*🌞आज का पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 23 अगस्त 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् 07 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 10:44 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 12:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 03:54 से 05:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:19*
*⛅सूर्यास्त - 07:05*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
पंचक नहीं है
*⛅व्रत पर्व विवरण - वैष्णव अजा एकादशी (द्वादशी वृद्धि तिथि )*
*⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹अजा एकादशी*🌹
*🌹 23 अगस्त, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
*23 अगस्त, द्वादशी युक्त एकादशी अधिक पुण्य प्रदायक*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8.जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है शरद ऋतु में पथ्य-अपथ्य*
*(शरद ऋतु : 23 अगस्त 2022 से 22 अक्टूबर 2022 तक)*
*🔹शरद ऋतु में पित्त कुपित व जठराग्नि मंद रहती है, जिससे पित्त-प्रकोपजन्य अनेक व्याधियाँ उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है । अतः इस ऋतु में पित्तशामक आहार लेना चाहिए ।*
*🔹पथ्य आहार : इस ऋतु में मधुर, कड़वा, कसैला, पित्तशामक तथा लघु मात्रा में आहार लेना चाहिए । अनाजों में जौ, मूँग, सब्जियों में पका पेठा, परवल, तोरई, गिल्की, पालक, खीरा, गाजर, शलगम, नींबू, मसालों में जीरा, हरा धनिया, सौंफ, हल्दी, फलों में अनार, आँवला, अमरूद, सीताफल, संतरा, पका पपीता, गन्ना, सूखे मेवों में अंजीर, किशमिश, मुनक्का, नारियल सेवनीय हैं । घी व दूध उत्तम पित्तशामक हैं ।*
*🔹शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की शीतल चाँदनी में रखी दूध-चावल की खीर पित्तशामक, शीतल व सात्त्विक आहार है ।*
*🔹हितकर विहार : शरद ऋतु में रात्रि-जागरण व रात्रि-भ्रमण लाभदायी है । रात्रि जागरण 12 बजे तक ही माना जाता है । अधिक जागरण कर दिन में सोने से त्रिदोष प्रकुपित होते हैं ।*
*🔹त्याज्य आहार-विहार : पित्त को बढ़ाने वाले खट्टे, खारे, तीखे, तले, पचने में भारी पदार्थ, बाजरा, उड़द, बैंगन, टमाटर, मूँगफली, सरसों, तिल, दही, खट्टी छाछ आदि के सेवन से बचें । अधिक भोजन, अधिक उपवास, अधिक श्रम, दिन में शयन, धूप का सेवन आदि वर्जित है ।*
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