सूतक पातक (अशीच) विचार
नवजात शिशु के होने पर सूतक एवं किसी की मृत्यु हो जाने पर पातक दोष लगता है। सामान्यतः दोनों को सूतक ही कहा जाता है। सभी वर्णों के लिए कम से कम 10 दिन का स्पर्शास्पर्श दोष होता है। एकाधिक दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान विवाहादि में 1. यदि नान्दीश्राद्ध किया गया हो तो सूतक एवं पातक उपस्थित होने पर भी आचार्य, वृणित ब्राह्मण एवं यजमान
सूतक पातक के दोष से मुक्त रहते हैं, बशर्ते कि उस घर का अन्न-जल ग्रहण न करें। यह दोष मुक्ति केवल
संकल्पित अनुष्ठान के लिये ही होता है।
2. विवाह दुर्ग यात्रायां तीर्थ कर्मणि कर्मकारयेत्॥ अर्थात् विवाह, कोठी-महल बनाना, यज्ञ, यात्रा, तीर्थकर्म के समय यदि सूतक पातक हो जाये तो यज्ञ में वरण किये हुये ऋत्विन् ब्रह्मा आचार्य यजमानादि सभी दोष रहित होते हैं। कर्म के अन्त में सूतक-पातकजन्य दोष होता है। यज्ञ के मध्य में सूतक हो जाने पर तात्कालिक स्नानमात्र से शुद्धि हो जाती है। नालच्छेदन से पहले भी सूतक व्याप्त नहीं होता है। इसीलिये उससे पहले ही जातकर्म एवं उससे संबन्धित दान इत्यादि कर लेना चाहिये।
नोट: उपरोक्त सभी नियम तभी लागू होते हैं जब कि कर्मारम्भ से पूर्व ही नान्दीश्राद्ध किया गया हो।
विचारहीन व्यक्ति 'मूर्ख' है।
Sutak Patak (Asheech) Thoughts
When a newborn baby is born, there is Sutak and when someone dies, Patak is blamed. Generally both are called Sutak. There is a minimum of 10 days of tactile defects for all characters. Rituals lasting for several days in marriage etc. 1. If Nandishraadh is performed, even if Sutak and Patak are present, Acharya, Vrinit Brahmin and Yajman
Sutak remains free from the fault of Patak, provided that he does not take food and water of that house. this absolution only
It is only for the ritual that is resolved.
2. Marriage fort trips pilgrimage workers. That is, if the Sutak becomes Patak at the time of marriage, construction of Kothi-Mahal, Yajna, Yatra, Pilgrimage, then the Ritvin Brahma Acharya Yajmanadi, who have been selected in the Yagya, are free from all faults. At the end of the work there is a Sutak-Patak birth defect. In the middle of the Yagya, when the Sutak is done, the purification is done by taking an instant bath. The thread does not penetrate even before umbilical cord excision. That is why caste work and charity related to it should be done before that.
Note: All the above mentioned rules are applicable only when Nandishradh has been performed before starting the work.
A thoughtless person is a 'fool'.
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