतक पातक (अशीच) विचार

 नवजात शिशु के होने पर सूतक एवं किसी की मृत्यु हो जाने पर पातक दोष लगता है। सामान्यतः दोनों को सूतक ही कहा जाता है। सभी वर्णों के लिए कम से कम 10 दिन का स्पर्शास्पर्श दोष होता है। एकाधिक दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान विवाहादि में 1. यदि नान्दीश्राद्ध किया गया हो तो सूतक एवं पातक उपस्थित होने पर भी आचार्य, वृणित ब्राह्मण एवं यजमान

 सूतक पातक के दोष से मुक्त रहते हैं, बशर्ते कि उस घर का अन्न-जल ग्रहण न करें। यह दोष मुक्ति केवल

 संकल्पित अनुष्ठान के लिये ही होता है।

 2. विवाह दुर्ग यात्रायां तीर्थ कर्मणि कर्मकारयेत्॥ अर्थात् विवाह, कोठी-महल बनाना, यज्ञ, यात्रा, तीर्थकर्म के समय यदि सूतक पातक हो जाये तो यज्ञ में वरण किये हुये ऋत्विन् ब्रह्मा आचार्य यजमानादि सभी दोष रहित होते हैं। कर्म के अन्त में सूतक-पातकजन्य दोष होता है। यज्ञ के मध्य में सूतक हो जाने पर तात्कालिक स्नानमात्र से शुद्धि हो जाती है। नालच्छेदन से पहले भी सूतक व्याप्त नहीं होता है। इसीलिये उससे पहले ही जातकर्म एवं उससे संबन्धित दान इत्यादि कर लेना चाहिये।

 नोट: उपरोक्त सभी नियम तभी लागू होते हैं जब कि कर्मारम्भ से पूर्व ही नान्दीश्राद्ध किया गया हो।

 विचारहीन व्यक्ति 'मूर्ख' है।


Sutak Patak (Asheech) Thoughts

 When a newborn baby is born, there is Sutak and when someone dies, Patak is blamed. Generally both are called Sutak. There is a minimum of 10 days of tactile defects for all characters. Rituals lasting for several days in marriage etc. 1. If Nandishraadh is performed, even if Sutak and Patak are present, Acharya, Vrinit Brahmin and Yajman

 Sutak remains free from the fault of Patak, provided that he does not take food and water of that house. this absolution only

 It is only for the ritual that is resolved.

 2. Marriage fort trips pilgrimage workers. That is, if the Sutak becomes Patak at the time of marriage, construction of Kothi-Mahal, Yajna, Yatra, Pilgrimage, then the Ritvin Brahma Acharya Yajmanadi, who have been selected in the Yagya, are free from all faults. At the end of the work there is a Sutak-Patak birth defect. In the middle of the Yagya, when the Sutak is done, the purification is done by taking an instant bath. The thread does not penetrate even before umbilical cord excision. That is why caste work and charity related to it should be done before that.

 Note: All the above mentioned rules are applicable only when Nandishradh has been performed before starting the work.

 A thoughtless person is a 'fool'.

समस्त सुख-दुख ग्रहों के अधीन 30/3/2023


समस्त सुख-दुख ग्रहों के अधीन

इस संसार में प्राणियों के समस्त सुख-दुख ग्रहों के अधीन है।इस संसार में प्राणियों के समस्त सुख दुःख ग्रहों के अधीन हैं। कर्म फल देने वाले ग्रह रूप अवतार मुख्य हैं, इनमें सूर्य से राम, चन्द्रमा से कृष्ण, मंगल से नरसिंह, बुध से बुद्ध, गुरु से वामन, शुक्र से परशुराम, शनि से कर्म, राहू से वराह और केतु से मत्स्य अवतार हुए हैं। यहाँ के अल्पांश से ही मनुष्यादि प्राणियों की उत्पत्ति हुई। आकाश में जितने तारे दिखते हैं उनमें से कुछ को नक्षत्र और कुछ की यह कहते हैं और 12 राशियों हैं। ग्रह जब नक्षत्रों में घूमते हुए 12 राशियों को पार करते हैं तो उनके गुणों का प्रभाव समस्त सृष्टि पर पड़ता है, जिससे मानव जीवन भी प्रभावित होता है। इन ग्रहों के विपरीत होने पर जीवन को किसी भी अवस्था में कोई संकट आना संभव है। जिस प्रकार शारीरिक निरीक्षण के लिए डाक्टरी परामर्श आवश्यक है उसी प्रकार जन्मांक (कुण्डली) का निरीक्षण भी अत्यन्त आवश्यक है ताकि हमारी जीवन रूपी यात्रा सही ढंग से चले और अंत में सुखद मृत्यु को प्राप्त हो सकें।

 प्रभुभक्ति ही 'कर्तव्य' है।

All the happiness and sorrow of the living beings in this world are under the control of the planets. All the happiness and sorrow of the living beings in this world are under the control of the planets. Planetary incarnations are the main ones which give fruits of action, among them Rama from Sun, Krishna from Moon, Narasimha from Mars, Buddha from Mercury, Vamana from Guru, Parshuram from Shukra, Karma from Shani, Varaha from Rahu and Matsya from Ketu. Human beings originated from this minority only. Some of the stars seen in the sky are called constellations and some are called this and there are 12 zodiac signs. When the planets cross the 12 zodiac signs while roaming in the constellations, their qualities affect the entire creation, due to which human life is also affected. When these planets are opposite, it is possible to face any crisis in life at any stage. Just as medical consultation is necessary for physical examination, in the same way, inspection of birth number (horoscope) is also very important so that our journey of life goes smoothly and we can get a happy death in the end.

 Devotion to God is the 'duty'.

पितृपक्ष पर विशेष debt on Pitrupaksha, 30/3/2023

पितृपक्ष पर विशेष
पितृतर्पण के सर्वोपयोगी मन्त्र

आ ब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवाः । तृप्यन्तु पितरः सर्वे मातृमातामहादयः 1 अतीत कुलकोटीनां सप्तद्वीपनिवासिनाम्। आ ब्रह्मभुवनाल्लोकादिदमस्तु तिलोदकम् ॥


 पितृऋण से मुक्त होने के लिए पितृपक्ष में अपने

 ब्राह्मणभोजन करवाना हो समुचित है (देवीभागवत 6.4.15) 1 ध्यान रहे श्राद्धपक्ष-

 अभीष्ट दिवंगत व्यक्ति की मृत्युकालिक तिथि (न कि दाहकालिक) पर विधिपूर्वक श्राद्ध पितृतर्पण करना चाहिए। अथवा श्रद्धापूर्वक सामर्थ्य होने पर भी अनेक ब्राह्मणों की अपेक्षा किसी एक सुयोग्य एवं तपस्वी ब्राह्मण को ही श्राद्ध का भोजन करवाएँ (मनु 3.311. भागवत 7.15.3)। ब्राह्मणियों को भोजन करवाना शास्त्रविरुद्ध है (बृहत्पराशरस्मृति 7.71)। श्राद्ध मध्याहकाल में ही करें तथा उसमें चाँदी, कुश, तिल, गाय एवं दौहित्र का विनियोग अवश्य करें (मत्स्यपुराण 22.86)। किसी शान्त, एकान्तिक एवं पवित्र स्थान में काले तिलों को बिखेरकर उक्त कर्म को करें: जहाँ कोई अशुद्ध जीव कुत्ते-आदि) उपस्थित न हो। विकलांग, रोगी, गेरु आधारी महात्माओं, वर्णसंकर, रजस्वला स्वी तथा नीले-काले वस्त्रों वाले लोग उस स्थान पर न जाएँ (कर्मपुराण 2.22.34-35)। केवल गाय के दूध-घी आदि का ही श्राद्धभोज कर्म में प्रयोग करें (स्कन्द 6.221.49) उड़द, मसूर, अरहर, गाजर, गोल लौकी, बैंगन, शलजम, होंग, प्याज, लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिघाड़ा, पीली सरसों, चना इत्यादि वर्जित है (महाभारत 13.91.38-41) श्राद्ध के दिन यजमान अथवा ब्राह्मण कोई भी दातुन (लकड़ी चबाना), क्षौर, तेलमालिश, मैथुन, पान खाना, भार ढोना, पुनभोजन में लोहे (स्टील) या मिट्टी का प्रयोग न करें (कूर्म 2.22.61, दालभ्यस्मृति 39).....
सम्भव हो तो श्राद्धकाल में सर्वत्र चाँदी का प्रयोग करें (पद्मपुराण 1.9.59)। (स्कन्द 7.206.42)। आत्महत्यारों के श्राद्ध का विधान नहीं है (कूर्म 2.23.73)। तीर्थ- वन मन्दिर आदि में अथवा अपने ही घर श्राद्ध करना चाहिए न कि दूसरे की भूमि पर (कर्म 2.22.16-17)1 पितृतर्पण के समय। तर्जनी अंगुली में चाँदी की अथवा अनामिका में सोने की अंगूठी पहननी चाहिए (पद्म 1.51.56-57)। ध्यान रहे कि श्राद्धपक्ष के साथ-साथ वैशाख शु3. कार्तिक शु.3, भाद्रपद कृ. 13. मौनी अमावस्या, सूर्य चन्द ग्रहण तथा मकर एवं तुला संक्रान्तियों पर पवित्रचित्त होकर निम्नोक्त मन्त्र द्वारा अपने पितरों का ध्यानकर उनके निर्मित [ पीपल में रविवार को छोड़कर ], चाँदी के पात्र में कालेतिल मिश्रित जल का अर्घ्य देने से पितृगण एक हजार वर्षों के लिए सन्तुष्ट होकर धन-सम्पत्ति सन्तति का आशीर्वाद देते हैं (पद्म 6.160. 3-4)। 'आ ब्रह्म-स्तम्ब... तिलोदकम्' इत्यादि पितृतर्पण-मन्त्र पृष्ठ 31 पर देखें। पितरों की कृपा चाहने वाले को पीपल वृक्ष की सब प्रकार से सेवा करनी चाहिए।

 मन को जीतने वाला ही 'विजेता है।


 प्रभुप्राप्ति ही 'लाभ' है।

debt on Pitrupaksha,

All-useful mantras of Pitrartpan

Aa Brahmastamb paryantam Devarshipitrimanavah.  Tripyantu Pitar: Survey Mother Mother Mahaday: 1 Past Kulkotinam Saptadweepanivasinam.  Aa Brahmabhuvanallokadidamastu Tilodakam ॥

To get rid of special ancestral 


 It is appropriate to have Brahmin food (Devi Bhagwat 6.4.15)

 Shraddha Pitr Tarpan should be performed methodically on the date of death (not the time of death) of the deceased person. Or, even if you have the capacity with devotion, instead of many Brahmins, only one worthy and ascetic Brahmin should be given the food of Shradh (Manu 3.311. Bhagwat 7.15.3). Offering food to Brahmins is against the scriptures (Brihatparasharasmriti 7.71). Shradh should be performed in the middle of the day only and must invest silver, kush, sesame, cow and dauhitra in it (Matsyapuran 22.86). Scatter black sesame seeds in a quiet, secluded and holy place and do the above work: where no impure creatures (dogs etc.) are present. People with disabilities, patients, ocher-based Mahatmas, varnasankar, Rajaswala swi and people with blue-black clothes should not go to that place (Karmapuran 2.22.34-35). Use only cow's milk-ghee etc. in Shraddhbhoj rituals (Skanda 6.221.49) Mustard, gram etc. are prohibited (Mahabharata 13.91.38-41) Host or Brahmin on the day of Shraddha, any Datun (chewing wood), Kshaur, oil massage, sexual intercourse, eating paan, carrying load, use of iron (steel) or soil in re-food Don't (Kurma 2.22.61, Dalabhyasmriti 39).....
If possible, use silver everywhere during Shraddha (Padmapuran 1.9.59). (Skanda 7.206.42). There is no law for Shradh of suicides (Kurm 2.23.73). Shraadh should be performed in Tirtha-forest, temple etc. or at one's own house and not on other's land (Karma 2.22.16-17)1 At the time of Pitrartpan. A silver ring should be worn in the index finger or a gold ring in the ring finger (Padma 1.51.56-57). Keep in mind that along with Shraddha Paksha, Vaishakh Shu3. Kartik Shu.3, Bhadrapada Kri. 13. On the occasion of Mauni Amavasya, Surya Chand Grahan and Capricorn and Libra Sankrantis, offering water mixed with black sesame seeds in a silver vessel made [except on Sundays in Peepal tree] by reciting the following mantra, the ancestors will be blessed for a thousand years. By being satisfied, they bless the children with wealth (Padma 6.160. 3-4). 'Aa Brahma-Stamba... Tilodakam' etc. See Pitratarpan-Mantra on page 31. One who wants the blessings of ancestors should serve the Peepal tree in every way.

 The one who conquers the mind is the winner.


 Prabhu Prapti is the only 'gain'.

Shiv vash gouri kund jk 30/3/2023

शिव वास

 रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जप पार्थिवपूजा, ज्योतिलिंग यात्रा, शिवपूजा अनुष्ठान, सोमवार अथवा प्रदोष व्रत का आरम्भ आदि सकाम कृत्यों में शिववास विचारणीय है; न कि नित्यपूजन अथवा श्रावणमास में अतः प्रत्येक मास के शुक्लपक्ष की 2.5, 6, 9, 12, 13 तथा कृष्णपक्ष की 1, 4, 5, 8, 11, 12. अमावस्या इन तिथियों में ही उपर्युक्त कर्मों को सम्पादित करना चाहिए; अन्यथा भगवान् रुद्र/ शिव सन्तुष्ट नहीं होते। ध्यान रहे केवल श्रद्धा से भगवत्कृपा नहीं मिलती, विधि-विधान का भी अपना महत्त्व है क्योंकि विधि-विधान को छोड़कर भक्तिभाव के नाम पर मनमानी पूजा पद्धति से कभी कोई संकल्प सिद्ध नहीं होता। (देखें शिवपुराण 1.21.44) -

 
 विषयभोग भयंकर 'विष' है।


Shiv Vas

 Rudrabhishek, Mahamrityunjaya chanting Parthivapuja, Jyotirlinga Yatra, Shivpuja ritual, beginning of Monday or Pradosh Vrat etc. Shivavas is worth considering; Not in Nitya Pujan or in Shravan month, therefore 2.5, 6, 9, 12, 13 of Shukla Paksha of each month and 1, 4, 5, 8, 11, 12 of Krishna Paksha. The above mentioned deeds should be done on these dates only; Otherwise Lord Rudra/Shiva is not satisfied. Keep in mind that God's grace is not received only by devotion, rules and regulations also have their own importance because except for rules and regulations, arbitrary worship in the name of devotion never proves any resolution. (See Shivpuran 1.21.44) -

 Subjective enjoyment is a terrible 'poison'.

gupta Navratri 30/3/2023

गुप्त नवरात्र : आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इसका ज्ञान बहुत ही सजग शक्ति उपासकों तक सीमित रहता है, इसीलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र का माहात्म्य और साधना का विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। गुप्त नवरात्र भी शारदीय और वासंतिक नवरात्रों की तरह फलदायी होते हैं। गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।

 गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बने। उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली। इसी तरह लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रों में साधना की थी। गुरु शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुलदेवी निकुम्बला की साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है। गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही महत्व बताया गया है। मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण

 के लिए गुप्त नवरात्रों से बढ़कर कोई साधना काल नहीं है। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति

 के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं।



 स्त्रियों में अनासक्त ही 'बुद्धिमान्' है।


Gupta Navratras: The Navratras of the month of Ashadh and Magha are called Gupta Navratras. Its knowledge remains limited to very conscious Shakti worshippers, that is why it is called Gupta Navratri. The greatness of Gupta Navratri and the law of meditation is found in Devi Bhagwat and other religious texts. Gupta Navratras are also as fruitful as Sharadiya and Vasantik Navratras. Ten Mahavidyas are worshiped in Gupta Navratras.

 Sage Vishwamitra became the master of wonderful powers by doing ten Mahavidyas in Gupta Navratras. The strength of his achievements can be gauged from the fact that he even created a new universe. Similarly, Meghnad, the son of Lankapati Ravana, did spiritual practice during the Gupta Navratras to attain incomparable powers. Guru Shukracharya advised Meghnad that he could become the master of invincible powers by worshiping his Kuldevi Nikumbala during Gupta Navaratras. The great importance of Gupta Navratras has been told. Remedy for all human diseases and sufferings

 There is no sadhna period better than Gupta Navratras. Shri, supremacy, age, health and wealth

 Along with this, many types of rituals and rules of fasting are found in the scriptures in Gupta Navratri for the destruction of enemies.



 The one who is not attached to women is 'intelligent'.

एकादशी व्रत Ekadashi fasting 30/3/2023

* एकादशी व्रत

 03 से 80 वर्ष की आयु के प्रत्येक सनातनी को अपनी दसों इन्द्रियों एवं मन का नियमन करते हुए एकादशी व्रत करना चाहिए। धर्मशास्त्रों में उसके अनेक विधान वर्णित हैं, तथापि सर्वथा निराहार रहकर अथवा केवल गंगाजल या गोदुग्ध पीकर या केवल शुद्ध फल खाकर ही इस व्रत को करना चाहिए। अत्यधिक अशक्त होने पर रात्रिभोजन (व्रत फलाहार) ले सकते हैं, किन्तु एकादशी को छोड़ना नहीं चाहिए। प्रमादवश एकादशी के छूट जाने पर द्वादशी को व्रत कर लेना चाहिए; किन्तु प्रमादवश व्रतत्याग नहीं करना चाहिए। दशमी के मध्याहन से ही गरिष्ठ भोजन को त्यागकर एकादशी-प्रात: स्नान नित्यकर्म आदि से निवृत होकर एकादशी व्रत का संकल्प ('ओं विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। अद्य अस्मिन् दिने... गोत्रोत्पन्नः नामाऽहं श्रीपरमेश्वर-प्रीत्यर्थ एकादशी व्रतं करिष्ये) करके पूरे दिन में भगवत्स्मरण एवं राम नाम का न्यूनतम 21,600 जप एवं भगवद्गीता श्रवण करके, द्वादशी-सूर्योदय पर नित्यपूजा आदि के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। कुमारी कन्याओं को अपने पिता की तथा विवाहित स्त्रियों को अपने पति की आज्ञा से ही व्रत करना चाहिए। क्षौर, स्त्रीसंग, पापियों से सम्भाषण, चावल का सेवन, मिथ्याभाषण इत्यादि वर्जित है। एकादशी पर श्राद्ध पड़ने पर श्राद्धकर्ता एकादशी का त्याग करे, बल्कि पितरों को निवेदित किए भोजन को सूंघकर गाय को खिला दे तथा स्वयं उपवास करें (स्मृतिकौस्तुभ कात्यायन)। जो लोग किसी वैष्णव सम्प्रदाय में दीक्षित हैं, केवल वे ही वैष्णवों वाली एकादशी करें तथा अपनी गुरुपरम्परागत मर्यादाओं का निर्वाह करें: अन्य सभी के लिए स्मात वाली एकादशी विहित है।

विनयभाव सर्वश्रेष्ठ 'व्रत' है।


* Ekadashi fasting

 Every Sanatani in the age group of 03 to 80 years should observe Ekadashi fast by controlling his ten senses and mind. Many of its laws are described in religious scriptures, however, this fast should be observed by remaining completely abstinent or by drinking only Ganges water or cow milk or by eating only pure fruits. If you are extremely weak, you can take dinner (Vrat Falahar), but Ekadashi should not be missed. If Ekadashi is missed by mistake, one should fast on Dwadashi; But fasting should not be done carelessly. Ekadashi fasting from the midday of Dashami, having retired from Ekadashi-morning bath routine etc., resolve to observe Ekadashi fast ('O VishnurvishnurvishnuH. Adya Asmin Dinee... Gotrotpanna: Nama'ham Shriparmeshwar-Priyatharth Ekadashi Vratam Karishye) by remembering Bhagavat and Ram throughout the day. After chanting the name for a minimum of 21,600 times and listening to the Bhagavad Gita, the fast should be broken after daily worship on Dwadashi-Sunrise etc. Unmarried girls should fast only with the permission of their father and married women with the permission of their husband. Kshaur, company of women, conversation with sinners, consumption of rice, false speech etc. are prohibited. When Shradh is performed on Ekadashi, the Shradh performer should give up Ekadashi, rather feed the cow after smelling the food offered to the ancestors and fast himself (Smriti Kaustubh Katyayan). Those who are initiates in any Vaishnava sect, only they should observe Ekadashi of Vaishnavas and follow their Guru's tradition: for all others, Ekadashi of Smaat is prescribed.

 

 Modesty is the best 'fast'.

प्रारम्भिक सन्ध्योपासना * 30/3/2023

प्रारम्भिक सन्ध्योपासना *

प्रातः स्नान के बाद शुद्धवस्त्रों से अलंकृत होकर शिखाबन्धन एवं भस्म/मृत्तिका/ जल द्वारा को तथा दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में कुशा पवित्री या सोने चाँदी के छलने को धारण तत्पश्चात् अपने आसन पर पूर्वाभिमूख विराजमान होकर 'ओं पृथिवी त्वया धृता लोका देवि "विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्र कुरु चासनम्' कहते हुए माता पृथिवी को करदनन्तर 1 आ केशवाय नमः 2 ओ नारायणाय नमः 3. आ माधवाय नमः' कहते हुए तीन आचमन करें तथा 'ओं गोविन्दाय नमः' कहकर हाथ को भी लें। फिर 1. पूरक (अर्थात् दाहिने नासिकारन्ध को बन्दकर बाएँ से श्वास को खींचे), 2. कुम्भक (अर्थात् दोनों रन्धों को उरकर श्वास को रोक) और 3. रेचक (बाएँ रन्ध्र को बन्दकर दाहिने से श्वास को छोड़ इन तीनों आयामों को गायत्रीमन्त्र का मानसिक उच्चारण करते हुए सम्पादिक करें। तदुपरान्त दाहिने हाथ में जल लेकर 'ओं विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्य अस्मिन् दिने गोत्रोत्पन्नः नामाऽहं श्रीपरमेश्वरप्रीत्पर्थ सन्ध्यावन्दनं करिष्ये' इत्यादि संकल्प द्वारा भूमि पर जल को छोड़ दें। 'मित्राय नमः रवये नमः, सूर्याय नमः, भानवे नमः खगाय नमः, पृष्णे नमः, हिरण्यगर्भाय नमः, मरीचये नमः, आदित्याय नमः सवित्रे नमः, अर्काय नमः, भास्कराय नमः । छाया संज्ञा समेताय श्रीसूर्य नारायण स्वामिने नमः' कहने के बाद तीन बार गायत्रीमन्त्र का मानसिक उच्चारण करते हुए भगवान् सूर्य को तीन अर्घ्य दें। तदनन्तर 'आगच्छ वरदे देवि जपे मे सन्निधौ भव। गायन्तं त्रायसे यस्माद् गायत्री त्वं ततः स्मृता' इत्यादि ब्लोक द्वारा भगवती गायत्री का आवाहनकर गुरुप्रदत्त गायत्रीमन्त्र का न्यूनतम 108 बार जप करें। फिर 'आ ब्रह्मलोकाद आ शेषाद् आ लोकालोकपर्वतात्। ये वसन्ति द्विजा देवास्तेभ्यो नित्यं नमाम्यहम् कहकर प्राणिमात्र को नमस्कार करें तथा निम्नलिखित श्लोकों का उच्चारण करते हुए कातिल मिश्रित जल द्वारा पितरों का तर्पण करें: 'आ ब्रह्म-स्तम्ब पर्यन्तं देवर्षि पितृ-मानवाः । तृप्यन्तु पितरः सर्वे मातृ माता महादयः । अतीत-कुल-कोटीनां सप्तद्वीप-निवासिनाम् आ ब्रह्म-भुवना लोकाद् इदमस्तु तिलोदकम्॥'

तदुपरान्त यस्य स्मृत्या च नामवत्या तपोयज्ञक्रियादिषु न्यूनं सम्पूर्णतां याति सो बन्दे तमच्युतम्' कहकर वेदपुरुष भगवान् श्रीमनारायण को मनसा प्रणाम करें तथा 'अनेन सन्ध्योपासन कर्मणा श्रीपरमेश्वरः प्रीयतां न मम। ॐ तत्सत् ब्रह्मार्पणमस्तु' कहते हुए भूमि पर जल को छोड़कर परमेश्वर के प्रति अपने इस सत्कर्म को समर्पित करें। इसके बाद ही अपने अन्य नित्यपूजा गुरुमन्त्रजप आदि में लगना चाहिए। सभी पूजा आदि कर्मों को सम्पादन कर लेने के बाद अनन्त: तीन बार 'शक्राय नमः' कहकर जल को अपने आसन के नीचे छोड़कर, पूर्वोक्त रोति से तीन बार आचमन करने के बाद, उस भूमिगत जल को अपने मस्तक पर लगाएँ। ध्यान रहे: सामान्यतः गृहस्थों के लिए 108 तथा आपात्काल में 28 बार गायत्री जप ही पर्याप्त है। हमें सूर्योदय से न्यूनतम 48 पूर्व एवं अधिकतम 48 मिनटों बाद अपना सन्ध्यावन्दन कर लेना चाहिए। किन्तु कभी अपरिहार्य कारणों से विलम्ब हो जाने पर प्रायश्चित के रूप में सूर्यदेव को एक अतिरिक्त अध्यं देना चाहिए। स्मरण रहे कि व्यक्तिगत प्रमाद के कारण विलम्ब करने पर निश्चित रूप से दोष लगेगा ही। जिन्हें कुल परम्परा से विधिवत् यज्ञोपवीत प्राप्त नहीं हुआ है, उन्हें गायत्रीमन्त्र के स्थान पर 'यो देवः सविताऽस्माकं थियो धर्मादि-गोचरे प्रेरयेत् तस्य तद् भर्गस्तद् वरेण्यमुपास्महे' इत्यादि पूर्वोक्त श्लोक का ही सर्वत्र प्रयोग करना चाहिए। अनधिकारी (-यज्ञोपवीतरहित द्विज, शुद्र या स्त्री) को गायत्री आदि वैदिक क्रियाएँ विपरीत फल देती हैं। उन्हें उपर्युक्त पौराणिक पद्धति से ईश्वरोपासना करनी चाहिए।

ममता दुःख की जड़ है।

Early Evening Worship *

 After bathing in the morning, adorning with pure clothes, wearing Shikhabandhan and ashes/mritika/water and wearing Kusha Pavitri or gold and silver trick in the ring finger of the right hand, then sitting on his seat facing east, 'O Prithivi Twaya Dhrita Loka Devi "Vishnuna Dhrita". Saying 'Tvan ch dharay maa devi pavitra kuru chasanam' to Mother Earth, 1 Aa Keshavaya Namah 2 O Narayanaya Namah 3. Saying 'Aa Madhwaya Namah', do three aachamans and say 'Om Govindaya Namah', take the hand as well. Puraka (i.e. close the right nostril and inhale from the left), 2. Kumbhaka (i.e. hold the breath by closing both the nostrils) and 3. Rechaka (by closing the left nostril and exhaling from the right) these three dimensions of Gayatri Mantra are chanted mentally. After that, take water in the right hand and leave the water on the ground with the resolution 'O Vishnu Vishnu Vishnu: Adya Asmin Dine Gotrotpanna: Namaaham Shree Parameshwarpreetpartha Sandhyavandanam Karishye' etc. Namah, Marichaye Namah, Adityaya Namah Savitre Namah, Arkay Namah, Bhaskaray Namah. After saying Chhaya Sangya Sametay Shree Surya Narayan Swamine Namah, mentally reciting the Gayatri Mantra three times, offer three Arghyas to Lord Surya. After that, 'Aagchch Varde Devi may be blessed in chanting. Chant the Gurudatta Gayatri Mantra at least 108 times by invoking Bhagwati Gayatri through blocks like 'Gayantam Trayase Yasmad Gayatri Tvan Tatah Smrita' etc. Then 'A Brahmalokad A Sheshad A Lokalok Parvatat. This Vasanti Dwija Devastebhyo Nityam Namamyaham, salutations to the living beings and offering the murderers with the water mixed with water while reciting the following verses: 'आ ब्रह्म-स्टम्ब पर्यंतं देवर्षि पित्र-मानवः। Tripyantu Pitra: Sarve Matri Mata Mahadayah. Past-Kul-Kotinaam Saptadweep-Nivasinam Aa Brahma-Bhuvana Lokad Idamastu TilodaAfter that, by saying Yasya Smritya Cha Namavatya Tapoyagyakriyadishu Nunam Sampurnatam Yati So Bande Tamchyutam, Ved Purush should bow down to Lord Shrimanarayan in his mind and 'Anen Sandhyopasan Karmana Shri Parameshwar: Priyatam na Mam.  Dedicate this good deed of yours to the Supreme Lord, leaving water on the ground saying 'Om Tatsat Brahmarpanamastu'.  Only after this, one should engage in his other daily worship, Guru Mantra chanting etc.  After performing all the worship etc. Karma Anant: Saying 'Shakray Namah' three times, leaving the water under your seat, after doing the aforesaid bread thrice, apply that underground water on your head.  Keep in mind: Generally, 108 times for householders and 28 times in emergency is sufficient to chant Gayatri.  We should do our evening prayer minimum 48 minutes before sunrise and maximum 48 minutes after sunrise.  But if there is a delay due to unavoidable reasons, an additional study should be given to the Sun God as an atonement.  Remember that delay due to personal negligence will definitely be blamed.  Those who have not received Yajnopaveet duly from the whole tradition, instead of Gayatri Mantra, the aforesaid verses like 'Yo Dev: Savita'smakan Theo Dharmadi-Gochare Prerayet Tasya Tad Bhargastad Varenyamaupasmahe' etc. should be used everywhere.  Gayatri etc. Vedic rituals give opposite results to the unauthorized (-dwij, shudra or woman without sacrificial fire).  They should worship God in the above mythological method.

 Affection is the root of sorrow.'

Thursday, March 23, 2023

nirnayak sharirik

राष्ट्रीय स्वयसं वे क सघं
शारीररक ववभाग
चैत्र कृष्ण 9, गरुुवार,16दिसबं र,2023
दिय बधं वुर,
सिेम नमस्कार । ईशकृपा सेआप सकुशल होंगे। अदिल भारतीय िदतदनदध सभा केबाि शारीररक दवभाग की
बैठक मेंजो सझुाव आए थेउनको िांन्त िचारक बैठक मेंरिे। उनकी सहमदत सेजो दनणणय हुए वह आप सभी जानकारी हेतुभेज
रहा ह ूँ। 
1) संघ स्थान पर दशक्षकों को बलुानेका सीटी का सकं ेत पहलेिो छोटी सीटी बजाना था | वह अब यह बिलकर एक 
लबं ी और दो छोटी और दो छोटी (- oo oo) होगा ।
2) वादहनी समता मेंघनस्तंभव्यूह मेंअग्रेसर को िड़ा करनेकी पद्धदत पहलेिथमोदनश्चलः अवशेष अधणवतृ सप्तपिातं रं
िचल आज्ञा केबाि गण क्रमांक िो और तीन के अग्रेसर क्रमशः सात और चौिह किम जाकर अधणवतृ करके क्रमशः
िो और चार किम िदक्षणसर करतेथे। इसमेंपररवतणन होकर अब गण क्रमाकं दो और तीन केअग्रसे र क्रमशः सात 
और चौदह कदम जाकर वामवतृ करकेक्रमशः एकपद व विपद पुरस्सर करकेवामवतृ करगेंे।
3) बडेध्वज स्तम्भ पर ध्वजारोहण करनेकी पद्धदत पस्ुतक मेंपहलेऐसी दलिी हुई थी - पहलेध्वजिमिु िचल कर
मंडल केबाहर जाकर स्तभ व अधणवतृ करगे ा । बाि मेंध्वजवाहक ध्वज की डोरी लेकर ध्वजिमिु सेएक किम पहले
स्तभ कर डोरी उसके हाथ मेंिेगा दिर एक पि परुस्सर कर अधणवतृ करगे ा | अब उसमेंथोडा पररवतणन कर ऐसा 
दलिना है- ध्वजवाहक ध्वज की डोरी लेकर चलतेहुए ही ध्वजप्रमखु के हाथ मेंडोरी देकर उसके पास स्तभ
करकेअर्धवतृ करगेा ।
4) प्राथवमक वशक्षा वगों मेंसमारोप का प्रकट कायधक्रम व पथसचं लन नही करना है। पूरे14 सघं स्थान पर
पाठ्यक्रम का प्रवशक्षण अपवेक्षत है|
5) िाथदमक दशक्षा वगणमेंअपेदक्षत मख्ुयदशक्षकों का पूवाणभ्यास वगणिान्तशः तथा दशक्षकों का वगण दवभाग/दजलाशः करना 
अपेदक्षत है|
6) पनुः स्मरणाथण - पथसचं लन मेंवकसी को भी उपवीतक, ववववर् रगं केध्वज तथा खड्ग, आग्नये ास्त्र आवद का
प्रयोग नही करना है। पथसचं लन के आगेमोटर साईदकल पर गणवेशधारी स्वयंसेवकों को चलानेको टालना चादहए 
| इसकेस्थान पर कोई भी एक अछछा कायणकत्तााणउकृकृट गणवेश एवं संचलन करनेवाला पथ ििशणक के नातेसबसे
आगेसंचलन करतेहुए चलना अदधक अछछा है। 
7) प्रकट कायधक्रमों मेंसूयधनमस्कार का प्रात्यवक्षक नही करना है। योगिरी दबछाकर यदि आसन का िाकृयदक्षक कुछ
स्वयंसेवक करनेवालेहों तोवेसूयणनमस्कार का िाकृयदक्षक कर सकतेहैं।
8) घोष मेंजब भी िणाम कावािन होगा तबवािन करनेवालेस्वयंसेवकों को छोड़कर शेषवािकों को िणाम करना है।
उपरोक्त सभी सूचनाओंकापालन आपके िांत मेहो इस ओर आप सभी ध्यान िेंगेही, ऐसा दवश्वास है|
शेष कुशल |
 
 आपका
सनुील कुलकणी
 अ.भा.शारीररक दशक्षण िमिु

dayanand saraswati 200 th v

IIॐII 
RASHTRIYA SWAYAMSEVAK SANGH 
AKHIL BHARTEEYA PRATINIDHI SABHA 
Sewa Sadhna evm Gram Vikas Kendra, Paƫkalyana – Panipat (Haryana) 
Chaitra Krishna 5-7 Yugabdh 5124 (12-14 March, 2023)
 
On the occasion of the 200th birth anniversary of Maharishi Dayanand SaraswaƟ
Statement of Ma. Sarkaryavah Ji 
When the country was in disarray regarding its cultural and spiritual base during the period of 
subjugation, then Maharishi Dayanand Saraswati appeared on the scene. During that period, he did the 
amazing work of reconnecting society with its roots through the declaration of “Return to Vedas” to 
resurge the nation's spiritual foundation. Maharishi Dayanand Saraswati is a shining star in the series of 
great personalities who provided strength and spirit to society and eradicated evil practices over the 
course of time. The vibrations of the cultural revolution that occurred due to his emergence and 
inspirations can be experienced even today. 
In ‘Satyarth Prakash’, he wrote that, without Swadeshi, Swabhasha and Swabodh, there cannot 
be Swaraj. The inspiration of Maharishi Dayanand and the participation of Arya Samaj in Bharat's freedom 
struggle are of high significance. Many well-known freedom fighters took inspiration from him. His 
foremost goal was to make India “Arya Vrat” in its true sense through the Aryasamaj started with the 
resolve of "Krinvanto Vishwamaryam" (Ennoble the world). 
For providing women with leading positions, he created systems according to contemporary 
needs. He not only prompted women to study the Vedas but also did the job of spreading women's 
education through Kanya Pathshala and Kanya Gurukul. To adopt an ideal lifestyle, he not only insisted 
on the Ashrama system (Brahmacharya, Grihastha, Vanaprastha and Sanyasa) but also created the 
system for it. He initiated a revolution by spreading Gurukul and DAV schools in order to generate 
brilliance, character building, de-addiction and inculcate patriotism, as well as dedication towards the 
society and the country among the youth of the nation. His emphasis on cow protection, cow rearing, 
cow-based agriculture and cow promotion is clearly visible even today in the activities of Aryasamaj. By 
initiating the “Shuddhi” movement, he opened a new dimension of religious propagation, which is still 
worth emulating. The life of Maharishi Dayanand was the embodiment of the principles propounded by 
him. Simplicity, hard work, sacrifice, dedication, fearlessness and adherence to principles were reflected 
in every moment of his life. 
Maharishi Dayanand's teachings and works are still relevant. On the auspicious occasion of his 
200th birth anniversary, Rashtriya Swayamsevak Sangh bows in reverence before him. All the 
svayamsevaks will participate wholeheartedly in the programs organized on this occasion so that his ideals 
will be reflected in their lives. Rashtriya Swayamsevak Sangh is of the view that a true tribute can be paid 
to Maharishi Dayanand only by building a cultured vibrant society filled with the sense of ‘self’ and freeing 
the society of untouchability, addiction and superstitions. 
*****

the 2550th Nirvana of Mahaveer Swami

IIॐII 
RASHTRIYA SWYAMSEVAK SANGH 
AKHIL BHARTEEYA PRATINIDHI SABHA 
Sewa Sadhna evm Gram Vikas Kendra, Paƫkalyana – Panipat (Haryana) 
Chaitra Krishna 5-7 Yugabdh 5124 (12-14 March, 2023)
On the occasion of the 2550th Nirvana of Mahaveer Swami 
Statement of Ma Sarkaryawah Ji 
2550 years of Lord Mahavir's aƩainment of Nirvana are being completed. On the day 
of KarƟk Amavasya, he overcame eight Karmas and aƩained Nirvana. The divine 
manifestaƟon, which ushered the mankind towards the light of knowledge devoted his life 
for self-development and social welfare and, rendered supreme service to humanity. Keeping 
the welfare of humanity in mind, he gave five principles in the form of Satya (truthfulness), 
Ahimsa (non-violence), Asteya (non-stealing), Aparigraha (non-possession), and 
Brahmacharya (celibacy) that have eternal relevance. Lord Mahavir was a trailblazer in the 
fight to eradicate gender discriminaƟon in society by honouring and recognising the 
contribuƟons that women make to society and restoring their lost dignity. 
His teaching of Aparigraha (non-possession) encouraged people to curb their material 
desires and instead use their excess wealth towards the beƩerment of society. Now, more 
than ever, the Aparigraha concept must be pracƟsed if we are to save the environment from 
the destrucƟon that our consumerist lifestyle is wreaking. Adhering to his teachings of 
Ahimsa (non-violence), Sah-AsƟtva (co-existence) and seeing the same Self in every living 
being is absolutely necessary for the existence of the world. While expounding the 
philosophy of Karma, Bhagwan Mahavir held the view that one's own acƟons were 
responsible for one's pleasure and that one should avoid holding others accountable for 
one's sufferings and sorrows. 
Today, Bharat is moving in the direcƟon of becoming ‘Vishwaguru’ by making an effort 
on the basis of its ‘Swa’; the inner potenƟal of Bharat is inspiring her to lead the world and 
it is believed by the Rashtriya Swayamsevak Sangh that in this journey the contemporary era 
needs the wisdom of Vardhaman in order to proceed along this path. On the occasion of the 
2550th anniversary of Lord Mahavir's aƩainment of Nirvana, the Rashtriya Swayamsevak 
Sangh pays homage to him with reverence. All swayamsevaks will contribute whole heartly 
in programmes organised in this regard & imbibe his preachings in their lives. Hopes that 
society would adopt Lord Mahavir's teachings and commit itself to the welfare of humanity. 
*****

dayanand saraswati 200 th v

IIॐII 
RASHTRIYA SWAYAMSEVAK SANGH 
AKHIL BHARTEEYA PRATINIDHI SABHA 
Sewa Sadhna evm Gram Vikas Kendra, Paƫkalyana – Panipat (Haryana) 
Chaitra Krishna 5-7 Yugabdh 5124 (12-14 March, 2023)
 
On the occasion of the 200th birth anniversary of Maharishi Dayanand SaraswaƟ
Statement of Ma. Sarkaryavah Ji 
When the country was in disarray regarding its cultural and spiritual base during the period of 
subjugation, then Maharishi Dayanand Saraswati appeared on the scene. During that period, he did the 
amazing work of reconnecting society with its roots through the declaration of “Return to Vedas” to 
resurge the nation's spiritual foundation. Maharishi Dayanand Saraswati is a shining star in the series of 
great personalities who provided strength and spirit to society and eradicated evil practices over the 
course of time. The vibrations of the cultural revolution that occurred due to his emergence and 
inspirations can be experienced even today. 
In ‘Satyarth Prakash’, he wrote that, without Swadeshi, Swabhasha and Swabodh, there cannot 
be Swaraj. The inspiration of Maharishi Dayanand and the participation of Arya Samaj in Bharat's freedom 
struggle are of high significance. Many well-known freedom fighters took inspiration from him. His 
foremost goal was to make India “Arya Vrat” in its true sense through the Aryasamaj started with the 
resolve of "Krinvanto Vishwamaryam" (Ennoble the world). 
For providing women with leading positions, he created systems according to contemporary 
needs. He not only prompted women to study the Vedas but also did the job of spreading women's 
education through Kanya Pathshala and Kanya Gurukul. To adopt an ideal lifestyle, he not only insisted 
on the Ashrama system (Brahmacharya, Grihastha, Vanaprastha and Sanyasa) but also created the 
system for it. He initiated a revolution by spreading Gurukul and DAV schools in order to generate 
brilliance, character building, de-addiction and inculcate patriotism, as well as dedication towards the 
society and the country among the youth of the nation. His emphasis on cow protection, cow rearing, 
cow-based agriculture and cow promotion is clearly visible even today in the activities of Aryasamaj. By 
initiating the “Shuddhi” movement, he opened a new dimension of religious propagation, which is still 
worth emulating. The life of Maharishi Dayanand was the embodiment of the principles propounded by 
him. Simplicity, hard work, sacrifice, dedication, fearlessness and adherence to principles were reflected 
in every moment of his life. 
Maharishi Dayanand's teachings and works are still relevant. On the auspicious occasion of his 
200th birth anniversary, Rashtriya Swayamsevak Sangh bows in reverence before him. All the 
svayamsevaks will participate wholeheartedly in the programs organized on this occasion so that his ideals 
will be reflected in their lives. Rashtriya Swayamsevak Sangh is of the view that a true tribute can be paid 
to Maharishi Dayanand only by building a cultured vibrant society filled with the sense of ‘self’ and freeing 
the society of untouchability, addiction and superstitions. 
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dayanand saraswati

ॐ 
राÕůीय Öवयंसवेक संघ
अिखल भारतीय ÿितिनिध सभा
सवे ा साधना एवंúाम िवकास क¤ þ, पĘीकÐयाणा – पानीपत (हåरयाणा)
चैý कृÕण 5-7 यगु ाÊद 5124 (12-14 माचª2023)
महͪष दयानंद [ सरèवती कȧ 200 वीं जÛम जयंती के अवसर पर 
मा. सरकायवाह [ का वÈतåय
पराधीनता के काल मɅ जब देश अपने सांèकृǓतक व आÚयाि×मक आधार के सàबÛध मɅ ǑदÊħͧमत हो रहा 
था, तब महͪष दयान [ Ûद सरèवती का Ĥाकɪय हुआ। उस काल मɅ उÛहɉने राçĚ के आÚयाि×मक अͬधçठान को सǺुढ़ 
करने हेतु“वेदɉ कȧ ओर लौटने” का उĤोष कर समाज को अपनी जड़ɉ के साथ पनु ः जोड़ने का अɮभुत काय[ ͩकया।
समाज को बल व चेतना Ĥदान करने तथा समय के Ĥवाह मɅ आई कुरȣǓतयɉ को दरू करनेवाले महापǽुषɉ कȧ Įखला ंृ
मɅ महͪष दयानंद [ सरèवती दैदȣÜयमान न¢ğ हɇ। महͪष दयानंद [ सरèवती के Ĥादभु ा[व व उनकȧ Ĥेरणाओं से हुई
सांèकृǓतक ĐांǓत का èपंदन आज भी अनुभव ͩकया जा रहा है। 
स×याथĤ[ काश मɅ èवराज को पǐरभाͪषत करते हुए उÛहɉने ͧलखा ͩक èवदेशी, èवभाषा, èवबोध के ǒबना
èवराज नहȣं हो सकता। भारत के èवतंğता संĒाम मɅमहͪष दयानंद [ कȧ Ĥेरणा और आयसमाज [ कȧ सहभाͬगता अ×यंत 
महǂवपूण[ है। अनेक èवनामधÛय èवतंğता सेनाǓनयɉ ने इनसे Ĥेरणा लȣ। “कृÖवÛतो ͪवæवमायम[ " के ् संकãप के साथ 
Ĥारंभ ͩकये गए आयसमाज [ के माÚयम से भारत को सहȣ अथɟ मɅ आय[ ĭत (Įेçठ भारत) बनाना उनका Ĥथम लêय
था। 
उÛहɉने नारȣ को अĒणी èथान Ǒदलाने के ͧलए युगानुकूल åयवèथाएँ बनाकर कÛया पाठशाला और कÛया
गǽुकुल के माÚयम से उनको न के वल वेदɉ का अÚययन करवाया अͪपतुनारȣ ͧश¢ा का Ĥसार भी ͩकया। आदश[
जीवनशैलȣ अपनाने के ͧलए उÛहɉने आĮम åयवèथा (āĺचयª, गहृ èथ, वानĤèथ, संÛयास) पर न के वल आĒह ͩकया, 
अͪपतुउनके ͧलए åयवèथा भी Ǔनमाण क [ ȧ। उÛहɉने देश कȧ युवा पीढ़ȣ मɅ तजे िèवता, चǐरğ Ǔनमाण[ , åयसनमुिÈत, 
राçĚभिÈत के संचार, समाज व देश के ĤǓत समपण[ Ǔनमा[ण करने के ͧलए गǽुकुल व डीएवी िवīालयŌ का Ĥसार
कर एक ĐांǓत कȧ थी। गौ र¢ा, गोपालन, गौ आधाǐरत कृͪष, गौ संवधन[ के ĤǓत उनका आĒह आज भी आय[समाज
के कायɟ मɅ èपçट Ǻिçटगोचर होता है। उÛहɉने शुिĦ आÆदोलन Ĥारàभ कर धमĤ[ सार का एक नया आयाम खोला, जो 
आज भी अनकु रणीय है। महͪष दयानंद का जीवन उनके [ Ĭारा ĤǓतपाǑदत िसĦांतŌ का साकार èवǾप था। सादगी, 
पǐरĮम, ×याग, समपण[ , Ǔनभयता एवं [ िसĦातं Ō के ĤǓत अͫडगता उनके जीवन के Ĥ×येक ¢ण मɅ पǐरलͯ¢त होती 
है। 
महͪष दयानंद के [ उपदेशɉ और कायɟ कȧ Ĥासंͬगकता आज भी बनी हुई है। उनकȧ िĬशताÊदी के पावन अवसर 
पर राçĚȣय èवयंसेवक संघ उÛहɅ ®Åदापवूªक वंदन करता है। सभी èवयंसेवक इस पावन अवसर पर आयोिजत 
कायĐ[ मɉ मɅ पणू मनोयोग से भाग लेकर उन [ के आदशɟ को अपने जीवन मɅ चǐरताथ कर [ Ʌ। रा. èव. संघ कȧ माÛयता 
है ͩक अèपæृयता, åयसन और अधं ͪवæवासɉ से मÈुत करके एवं ‘èव’ से ओत-Ĥोत संèकारयÈुत ओजèवी समाज का 
Ǔनमा[ण करके हȣ उनके ĤǓत सÍची ®Ħाजं िल दȣ जा सकती है। 
*****

shivaji

RASHTRIYA SWAYAMSEVAK SANGH 
AKHIL BHARTEEYA PRATINIDHI SABHA 
Sewa Sadhna evm Gram Vikas Kendra, Paƫkalyana – Panipat (Haryana) 
Chaitra Krishna 5-7 Yugabdh 5124 (12-14 March, 2023)
On the occasion of the 350th anniversary of the CoronaƟon of ChhatrapaƟ Shivaji
Statement of Ma Sarkaryawah Ji 
ChhatrapaƟ Shivaji Maharaj is one of those great personaliƟes of Bharat who unshackled the 
society from the slave mentality and insƟlled a sense of self confidence and self-respect in it. He was 
coronated and Hindavi Swaraj was formed on Jyeshtha Shuddha Trayodashi. This year marks the 
commencement of 350th year of the establishment of ‘Hindavi Swaraj. On the eve of this, several 
programs will be organized throughout the country including Maharashtra. On this auspicious 
occasion, the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) solemnly reminisces ChhatrapaƟ Shivaji Maharaj 
and appeals to the swayamsevaks and all the secƟons of the society to commemorate the epoch-
making moment of the establishment of Hindavi Swaraj by parƟcipaƟng in all such events.
The life of ChhatrapaƟ Shivaji Maharaj is full of unparalleled bravery, masterly strategy, 
thorough experƟse in warfare, sensiƟve, fair and imparƟal administraƟon, respect for women, 
staunch Hindutva and many such characterisƟcs. Many incidents tesƟfying the traits such as faith 
and confidence in his mission and God during adverse Ɵmes, respect for parents and teachers, 
standing shoulder to shoulder with the compatriots in their moments of joy and despair and taking 
along all secƟons of the society, can be found in his life. Since childhood, with his persona, he 
inspired his compatriots to sacrifice their lives for the establishment of Swaraj which later became 
an inspiraƟon for the patriots from other parts of Bharat. Even aŌer his demise, the society 
successfully resisted an all-out aƩack for decades, which is a unique example in history.
The objecƟve of the pledge to establish Swaraj taken by ChhatrapaƟ Shivaji Maharaj in his 
childhood was not for mere aƩainment of power but to establish a state based on ‘Self’ for the 
protecƟon of Dharma and culture. Therefore, he connected its foundaƟon with the spirit of ‘This 
state is established by Shri’s (God) will. At the Ɵme of establishing Swaraj, creaƟon Ashta Pradhan 
Mandal, 'Rajya Vyavahar Kosh', use of local language for administraƟon, starƟng of Shiv shak as 
almanac, the use of Sanskrit royal seal, all his acƟviƟes were directed for providing a firm fooƟng to 
the 'Swarajya' established for the purpose of 'Dharmasthapana'. 
Today, Bharat is moving forward on the path of naƟon-building on the basis of its 'self' by 
awakening its social power; remembering the life journey of ChhatrapaƟ Shivji Maharaj, who lived 
his life for the establishment of a Swaraj, is very relevant and inspiring. 
*****

photo


इस्लामिक संगठन

*पूरी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए कितने संगठन और कितने देशों में कार्य कर रहे हैं इसको नीचे से जानकारी ले सकते हैं जबकि हिन्दुस्तान के हिन्दुओं को हिन्दू बने रहने के लिए केवल एक संगठन कार्य कर रहा और उसका इतना विरोध केवल हिन्दू ही कर रहे वास्तव में चिंतनीय है*
1) अल -शबाब (अफ्रीका), 
2) अल मुराबितुंन (अफ्रीका), 
3) अल -कायदा (अफगानिस्तान), 
4) अल -क़ाएदा (इस्लामिक मघरेब), 
5) अल -क़ाएदा (इंडियन सबकॉन्टिनेंट), 
6) अल -क़ाएदा (अरेबियन पेनिनसुला),
7) हमास (पलेस्टाइन), 
8) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन), 
9) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ (पलेस्टाइन), 
10) हेज़बोल्ला (लेबनान), 
11) अंसार अल -शरीया -बेनग़ाज़ी (लेबनान), 
12) असबात अल -अंसार (लेबनान), 
13) ISIS (इराक), 
14) ISIS (सीरिया),
15) ISIS (कवकस)
16) ISIS (लीबिया)
17) ISIS (यमन)
18) ISIS (अल्जीरिया), 
19) ISIS (फिलीपींस)
20) जुन्द अल -शाम (अफगानिस्तान), 
21) मौराबितौं (लेबनान), 
22) अलअब्दुल्लाह अज़्ज़म ब्रिगेड्स (लेबनान), 
23) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया), 
24) अल -हरमैन फाउंडेशन (सऊदी अरबिया), 
25) अंसार -अल -शरीया (मोरोक्को),
26) मोरोक्को मुदजादिने (मोरक्को), 
27) सलफीआ जिहदिआ (मोरक्को), 
28) बोको हराम (अफ्रीका), 
29) इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (उज़्बेकिस्तान), 
30) इस्लामिक जिहाद यूनियन (उज़्बेकिस्तान), 
31) इस्लामिक जिहाद यूनियन (जर्मनी), 
32) DRW True -रिलिजन (जर्मनी)
33) फजर नुसंतरा मूवमेंट (जर्मनी)
34) DIK हिल्देशियम (जर्मनी)
35) जैश -ए -मुहम्मद (कश्मीर), 
36) जैश अल -मुहाजिरीन वल -अंसार (सीरिया), 
37) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ पलेस्टाइन (सीरिया), 
38) जमात अल दावा अल क़ुरान (अफगानिस्तान), 
39) जुंदल्लाह (ईरान)
40) क़ुद्स फाॅर्स (ईरान)
41) Kata'ib हेज़बोल्लाह (इराक), 
42) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया), 
43) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt), 
44) जुन्द अल -शाम (जॉर्डन)
45) फजर नुसंतरा  बहुत (ऑस्ट्रेला)
46) सोसाइटी ऑफ़ द रिवाइवल ऑफ़ इस्लामिक हेरिटेज (टेरर फंडिंग, वर्ल्डवाइड ऑफिसेस)
47) तालिबान (अफगानिस्तान), 
48) तालिबान (पाकिस्तान), 
49) तहरीक -i-तालिबान (पाकिस्तान), 
50) आर्मी ऑफ़ इस्लाम (सीरिया), 
51) इस्लामिक मूवमेंट (इजराइल)
52) अंसार अल शरीया (तुनिशिया), 
53) मुजाहिदीन शूरा कौंसिल इन द एनवीरोंस ऑफ़ (जेरूसलम), 
54) लिबयान इस्लामिक फाइटिंग ग्रुप (लीबिया), 
55) मूवमेंट फॉर वेनेस्स एंड जिहाद इन (वेस्ट अफ्रीका), 
56) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन)
57) तेव्हीद-सेलम (अल -क़ुद्स आर्मी)
58) मोरक्कन इस्लामिक कोंबटेंट ग्रुप (मोररोको), 
59) काकेशस अमीरात (रूस), 
60) दुख्तरान -ए -मिल्लत फेमिनिस्ट इस्लामिस्ट्स (इंडिया),
61) इंडियन मुजाहिदीन (इंडिया), 
62) जमात -उल -मुजाहिदीन (इंडिया)
63) अंसार अल -इस्लाम (इंडिया)
64) स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (इंडिया), 
65) हरकत मुजाहिदीन (इंडिया), 
66) हिज़्बुल मुझेडीन (इंडिया)
67) लश्कर ए इस्लाम (इंडिया)
68) जुन्द अल -खिलाफह (अल्जीरिया), 
69) तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी ,
70) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt),
71) ग्रेट ईस्टर्न इस्लामिक रेडर्स' फ्रंट (तुर्की),
72) हरकत -उल -जिहाद अल -इस्लामी (पाकिस्तान),
73) तहरीक -ए -नफ़ज़ -ए -शरीअत -ए -मोहम्मदी (पाकिस्तान), 
74) लश्कर ए तोइबा (पाकिस्तान)
75) लश्कर ए झांगवी (पाकिस्तान)
76) अहले सुन्नत वल जमात (पाकिस्तान ),
77) जमात उल -एहरार (पाकिस्तान), 
78) हरकत -उल -मुजाहिदीन (पाकिस्तान), 
79) जमात उल -फुरकान (पाकिस्तान), 
80) हरकत -उल -मुजाहिदीन (सीरिया), 
81) अंसार अल -दिन फ्रंट (सीरिया), 
82) जब्हत फ़तेह अल -शाम (सीरिया), 
83) जमाह अन्शोरूट दौलाह (सीरिया), 
84) नौर अल -दिन अल -ज़ेन्कि मूवमेंट (सीरिया),
85) लिवा अल -हक़्क़ (सीरिया), 
86) अल -तौहीद ब्रिगेड (सीरिया), 
87) जुन्द अल -अक़्सा (सीरिया), 
88) अल-तौहीद ब्रिगेड(सीरिया), 
89) यरमूक मार्टियर्स ब्रिगेड (सीरिया), 
90) खालिद इब्न अल -वालिद आर्मी (सीरिया), 
91) हिज़्ब -ए इस्लामी गुलबुद्दीन (अफगानिस्तान), 
92) जमात -उल -एहरार (अफगानिस्तान) 
93) हिज़्ब उत -तहरीर (वर्ल्डवाइड कलिफाते), 
94) हिज़्बुल मुजाहिदीन (इंडिया), 
95) अंसार अल्लाह (यमन), 
96) हौली लैंड फाउंडेशन फॉर रिलीफ एंड डेवलपमेंट (USA), 
97) जमात मुजाहिदीन (इंडिया), 
98) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया), 
99) हिज़्बुत तहरीर (इंडोनेशिया), 
100) फजर नुसंतरा मूवमेंट (इंडोनेशिया), 
101) जेमाह इस्लामियाह (इंडोनेशिया), 
102) जेमाह इस्लामियाह (फिलीपींस), 
103) जेमाह इस्लामियाह (सिंगापुर), 
104) जेमाह इस्लामियाह (थाईलैंड), 
105) जेमाह इस्लामियाह (मलेशिया), 
106) अंसार दीने (अफ्रीका), 
107) ओस्बत अल -अंसार (पलेस्टाइन), 
108) हिज़्ब उल -तहरीर (ग्रुप कनेक्टिंग इस्लामिक केलिफेट्स अक्रॉस द वर्ल्ड इनटू वन वर्ल्ड इस्लामिक केलिफेट्स)
109) आर्मी ऑफ़ द मेन ऑफ़ द नक्शबंदी आर्डर (इराक)
110) अल नुसरा फ्रंट (सीरिया), 
111) अल -बदर (पाकिस्तान), 
112) इस्लाम 4UK (UK), 
113) अल घुरबा (UK), 
114) कॉल टू सबमिशन (UK), 
115) इस्लामिक पथ (UK), 
116) लंदन स्कूल ऑफ़ शरीया (UK), 
117) मुस्लिम्स अगेंस्ट क्रुसडेस (UK), 
118) नीड 4Khilafah (UK), 
119) द शरिया प्रोजेक्ट (UK), 
120) द इस्लामिक दवाह एसोसिएशन (UK), 
121) द सवियर सेक्ट (UK), 
122) जमात उल -फुरकान (UK), 
123) मिनबर अंसार दीन (UK), 
124) अल -मुहाजिरों (UK) (Lee Rigby, लंदन 2017 मेंबर्स), 
125) इस्लामिक कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन (UK) (नॉट टू बी कन्फ्यूज्ड विद ओफ़फिशिअल मुस्लिम कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन), 
126) अहलुस सुन्नाह वल जमाह (UK), 
128) अल -गामा'अ (Egypt), 
129) अल -इस्लामियया (Egypt), 
130) आर्म्ड इस्लामिक मेन ऑफ़ (अल्जीरिया), 
131) सलाफिस्ट ग्रुप फॉर कॉल एंड कॉम्बैट (अल्जीरिया), 
132) अन्सारु (अल्जीरिया), 
133) अंसार -अल -शरीया (लीबिया), 
134) अल इत्तिहाद अल इस्लामिआ (सोमालिया), 
135) अंसार अल -शरीया (तुनिशिया), 
136) शबब (अफ्रीका), 
137) अल -अक़्सा फाउंडेशन (जर्मनी)
138) अल -अक़्सा मार्टियर्स' ब्रिगेड्स (पलेस्टाइन), 
139) अबू सय्याफ (फिलीपींस), 
140) अदेन-अबयान इस्लामिक आर्मी (यमन), 
141) अजनाद मिस्र (Egypt), 
142) अबू निदाल आर्गेनाइजेशन (पलेस्टाइन), 
143) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया)

*अपने देश के कई नेता ये कहते है कि, कई लोग गलत तरीके से इस्लाम को बदनाम करते हैं। ये ऊपर लिखे सारे इस्लामिक संगठन तो शांति की स्थापना में लगे हुए है।*
*बस केवल "आरएसएस" ही ऐसा संगठन है, जो पूरे विश्व में भगवा आतंकवाद फैलाता है।*

*ऐसी सोच का क्या मतलब है.? ये तो है मानसिक विकलांगता है ।*

*आपसे निवेदन है कि, आप इस पेज को ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजे और उन्हें सचाई से अवगत कराये।*

🙏☝️🙏

Sunday, March 19, 2023

इस्लामिक संगठन

*पूरी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए कितने संगठन और कितने देशों में कार्य कर रहे हैं इसको नीचे से जानकारी ले सकते हैं जबकि हिन्दुस्तान के हिन्दुओं को हिन्दू बने रहने के लिए केवल एक संगठन कार्य कर रहा और उसका इतना विरोध केवल हिन्दू ही कर रहे वास्तव में चिंतनीय है*
1) अल -शबाब (अफ्रीका), 
2) अल मुराबितुंन (अफ्रीका), 
3) अल -कायदा (अफगानिस्तान), 
4) अल -क़ाएदा (इस्लामिक मघरेब), 
5) अल -क़ाएदा (इंडियन सबकॉन्टिनेंट), 
6) अल -क़ाएदा (अरेबियन पेनिनसुला),
7) हमास (पलेस्टाइन), 
8) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन), 
9) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ (पलेस्टाइन), 
10) हेज़बोल्ला (लेबनान), 
11) अंसार अल -शरीया -बेनग़ाज़ी (लेबनान), 
12) असबात अल -अंसार (लेबनान), 
13) ISIS (इराक), 
14) ISIS (सीरिया),
15) ISIS (कवकस)
16) ISIS (लीबिया)
17) ISIS (यमन)
18) ISIS (अल्जीरिया), 
19) ISIS (फिलीपींस)
20) जुन्द अल -शाम (अफगानिस्तान), 
21) मौराबितौं (लेबनान), 
22) अलअब्दुल्लाह अज़्ज़म ब्रिगेड्स (लेबनान), 
23) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया), 
24) अल -हरमैन फाउंडेशन (सऊदी अरबिया), 
25) अंसार -अल -शरीया (मोरोक्को),
26) मोरोक्को मुदजादिने (मोरक्को), 
27) सलफीआ जिहदिआ (मोरक्को), 
28) बोको हराम (अफ्रीका), 
29) इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (उज़्बेकिस्तान), 
30) इस्लामिक जिहाद यूनियन (उज़्बेकिस्तान), 
31) इस्लामिक जिहाद यूनियन (जर्मनी), 
32) DRW True -रिलिजन (जर्मनी)
33) फजर नुसंतरा मूवमेंट (जर्मनी)
34) DIK हिल्देशियम (जर्मनी)
35) जैश -ए -मुहम्मद (कश्मीर), 
36) जैश अल -मुहाजिरीन वल -अंसार (सीरिया), 
37) पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ़ पलेस्टाइन (सीरिया), 
38) जमात अल दावा अल क़ुरान (अफगानिस्तान), 
39) जुंदल्लाह (ईरान)
40) क़ुद्स फाॅर्स (ईरान)
41) Kata'ib हेज़बोल्लाह (इराक), 
42) अल -इतिहाद अल -इस्लामिया (सोमालिया), 
43) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt), 
44) जुन्द अल -शाम (जॉर्डन)
45) फजर नुसंतरा  बहुत (ऑस्ट्रेला)
46) सोसाइटी ऑफ़ द रिवाइवल ऑफ़ इस्लामिक हेरिटेज (टेरर फंडिंग, वर्ल्डवाइड ऑफिसेस)
47) तालिबान (अफगानिस्तान), 
48) तालिबान (पाकिस्तान), 
49) तहरीक -i-तालिबान (पाकिस्तान), 
50) आर्मी ऑफ़ इस्लाम (सीरिया), 
51) इस्लामिक मूवमेंट (इजराइल)
52) अंसार अल शरीया (तुनिशिया), 
53) मुजाहिदीन शूरा कौंसिल इन द एनवीरोंस ऑफ़ (जेरूसलम), 
54) लिबयान इस्लामिक फाइटिंग ग्रुप (लीबिया), 
55) मूवमेंट फॉर वेनेस्स एंड जिहाद इन (वेस्ट अफ्रीका), 
56) पलिस्तीनियन इस्लामिक जिहाद (पलेस्टाइन)
57) तेव्हीद-सेलम (अल -क़ुद्स आर्मी)
58) मोरक्कन इस्लामिक कोंबटेंट ग्रुप (मोररोको), 
59) काकेशस अमीरात (रूस), 
60) दुख्तरान -ए -मिल्लत फेमिनिस्ट इस्लामिस्ट्स (इंडिया),
61) इंडियन मुजाहिदीन (इंडिया), 
62) जमात -उल -मुजाहिदीन (इंडिया)
63) अंसार अल -इस्लाम (इंडिया)
64) स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ (इंडिया), 
65) हरकत मुजाहिदीन (इंडिया), 
66) हिज़्बुल मुझेडीन (इंडिया)
67) लश्कर ए इस्लाम (इंडिया)
68) जुन्द अल -खिलाफह (अल्जीरिया), 
69) तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी ,
70) Egyptian इस्लामिक जिहाद (Egypt),
71) ग्रेट ईस्टर्न इस्लामिक रेडर्स' फ्रंट (तुर्की),
72) हरकत -उल -जिहाद अल -इस्लामी (पाकिस्तान),
73) तहरीक -ए -नफ़ज़ -ए -शरीअत -ए -मोहम्मदी (पाकिस्तान), 
74) लश्कर ए तोइबा (पाकिस्तान)
75) लश्कर ए झांगवी (पाकिस्तान)
76) अहले सुन्नत वल जमात (पाकिस्तान ),
77) जमात उल -एहरार (पाकिस्तान), 
78) हरकत -उल -मुजाहिदीन (पाकिस्तान), 
79) जमात उल -फुरकान (पाकिस्तान), 
80) हरकत -उल -मुजाहिदीन (सीरिया), 
81) अंसार अल -दिन फ्रंट (सीरिया), 
82) जब्हत फ़तेह अल -शाम (सीरिया), 
83) जमाह अन्शोरूट दौलाह (सीरिया), 
84) नौर अल -दिन अल -ज़ेन्कि मूवमेंट (सीरिया),
85) लिवा अल -हक़्क़ (सीरिया), 
86) अल -तौहीद ब्रिगेड (सीरिया), 
87) जुन्द अल -अक़्सा (सीरिया), 
88) अल-तौहीद ब्रिगेड(सीरिया), 
89) यरमूक मार्टियर्स ब्रिगेड (सीरिया), 
90) खालिद इब्न अल -वालिद आर्मी (सीरिया), 
91) हिज़्ब -ए इस्लामी गुलबुद्दीन (अफगानिस्तान), 
92) जमात -उल -एहरार (अफगानिस्तान) 
93) हिज़्ब उत -तहरीर (वर्ल्डवाइड कलिफाते), 
94) हिज़्बुल मुजाहिदीन (इंडिया), 
95) अंसार अल्लाह (यमन), 
96) हौली लैंड फाउंडेशन फॉर रिलीफ एंड डेवलपमेंट (USA), 
97) जमात मुजाहिदीन (इंडिया), 
98) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया), 
99) हिज़्बुत तहरीर (इंडोनेशिया), 
100) फजर नुसंतरा मूवमेंट (इंडोनेशिया), 
101) जेमाह इस्लामियाह (इंडोनेशिया), 
102) जेमाह इस्लामियाह (फिलीपींस), 
103) जेमाह इस्लामियाह (सिंगापुर), 
104) जेमाह इस्लामियाह (थाईलैंड), 
105) जेमाह इस्लामियाह (मलेशिया), 
106) अंसार दीने (अफ्रीका), 
107) ओस्बत अल -अंसार (पलेस्टाइन), 
108) हिज़्ब उल -तहरीर (ग्रुप कनेक्टिंग इस्लामिक केलिफेट्स अक्रॉस द वर्ल्ड इनटू वन वर्ल्ड इस्लामिक केलिफेट्स)
109) आर्मी ऑफ़ द मेन ऑफ़ द नक्शबंदी आर्डर (इराक)
110) अल नुसरा फ्रंट (सीरिया), 
111) अल -बदर (पाकिस्तान), 
112) इस्लाम 4UK (UK), 
113) अल घुरबा (UK), 
114) कॉल टू सबमिशन (UK), 
115) इस्लामिक पथ (UK), 
116) लंदन स्कूल ऑफ़ शरीया (UK), 
117) मुस्लिम्स अगेंस्ट क्रुसडेस (UK), 
118) नीड 4Khilafah (UK), 
119) द शरिया प्रोजेक्ट (UK), 
120) द इस्लामिक दवाह एसोसिएशन (UK), 
121) द सवियर सेक्ट (UK), 
122) जमात उल -फुरकान (UK), 
123) मिनबर अंसार दीन (UK), 
124) अल -मुहाजिरों (UK) (Lee Rigby, लंदन 2017 मेंबर्स), 
125) इस्लामिक कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन (UK) (नॉट टू बी कन्फ्यूज्ड विद ओफ़फिशिअल मुस्लिम कौंसिल ऑफ़ ब्रिटैन), 
126) अहलुस सुन्नाह वल जमाह (UK), 
128) अल -गामा'अ (Egypt), 
129) अल -इस्लामियया (Egypt), 
130) आर्म्ड इस्लामिक मेन ऑफ़ (अल्जीरिया), 
131) सलाफिस्ट ग्रुप फॉर कॉल एंड कॉम्बैट (अल्जीरिया), 
132) अन्सारु (अल्जीरिया), 
133) अंसार -अल -शरीया (लीबिया), 
134) अल इत्तिहाद अल इस्लामिआ (सोमालिया), 
135) अंसार अल -शरीया (तुनिशिया), 
136) शबब (अफ्रीका), 
137) अल -अक़्सा फाउंडेशन (जर्मनी)
138) अल -अक़्सा मार्टियर्स' ब्रिगेड्स (पलेस्टाइन), 
139) अबू सय्याफ (फिलीपींस), 
140) अदेन-अबयान इस्लामिक आर्मी (यमन), 
141) अजनाद मिस्र (Egypt), 
142) अबू निदाल आर्गेनाइजेशन (पलेस्टाइन), 
143) जमाह अंशरूत तौहीद (इंडोनेशिया)

*अपने देश के कई नेता ये कहते है कि, कई लोग गलत तरीके से इस्लाम को बदनाम करते हैं। ये ऊपर लिखे सारे इस्लामिक संगठन तो शांति की स्थापना में लगे हुए है।*
*बस केवल "आरएसएस" ही ऐसा संगठन है, जो पूरे विश्व में भगवा आतंकवाद फैलाता है।*

*ऐसी सोच का क्या मतलब है.? ये तो है मानसिक विकलांगता है ।*

*आपसे निवेदन है कि, आप इस पेज को ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजे और उन्हें सचाई से अवगत कराये।*

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