*⛅दिनांक - 04 अगस्त 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
20- श्रावण
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा शाम 06:48 तक तत्पश्चात स्वाती*
*⛅योग - सिद्ध साध्य शाम 04:35 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 02:46 से 04:03 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:12*
*⛅सूर्यास्त - 07:20*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संत तुलसीदासजी जयंती*
*⛅ विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आयुर्वेद में वर्णित सद्वृत*🔹
*🔹आयुर्वेदीय ग्रंथ चरक संहिता में आचार्य चरकजी बताते हैं : “जो व्यक्ति स्वस्थवृत ( सद्वृत्ति आदि ) का विधिपूर्वक पालन करता है, वह १०० वर्ष की रोगरहित आयु से पृथक नहीं होता तथा सज्जन एवं साधुपुरुषों द्वारा प्रशंसित होकर इस लोक में अपना यश फैला के धर्म-अर्थ को प्राप्त कर, प्राणिमात्र का हित करने से कारण सबका बंधु बन जाता है । इस प्रकार वह पुण्यकार्य करनेवाला पुरुष मरणोपरांत भी उत्तम गति को प्राप्त करता है । इसलिए सभी मनुष्यों को सर्वदा सद्वृत का पालन करना चाहिए ।”*
*🔹क्या करें🔹*
*👉🏻 १] निश्चित, निर्भीक, लज्जायुक्त, बुद्धिमान, उत्साही, दक्ष, क्षमावान, धार्मिक और आस्तिक बनें ।*
*👉🏻 २] सभी प्राणियों के साथ बंधुवत व्यवहार करें ।*
*👉🏻 ३] सत्यप्रतिज्ञ, शान्ति को प्रधानता देनेवाला एवं दुसरे के कठोर वचनों को सहनेवाला बनें ।
*👉🏻 ४] भयभीत व्यक्तियों को आश्वासन व दीन-दु:खी को सहायता देनवाले हों ।*
*👉🏻 ५] अमर्ष (असहिष्णुता, क्रोध ) का नाशक, शांतिमान और राग-द्वेष उत्पन्न करनेवाले कारणों का नाश करनेवाला होना चाहिए ।*
*👉🏻 ६] गंदे कपड़े, अपवित्र केश का त्याग करनेवाला होना चाहिए ।*
*👉🏻 ७] सिर व पैर में प्रतिदिन तेल लगायें ।*
*🔹क्या न करें🔹*
*👉🏻 १] अधार्मिक, पागल, पतित, भ्रूणहत्यारे और क्षुद्र तथा दुष्ट व्यक्तियों के साथ न बैठें ।*
*👉🏻 २] पापी के साथ भी पाप का व्यवहार न करें ।*
*👉🏻 ३] दूसरे की गुप्त बातें जानने की चेष्टा न करें ।*
*👉🏻 ४] चैत्य ( मंदिर आदि ), झंडा, गुरु तथा आदरणीय, प्रशस्त कल्याणकारी वस्तुओं की छाया को न लाँघें ।*
*👉🏻 ५] अधिक चमक या तेज से युक्त पदार्थ, जैसे – सूर्य, अग्नि आदि को तथा अप्रिय, अपवित्र और निंदित वस्तुओं को न देखें ।*
*👉🏻 ६] बिना शरीर की थकावट दूर किये, बिना मुख धोये एवं नग्न होकर स्नान न करें ।*
*👉🏻 ७] स्नान के बाद खोले हुए वस्त्रों को पुन: न पहनें ।*
*👉🏻 ८] जिस कपड़े को पहनकर स्नान किया गया हो उसी कपड़े से सिर का स्पर्श न करें ।*
🕉️🌹🏵️🌲🌻💐🌹🕉️
No comments:
Post a Comment