*⛅दिनांक - 03 अगस्त 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
19 प्रविष्टे श्रावण मास
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी 03 अगस्त प्रातः 05:42 से 04 अगस्त प्रातः 05:40 तक*
*⛅नक्षत्र - हस्त शाम 04:24 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - सिद्ध शाम 05:49 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:46 से 02:24 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:11*
*⛅सूर्यास्त - 07:20*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सुपाच्य एवं बलवर्धक ज्वार🔹*
*🔹ज्वार में विटामिन बी-१, बी-२, बी ३, बी-५, बी-६, बी-७, बी-९, 'ए', 'ई' तथा फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नेशियम, लौह व जिंक आदि पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं ।*
*🔹विभिन्न रोगों में लाभकारी🔹*
*👉 (१) ज्वार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक है ।*
*👉 (२) इसमें रेशे की मात्रा अधिक है तथा इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स (GI) कम है अर्थात् ज्वार रक्त-शर्करा (blood sugar) को तेजी से व अधिक मात्रा में नहीं बढ़ाती । अतः यह मधुमेह (diabetes) में खूब लाभकारी है । मधुमेह में गेहूँ व चावल का सेवन बंद कर ज्वार की रोटी खाने से रक्त शर्करा आसानी से नियंत्रित रहती है ।*
*👉 (३) ज्वार में कैंसर-विरोधी घटक पाये जाते हैं । अनुसंधानों के अनुसार गेहूँ और मक्के की तुलना में ज्वार का सेवन करनेवालों में आहारनली के कैंसर से होनेवाली मृत्युदर में कमी देखी गयी ।*
*👉 (४) मोटापा एक गंभीर समस्या है जो मधुमेह और हृदयरोग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है । ज्वार में रेशे की अधिक मात्रा होने तथा यह शीघ्र तृप्तिदायक होने से मोटापे से रक्षा करती है । ज्वार के आटे की रोटी बनायी जाती है तथा ज्वार का दलिया, खिचड़ी व अन्य कई प्रकार के व्यंजन भी बनाये जाते हैं ।*
*🔹कष्ट-बाधा और पितृदोष का उपाय🔹*
*🔹सदगुरु या इष्ट का ध्यान करते हुए निम्नलिखित शिव-गायत्री मंत्र की एक माला सुबह अथवा शाम की संध्याओं में कभी भी कुछ दिन जपने से पितृदोष, कष्ट-बाधा दूर हो जाते हैं तथा पितरों भी प्रसन्न होते हैं । जब पितरों प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि, वंशवृद्धि व सर्वत्र उन्नति होता है ।*
*मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।*
*(लिंग पुराण, उत्तर भाग :४८.७)*
*📖 ऋषि प्रसाद – फरवरी २०२२ से*
*🔹याद न रहने के मूल कारण क्या ?*🔹
*१] मनोयोग का अभाव*
*२] रूचि का अभाव*
*३] एकाग्रता का अभाव*
*४] संयम का अभाव*
*🔹नहीं तो बहुत कुछ याद रह सकता है । इसमें कोई जादूगरी नहीं है, कोई चमत्कार नहीं है । स्मृतिकेंद्र को विकसित करनेवाला मंत्र ले लिया, ज्ञानतंतुओं को शुद्ध करनेवाला ‘ॐ गं गणपतये नम: ..... ॐ गं गणपतये नम: ...’ जप करके थोडा ध्यान किया तो यह स्मृतिशक्ति बढ़ाना आदि या परीक्षा में अच्छे अंक लाना – यह कोई बड़ी बात नही हैं ।
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