गुरु-शुक्रास्त में वर्जित कर्म
गुरु और शुक्र का अस्त होना (जिसे तारा डुबना भी कहा जाता है) भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक ग्रह को तारा माना गया है, इनके अस्त हो जाने पर भारतीय ज्योतिष शास्त्र किसी भी नर-नारी के विवाह को अनुमति नहीं देता और न ही किसी उत्तम मांगलिक कार्य की निम्नांकित शुभ कार्यों को शास्त्र वचनानुसार निषिद्ध एवं त्याज्य माना गया है-गृहारम्भ, गृह प्रवेश, कुआँ तालाब का निर्माण, व्रतारम्भ, व्रतोद्यापन, नामकरण, मुण्डन, कर्णवेध, यज्ञोपवीत सगाई विवाह व गृह प्रवेश, गोदान, देवप्रतिष्ठा (मूर्ति स्थापना) चातुर्मास्य प्रयोग, अग्निहोत्र (यज्ञ) प्रारम्भ, सकाम अनुष्ठान, यात्रा, दीक्षा, संन्यास ग्रहण आदि। तारा अस्त होने से पहले तीन दिनों का वृद्धत्व दोष एवं उदित होने के बाद तीन दिनों का बाल्यत्व दोष होता है।
जहाँ मन शुद्ध रहे, वही 'तीर्थ' है।
Forbidden deeds in Guru-Shukrast
The setting of Jupiter and Venus (which is also known as Tara Dipna) In Indian astrology, Jupiter and Venus are considered as stars, after their setting, Indian astrology does not allow the marriage of any male and female. The following auspicious works of an auspicious auspicious work have been considered prohibited and discarded according to the scriptures - home beginning, house warming, construction of well pond, fasting, fasting, naming, shaving, Karnavedh, Yajnopavit engagement marriage and house warming, Godan, Devapratishtha (idol Establishment) Chaturmasya experiment, Agnihotra (Yajna) start, Sakam ritual, Yatra, Diksha, Sannyas eclipse etc. Before the star sets, there is old age defect for three days and after rising, there is childish defect for three days.
Where the mind remains pure, that is the 'pilgrimage'.
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