*इस वर्ष रक्षाबन्धन का मुहूर्त्त*
श्रीसूर्यसिद्धान्तीय गणना के अनुसार काशी में इस वर्ष श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा अंग्रेजी दिनांक ११ (11)अगस्त को दिन में ०९:३८ (9:38)बजे से आरम्भ होकर दूसरे दिन प्रातः ०७:१९(7:11) बजे तक रहेगी| सामान्य स्थिति में श्रावण शुक्ल पूर्णिमा में श्रावणी उपाकर्म प्रातःकाल और रक्षाबन्धन अपराह्न में करना चाहिए, ऐसा विधान है| परन्तु 'भद्रायां द्वे न कर्त्तव्यो श्रावणी फाल्गुनी तथा' के अनुसार श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबन्धन और होलिका दहन भद्रा में किसी भी स्थिति में नहीं करनी चाहिए, ऐसा शास्त्रादेश है|
इस स्थिति में कुछ ज्योतिषी बन्धु अपनी राय भद्रा के वास के अनुसार इस प्रकार दे रहे हैं कि 'मकर राशि में भद्रा पाताल में होने से पृथ्वी पर इसका दोष नहीं होगा अतः दिनभर रक्षाबन्धन कर सकते हैं', ऐसा कहना ठीक नहीं है| यदि ऐसा होगा तो 'भद्रायां द्वे न कर्त्तव्यो श्रावणी फाल्गुनी तथा' वाक्य से स्पष्टतः विरोध होगा क्योंकि प्रतिवर्ष श्रावणी मकर राशि के अन्तर्गत ही पड़ेगी और जब कभी भद्रा होगा तो मकर राशि होने के कारण भद्रा का पाताल में वास होगा| जबकि ऐसा नहीं है, स्पष्ट निर्देश है कि 'भद्रायां श्रावणी न कर्त्तव्यो'| (श्रावणी और फाल्गुनी के भद्राविचार में भद्रावास की बात नहीं कही गयी है|)
दूसरे दिन १२ अगस्त को दिनभर रक्षाबन्धन मानना भी युक्तियुक्त नहीं है, क्योंकि पूर्णिमा प्रातः ०७:१९ बजे तक ही रहेगी और उसके पश्चात् प्रतिपदा लग जाएगी| निर्णयसिन्धु में स्पष्ट है कि "इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्'|
इसका समाधान भी निर्णयसिन्धु (में निर्णयामृत के अनुसार) में ही उपलब्ध है *'तत्सत्त्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते'* अर्थात उसके (भद्रा के) रहने पर तो रात्रि मे भी उसके अन्त मे करे| उपरोक्त मतों का समन्वय करने पर *११ (11)अगस्त की रात्रि में २०:२८(20:28) बजे के बाद (२२:३०-२३:०० बजे तक) रक्षाबन्धन करना श्रेयस्कर होगा|* जो लोग किसी कारण से इस काल में रक्षाबन्धन न कर सकें वह दूसरे दिन सूर्योदय (०५:२९ बजे) (5:29)से ०७:१८ (7:18)बजे के मध्य सम्पन्न कर लें| (१२ (12)को अच्छा मुहूर्त नहीं है)
(उपरोक्त गणना काशी को केन्द्र मानकर किया गया है)
प्रशासक समिति ✊🚩 (Reg. E&SWS)
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिन्दी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩शक संवत - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ दिनांक - 11 अगस्त 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - वर्षा
⛅ मास - श्रावण
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा सुबह 06:53 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - आयुष्मान अपरान्ह 03:32 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅ राहु काल - अपरान्ह 02:22 से 04:00 तक
⛅ भद्रा काल : सुबह 10:38 से रात्रि 08:52
⛅ सूर्योदय - 06:14
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:30 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - वैदिक रक्षाबंधन, राखी पूर्णिमा
⛅ विशेष - चतुर्दशी, पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹रक्षा बंधन : 11 अगस्त 2022🔹
पूर्णिमा 11 अगस्त सुबह 10:38 से 12 अगस्त सुबह 07:05 तक
🔹 रक्षाबंधन : संकल्पशक्ति का प्रतीक 🔹
🔹रक्षासूत्र बांधने का मंन्त्र :
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
🔹 रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि 'मेरा भाई भगवत्प्रेमी बनें। जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आयें। मेरा भाई धीर-गम्भीर हो। मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें।' भाई सोचें कि 'हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें।'
🔹 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष अशुभ भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।
🔹 रक्षाबंधन के पर्व पर बहन भाई को आयु, आरोग्य और पुष्टि की वृद्धि की भावना से राखी बाँधती है। अपना उद्देश्य ऊँचा बनाने का संकल्प लेकर ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलते हैं। (भविष्य पुराण)
🔹 समुद्र का तूफानी स्वभाव श्रावणी पूनम के बाद शांत होने लगता है। इससे जो समुद्री व्यापार करते हैं, वे नारियल फोड़ते हैं।
🔹 पिसा आटा 🔹
👉 ये जो तैयार चक्कियों का आटा ले आते हो, बासी और ८ दिन के बाद तो एक्सपायर्ड(expired) होने लगता है। आज पिसा.. ८ दिन में खत्म होना चाहिए। चक्की में ना जाने कब पिसा, होलसेलर के पास कब आया रिटेल वाले के पास कब आया एकदम पतला आटा आंतों को चिपका दे। लेकिन ये जो रस है, एलोविरा का रस, आँवले का रस ये आंतों को साफ कर देता है।
🔹 अच्छी नींद लाने तथा खर्राटे बंद करने के लिए 🔹
🔹 रात को गाय का घी हलका–सा गरम करके १ से ४ बुंद दोनों नथुनों में डालें ।
जय श्री राम
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