Sunday, August 28, 2022

24/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 24 अगस्त 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् 08 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी सुबह08:30 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - व्यतिपात रात्रि 01:25 तक तत्पश्चात वरीयान*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:42 से 14:18 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:19*
*⛅सूर्यास्त - 07:05*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण -व्यतिपात योग, प्रदोष व्रत*
*⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) अथवा त्रयोदशी को बैगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹व्यतिपात योग🔹*
*🌹व्यतिपात योग 23 अगस्त रात्रि 12:39 से 24 अगस्त रात्रि 01:25 तक*
*🌹व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है ।*
*🔹शरद ऋतु में कैसे करें स्वास्थ्य की रक्षा ?🔹*
*(शरद ऋतु: 23 अगस्त से 22 अक्टूबर 2022 तक)*
*🔹शरद ऋतु में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें :*
*🔹(1) रोगाणां शारदी माता । रोगों की माता है यह शरद ऋतु । वर्षा ऋतु में संचित पित्त इस ऋतु में प्रकुपित होता है । इसलिए शरद पूर्णिमा की चाँदनी में उस पित्त का शमन किया जाता है ।*
*🔹इस मौसम में खीर खानी चाहिए । खीर को भोजनों में ‘रसराज’ कहा गया है । सीता माता जब अशोक वाटिका में नजरकैद थी तो रावण का भेजा हुआ भोजन तो क्या खायेगी, तब इन्द्र देवता खीर भेजते थे और सीताजी वह खाती थी ।*
*🔹(2) इस ऋतु में दूध, घी, चावल, लौकी, पेठा, अंगूर, किशमिश, काली द्राक्ष तथा मौसम के अनुसार फल आदि स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं । गुलकंद खाने से भी पित्तशामक शक्ति पैदा होती है । रात को (सोने से कम-से-कम घंटाभर पहले) मीठा दूध घूँट-घूँट मुँह में बार-बार घुमाते हुए पियें । दिन में 7-8 गिलास पानी शरीर में जाय, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है ।*
*🔹(3) खट्टे, खारे, तीखे पदार्थ व भारी खुराक का त्याग करना बुद्धिमत्ता है । तली हुईं चीजें, अचारवाली खुराक, रात को देरी से खाना अथवा बासी खुराक खाना और देरी से सोना स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि शरद ऋतु रोगों की माता है । कोई भी छोटा-मोटा रोग होगा तो इस ऋतु में भड़केगा इसलिए उसको बिठा दो ।*
*🔹(4) शरद ऋतु में कड़वा रस बहुत उपयोगी है । कभी करेला चबा लिया, कभी नीम के 10-12 पत्ते चबा लिये । यह कड़वा रस खाने में तो अच्छा नहीं लगता लेकिन भूख लगाता है और भोजन को पचा देता है ।*
*🔹(5) पाचन ठीक करने का एक मंत्र भी है :*
*अगस्त्यं कुम्भकर्णं च शनिं च वडवानलम् ।*
*आहारपरिपाकार्थं स्मरेद् भीमं च पंचमम् ।।*
*यह मंत्र पढ़ के पेट पर हाथ घुमाने से भी पाचनतंत्र ठीक रहता है ।*
*🔹(6) बार-बार मुँह चलाना (खाना) ठीक नहीं, दिन में दो बार भोजन करें । और वह सात्त्विक व सुपाच्य हो । भोजन शांत व प्रसन्न होकर करें । भगवन्नाम से आप्लावित (तर, नम) निगाह डालकर भोजन को प्रसाद बना के खायें ।*
*🔹(7) 50 साल के बाद स्वास्थ्य जरा नपा-तुला रहता है, रोगप्रतिकारक शक्ति दबी रहती है । इस समय नमक, शक्कर और घी-तेल पाचन की स्थिति पर ध्यान देते हुए नपा-तुला खायें, थोड़ा भी ज्यादा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔹(8) कइयों की आँखें जलती होंगी, लाल हो जाती होंगी । कइयों को सिरदर्द होता होगा, तो एक-एक घूँट पानी मुँह में लेकर अंदर गरारा (कुल्ला) करता रहे और चाँदी का बर्तन मिले अथवा जो भी मिल जाय, उसमें पानी भर के आँख डुबा के पटपटाता जाय । मुँह में दुबारा पानी भर के फिर दूसरी आँख डुबा के ऐसा करें । फिर इसे कुछ बार दोहराये । इससे आँखों व सिर की गर्मी निकलेगी । सिरदर्द और आँखों की जलन में आराम होगा व नेत्रज्योति में वृद्धि होगी ।*
*🔹(9) अगर स्वस्थ रहना है और सात्त्विक सुख लेना है तो सूर्योदय के पहले उठना न भूलें । आरोग्य और प्रसन्नता की कुंजि है सुबह-सुबह वायु-सेवन करना । सूरज की किरणें नहीं निकली हों और चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों उस समय वातावरण में सात्त्विकता का प्रभाव होता है । वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इस समय ओजोन वायु खूब मात्रा में होती है और वातावरण में ऋणायनों का प्रमाण अधिक होता है । वह स्वास्थ्यप्रद होती है । सुबह के समय की जो हवा है वह मरीज को भी थोड़ी सांत्वना देती है
*🌞🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🌞*

25/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 25 अगस्त 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 09 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी सुबह 10:37 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य शाम 04:16 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - वरीयान रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 02:17 से 03:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:19*
*⛅सूर्यास्त - 07:04*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:04 तक
पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, मासिक शिवरात्रि*
*⛅ विशेष - त्रयोदशी को बैगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹गुरुपुष्यामृत योग - 25 अगस्त 2022🌹* 
*पुण्य काल - 25 अगस्त सूर्योदय से शाम 04:16 तक*
*🌹गुरुपुष्यामृत योग सर्वसिद्धिकर है ।*
 *🌹पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग" कहलाता है *🌹गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है *🌹गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।* 
*🌹गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना शुभ होता है ।*
*🌹गुरुपुष्यामृत योग में कोई धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना शुभ होता है।*
*🌹गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*
*🌹मासिक शिवरात्रि : 25 अगस्त 2022*🌹
*🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।*
*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*
*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*
🌹1) *ॐ शिवाय नमः* 
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*    
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*  
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः* 
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:* 
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*     
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः* 
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*   
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः* 
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नमः
*🌞🚩🕉️🌹🌹🕉️🚩🌞*

26/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 26 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 10 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:23 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*⛅नक्षत्र - अश्लेषा शाम 06:33 तक तत्पश्चात मघा*
*⛅योग - परिघ रात्रि 02:12 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - सुबह 11:06 से 12:41 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:20*
*⛅सूर्यास्त - 07:03*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:04 तक*
      पंचक नहीं है
*⛅व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या*
*⛅ विशेष - चतुर्दशी, अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*
*🔸26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 से 27 अगस्त दोपहर 01:46 तक अमावस्या है ।*
*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🔹पितृदोष निवारण*🔹
*🔹देशी गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी , गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है ।*
*स्मृतिशक्ति बढ़ाने के लिए
*🔹स्मृतिशक्ति बढ़ाने हेतु सिर में नित्य बादाम का तेल अल्प मात्रा में अथवा बादाम तेल व नारियल तेल मिलाकर लगाना लाभप्रद है ।*
*🔹नौकरी-धंधे के लिये🔹*
*👉 नौकरी-धंधे के लिये जाते हैं, सफलता नहीं मिलती तो इक्कीस बार श्रीमद् भगवद् गीता का अंतिम श्लोक बोलकर फिर घर से निकलें तो सफलता मिलेगी ।*
*🌹 श्लोक - यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः । तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।*
*🌞💐🌹🏵️🏵️🌹💐🌞

23/8/2022 Panchang

*🌞आज का पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 23 अगस्त 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् 07 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 10:44 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 12:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 03:54 से 05:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:19*
*⛅सूर्यास्त - 07:05*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
पंचक नहीं है
*⛅व्रत पर्व विवरण - वैष्णव अजा एकादशी (द्वादशी वृद्धि तिथि )*
*⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹अजा एकादशी*🌹
*🌹 23 अगस्त, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
*23 अगस्त, द्वादशी युक्त एकादशी अधिक पुण्य प्रदायक*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8.जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है शरद ऋतु में पथ्य-अपथ्य*
 *(शरद ऋतु : 23 अगस्त 2022 से 22 अक्टूबर 2022 तक)*
*🔹शरद ऋतु में पित्त कुपित व जठराग्नि मंद रहती है, जिससे पित्त-प्रकोपजन्य अनेक व्याधियाँ उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है । अतः इस ऋतु में पित्तशामक आहार लेना चाहिए ।*
*🔹पथ्य आहार : इस ऋतु में मधुर, कड़वा, कसैला, पित्तशामक तथा लघु मात्रा में आहार लेना चाहिए । अनाजों में जौ, मूँग, सब्जियों में पका पेठा, परवल, तोरई, गिल्की, पालक, खीरा, गाजर, शलगम, नींबू, मसालों में जीरा, हरा धनिया, सौंफ, हल्दी, फलों में अनार, आँवला, अमरूद, सीताफल, संतरा, पका पपीता, गन्ना, सूखे मेवों में अंजीर, किशमिश, मुनक्का, नारियल सेवनीय हैं । घी व दूध उत्तम पित्तशामक हैं ।*
*🔹शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की शीतल चाँदनी में रखी दूध-चावल की खीर पित्तशामक, शीतल व सात्त्विक आहार है ।*
*🔹हितकर विहार : शरद ऋतु में रात्रि-जागरण व रात्रि-भ्रमण लाभदायी है । रात्रि जागरण 12 बजे तक ही माना जाता है । अधिक जागरण कर दिन में सोने से त्रिदोष प्रकुपित होते हैं ।*
*🔹त्याज्य आहार-विहार : पित्त को बढ़ाने वाले खट्टे, खारे, तीखे, तले, पचने में भारी पदार्थ, बाजरा, उड़द, बैंगन, टमाटर, मूँगफली, सरसों, तिल, दही, खट्टी छाछ आदि के सेवन से बचें । अधिक भोजन, अधिक उपवास, अधिक श्रम, दिन में शयन, धूप का सेवन आदि वर्जित है ।*
🚩🕉️🌞🌹🏵️🏵️🌹🌞

27/8/2022 Panchang BANDHAN of inspiration

🌞आज का हिन्दू पंचाग 🌞
*⛅दिनांक - 27 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् 11 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या दोपहर 01:46 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - मघा रात्रि 08:26 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग - शिव रात्रि 02:07 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - सुबह 09:31 से 11:06 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:20*
*⛅सूर्यास्त - 07:02*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:04 तक*
     पंचक नहीं है
*⛅व्रत पर्व विवरण - अमावस्या*
*⛅ विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹अमावस्या के दिन ध्यान रखने योग्य बातें🌹*
*🔸26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 से 27 अगस्त दोपहर 01:46 तक अमावस्या है ।*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*🌞🕉️🌹💐💐🌹🕉️🌞*

22/8/2022 Panchang

🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 22 अगस्त 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् 06 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी 23 अगस्त प्रातः 06:06 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 07:41तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 07:54 से 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:18*
*⛅सूर्यास्त - 07:06*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
पंचक नहीं है
*⛅व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी*
*⛅ विशेष - एकादशी को शिम्बी(सेम) खाना निषेध । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*एकादशी को चावल खाना वर्जित है ।*
*🌹अजा एकादशी*🌹
*🌹 22 अगस्त 2022 सोमवार प्रातः 03:36 से 23 अगस्त, मंगलवार सुबह 06:06 तक एकादशी है ।*
*23 अगस्त, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
*🌹एकादशी व्रत महिमा🌹*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है । जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*    
*🔹एकादशी के दिन चावल खाना निषेध🔹* 
  *( 22, 23 अगस्त 2022 को चावल न खाएं )*
🌹 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है । एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सकें तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए । एकादशी के दिन जो चावल खाता है समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा है ।*
🚩🕉️🌲🌹🌹🌲🕉️🚩

28/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 28 अगस्त 2022*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् 12 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा अपरान्ह 02:45 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 09:56 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - सिद्ध रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - शाम 05:36 से 07:01 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:20*
*⛅सूर्यास्त - 07:01*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक*
        पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹हरितालिका तीज - 30 अगस्त 2022*🌹
*🌹भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है । विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है । इस व्रत की विधि इस प्रकार है-*
*🌹विधि🌹*
*🌹इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं । इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है । घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं । एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं ।*
*🌹प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें । देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें । व्रत का पूजन रात भर चलता है । महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं । प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है । आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है ।*
*🌹भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-*
*🌹ॐ उमायै नम:, ॐ पार्वत्यै नम:, ॐ जगद्धात्र्यै नम:, ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ॐ शांतिरूपिण्यै नम:, ॐ शिवायै नम:*
*🌹भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-*
*🌹ॐ हराय नम:, ॐ महेश्वराय नम:, ॐ शम्भवे नम:, ॐ शूलपाणये नम:, ॐ पिनाकवृषे नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ पशुपतये नम:, ॐ महादेवाय नम:*
*🌹पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं ।*
*🔹शरद ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा*🔹
🔹 *(शरद ऋतु २३ अगस्त से २२ अक्टूबर) वर्षा ऋतु में संचित पित्तदोष शरद ऋतु में प्रकुपित होता है । आयुर्वेद में पित्त को नष्ट करने के लिए आहार में छः रसों में से ३ रस अर्थात् कषाय (कसैला), मधुर व तिक्त (कड़वा) रस प्रधान पदार्थों का सेवन हितकारी बताया गया है ।*
🔹 *मधुर रसयुक्त पदार्थ : देशी गाय का दूध व घी, शहद, केला, नारियल, गन्ना, काली द्राक्ष, किशमिश, मिश्री, मधुर फल आदि ।*
🔹 *कड़वे रसयुक्त पदार्थ : नीम, चिरायता, गिलोय, हल्दी, करेला, अडूसा आदि ।* 
🔹 *कसैले रसयुक्त पदार्थ : आँवला, हरड़, त्रिफला, जामुन, पालक, अनार आदि ।🔹 *पित्त-प्रकोप से फोड़े-फुंसी, दाद, खाज, खुजली, रक्तपित्त, त्वचा रोग, शीतपित्त, अम्लपित्त (hyperacidity), अजीर्ण जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । पित्तदोष दूर करने के लिए एलोपैथिक दवाइयों के सेवन से पित्त को दबाना नहीं चाहिए अन्यथा रक्त की अशुद्धि व पित्त की समस्याएँ और अधिक बढ़ने की सम्भावना होती है ।*
*🌹विघ्न निवारण हेतु🌹*
*🌹गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः ।’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।*
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

Friday, August 19, 2022

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

धर्मरक्षक, गीता के उद्घोषक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की बधाईयाँ🙏🙏              

19/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 19 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 03 भाद्रपद- 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका रात्रि 01:53 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - ध्रुव रात्रि 09:00 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - सुबह 11:07 से 12:43 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:17*
*⛅सूर्यास्त - 07:09*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:06 तक
पंचक नहीं हैं*
*⛅व्रत पर्व विवरण - जन्माष्टमी (भागवत)*
*⛅ विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹श्रीकृष्ण जन्माष्टमी🔹* 
*🔹इस वर्ष जन्माष्टमी का उपवास एवं रात्रि-जागरण 19 अगस्त 2022 को है ।*
*🔹१] भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिरजी को कहते हैं : “२० करोड़ एकादशी व्रतों के समान अकेला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत है ।”*
*🔹२] धर्मराज सावित्री से कहते हैं : “ भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है वह १०० जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है व्रत एवं उपवास का महत्त्व🔹*
*🔹भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है । इनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परन्तु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है ।*
*‘उप’ यानी समीप और ‘वास’ यानी रहना । उपवास का सही अर्थ होता है – ब्रह्म, परमात्मा के निकट रहना । उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना । निराहार रहने से भगवद भजन और आत्मचिंतन में मदद मिलती है । वृत्ति अंतर्मुख होने लगती है । उपवास पुण्यदायी, आमदोषहर, अग्निप्रदीपक, स्फूर्तिदायक तथा इंद्रियों को प्रसन्नता देने वाला माना गया है । अतः यथाकाल, यथाविधि उपवास करके धर्म तथा स्वास्थ्य लाभ करना चाहिए ।*
*आहारं पचति शिखी दोषान् आहारवर्जितः।*
*🔹अर्थात् पेट की अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता है । उपवास से पाचन शक्ति बढ़ती है । उपवास काल में रोगी शरीर में नया मल उत्पन्न नहीं होता है और जीवनशक्ति को पुराना मल निकालने का अवसर मिलता है । मल-मूत्र विसर्जन सम्यक होने लगता है, शरीर से हलकापन आता है तथा अतिनिद्रा-तंद्रा का नाश होता है ।*
*🔹उपवास की महत्ता के कारण भारतवर्ष के सनातन धर्मावलम्बी प्रायः एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा या पर्वों पर व्रत किया करते हैं क्योंकि उन दिनों सहज ही प्राणों का ऊर्ध्वगमन होता है और जठराग्नि मंद होती है । शरीर-शोधन के लिए चैत्र, श्रावण एवं भाद्रपद महीने अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं । नवरात्रियों के नव दिनों में भी व्रत करने का बहुत प्रचलन है । यह अनुभव से जाना गया है कि एकादशी से पूर्णिमा तथा एकादशी से अमावस्या तक का काल रोग की उग्रता में भी सहायक होता है, क्योंकि जैसे सूर्य एवं चन्द्रमा के परिभ्रमण के परिणामस्वरूप समुद्र में उक्त तिथियों के दिनों में विशेष उतार-चढ़ाव होता है उसी प्रकार उक्त क्रिया के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि होती है । इसीलिए इन चार तिथियों में उपवास का विशेष महत्त्व है ।*
*🔹रोगों में लाभकारी : आयुर्वेद की दृष्टि से शारीरिक एवं मानसिक रोगों में उपवास का विधान हितकारी माना गया है ।*
*🔹शारीरिक विकारः अजीर्ण, उल्टी, मंदाग्नि, शरीर में भारीपन, सिरदर्द, बुखार, यकृत-विकार, श्वासरोग, मोटापा, संधिवात, सम्पूर्ण शरीर में सूजन, खाँसी, दस्त  लगना, कब्जियत, पेटदर्द, मुँह में छाले, चमड़ी के रोग, किडनी के विकार, पक्षाघात आदि व्याधियों में छोटे या बड़े रूप में रोग के अनुसार उपवास करना लाभकारी होता है ।*
*🔹मानसिक विकार : मन पर भी उपवास का बहुमुखी प्रभाव पड़ता है । उपवास से चित्त की वृत्तियाँ रुकती हैं और मनुष्य जब अपनी चित्त की वृत्तियों को रोकने लग जाता है, तब देह के रहते हुए भी सुख-दुःख, हर्ष-विषाद पैदा नहीं होते । उपवास से सात्त्विक भाव बढ़ता है, राजस और तामस भाव का नाश होने लगता है, मनोबल तथा आत्मबल में वृद्धि होने लगती है । अतः अतिनिद्रा, तन्द्रा, उन्माद (पागलपन), बेचैनी, घबराहट, भयभीत या शोकातुर रहना, मन की दीनता, अप्रसन्नता, दुःख, क्रोध, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक रोगों में औषधोपचार सफल न होने पर उपवास विशेष लाभ देता है । इतना ही नहीं अपितु नियमित उपवास के द्वारा मानसिक विकारों की उत्पत्ति भी रोकी जा सकती है *🔹उपवास पद्धतिः पहले जो शक्ति खाना हजम करने में लगती थी उपवास के दिनों में वह विजातीय द्रव्यों के निष्कासन में लग जाती है । इस शारीरिक ऊर्जा का उपयोग केवल शरीर की सफाई के लिए ही हो इसलिए इन दिनों में पूर्ण विश्राम लेना चाहिए । मौन रह सके तो उत्तम । उपवास में हमेशा पहले एक-दो दिन ही कठिन लगते हैं । कड़क उपवास एक दो बार ही कठिन लगता है फिर तो मन और शरीर दोनों की औपचारिक स्थिति का अभ्यास हो जाता है और उसमें आनन्द आने लगता है ।*
*🔹सामान्यतः तीन प्रकार के उपवास प्रचलित हैं- निराहार, फलाहार, दुग्धाहार ।*
*🔹निराहारः निराहार व्रत श्रेष्ठ है । यह दो प्रकार का होता है-निर्जल एवं सजल । निर्जल व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता । सजल व्रत में गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । इससे पेट में गैस नहीं बन पाती । ऐसा उपवास दो या तीन दिन रख सकते हैं । अधिक करना हो तो चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए । शरीर में कहीं भी दर्द हो तो नींबू का सेवन न करें ।*
*🔹फलाहार : इसमें केवल फल और फलों के रस पर ही निर्वाह किया जाता है । उपवास के लिए अनार, अंगूर, सेवफल और पपीता ठीक हैं । इसके साथ गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । नींबू से पाचन तंत्र की सफाई में सहायता मिलती है । ऐसा उपवास 6-7 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए ।*
*🔹दुग्धाहारः ऐसे उपवास में दिन में 3 से 8 बार मलाई विहीन दूध 250 से 500 मि.ली. मात्रा में लिया जाता है । गाय का दूध उत्तम आहार है । मनुष्य को स्वस्थ व दीर्घजीवी बनाने वाला गाय के दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है *🔹गाय का दूध जीर्णज्वर, ग्रहणी, पांडुरोग, यकृत के रोग, प्लीहा के रोग, दाह, हृदयरोग, रक्तपित्त आदि में श्रेष्ठ है । श्वास, टी.बी. तथा पुरानी सर्दी के लिए बकरी का दूध उत्तम है *🔹रूढ़िगत उपवासः 24 घण्टों में एक बार सादा, हल्का, नमक, चीनी व चिकनाई रहति भोजन करें । इस एक बार के भोजन के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ के सेवन न करें । केवल सादा पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू ले सकते हैं ।*
*🔹सावधानीः जिन लोगों को हमेशा कफ, जुकाम, दमा, सूजन, जोड़ों में दर्द, निम्न रक्तचाप रहता हो वो नींबू के रस का उपयोग न करें ।*
*🔹उपरोक्त उपवासों में केवल एक बात का ही ध्यान रखना आवश्यक है कि मल-मूत्र व पसीने का निष्कासन ठीक तरह होता रहे अन्यथा शरीर के अंगों से निकली हुई गन्दगी फिर से रक्तप्रवाह में मिल सकती है । आवश्यक हो तो एनिमा का प्रयोग करें ।*
*🔹लोग उपवास तो कर लेते हैं, लेकिन उपवास छोड़ने पर क्या खाना चाहिए ? इस पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए अधिक लाभ नहीं होता । जितने दिन उपवास करें, उपवास छोड़ने पर उतने ही दिन मूँग का पानी लेना चाहिए तथा उसके दोगुने दिन तक मूँग उबालकर लेना चाहिए । तत्पश्चात खिचड़ी, चावल आदि तथा अंत में सामान्य भोजन करना चाहिए ।*
*🔹उपवास के नाम पर व्रत के दिन आलू, अरबी, सांग, केला, सिंघाड़े आदि का हलवा, खीर, पेड़े, बर्फी आदि गरिष्ठ भोजन भरपेट करने से रोग की वृद्धि ही होती है । अतः इनका सेवन न करें ।*
*🔶 सावधानीः गर्भवती स्त्री, क्षय रोगी, अल्सर व मिर्गी(हिस्टीरिया) के रोगियों को व अति कमजोर व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए । मधुमेह (डायबिटीज़) के मरीजों को वैद्यकीय सलाह से ही उपवास करने चाहिए ।*
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Thursday, August 18, 2022

18/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 18 अगस्त 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 02 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 09:20 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - भरणी रात्रि 11:35 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - वृद्धि रात्रि 08:42 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:20 से 03:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:17*
*⛅सूर्यास्त - 07:10*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - जन्माष्टमी (स्मार्त)*
पंचक नहीं है
*⛅ विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा🔹* 
*🔹इस वर्ष जन्माष्टमी का उपवास एवं रात्रि-जागरण 19 अगस्त 2022 को है ।*
🌹 *जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है । इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं ।*
🌹 *जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है ।*
🌹 *‘वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है । ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है ।*
🌹 *जन्माष्टमी के दिन जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है ।*
🌹 *इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें । बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें ।*
🌹 *जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है ।*
🌹 *उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है । जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।*
 🌹 *‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है ।*
*🌹 पुण्य के साथ दिलाये स्वास्थ्य लाभ 🌹*
*🌹 जन्माष्टमी के दिनों में मिलने वाला पंजीरी का प्रसाद वायुनाशक होता है । उसमें अजवायन, जीरा व गुड़ पड़ता है । इस मौसम में वायु की प्रधानता है तो पंजीरी खाने खिलाने का उत्सव आ गया । यह मौसम मंदाग्नि का भी है । उपवास रखने से मंदाग्नि दूर होगी और शरीर में जो अनावश्यक द्रव्य पड़े हैं, उपवास करने से वे खिंचकर जठर में आ के स्वाहा हो जायेंगे, शारीरिक स्वास्थ्य मिलेगा । तो पंजीरी खाने से वायु का प्रभाव दूर होगा और व्रत रखने से चित्त में भगवदीय आनंद, भगवदीय प्रसन्नता उभरेगी तथा भगवान का ज्ञान देने वाले गुरु मिलेंगे तो ज्ञान में स्थिति भी होगी । अपनी संस्कृति के एक-एक त्यौहार और एक-एक खानपान में ऐसी सुंदर व्यवस्था है कि आपका शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे और बुद्धि में बुद्धिदाता का ज्ञान छलकता जाय । जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है । उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है ।*
🚩🕉️🌹💐💐🌹🕉️🚩

Tuesday, August 16, 2022

16/7/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
*⛅दिनांक - 16 अगस्त 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी रात्रि 08:17 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - रेवती रात्रि 09:07 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - शूल रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 03:58 से 05:34 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:16*
*⛅सूर्यास्त - 07:11*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:32 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 उत्तम स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण बातें 🔹*
*🔹 प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हें बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें ।*
*🔹 चाय की जगह ताजा दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को दें । दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं ।*
*🔹 सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें । इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका - सा नमक व जीरा डालें । ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें । यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा ।*
*🔹 सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें २–३ बार पानी से धो लें । छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है ।*
*🔹 सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक न पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे । पत्तेदार हरि सब्जियों से मिलनेवाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें ।*
*🔹 सप्ताह में १–२ दिन पत्तेदार हरि सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई आदि की सब्जी जरुर खायें । इस सब्जियों को छिलकेवाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हैं ।*
*🔹 चावल बनाते समय माँड न निकालें ।*
*🔹 चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है । आटा हमेशा बड़े छेदवाली छन्नी से ही छानें ।*
*🔹 दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व, कैल्सियम व केरोटिन होता है । यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ–साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है ।*
*🔹 जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है ।*
*🔹 भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें । ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जियत से बचायेंगे ।*
*🔹 दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें ।*
*🔹 बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चिक्की बनाकर दें । गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है ।*
*🔹 जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें । कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं । साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है ।*
*👉🏻 उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं ।*
🚩🕉️💐🌹🏵️🏵️🌹💐🕉️🚩

Monday, August 15, 2022

15/8/2022 Panchang

*🌞आज का हिन्दू पंचाग 🌞
*⛅दिनांक - 15 अगस्त 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद रात्रि 09:07 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - धृति रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - सुबह 07:53 से 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:16*
*⛅सूर्यास्त - 07:12*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:32 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - स्वतंत्रता दिवस*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
 *🔹'बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद*🔹
*🌹आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *
🔹 *खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*  🔹
 *🌹(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।* 
🌹 *(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।* 
🌹 *(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।* 
🌹 *(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।* 
🌹 *(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।* 
🌹 *(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।* 
🌹 *(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है ।* 
🌹 *(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।* 
 🔹 *बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ* 🔹
🌹 *(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।* 
🌹 *(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।* 
🌹 *(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।* 
🌹 *(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।* 
🌹 *(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।* 
🌹 *(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।* 
🌹 *(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।* 
🌹 *(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।* 
 🚩🕉️🌹💐💐🌹🕉️🚩

Saturday, August 13, 2022

13/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 13 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् 29 श्रावण- 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 12:53 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 11:28 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग - शोभन सुबह 07:50 तक तत्पश्चात अतिगंड*
*⛅राहु काल - सुबह 09:30 से 11:07 तक*
पंचक-13 अगस्त शाम को 3 वजे से शुरू हो गये हैं
*⛅सूर्योदय - 06:15*
*⛅सूर्यास्त - 07:14*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:31 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । ( ब्रह्म पुराण )*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*🔹ऋषि प्रसाद – मई 2018 से*
*🔹जो लोग शनिवार को क्षौर कर्म कराते हैं उनके आयुष्य क्षीण होता है, अकाल मृत्यु अथवा दुर्घटना का भय रहेगा ।*
 - *क्या करें, क्या ना करें ?*
*🔹शास्त्रों का प्रसाद आपके लिए है🔹*
*अग्नि पुराण में आता है :*
*🔹मल-मूत्र से अशुद्ध हो जानेवाले मिट्टी, ताँबा और सुवर्ण के पात्र पुनः आग में पकाने से शुद्ध होते हैं ।*
*🔹उपरोक्त से अन्य किसी प्रकार से अशुद्ध हो जानेवाले ताँबे के पात्र अम्ल (खट्टे पदार्थ) मिश्रित जल से शुद्ध होते हैं ।*
🔹 *काँसे और लोहे के बर्तन क्षार (राख आदि) से मलने पर पवित्र होते हैं ।*
*🔹मोती आदि की शुद्धि केवल जल से धोने पर ही हो जाती है । जल से उत्पन्न शंख आदि के बने बर्तनों, सब प्रकार के पत्थर के बने हुए पात्रों तथा साग, रस्सी, फल, मूल और दालों की शुद्धि भी इसी प्रकार जल से धोनेमात्र से हो जाती है ।*
*🔹[वर्तमान में फलों को पकाने, अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने आदि हेतु रसायनों (केमिकल्स) का उपयोग किया जाता है, अतः उन्हें उपयोग से पूर्व अच्छी तरह धोना चाहिए । सेव आदि फलों पर मोम, केमिकल की पर्त चढ़ी रहती है, जिसे चाकू से खुरच के निकालना चाहिए ।]*
*🌞🕉️🌹💐🏵️🏵️💐🌹🕉️🌞*

Friday, August 12, 2022

Rakshabandhan 2022 RAMNAGAR

अमृतमयी रक्षाबंधन दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ।

एक धागा…..
राष्ट्र 🇮🇳की सुरक्षा के लिए भी बांधे,

जिसमें समरसता,राष्ट्र की प्रगति,समृद्धि,आरोग्य एवं राष्ट्र की अखंडता का भाव समाया हो।

8/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 08 अगस्त 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
        24--श्रावन
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 09:00 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 02:37 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - इन्द्र सुबह 06:56 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल - सुबह 07:51 से 09:29 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:13*
*⛅सूर्यास्त - 07:17*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पुत्रदा एकादशी*
*⛅ विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹पुत्रदा एकादशी : 08 अगस्त 2022🌹*
*🔹एकदशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🔹कार्यों में सफलता प्राप्ति हेतु*🔹
*🔹जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है
🚩🕉️🌹💐🏵️🏵️💐🌹🕉️🚩

Thursday, August 11, 2022

12/8/2022 Panchang BANDHAN of inspiration Rakshabandhan


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 28 श्रावण 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा सुबह 07:05 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 01:36 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - सौभाग्य सुबह 11:34 तक तत्पश्चात शोभन*
*⛅राहु काल - सुबह 11:07 से 12:45 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:15*
*⛅सूर्यास्त - 07:14*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:31 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अमरनाथ यात्रा समाप्त, वरलक्ष्मी व्रत*
*⛅ विशेष - पूर्णिमा के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🔹 *बरकत लाने की सरल कुंजियाँ* 🔹
👉 *बाजार भाव अचानक बढ़ने-घटने से, मंदी की वजह से या अन्य कारणों से कईयों का धंधा बढ़ नहीं पाता । ऐसे में आपके काम-धंधे में बरकत का खयाल रखते हुए कुछ सरल उपाय प्रस्तुत कर रहे हैं ।*
 👉 *१] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने व पूजा- स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है ।*
👉 *२] दुकान में बिक्री कम होती हो तो कनेर का फूल घिस के उसका ललाट पर तिलक करके दुकान पर जायें तो ग्राहकी बढ़ेगी ।*
👉 *३] रोज भोजन से पूर्व गोग्रास निकालकर गाय को खिलाने से सुख-समृद्धि व मान-सम्मान की वृद्धि होती है ।*
👉 *४] ईमानदारी से व्यवहार करें । ईमानदारी से उपार्जित किया हुआ धन स्थायी रहता है ।*
*🔹अन्नपूर्णा प्रयोग🔹*
*🔹प्रति पूर्णिमा को घर के अन्न-भंडार के स्थान पर कपास तेल का दीपक जलायें । इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत बरकत होती है । यह अन्नपूर्णा प्रयोग है ।*
*🔹मास - अनुसार त्रिफला का अनुपान🔹*
*🔹मासों के अनुसार त्रिफला के साथ उसमें उसकी मात्रा के छठे भाग बराबर निम्नलिखित द्रव्यों को मिला के सेवन करने से उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ।*
*(१) श्रावण और भाद्रपद - सेंधा नमक*
*(२) आश्विन और कार्तिक - शर्करा (मिश्री या खाँड़ अर्थात् अपरिष्कृत शक्कर)*
*(३) मार्गशीर्ष और पौष - सोंठ चूर्ण*
*(४) माघ तथा फाल्गुन - पीपर का चूर्ण*
*(५) चैत्र और वैशाख - शहद*
*(६) ज्येष्ठ तथा आषाढ़ - पुराना गुड़*
*🔹इस प्रकार त्रिफला शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सहायक व प्रसादरूप है ।*
🕉️🚩🌹💐🌲🌲💐🌹🚩🕉️

Wednesday, August 10, 2022

11/8/2022 Panchang RAKSHA BANDHAN

*इस वर्ष रक्षाबन्धन का मुहूर्त्त*

श्रीसूर्यसिद्धान्तीय गणना के अनुसार काशी में इस वर्ष श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा अंग्रेजी दिनांक ११ (11)अगस्त को दिन में ०९:३८ (9:38)बजे से आरम्भ होकर दूसरे दिन प्रातः ०७:१९(7:11) बजे तक रहेगी| सामान्य स्थिति में श्रावण शुक्ल पूर्णिमा में श्रावणी उपाकर्म प्रातःकाल और रक्षाबन्धन अपराह्न में करना चाहिए, ऐसा विधान है| परन्तु 'भद्रायां द्वे न कर्त्तव्यो श्रावणी फाल्गुनी तथा' के अनुसार श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबन्धन और होलिका दहन भद्रा में किसी भी स्थिति में नहीं करनी चाहिए, ऐसा शास्त्रादेश है| 

इस स्थिति में कुछ ज्योतिषी बन्धु अपनी राय भद्रा के वास के अनुसार इस प्रकार दे रहे हैं कि 'मकर राशि में भद्रा पाताल में होने से पृथ्वी पर इसका दोष नहीं होगा अतः दिनभर रक्षाबन्धन कर सकते हैं', ऐसा कहना ठीक नहीं है| यदि ऐसा होगा तो 'भद्रायां द्वे न कर्त्तव्यो श्रावणी फाल्गुनी तथा' वाक्य से स्पष्टतः विरोध होगा क्योंकि प्रतिवर्ष श्रावणी मकर राशि के अन्तर्गत ही पड़ेगी और जब कभी भद्रा होगा तो मकर राशि होने के कारण भद्रा का पाताल में वास होगा| जबकि ऐसा नहीं है, स्पष्ट निर्देश है कि 'भद्रायां श्रावणी न कर्त्तव्यो'| (श्रावणी और फाल्गुनी के भद्राविचार में भद्रावास की बात नहीं कही गयी है|) 

दूसरे दिन १२ अगस्त को दिनभर रक्षाबन्धन मानना भी युक्तियुक्त नहीं है, क्योंकि पूर्णिमा प्रातः ०७:१९ बजे तक ही रहेगी और उसके पश्चात् प्रतिपदा लग जाएगी| निर्णयसिन्धु में स्पष्ट है कि "इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्'|

इसका समाधान भी निर्णयसिन्धु (में निर्णयामृत के अनुसार) में ही उपलब्ध है *'तत्सत्त्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते'* अर्थात उसके (भद्रा के) रहने पर तो रात्रि मे भी उसके अन्त मे करे| उपरोक्त मतों का समन्वय करने पर *११ (11)अगस्त की रात्रि में २०:२८(20:28) बजे के बाद (२२:३०-२३:०० बजे तक) रक्षाबन्धन करना श्रेयस्कर होगा|* जो लोग किसी कारण से इस काल में रक्षाबन्धन न कर सकें वह दूसरे दिन सूर्योदय (०५:२९ बजे) (5:29)से ०७:१८ (7:18)बजे के मध्य सम्पन्न कर लें| (१२ (12)को अच्छा मुहूर्त नहीं है)

(उपरोक्त गणना काशी को केन्द्र मानकर किया गया है)
प्रशासक समिति ✊🚩 (Reg. E&SWS)

🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिन्दी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩शक संवत - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ दिनांक - 11 अगस्त 2022
⛅ दिन - गुरुवार 
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - वर्षा
⛅ मास - श्रावण
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा सुबह 06:53 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - आयुष्मान अपरान्ह 03:32 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅ राहु काल - अपरान्ह 02:22 से 04:00 तक
⛅ भद्रा काल : सुबह 10:38 से रात्रि 08:52
⛅ सूर्योदय - 06:14
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:30 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - वैदिक रक्षाबंधन, राखी पूर्णिमा
⛅ विशेष - चतुर्दशी, पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

🔹रक्षा बंधन : 11 अगस्त 2022🔹
पूर्णिमा 11 अगस्त सुबह 10:38 से 12 अगस्त सुबह 07:05 तक

🔹 रक्षाबंधन : संकल्पशक्ति का प्रतीक 🔹

🔹रक्षासूत्र बांधने का मंन्त्र :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

🔹 रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि 'मेरा भाई भगवत्प्रेमी बनें। जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आयें। मेरा भाई धीर-गम्भीर हो। मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें।' भाई सोचें कि 'हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें।'

🔹 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष अशुभ भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।

🔹 रक्षाबंधन के पर्व पर बहन भाई को आयु, आरोग्य और पुष्टि की वृद्धि की भावना से राखी बाँधती है। अपना उद्देश्य ऊँचा बनाने का संकल्प लेकर ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलते हैं। (भविष्य पुराण)

🔹 समुद्र का तूफानी स्वभाव श्रावणी पूनम के बाद शांत होने लगता है। इससे जो समुद्री व्यापार करते हैं, वे नारियल फोड़ते हैं।

🔹 पिसा आटा 🔹

👉 ये जो तैयार चक्कियों का आटा ले आते हो, बासी और ८ दिन के बाद तो एक्सपायर्ड(expired) होने लगता है। आज पिसा.. ८ दिन में खत्म होना चाहिए। चक्की में ना जाने कब पिसा, होलसेलर के पास कब आया रिटेल वाले के पास कब आया एकदम पतला आटा आंतों को चिपका दे। लेकिन ये जो रस है, एलोविरा का रस, आँवले का रस ये आंतों को साफ कर देता है।
           
🔹 अच्छी नींद लाने तथा खर्राटे बंद करने के लिए 🔹

🔹 रात को गाय का घी हलका–सा गरम करके १ से ४ बुंद दोनों नथुनों में डालें ।

            जय श्री राम
   

Tuesday, August 9, 2022

10/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 अगस्त 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् 26 श्रावण - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी अपरान्ह 02:15 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा सुबह 09:40 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - प्रीति शाम 07:36 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:45 से 02:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:14*
*⛅सूर्यास्त - 07:16*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹आरती को कैसे व कितनी बार घुमायें ?*🔹
*🌹पूज्य गुरुदेव जी के सत्संग–वचनामृत में आता है : जो भी देव हैं उनका एक बीजमन्त्र होता है । आरती करते हैं तो उनके बीजमन्त्र के अनुसार आकृति बनाते हैं ताकि उन देव कि ऊर्जा, स्वभाव हममें आयें और उनकी आभा में हमारी आभा का तालमेल हो और हमारी आभा देवत्व को उपलब्ध हो । इसलिए देवता, सद्गुरु, भगवान् कि आरती की जाती है ।*
*🔹जिस देवता का जो बीजमन्त्र होता है, आरती की थाली से उस प्रकार कि आकृति बना के आरती करते हैं तो ज्यादा लाभ होता है, जैसे आप रामजी कि आरती करते हैं तो उनका ‘रां’ बीजमन्त्र है तो ‘रां’ शब्द आरती में बनाना ज्यादा लाभ करेगा । देवी की आरती करते हैं तो सरस्वतीजी का ‘ऐं’ अथवा लक्ष्मीजी का ‘श्रीं’ बना दें । गणपतिजी का बीजमंत्र है ‘गं’ तो थाली से उस प्रकार कि आकृति बना दें । अब कौन-से देव का कौन-सा बीजमन्त्र है यह पता नहीं है तो सब बीजमन्त्रो का एक मुख्य बीजमन्त्र है ‘ॐ’कार । आरती घुमाते–घुमाते आप ॐकार बना दें । सभी देवी-देवताओं के अंदर जो परब्रह्म-परमात्मा है उसकी स्वाभाविक ध्वनि ॐ है ।*
*🔹तो ‘ॐ’ बनायें अथवा देव के चरणों से घुटनों तक ( ४ बार) फिर नाभि के सामने (२ बार) फिर मुखारविंद के सामने (१ बार) फिर एक साथ सभी अंगो में (७ बार) आरती घुमाये । इससे देव के गुण व स्वभाव आरती घुमानेवाले के स्वभाव में थोड़े थोड़े आने लगते हैं ।*
*🔹आरती का वैज्ञानिक आधार*🔹
*🔹अभी तो बिज्ञानी भी दंग रह गये कि भारत की इस पूजा-पद्धति से कितना सारा लाभ होता है ! उनको भी आश्चर्यकारक परिणाम प्राप्त हुए । अब विज्ञानी बोलते हैं कि आरती करने से अगर विशेष व्यक्ति है तो उसकी विशेष ओरा और सामान्य व्यक्ति कि ओरा एकाकार होने लगती है । वैज्ञानिकों की दृष्टि में केवल आभा है तो भी धन्यवाद ! किन्तु आभा के साथ-साथ विचार भी समान होते हैं, साथ ही हमारे और सामनेवाले के शरीर से निकलनेवाली तरंगो का विपरीत स्वभाव मिटकर हमारे जीवन में प्रकाश का भाव पैदा होता है ।*
*🔹जैसे घी, पेट्रोल और फूलों आदि की अपनी अलग-अलग गंध होती है, ऐसे ही हर मनुष्य की अपनी आभा होती है । अभी तो किर्लियन फोटोग्राफी द्वारा उस आभा का फोटो भी लिया जा सकता है । जब देवता या सद्गुरु के आगे आरती करते हैं तो उनकी आभा को अपनी आभा के साथ एकाकार करने की प्रक्रिया में दीपक उत्प्रेरक (catalytic agent) का काम करता है ।*
*🔹आयु-आरोग्य प्राप्ति व शत्रुवृद्धि शमन हेतु🔹*
*🔹आरती करने से इतने सारे लाभ होते हैं और आरती देखने से भी लाभ होता है : गुरुद्वार पर कि हुई आरती के दर्शन करने से आपके ऊपर शत्रुओं की डाल नही गलती । दीपज्योती आयु-आरोग्य प्रदायक और शत्रुओ कि वृद्धि का शमन करनेवाली है । पड़ोसी या प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के इतने शत्रु नहीं होते जितने मनुष्य जीवन में काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रु हैं । तो आरती के दर्शन करने से शत्रुओ कि वृद्धि का शमन होता ।*
*🔹शास्त्रों के अनुसार जो धूप व आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती को लेता है वह अपनी अनेक पीढ़ियों का उद्धार करता है तथा भगवान विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है ।*
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9/8/2022 Panchang

🌞🌦आज का हिंदू पंचांग🌦🌞
🌦दिन्नांक 9 अगस्त 2022
🌦विक्रमी संबत - 2069
🌦मास- श्रावण प्रविष्ट -25
🌦 श्रावण शुक्ल पक्ष
🌦 तिथि - द्वादशी सायं 17:45 तक उसके उपरांत त्रयोदशी
🌦 दिन- मंगलवार
🌦आयन - दक्षिण
🌦 ऋतु - वर्षा
🌦 नक्षत्र - मुला दिनके 12:18 तक उसके उपरांत पुर्वा षाडl 
🌦 योग - विश्कुम्भ रात्रि 23:35 तक उसके उपरांत प्रीति ल
🌦 करण - वव् प्राता 7:24 तक उसके उपरांत तेतिल् 
🌦राशि - चंद्रमा धनु में
🌦राहुकाल - सायं 16:01 से 17:39 तक
🌦 सूर्य उदय - 6:14
🌦 सूर्य अस्त - 19:16
🌦 दिशा शूल - उत्तर दिशा में
🌦व्रह्म मूहर्त - प्राता 04:46 से 05:30 तक
🌦 निशित मुहरत - रात्रि 24:23 से 25:07 तक
🌦 व्रत - भौम पर्दोष व्रत🌹
🌦 विशेष - द्वादशी को पुतिका और त्रोदशि को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है 
🌹भौम प्रदोष पर ऋण हर्ता मंगल स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है ल सायं काल हनुमान चालीसा एवं शिव मंदिर में पांच ज्योतिओं बाला दिवा जलाना मंगलदाई होता है🌹

Saturday, August 6, 2022

6/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
           22-- श्रावण
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा शाम 05:52 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - शुक्ल दोपहर 12:42 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - सुबह 9:29 से 11:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:12*
*⛅सूर्यास्त - 07:18*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - नवमी को लौकी खाना निषेध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 'ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं - 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी ।'*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । ( ब्रह्म पुराण )*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*🔹ऋषिप्रसाद – मई 2018 से*
*🔹जो लोग शनिवार को क्षौर कर्म कराते हैं उनके आयुष्य क्षीण होता है, अकाल मृत्यु अथवा दुर्घटना का भय रहेगा ।*
 - *क्या करें, क्या ना करें ?*
*🔹पान मसाला सिगरेट से मुक्ति पाने के लिए🔹* 
*🔹पान मसाले छोड़ने हो तो १०० ग्राम सौंफ, १० ग्राम अजवाईन, २ नींबू का रस और थोड़ा कालीमिर्च को चूल्हे पर सेक कर डब्बे में भरकर रखें । जब जरुरत पड़े पान मसाला या सिगरेट की तब मुंह में रख दो । इससे पाचन भी बढ़िया होगा... वो पान मसाला तो कैन्सर करता है, अकाल मृत्यु लाता है, धातु दुर्बल करता है... उससे बच सकोगे ।*
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5/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 05 अगस्त 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
       21--श्रावण
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - स्वाती शाम 06:38 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - शुभ साध्य शाम 02:53 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - सुबह 11:07 से 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:12*
*⛅सूर्यास्त - 07:19*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पथरी व पेशाब की समस्याओं के लिए🔹*
*🔹चाहे मूत्राशय में पथरी हो, चाहे गुद्दे (kidney) में हो, चाहे पित्ताशय में हो–कहीं भी पथरी हो, भूलकर भी ऑपरेशन नहीं करना । पत्थरचट्टा पोधे के २-२ पत्ते रोज खाओ, इससे कुछ ही दिनों में पथरी चट हो जाती है । यह पथरी के लिए अक्सीर इलाज है । जिनको मैंने यह प्रयोग बताया और उन्होंने किया तो उनकी पथरी निकल गयी । उन्होंने मेरे पास आ के धन्यवाद दिया, खुशी व्यक्त की । 
*🔹सुबह खाली पेट खायें तो आच्छा है । कहीं सुजन हो, छोटा–मोटा घुटने का दर्द हो, मोच आ रही हो तो इसके पत्ते को रगड़ के रस निकालकर लगाने से लाभ होता है, और भी छोटे-मोटे बहुत सारे फायदे होते हैं ।*
*🔹पत्थरचट्टा का १ पत्ता बीच में से चीर के २ टुकड़े करो । चिरा हुआ भाग जमीन में गाड़ दो तो उसमे से दुसरे पौधे हो जायेंगे ।*
*🔹(गुर्दे – संबंधी रोगों की यह श्रेष्ठ गुणकारी औषधि है । रुक-रूककर पेशाब होने की समस्या में प्रतिदिन इसके २-३ पत्तों का सेवन करने से पेशाब खुल के होने लगता है ।)
*🔹पारिवारिक कलहनाशक प्रयोग🔹* 
👉🏻 *पति-पत्नी में झगड़ा हो गया हो और उसका शमन करना हो तो पति-पत्नी दोनों पार्वतीजी को तिलक करके उनकी ओर एकटक देखें तथा प्रार्थना करें । अगर पति पत्नी को निकाल देना चाहता है तो पत्नी यह प्रयोग करें । इससे झगड़ा शांत हो जायेगा ।*
*🔹धन, आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति के लिए🔹*
*👉🏻 जो व्यक्ति चतुर्मास में भगवान विष्णु पर कनेर के पुष्प अर्पित करता है, उस पर लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है । उसे आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति होती है तथा उसके संकट दूर होते हैं ।*
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Wednesday, August 3, 2022

2/8/2022 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 अगस्त 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 17- श्रावण 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
        17 प्रविष्टे
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी 02 अगस्त प्रातः 05:14 से 03 अगस्त प्रातः 05:41 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 05:29 तक तत्पश्चात हस्त*
*⛅योग - शिव शाम 06:38 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - शाम 04:03 से 05:42 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:11*
*⛅सूर्यास्त - 07:21*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - नाग पंचमी*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 नाग पंचमी -02 अगस्त 2022 🌹*
*🌹कैसे मनाते हैं नागपंचमी ?🌹*
*🌹 इस दिन कुछ लोग उपवास करते हैं । नागपूजन के लिए दरवाजे के दोनों ओर गोबर या गेरुआ या लेपन (पिसे हुए चावल व हल्दी का गीला लेप) से नाग बनाया जाता है । कहीं-कहीं मूँज की रस्सी में 7 गाँठें लगाकर उसे साँप का आकार देते हैं । पटरे या जमीन को गोबर से लीपकर, उस पर साँप का चित्र बना के पूजा की जाती है । गंध, पुष्प, कच्चा दूध, खीर, भीगे चने, लावा आदि से नागपूजा होती है । जहाँ साँप की बाँबी दिखे, वहाँ कच्चा दूध और लावा चढ़ाया जाता है । इस दिन सर्पदर्शन बहुत शुभ माना जाता है ।*
*🌹 नागपूजन करते समय इन 12 प्रसिद्ध नागों के नाम लिये जाते हैं – धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकि, पिंगल, तक्षक, कालिय और इनसे अपने परिवार की रक्षा हेतु प्रार्थना की जाती है । इस दिन सूर्यास्त के बाद जमीन खोदना निषिद्ध है ।*
*🌹 काल सर्प योग विशेष 🌹*
*🌹 नाग पंचमी के दिन, जिन को काल सर्प योग है, वे शांति के लिए ये उपाय करें । पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक कटोरी में कच्चा दूध रख दीजिये, घी का दीप जलाएं, कच्चा आटा, घी और गुड़ मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दें और ये मंत्र बोल कर प्रार्थना करें :-*
*🌹 ॐ अनंताय नमः*
*🌹 ॐ वासुकाय नमः*
*🌹 ॐ शंख पालाय नमः*
*🌹 ॐ तक्षकाय नमः*
*🌹 ॐ कर्कोटकाय नमः*
*🌹 ॐ धनंजयाय नमः*
*🌹 ॐ ऐरावताय नमः*
*🌹 ॐ मणि भद्राय नमः*
*🌹 ॐ धृतराष्ट्राय नमः*
*🌹 ॐ कालियाये नमः*
*🌹 काल सर्प योग है तो उस का प्रभाव निकल जाएगा... तकलीफ दूर होगी... काल सर्प योग की शांति होगी ।*
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3/8/2022 Panchang

🌞 *~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 03 अगस्त 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
       19 प्रविष्टे श्रावण मास
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी 03 अगस्त प्रातः 05:42 से 04 अगस्त प्रातः 05:40 तक*
*⛅नक्षत्र - हस्त शाम 04:24 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - सिद्ध शाम 05:49 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:46 से 02:24 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:11*
*⛅सूर्यास्त - 07:20*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सुपाच्य एवं बलवर्धक ज्वार🔹*
*🔹ज्वार में विटामिन बी-१, बी-२, बी ३, बी-५, बी-६, बी-७, बी-९, 'ए', 'ई' तथा फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नेशियम, लौह व जिंक आदि पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं ।*
*🔹विभिन्न रोगों में लाभकारी🔹*
*👉 (१) ज्वार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक है ।*
*👉 (२) इसमें रेशे की मात्रा अधिक है तथा इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स (GI) कम है अर्थात् ज्वार रक्त-शर्करा (blood sugar) को तेजी से व अधिक मात्रा में नहीं बढ़ाती । अतः यह मधुमेह (diabetes) में खूब लाभकारी है । मधुमेह में गेहूँ व चावल का सेवन बंद कर ज्वार की रोटी खाने से रक्त शर्करा आसानी से नियंत्रित रहती है ।*
*👉 (३) ज्वार में कैंसर-विरोधी घटक पाये जाते हैं । अनुसंधानों के अनुसार गेहूँ और मक्के की तुलना में ज्वार का सेवन करनेवालों में आहारनली के कैंसर से होनेवाली मृत्युदर में कमी देखी गयी ।*
*👉 (४) मोटापा एक गंभीर समस्या है जो मधुमेह और हृदयरोग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है । ज्वार में रेशे की अधिक मात्रा होने तथा यह शीघ्र तृप्तिदायक होने से मोटापे से रक्षा करती है । ज्वार के आटे की रोटी बनायी जाती है तथा ज्वार का दलिया, खिचड़ी व अन्य कई प्रकार के व्यंजन भी बनाये जाते हैं ।*
*🔹कष्ट-बाधा और पितृदोष का उपाय🔹*
*🔹सदगुरु या इष्ट का ध्यान करते हुए निम्नलिखित शिव-गायत्री मंत्र की एक माला सुबह अथवा शाम की संध्याओं में कभी भी कुछ दिन जपने से पितृदोष, कष्ट-बाधा दूर हो जाते हैं तथा पितरों भी प्रसन्न होते हैं । जब पितरों प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि, वंशवृद्धि व सर्वत्र उन्नति होता है ।*
*मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।*
*(लिंग पुराण, उत्तर भाग :४८.७)*
*📖 ऋषि प्रसाद – फरवरी २०२२ से*
*🔹याद न रहने के मूल कारण क्या ?*🔹
*१] मनोयोग का अभाव*
*२] रूचि का अभाव*
*३] एकाग्रता का अभाव*
*४] संयम का अभाव*
*🔹नहीं तो बहुत कुछ याद रह सकता है । इसमें कोई जादूगरी नहीं है, कोई चमत्कार नहीं है । स्मृतिकेंद्र को विकसित करनेवाला मंत्र ले लिया, ज्ञानतंतुओं को शुद्ध करनेवाला ‘ॐ गं गणपतये नम: ..... ॐ गं गणपतये नम: ...’ जप करके थोडा ध्यान किया तो यह स्मृतिशक्ति बढ़ाना आदि या परीक्षा में अच्छे अंक लाना – यह कोई बड़ी बात नही हैं ।
🚩🕉️🌹🌹🌹💐💐💐🕉️🚩

4 /8/2022 Panchang

🌞आज का हिन्दू पंचांग 🌞
*⛅दिनांक - 04 अगस्त 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
          20- श्रावण
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा शाम 06:48 तक तत्पश्चात स्वाती*
*⛅योग - सिद्ध साध्य शाम 04:35 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 02:46 से 04:03 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:12*
*⛅सूर्यास्त - 07:20*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संत तुलसीदासजी जयंती*
*⛅ विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आयुर्वेद में वर्णित सद्वृत*🔹
*🔹आयुर्वेदीय ग्रंथ चरक संहिता में आचार्य चरकजी बताते हैं : “जो व्यक्ति स्वस्थवृत ( सद्वृत्ति आदि ) का विधिपूर्वक पालन करता है, वह १०० वर्ष की रोगरहित आयु से पृथक नहीं होता तथा सज्जन एवं साधुपुरुषों द्वारा प्रशंसित होकर इस लोक में अपना यश फैला के धर्म-अर्थ को प्राप्त कर, प्राणिमात्र का हित करने से कारण सबका बंधु बन जाता है । इस प्रकार वह पुण्यकार्य करनेवाला पुरुष मरणोपरांत भी उत्तम गति को प्राप्त करता है । इसलिए सभी मनुष्यों को सर्वदा सद्वृत का पालन करना चाहिए ।”*
*🔹क्या करें🔹*
*👉🏻 १] निश्चित, निर्भीक, लज्जायुक्त, बुद्धिमान, उत्साही, दक्ष, क्षमावान, धार्मिक और आस्तिक बनें ।*
*👉🏻 २] सभी प्राणियों के साथ बंधुवत व्यवहार करें ।*
*👉🏻 ३] सत्यप्रतिज्ञ, शान्ति को प्रधानता देनेवाला एवं दुसरे के कठोर वचनों को सहनेवाला बनें ।   
*👉🏻 ४] भयभीत व्यक्तियों को आश्वासन व दीन-दु:खी को सहायता देनवाले हों ।*
*👉🏻 ५] अमर्ष (असहिष्णुता, क्रोध ) का नाशक, शांतिमान और राग-द्वेष उत्पन्न करनेवाले कारणों का नाश करनेवाला होना चाहिए ।*
*👉🏻 ६] गंदे कपड़े, अपवित्र केश का त्याग करनेवाला होना चाहिए ।*
*👉🏻 ७] सिर व पैर में प्रतिदिन तेल लगायें ।*
*🔹क्या न करें🔹*
*👉🏻 १] अधार्मिक, पागल, पतित, भ्रूणहत्यारे और क्षुद्र तथा दुष्ट व्यक्तियों के साथ न बैठें ।*
*👉🏻 २] पापी के साथ भी पाप का व्यवहार न करें ।*
*👉🏻 ३] दूसरे की गुप्त बातें जानने की चेष्टा न करें ।*
*👉🏻 ४] चैत्य ( मंदिर आदि ), झंडा, गुरु तथा आदरणीय, प्रशस्त कल्याणकारी वस्तुओं की छाया को न लाँघें ।*
*👉🏻 ५] अधिक चमक या तेज से युक्त पदार्थ, जैसे – सूर्य, अग्नि आदि को तथा अप्रिय, अपवित्र और निंदित वस्तुओं को न देखें ।*
*👉🏻 ६] बिना शरीर की थकावट दूर किये, बिना मुख धोये एवं नग्न होकर स्नान न करें ।*
*👉🏻 ७] स्नान के बाद खोले हुए वस्त्रों को पुन: न पहनें ।*
*👉🏻 ८] जिस कपड़े को पहनकर स्नान किया गया हो उसी कपड़े से सिर का स्पर्श न करें ।*
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