यज्ञ में आहुति कैसे दी जाए। आहुति देते समय अपने सीधे हाथ के मध्यमों
और अनामिका उगलियों पर सामग्री और अंगूठे का सहारा लेकर ग से उसे प्रज्वलित अग्नि में ही छोड़ा जाए हमेशा शुरू करना चाहिए यह भी इस तरह कि पूरी आहूति अग्नि में ही गिरे। जब आहुति डाली जा रही हो सभी सब एक साथ 'स्वाहा' बोलें स्वाद अग्निदेव की पत्नी है। देव आह्वान के निमित्त मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा का उच्चारण कर निर्धारित हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवताओं को पहुंचाते हैं। हवन अनुष्ठान की ये आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है। कोई भी यह तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि विका ग्रहण देवता न कर से, किंतु देवता ऐसा हविष्य तभी स्वीकार कर सकते हैं जबकि अग्नि के द्वारा 'स्वाहा' के माध्यम से अर्पण किया जाए। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं 'स्वाहा को यह दिया था कि उसी के माध्यम से देवता ग्रहण कर पाएंगे जीय प्रयोजन तभी पूरा होता है जब आह्वान किए गए देवता को उनको रथ का भोग पहुँचा दिया जाय की याजिक सामग्रियों में मीठे पदार्थ का भी शामिल किया जा सकता है
How to give oblations in Yagya. middle of your right hand while offering oblations
And with the help of thumb and material on the ring finger fingers, it should be released into the burning fire itself, it should always be started in such a way that the whole oblation falls into the fire itself. When the oblation is being put, everyone should say 'Swaha' together. Taste is the wife of Agnidev. While reciting the mantras for invoking the deities, chanting Swaha, the offerings of the prescribed Havan material are delivered to the deities through fire. This is the last and most important act of the Havan ritual. No one can consider it successful unless Vika is accepted by the deity, but the deity can accept such a prediction only if it is offered through 'Swaha' by Agni. According to Shrimad Bhagwat Mahapuran, Lord Shri Krishna himself had given 'Swaha' that through him the deity would be able to receive the soul. have to join.
A contented creature is 'wealthy'.
सन्तुष्ट प्राणी ही 'धनवान' है।
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