*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 28 अगस्त 2022*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् 12 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा अपरान्ह 02:45 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 09:56 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - सिद्ध रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - शाम 05:36 से 07:01 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:20*
*⛅सूर्यास्त - 07:01*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक*
पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹हरितालिका तीज - 30 अगस्त 2022*🌹
*🌹भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है । विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है । इस व्रत की विधि इस प्रकार है-*
*🌹विधि🌹*
*🌹इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं । इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है । घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं । एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं ।*
*🌹प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें । देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें । व्रत का पूजन रात भर चलता है । महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं । प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है । आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है ।*
*🌹भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-*
*🌹ॐ उमायै नम:, ॐ पार्वत्यै नम:, ॐ जगद्धात्र्यै नम:, ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ॐ शांतिरूपिण्यै नम:, ॐ शिवायै नम:*
*🌹भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-*
*🌹ॐ हराय नम:, ॐ महेश्वराय नम:, ॐ शम्भवे नम:, ॐ शूलपाणये नम:, ॐ पिनाकवृषे नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ पशुपतये नम:, ॐ महादेवाय नम:*
*🌹पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं ।*
*🔹शरद ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा*🔹
🔹 *(शरद ऋतु २३ अगस्त से २२ अक्टूबर) वर्षा ऋतु में संचित पित्तदोष शरद ऋतु में प्रकुपित होता है । आयुर्वेद में पित्त को नष्ट करने के लिए आहार में छः रसों में से ३ रस अर्थात् कषाय (कसैला), मधुर व तिक्त (कड़वा) रस प्रधान पदार्थों का सेवन हितकारी बताया गया है ।*
🔹 *मधुर रसयुक्त पदार्थ : देशी गाय का दूध व घी, शहद, केला, नारियल, गन्ना, काली द्राक्ष, किशमिश, मिश्री, मधुर फल आदि ।*
🔹 *कड़वे रसयुक्त पदार्थ : नीम, चिरायता, गिलोय, हल्दी, करेला, अडूसा आदि ।*
🔹 *कसैले रसयुक्त पदार्थ : आँवला, हरड़, त्रिफला, जामुन, पालक, अनार आदि ।🔹 *पित्त-प्रकोप से फोड़े-फुंसी, दाद, खाज, खुजली, रक्तपित्त, त्वचा रोग, शीतपित्त, अम्लपित्त (hyperacidity), अजीर्ण जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । पित्तदोष दूर करने के लिए एलोपैथिक दवाइयों के सेवन से पित्त को दबाना नहीं चाहिए अन्यथा रक्त की अशुद्धि व पित्त की समस्याएँ और अधिक बढ़ने की सम्भावना होती है ।*
*🌹विघ्न निवारण हेतु🌹*
*🌹गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः ।’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।*
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