Thursday, August 18, 2022

18/8/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 18 अगस्त 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 02 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 09:20 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - भरणी रात्रि 11:35 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - वृद्धि रात्रि 08:42 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:20 से 03:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:17*
*⛅सूर्यास्त - 07:10*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - जन्माष्टमी (स्मार्त)*
पंचक नहीं है
*⛅ विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा🔹* 
*🔹इस वर्ष जन्माष्टमी का उपवास एवं रात्रि-जागरण 19 अगस्त 2022 को है ।*
🌹 *जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है । इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं ।*
🌹 *जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है ।*
🌹 *‘वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है । ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है ।*
🌹 *जन्माष्टमी के दिन जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है ।*
🌹 *इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें । बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें ।*
🌹 *जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है ।*
🌹 *उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है । जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।*
 🌹 *‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है ।*
*🌹 पुण्य के साथ दिलाये स्वास्थ्य लाभ 🌹*
*🌹 जन्माष्टमी के दिनों में मिलने वाला पंजीरी का प्रसाद वायुनाशक होता है । उसमें अजवायन, जीरा व गुड़ पड़ता है । इस मौसम में वायु की प्रधानता है तो पंजीरी खाने खिलाने का उत्सव आ गया । यह मौसम मंदाग्नि का भी है । उपवास रखने से मंदाग्नि दूर होगी और शरीर में जो अनावश्यक द्रव्य पड़े हैं, उपवास करने से वे खिंचकर जठर में आ के स्वाहा हो जायेंगे, शारीरिक स्वास्थ्य मिलेगा । तो पंजीरी खाने से वायु का प्रभाव दूर होगा और व्रत रखने से चित्त में भगवदीय आनंद, भगवदीय प्रसन्नता उभरेगी तथा भगवान का ज्ञान देने वाले गुरु मिलेंगे तो ज्ञान में स्थिति भी होगी । अपनी संस्कृति के एक-एक त्यौहार और एक-एक खानपान में ऐसी सुंदर व्यवस्था है कि आपका शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे और बुद्धि में बुद्धिदाता का ज्ञान छलकता जाय । जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है । उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है ।*
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