विधान इस प्रकार से प्रार्थना करके वर्जित दिनों को छोड़कर तुलसी पत्तियों के साथ अग्रभ तोड़ना चाहिये। अर्थात् एक-एक पत्ता न तोड़कर दल तोड़ना चाहिये। वर्जित दिन (जिसमें ना ना चाहिये) रवि, मंगल एवं शुक्रवार, द्वादशी, अमावस्या पूर्णिमा एवं संक्रान्ति, जन्म एवं मर पाठक) रात्रि एवं दोनों सन्ध्याओं में भी तुलसीदल न तोड़ें। वैधृति एवं व्यतीपात योगों में भ मन तो निषिद्ध समय में तुलसी वृक्ष से स्वयं गिरी हुई पत्ती से पूजा करें। शालिग्राम पूजा निषिद्ध तिथियों में भी तुलसीदल तोड़ा जा सकता है।
कंचन और कामिनी सदा 'त्याज्य' हैं
Tulsymrut Janmasi is always loved by Keshav. Chinemi keshavsyarthe varada bhava shobha vidhan, praying in this way, the forehead should be broken with Tulsi leaves except on forbidden days. That is, instead of breaking each leaf, the group should be broken. Forbidden days (which do not require Sun, Tuesday and Friday, Dwadashi, Amavasya Purnima and Sankranti, birth and death reader) do not pluck Tulsi plant at night and in both the evenings. In Vaidhriti and Vyatipat Yogas, if you have a mind, worship yourself with a leaf that has fallen from the Tulsi tree in prohibited times. Tulsidal can be plucked even on Shaligram Puja prohibited dates.
Kanchan and Kamini are always 'discarded'
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