Friday, July 31, 2020

संघगीत माला 10 गीतों का विशेष संग्रह SANGHGEET MALA COLLECTION OF 10 MOST POPULAR SONG IN RSS &ALL

संघगीत माला 10 गीतों का विशेष संग्रह SANGHGEET MALA COLLECTION OF 10 MOST POPULAR SONG IN RSS &ALL


1

देश हमें देता है सब कुछ


देश हमें देता है सब कुछ, 
हम भी तो कुछ देना सीखें ॥धृ॥


सूरज हमें रौशनी देता, 
हवा नया जीवन देती है । 

भूख मिटने को हम सबकी, 
धरती पर होती खेती है ।

औरों का भी हित हो जिसमें, 
हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥


पथिकों को तपती दुपहर में,
 पेड़ सदा देते हैं छाया ।

सुमन सुगंध सदा देते हैं, 
हम सबको फूलों की माला ।

त्यागी तरुओं के जीवन से, 
हम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥


जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , 
जो चुप हैं उनको वाणी दें ।

पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँ, 
प्यासी धरती को पानी दें ।

हम मेहनत के दीप जलाकर,
 नया उजाला करना सीखें ॥३॥

2.



संघटन गढे चलो सुपंथ पर बढे चलो ।
भला हो जिसमें देश का वो काम सब कीये चलो ॥धृ॥

युग के साथ मिलके सब कदम बढाना सीख लो ।
एकता के स्वर में गीत गुनगुनाना सीख लो
भूल कर भी मुख में जाती-पंथ की न बात हो
भाषा प्रांत के लिये कभी न रक्त पात हो
फूट का भरा घडा है फोड कर बढे चलो॥१॥

आरही है आज चारों ओर से यही पुकार
हम करेंगे त्याग मातृभूमी के लिये अपार
कष्ट जो मिलेंगे मुस्कुराते सब सहेंगे हम
देश के लिये सद जियेंगे और् मरेंगे हम
देश का हि भग्य अपन भग्य है ये सोच लो ॥२॥

3.

भारत माता तेरा आँचल , हरा – भरा धानी – धानी।

मीठा – मीठा चम् -चम करता , तेरी नदियों का पानी।


मस्त हवा जब लहराती है , दूर – दूर तक पहुंचाती है।
जग को मीत बनाने वाली ,मधुर मधुर तेरी वाणी ।।1।।
भारत माता तेरा आंचल हरा भरा धानी धानी


द्वार खड़े हैं चाहने वाले तेरे घर के हैं रखवाले
ऊंचे ऊंचे तेरे पर्वत, वीर बहादुर सेनानी ।।2।।
भारत माता तेरा आंचल हरा भरा धानी धानी


जीवन पुष्प चढ़ा चरणों में, मांगे मातृभूमि से यह वर
तेरा वैभव अमर रहे मां ,हम दिन चार रहे ना रहे ।।3।।

भारत माता तेरा आंचल हरा भरा धानी धानी
मीठा-मीठा छम छम करता तेरी नदियों का पानी
भारत माता तेरा आंचल हरा भरा धानी धानी

4

अगर हम नही देश के काम आए
धरा क्या कहेगी गगन क्या कहेगा ॥

चलो श्रम करे आज खुद को सँवारें
युगों से चढी जो खुमारी उतारें
अगर वक्त पर हम नहीं जाग पाएं
सुभा क्या कहेगी पवन क्या कहेगा ॥

अधुर गन्ध का अर्थ है खूब महके
पडे संकटों की भले मार सहके
अगर हम नहीं पुष्प सा मुस्कुराएं
लता क्या कहेगी चमन क्या कहेगा ॥

बहुत हो चुका स्वर्ग भू पर उतारें
करें कुछ नया स्वस्थ सोचें विचारें
अगर हम नहीं ज्योति बन झिलमिलाएं
निशा क्या कहेगी भुवन क्या कहेगा ॥

5
चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || ध्रु ||

हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है || 1 ||

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है || 2 ||

जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है || 3 ||

6.
राष्ट्र की जय चेतना का गान वंदे मातरम्
राष्ट्रभक्ति प्रेरणा का गान वंदे मातरम्

बंसी के बहते स्वरोंका प्राण वंदे मातरम्
झल्लरि झनकार झनके नाद वंदे मातरम्
शंख के संघोष का संदेश वंदे मातरम् ॥१॥

सृष्टी बीज मंत्र का है मर्म वंदे मातरम्
राम के वनवास का है काव्य वंदे मातरम्
दिव्य गीता ज्ञान का संगीत वंदे मातरम् ॥२॥

हल्दिघाटी के कणोमे व्याप्त वंदे मातरम्
दिव्य जौहर ज्वाल का है तेज वंदे मातरम्
वीरोंके बलिदान का हूंकार वंदे मातरम् ॥३॥

जनजन के हर कंठ का हो गान वंदे मातरम्
अरिदल थरथर कांपे सुनकर नाद वंदे मातरम्
वीर पुत्रोकी अमर ललकार वंदे मातरम् ॥४॥

7

हम सभी का जन्म तव प्रतिबिम्ब सा बन जाय॥
और अधुरी साधना चिर पूर्ण बस हो जाय।



बाल्य जीवन से लगाकर अन्त तक की दिव्य झांकी
मूक आजीवन तपस्या जा सके किस भाँति आँकी
क्षीर सिंधु अथाह विधि से भी न नापा जाय
चाह है उस सिंधु की हम बूँद ही बन जायँ ॥१॥

एक भी क्षण जन्म में नही आपने विश्राम पाया
रक्त के प्रत्येक कण को हाय पानी सा सुखाया।
आत्म-आहुती दे बताया राष्ट्र-मुक्ति उपाय
एक चिनगारी हमें उस यज्ञ की छू जाय ॥२॥



थे अकेले आप लेकिन बीज का था भाव पाया
बो दिया निज को अमर वट संघ भारत में उगाया।
राष्ट्र ही क्या अखिल जग का आसरा हो जाय
और उसकी हम टहनियाँ-पत्तियाँ बन जायँ॥३॥




आपके दिल की कसक हो वेदना जागृत हमारी
याचि देही याचि डोला मन्त्र रटते हैं पुजारी।
बढ़ रहे हम आपक आशीष स्वग्रिक पाय
जो सिखया आपने प्रत्यक्ष हम कर पायँ ॥४॥
साधना की पूर्ति फिर लवमात्र में हो जाय॥

8

व्यक्ती व्यक्ती मे जगाये
जनमन संस्कार करे यही साधना ।
साधना नित्य साधना
साधना अखंड साधना ॥ध्रु॥





नित्य शाखा जान्हवी पुनीत जलधरा
साधना की पुण्यभूमी शक्ती पीठीका
रजः कणों में प्रकटें दिव्य दीप मालीका
हो तपस्वी के समान संघ साधना ॥१॥




हे प्रभो तू विश्व की अजेय शक्ती दे
जगत हो विनम्र ऐसा शील हमको दे
कष्ट से भरा हुआ ये पंथ काटने
ज्ञान दे की हो सरल हमारी साधना ॥२॥



विजयशाली संघबद्ध कार्यशक्ती दे
तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा हमको दे
हिंदु धर्म रक्षणार्थ वीर व्रत स्फ़ुरे
तव कृपा से हो सरल हमारी साधना ॥३॥





व्यक्ती व्यक्ती मे जगाये
जनमन संस्कार करे यही साधना ।
साधना नित्य साधना
साधना अखंड साधना ॥ध्रु॥

9

मातृभूमि गान से गूँजता रहे गगन
स्नेह नीर से सदा फूलते रहें सुमन।

जन्म सिध्द भावना स्वदेश का विचार हो
रोम -रोम में रमा स्वधर्म संस्कार हो
आरती उतारते प्राण दीप हो मगन
स्नेह नीर...

हार के सुसूत्र में मोतियों की पंक्तियाँ
ग्राम नगर प्रान्त से संग्रहीत शक्तियाँ
लक्ष-लक्ष रुप से राष्ट्र हो विराट तन॥
स्नेह नीर...

ऐक्य शक्ति देश की प्रगति में समर्थ हो
धर्म आसरा लिये मोक्ष काम अर्थ हो
पुण्य भूमि आज फिर ज्ञान का बने सदन
स्नेह नीर...

10


जननी-जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ।
इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है ॥
जननी-जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ॥ध्रु॥

इसके कण-कण पे लिखा राम-कृष्ण नाम है ।
हुतात्माओं के रुधिर से भूमि शस्य-श्याम है ।
धर्म का ये धाम है, सदा इसे प्रणाम है ।
स्वतंत्र है यह धरा, स्वतंत्र आसमान है ॥१॥

इसके आन पे अगर जो बात कोई आ पड़े ।
इसके सामने जो ज़ुल्म के पहाड़ हों खड़े ।
शत्रु सब जहान हो, विरुद्ध आसमान हो ।
मुकाबला करेंगे जब तक जान में ये जान है ॥२॥


इसकी गोद में हज़ारों गंगा-यमुना झूमती ।
इसके पर्वतों की चोटियाँ गगन को चूमती ।
भूमि ये महान है, निराली इसकी शान है ।
इसके जय-पताके पे लिखा विजय-निशान ॥३॥



इसके वास्ते ये तन है, मन है और प्राण है ।
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ॥

Tuesday, July 28, 2020

पाँच अगस्त बस पांच नहीं,**यह पंचामृत कहलायेगा !**एक रामायण फिरसे अब,**राम मंदिर का लिखा जाएगा!!*

*पाँच अगस्त बस पांच नहीं,*
*यह पंचामृत कहलायेगा !*
*एक रामायण फिरसे अब,*
*राम मंदिर का लिखा जाएगा!!*

*जितना समझ रहे हो उतना,*
*भूमिपूजन आसान न था!*
*इसके खातिर जाने कितने,*
*माताओं का दीप बुझा !*

*गुम्बज पर चढ़कर कोठारी,*
*बन्धुओं ने गोली खाई थी!*
*नाम सैकड़ो गुमनाम हैं,*
*जिन्होंने जान गवाई थी!!*

*इसी पांच अगस्त के खातिर,*
*पांचसौ वर्षो तक संघर्ष किया!*
*कई पीढ़ियाँ खपि तो खपि,*
*आगे भी जीवन उत्सर्ग किया!!*

*राम हमारे ही लिए नहीं बस,*
*उतने ही राम तुम्हारे हैं!*
*जो राम न समझ सके वो,*
*सचमुच किस्मत के मारे हैं!!*

*एक गुजारिस हैं सबसे बस,*
*दीपक एक जला देना!*
*पाँच अगस्त के भूमिपूजन में,*
*अपना प्रकाश पहुँचा देना!!*

*नहीं जरूरत आने की कुछ,*
*इतनी ही हाजरी काफी है!*
*राम नाम का दीप जला तो,*
*कुछ चूक भी हो तो माफी है!!*

*कविता नहीं यह सीधे सीधे,*
*रामभक्तो को  निमन्त्रण है!*
*असल सनातनी कहलाने का,*
*समझो कविता आमंत्रण है!!*

*जय श्रीराम, जय जय श्रीराम*
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

Saturday, July 25, 2020

बाबरी ढांचा ध्वंस : राम और शरद

बाबरी ढांचा ध्वंस : राम और शरद
यह नब्बे के दशक की एक हृदय विदारक घटना प्रतीत होती है। मैं जगतसिंहपुर में था। राम की उम्र लगभग 22 वर्ष और शरद 20 वर्ष के। मेरी आयु उस समय यही होगी। पहली बार, कारसेवक अयोध्या में राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए अयोध्या जा रहे थे। संघ के कार्यकर्ता कारसेवकों को भेजने में सहायता कर रहे थे। हमारे नहीं जाने का कारण यही था की हमें संघ ने अनुमति नहीं दी थी। हम केवल कार्यकर्ताओं को भेजने में सहयोग कर रहे थे।
बात लगभग अक्टूबर के अंतिम सप्ताह की होगी। कारसेवा के लिए देश भर से कारसेवक अयोध्या जा रहे थे। उसी क्रम में कोलकाता के बड़ा बाजार की एक शाखा से दो भाई उस दिन कारसेवक के रूप में अयोध्या जाने के लिए निकले। उस समय दक्षिण बंगाल के प्रांत प्रचारक माननीय सुनील पद गोस्वामी जी ने रेलवे स्टेशन पर आकर  कारसेवकों को विदा किया। जैसे ही उन्होंने बड़ा बाजार के उन दोनों भाइयों को देखा उन्होंने उनके पिता से पूछा- "क्या आप उन दोनों को जाने की अनुमति दे दी है?" उन्होंने कहा कि मैंने बड़े को अनुमति दी है, परन्तु छोटा भी जाना चाहता है और मेरा छोटे भाई का दो बेटे भी आ गये हैं, जाने दो..
उस समय इक्का दुक्का टीवी था। न के बराबर। समाचार प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम रेडियो ही था। अन्यथा दूरभाष से घटना की जानकारी लेना पड़ता था। जिस दिन कारसेवकों  पर अंधाधुंध गोली चलाकर हत्या की गई थी उस समय राम कोठारी और शरद कोठारी दोनो भाई सबसे आगे थे। क्योंकि दोनों भाइयों ने गुम्बज पर चढ़कर भगवा पताका फहरा दिया था। आश्चर्य कि बात है  मुख्यमंत्री ने कहा था कि "कोई परिंदा भी जन्मभूमि की परिसर में घुस नहीं पायेगा।" इसलिए उन्होंने जन्मभूमि परिसर में 30, 000 जवान तैनात किए थे। उस में  घुसना आसान नहीं था, फिर भी 5, 000 कारसेवकों ने पुलिस और अर्ध सैन्य बल के आँखों में धूल झोंक कर जय श्रीराम के नारे लगते हुए  जन्मस्थान में प्रवेश कर गए।
यह समाचार कोलकाता कार्यालय पहुंचा। प्रारंभ में आधा अधूरी सूचना मिली। फिर बाद में मृत होने का सूचना आयी। अब उनके परिवार को खबर देना था। कौन जाएगा? कौन घर जाकर उनके माता पिता को इस खबर को पहुंचाएगा?
कोई भी प्रस्तुत हुए नहीं, क्योंकि यह इतना  सरल नहीं था। अंततोगत्वा सुनील दा स्वयं गये। बड़ा बाजार में विनय रस्तोगी जी के घर में संघ कार्यालय था। सुनील दा कोठारी परिवार को सीधे न जाते हुए उनके घर के पास स्थित कार्यालय गए और वहां हीरालाल कोठारी जी को बुलाये। इसके अतिरिक्त उन्होंने पाँच या सात अनुभवी स्वयंसेवकों को भी बुला लिया। सुनील दा ने बुलाया सुनते ही हीरालाल जी कार्यालय आ गए। अब बातचीत प्रारंभ हुई। विषय लड़कों की बारे में थी। क्या अयोध्या से कोई नई खबर आई? क्या सब अच्छा है?
हीरालाल जी इस खबर जानने की काफी इक्छुक थे। उन्होंने देखा कि सभी गंभीर थे। किसी के मुख से कोई बात नहीं थी। "सुनील दा भी बोलने की स्थिति में नहीं थे, फिर भी वे बोले "मुलायम सिंह यादव सरकार ने कारसेवकों के उपर गोली चलाई है। मैंने सुना है कि राम और शरद को भी गोली लगी है, दोनों घायल हैं।" इतने सुनते ही हीरालाल जी अपनी स्थान से उठे, सुनीलदा के पास आ गए और सुनील दा का हाथ पकड़ लिये और रो पड़े ..फिर थोड़े देर में अपने को संभालते हुए बोले "सुनील दा! मेरे दोनों बेटा चला गया...."
यह दुःखद प्रसंग आज भी सुनील दा को हिला देता है।
तब हीरालाल जी रोते हुए  कहते हैं-"सुनील दा! मेरे दो बेटों की बलिदान हो गई। क्या राम मंदिर बनेगा?" अन्यथा यह बलिदान व्यर्थ हो जाएगा।
इस कहानी को बताना बहुत लंबा होगा।
माँ को कैसे बताये...उनकी एकमात्र बहन पूर्णिमा दिसंबर के पहले सप्ताह में विवाह  होनी थी। (अब माता पिता का निधन हो गया है। उनके एकमात्र बहन पूर्णिमा जीवित है। राम और शरत के चित्र पकड़ने वाली महिला पूर्णिमा ही है।) उस समय केंद्रापड़ा के एक अन्य स्वयंसेवक (संग्राम केशरी महापात्र) को भी पेट में गोली लगी थी। यह मैंने राष्ट्रदीप से पढ़ा था।
एक दूसरे विषय अपनी बात रखकर मैं इस बात को पूरा करूँगा। ठीक दो वर्ष उपरान्त अयोध्या में दोबारा कारसेवा हुई। विवादास्पद ढांचे को कारसेवकों ने तोड़ दिया। संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। प्रतिबंध हटने के पश्चात् उत्तर प्रदेश में प्रांत प्रचारकों की एक बैठक हुई। बैठक के पश्चात् सभी प्रांत प्रचारकों ने राम जन्मभूमि देखने गए। गाइड उन्हें सम्पूर्ण विवरण बता रहे थे। जब गाइड ने कहा कि राम कोठारी और शरद कोठारी को यहां गोली मारी गई है, तो हरिहर दा ने मिट्टी पकड़ ली और बैठ गये, बच्चे जैसे रोने लगे। उन्हे देखते हुए अन्य प्रांत प्रचारकों के आँख भी नम गयी। यह शोक स्वाभाविक था...क्योंकि राम और शरद केवल हीरालाल जी के ही नहीं हैं...संघ के लिए स्वयंसेवक पुत्रों से अधिक अनमोल हैं...।

Monday, July 20, 2020

बाबरी ढांचा ध्वंस : राम और शरद

बाबरी ढांचा ध्वंस : राम और शरद 

यह नब्बे के दशक की एक हृदय विदारक घटना प्रतीत होती है। मैं जगतसिंहपुर में था। राम की उम्र लगभग 22 वर्ष और शरद 20 वर्ष के। मेरी आयु उस समय यही होगी। पहली बार, कारसेवक अयोध्या में राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए अयोध्या जा रहे थे। संघ के कार्यकर्ता कारसेवकों को भेजने में सहायता कर रहे थे। हमारे नहीं जाने का कारण यही था की हमें संघ ने अनुमति नहीं दी थी। हम केवल कार्यकर्ताओं को भेजने में सहयोग कर रहे थे।

बात लगभग अक्टूबर के अंतिम सप्ताह की होगी। कारसेवा के लिए देश भर से कारसेवक अयोध्या जा रहे थे। उसी क्रम में कोलकाता के बड़ा बाजार की एक शाखा से दो भाई उस दिन कारसेवक के रूप में अयोध्या जाने के लिए निकले। उस समय दक्षिण बंगाल के प्रांत प्रचारक माननीय सुनील पद गोस्वामी जी ने रेलवे स्टेशन पर आकर  कारसेवकों को विदा किया। जैसे ही उन्होंने बड़ा बाजार के उन दोनों भाइयों को देखा उन्होंने उनके पिता से पूछा- "क्या आप उन दोनों को जाने की अनुमति दे दी है?" उन्होंने कहा कि मैंने बड़े को अनुमति दी है, परन्तु छोटा भी जाना चाहता है और मेरा छोटे भाई का दो बेटे भी आ गये हैं, जाने दो..

उस समय इक्का दुक्का टीवी था। न के बराबर। समाचार प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम रेडियो ही था। अन्यथा दूरभाष से घटना की जानकारी लेना पड़ता था। जिस दिन कारसेवकों  पर अंधाधुंध गोली चलाकर हत्या की गई थी उस समय राम कोठारी और शरद कोठारी दोनो भाई सबसे आगे थे। क्योंकि दोनों भाइयों ने गुम्बज पर चढ़कर भगवा पताका फहरा दिया था। आश्चर्य कि बात है  मुख्यमंत्री ने कहा था कि "कोई परिंदा भी जन्मभूमि की परिसर में घुस नहीं पायेगा।" इसलिए उन्होंने जन्मभूमि परिसर में 30, 000 जवान तैनात किए थे। उस में  घुसना आसान नहीं था, फिर भी 5, 000 कारसेवकों ने पुलिस और अर्ध सैन्य बल के आँखों में धूल झोंक कर जय श्रीराम के नारे लगते हुए  जन्मस्थान में प्रवेश कर गए। 

यह समाचार कोलकाता कार्यालय पहुंचा। प्रारंभ में आधा अधूरी सूचना मिली। फिर बाद में मृत होने का सूचना आयी। अब उनके परिवार को खबर देना था। कौन जाएगा? कौन घर जाकर उनके माता पिता को इस खबर को पहुंचाएगा?

कोई भी प्रस्तुत हुए नहीं, क्योंकि यह इतना  सरल नहीं था। अंततोगत्वा सुनील दा स्वयं गये। बड़ा बाजार में विनय रस्तोगी जी के घर में संघ कार्यालय था। सुनील दा कोठारी परिवार को सीधे न जाते हुए उनके घर के पास स्थित कार्यालय गए और वहां हीरालाल कोठारी जी को बुलाये। इसके अतिरिक्त उन्होंने पाँच या सात अनुभवी स्वयंसेवकों को भी बुला लिया। सुनील दा ने बुलाया सुनते ही हीरालाल जी कार्यालय आ गए। अब बातचीत प्रारंभ हुई। विषय लड़कों की बारे में थी। क्या अयोध्या से कोई नई खबर आई? क्या सब अच्छा है? 

हीरालाल जी इस खबर जानने की काफी इक्छुक थे। उन्होंने देखा कि सभी गंभीर थे। किसी के मुख से कोई बात नहीं थी। "सुनील दा भी बोलने की स्थिति में नहीं थे, फिर भी वे बोले "मुलायम सिंह यादव सरकार ने कारसेवकों के उपर गोली चलाई है। मैंने सुना है कि राम और शरद को भी गोली लगी है, दोनों घायल हैं।" इतने सुनते ही हीरालाल जी अपनी स्थान से उठे, सुनीलदा के पास आ गए और सुनील दा का हाथ पकड़ लिये और रो पड़े ..फिर थोड़े देर में अपने को संभालते हुए बोले "सुनील दा! मेरे दोनों बेटा चला गया...."

यह दुःखद प्रसंग आज भी सुनील दा को हिला देता है।
तब हीरालाल जी रोते हुए  कहते हैं-"सुनील दा! मेरे दो बेटों की बलिदान हो गई। क्या राम मंदिर बनेगा?" अन्यथा यह बलिदान व्यर्थ हो जाएगा।

इस कहानी को बताना बहुत लंबा होगा।

माँ को कैसे बताये...उनकी एकमात्र बहन पूर्णिमा दिसंबर के पहले सप्ताह में विवाह  होनी थी। (अब माता पिता का निधन हो गया है। उनके एकमात्र बहन पूर्णिमा जीवित है। राम और शरत के चित्र पकड़ने वाली महिला पूर्णिमा ही है।) उस समय केंद्रापड़ा के एक अन्य स्वयंसेवक (संग्राम केशरी महापात्र) को भी पेट में गोली लगी थी। यह मैंने राष्ट्रदीप से पढ़ा था।

एक दूसरे विषय अपनी बात रखकर मैं इस बात को पूरा करूँगा। ठीक दो वर्ष उपरान्त अयोध्या में दोबारा कारसेवा हुई। विवादास्पद ढांचे को कारसेवकों ने तोड़ दिया। संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। प्रतिबंध हटने के पश्चात् उत्तर प्रदेश में प्रांत प्रचारकों की एक बैठक हुई। बैठक के पश्चात् सभी प्रांत प्रचारकों ने राम जन्मभूमि देखने गए। गाइड उन्हें सम्पूर्ण विवरण बता रहे थे। जब गाइड ने कहा कि राम कोठारी और शरद कोठारी को यहां गोली मारी गई है, तो हरिहर दा ने मिट्टी पकड़ ली और बैठ गये, बच्चे जैसे रोने लगे। उन्हे देखते हुए अन्य प्रांत प्रचारकों के आँख भी नम गयी। यह शोक स्वाभाविक था...क्योंकि राम और शरद केवल हीरालाल जी के ही नहीं हैं...संघ के लिए स्वयंसेवक पुत्रों से अधिक अनमोल हैं...।
Babri structure demolition: Ram and Sharad

 This seems to be a heart-rending event of the nineties.  I was in Jagatsinghpur.  Ram is around 22 years old and Sharad is 20 years old.  I will be the same at that time.  For the first time, Karsevak was going to Ayodhya to liberate the Ram Janmabhoomi in Ayodhya.  Union workers were assisting in sending the kar sevaks.  The reason we did not leave was that the Sangh had not given us permission.  We were only cooperating in sending workers.

 It will be about the last week of October.  Karsevaks were going to Ayodhya from across the country for Karseva.  In the same sequence, two brothers from a branch of Kolkata's Bada Bazaar left that day to go to Ayodhya as Karsevaks.  At that time, the Honorable Sunil Pad Goswami, the preacher of the province of South Bengal, came to the railway station and sent the kar sevaks away.  As soon as he saw those two brothers of Bada Bazaar, he asked his father- "Have you allowed them both to go?"  He said that I have allowed the elder, but the younger one also wants to go and my younger brother's two sons have also come, let go ..

 At that time it was aka dukka tv.  Non-existent.  Radio was the only medium to receive news.  Otherwise, one had to get information about the incident by telephone.  Ram Kothari and Sharad Kothari were the two brothers on the day when the kar sevaks were shot and killed indiscriminately.  Because both the brothers had climbed the dome and hoisted the saffron flag.  Surprisingly, the Chief Minister said that "no Parinda will enter the premises of Janmabhoomi".  Therefore, he had deployed 30,000 soldiers in the birthplace complex.  It was not easy to get into it, yet 5,000 kar sevaks entered the birthplace shouting Jai Shri Ram's slogans in the eyes of the police and paramilitary forces.

 This news reached the Kolkata office.  Initially, half the incomplete information was received.  Then later came the information of being dead.  Now his family had to give news.  who will go?  Who will go home and convey this news to their parents?

 No one appeared, because it was not so simple.  Ultimately Sunil Da himself went.  Vinaya Rastogi ji had a Sangh office in Bada Bazaar.  Sunil da Kothari did not go directly to the family and went to the office near his house and called Hiralal Kothari ji there.  In addition, he also called five or seven experienced volunteers.  Sunil Da called Hiralal ji on hearing the call.  Now the conversation started.  The topic was about boys.  Did any new news come from Ayodhya?  Is everything good?

 Hiralal ji was very keen to know this news.  They saw that all were serious.  There was no talk with anyone's face.  "Even Sunil Da was not in a position to speak, yet he said" Mulayam Singh Yadav government has fired on the kar sevaks.  I have heard that Ram and Sharad have also been shot, both are injured. "On hearing this, Hiralal ji got up from his place, came near Sunilada and grabbed Sunil da's hand and wept .. Then in a while  He said, “Sunil da!  Both of my sons are gone .... "

 This sad incident still shakes Sunil Da.
 Then Hiralal ji cries out, "Sunil da! My two sons were sacrificed. Will Ram temple be built?"  Otherwise this sacrifice will be in vain.

 It would be too long to tell this story.

 How to tell mother ... her only sister Purnima was to be married in the first week of December.  (Now the parents have passed away. Their only sister Purnima is alive. Purnima is the only woman to capture pictures of Rama and Sharat.) Another volunteer from Kendrapara (Sangram Keshari Mahapatra) was also shot in the stomach at the time.  I had read this from Rashtradeep.

 I will fulfill this point by putting my point on another topic.  Exactly two years later, there was another car service in Ayodhya.  The controversial structure was broken by the kar sevaks.  The union was banned.  After the ban was lifted, there was a meeting of province campaigners in Uttar Pradesh.  After the meeting, all the province preachers went to see the Ram Janmabhoomi.  The guides were telling them all the details.  When the guide said that Ram Kothari and Sharad Kothari were shot here, Harihar Da grabbed the mud and sat down, crying like a child.  Seeing them, the eyes of other province preachers also became saluted.  This mourning was natural… because Ram and Sharad are not only Hiralal ji… Volunteers for the Sangh are more precious than sons….

 

Sunday, July 19, 2020

देश हमें देता है सब कुछदेश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥धृ॥सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है । भूख मिटने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है ।औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥गरमी की तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया ।सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला ।त्यागी तरुओं के जीवन से, हम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , जो चुप हैं उनको वाणी दें ।पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँ, समरसता का भाव जगा दें ।हम मेहनत के दीप जलाकर, नया उजाला करना सीखें ॥३॥

देश हमें देता है सब कुछ




देश हमें देता है सब कुछहम भी तो कुछ देना सीखें ॥धृ॥

सूरज हमें रौशनी देताहवा नया जीवन देती है  
भूख मिटने को हम सबकीधरती पर होती खेती है 
औरों का भी हित हो जिसमेंहम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥

गरमी की तपती दुपहर मेंपेड़ सदा देते हैं छाया 
सुमन सुगंध सदा देते हैंहम सबको फूलों की माला 
त्यागी तरुओं के जीवन सेहम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥

जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , जो चुप हैं उनको वाणी दें 
पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँसमरसता का भाव जगा दें 
हम मेहनत के दीप जलाकरनया उजाला करना सीखें ॥३॥

Friday, July 17, 2020

the treatment OF CORONA

                              उपचार
1. विटामिन सी के लिए, आधे नींबू के साथ गर्म पानी थोड़ी देर के बाद दिया जाता है।

2. अदरक, गुड़ और घी की गोलियां दिन में तीन बार दी जाती हैं।

3. गर्म दूध में, हल्दी कोरोना के खिलाफ एक रक्षक के रूप में कार्य करता है।

4. गर्म पानी की भाप दिन में कम से कम एक बार उबकाई जाती है।

5. विटामिन बी की गोलियां 1-0-1 × 3 दिन तक ले सकते हैं।

6. सुबह 9:00 बजे 15-20 मिनट के लिए धूप में बैठें।

7. दालचीनी, लौंग, अदरक, हल्दी, अजवायन, तुलसी, पुदीना और गुड़ का अर्क उबालें और फिर नींबू डालकर पिएं। (दिन में 2 बार)

8. प्रतिदिन १.५ लीटर गुनगुना पानी पिएं और गर्म भोजन करें।

9. गर्म पानी की भाप दिन में 4 बार और अदरक के पानी की भाप 2 बार।

10. गर्म नींबू पानी, चाय जितना गर्म
(दिन में 3 से 4 बार।

11. खजूर, बादाम, अखरोट, सेब, पपीता विशेष देने के लिए।

कैसे पता चलेगा कि कोई कोरोना वायरस से संक्रमित है ?
1. गले में खुजली
2. सूखा गला
3. सूखी खांसी
4. उच्च तापमान- बुखार होता है
5. सांस की तकलीफ
6. गंध और स्वाद और सुनवाई हानि की भावना की कमी भी है।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी होता है, तो तुरंत नींबू के साथ गर्म पानी पीएं।

यह जानकारी अपने पास न रखें। इसे अपने सभी परिवार और दोस्तों को दें। यदि आप इस सलाह का पालन करते हैं, तो यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करेगा। अतः कृपया इन अधिकतम लोगों का अनुसरण करें और उन्हें प्रचारित करें।


the treatment
 1. For vitamin C, warm water with half a lemon is given after a while.

 2. Ginger, jaggery and ghee tablets are given thrice a day.

 3. In hot milk, turmeric acts as a protector against corona.

 4. Hot water steam is boiled at least once a day.

 5. Vitamin B pills can be taken for 1–1 × 3 days.

 6. Sit in the sun for 15-20 minutes at 9:00 am.

 7. Boil extracts of cinnamon, cloves, ginger, turmeric, parsley, basil, mint and jaggery and then drink it after adding lemon.  (2 times a day)

 8. Drink 1.5 liters of lukewarm water daily and eat hot food.

 9. Hot water steam 4 times a day and ginger water steam 2 times.

 10. Warm lemonade, as hot as tea
 (3 to 4 times a day.

 11. To give special dates, almonds, walnuts, apples, papaya.

 How to know if someone is infected with Corona virus?
 1. Itchy throat
 2. Dry throat
 3. Dry cough
 4. High Temperature - Fever
 5. shortness of breath
 6. There is also a lack of sense of smell and taste and hearing loss.

 If any of these symptoms occur, drink warm water with lemon immediately.

 Do not keep this information with you.  Give it to all your family and friends.  If you follow this advice, it will help boost your immune system.  So please follow these maximum people and promote them.

एक बार पढ़ियेगा जरूर Will definitely read once

एक बार पढ़ियेगा जरूर

*मैं बहुत सोचता हूं पर उत्तर नहीं मिलता* ... *आप भी इन प्रश्नों पर गौर करना कि*.......
*१*. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं...
*२*. जिस सम्राट का राज चिन्ह अशोक चक्र भारत देश अपने झंडे में लगता है.....
*३*.जिस सम्राट का राज चिन्ह चारमुखी शेर को भारत देश राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार
चलाती है और सत्यमेव जयते को अपनाया गया।
*४*. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर अशोक चक्र दिया जाता है ...
*५*. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक छत्री राज किया हो ...
*६*. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहासका सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं ...
*७*.जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव रहित थी ... 
*८*. जिस सम्राट के शासन काल जी टी रोड जैसे कई हाईवे रोड बने, पूरे रोड पर पेड़ लगाये गए, सराये बनायीं गईं इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी प्रथम बार हॉस्पिटल खोले गए, जानवरों को मारना बंद कर दिया गया ...
ऐसे महान सम्राट अशोक कि जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती, न कि कोई छुट्टी घोषित कि गई है अफ़सोस जिन लोगों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो लोग अपना इतिहास ही नहीं जानते और जो जानते हैं.. वो मानना नहीं चाहते ।
*1*. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर जो जीता वही सिकन्दर “कैसे” हो गया… ? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि…
सिकंदर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुये ही लड़ने से मना कर दिया था.. बहुत
ही बुरी तरह मनोबल टूट गया था… जिस कारण , सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्युकश कि बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी)
*2*. महाराणा प्रताप ”महान”
ना होकर ... अकबर ”महान” कैसे हो गया…? जब महाराणा प्रताप ने अकेले दम पर
उस अकबर के लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था) 
*3*. सवाई जय सिंह को “महान वास्तुप्रिय” राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार पर मिली
*4*. जो स्थान महान मराठा क्षत्रिय वीर शिवाजी को मिलना चाहिये वो … क्रूर और आतंकी औरंगजेब को क्यों और कैसे मिल गया ..? 
*5*. स्वामी विवेकानंद और आचार्य
चाणक्य की जगह… विदेशियों को हिंदुस्तान पर क्यों थोप दिया गया…? 

*6*. यहाँ तक कि….. राष्ट्रीय गान भी… संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह जन-गण-मन हो गया है कैसे और क्यों हो गया ..?
*7*. और तो और…. हमारे आराध्य भगवान् राम.. कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये पता ही नहीं चला … आखिर कैसे ? 
*8*. यहाँ तक कि…. हमारे आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या … भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी… हमें पता तक नहीं चला…


Will definitely read once

 * I think very much but the answer is not found * ... * You too should consider these questions that * .......
 * 1 *.  The emperor with whose name historians around the world put the word "great" ...
 * 2 *.  The emperor whose emblem of the Ashoka Chakra appears in the flag of India .....
 * 3 *. Government whose emperor's symbol is Charmukhi lion as national symbol of India
 And Satyamev Jayate was adopted.
 * ४ *.  The country where the army's greatest battle honor is given in the name of Emperor Ashoka, Ashoka Chakra ...
 * 5 *.  There was no king or emperor before or after whom an emperor has ruled a territory as large as unbroken India (present-day Nepal, Bangladesh, the whole of India, Pakistan and Afghanistan).
 * ६ *.  The reign of the emperor, whose intellectuals and historians of the world considered the golden period of Indian history ...
 * ७ *. During the reign of the emperor, India was the world guru, the golden bird, the public was happy and free from discrimination.
 * ८ *.  In the reign of the Emperor, many highway roads like GT Road were built, trees were planted on the whole road, people were made inns, even hospitals were opened for human beings for the first time, killing animals was stopped ...
 Why the birth anniversary of such great emperor Ashoka is not celebrated in his own country India, not a holiday has been declared. Sad people who should celebrate this birth anniversary, they do not know their history and those who know .. They do not want to believe  .
 * 1 *.  Whoever won and not Chandragupta, who won the same Alexander became "how"?  (While everyone knows that…
 Alexander's army refused to fight due to the influence of Chandragupta Maurya .. Many
 The morale was severely broken… due to which, Alexander married Chandragupta, the daughter of his commander, Selyukash, as a friend).
 *2*.  Maharana Pratap "great"
 No… How did Akbar become “great”…?  When Maharana Pratap single-handedly
 Brought the army of millions of that Akbar to his knees)
 * 3 *.  On what basis did Shah Jahan get this title by not calling Sawai Jai Singh a "great architect"
 * 4 *.  The place which the great Maratha Kshatriya Veer Shivaji should get… Why and how did Aurangzeb find the cruel and terrorist ..?
 * 5 *.  Swami Vivekananda and Acharya
 In place of Chanakya… why foreigners were imposed on Hindustan…?

 * 6 *.  Even… ..the national anthem too… Jan-gana-mana has become in place of Vande Mataram of Sanskrit, how and why it has happened ..?
 * 7 *.  over and above….  Our adorable Lord Rama .. Krishna did not know where and when he disappeared from history… How?
 * 8 *.  Even….  Holy Ayodhya, the birthplace of our adorable Lord Ram… also when and how it was disputed… We did not even know…

समाचार - समीक्षा 7 जुलाई 2020 News - Review

समाचार - समीक्षा 

7 जुलाई 2020

पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की शासन व्यवस्था में  जो परिवर्तन किया गया उसके सुखदाई परिणाम सामने आने लगे हैं।  जैसा कि इसी स्तंभ में पहले भी लिखा जा चुका है कि असंवैधानिक धारा 35A  के कारण वहां समाज का एक बड़ा वर्ग नागरिक अधिकारों से वंचित था और वह लंबे समय तक उस राज्य के निवासी होने के बावजूद ना सरकारी सुविधाओं का उपयोग कर सकता था और  सरकारी नौकरी, स्कॉलरशिप, शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश आदि सभी चीजों से वंचित था,  यहां तक की वह स्थानीय निकायों और विधानसभा चुनाव में भी मतदान नहीं कर सकता था।  इनमें पश्चिमी पंजाब से आए हुए विस्थापित, पंजाब से आग्रह पूर्वक लाए गए वाल्मीकि समाज के लोग तथा राज्य की अस्मिता के लिए लड़ने वाले गोरखा सैनिक और उनके वंशज भी थे। वहां की प्रशासनिक व्यवस्था में बदल के साथ ही धारा 35A स्वतः निरस्त हो गयी। अभी दिनांक 27 जून को जम्मू कश्मीर के कमिश्नर के ऑफिस में एक विशेष कार्यक्रम आयोजन कर 1957 से संघर्षरत वाल्मीकि समाज के लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने प्रारंभ हुए तो लोगों की आंखों में खुशी के आंसू उमड़ पड़े। वाल्मीकि समाज से संबंधित राधिका 2018 में राज्य की श्रेष्ठ एथलीट घोषित की गई, पर उस काले कानून के चलते वह सफाई कर्मचारी के अलावा किसी भी नौकरी के लिए अयोग्य ही थी। अन्य भी अनेक उच्च शिक्षा प्राप्त युवक किन्तु परमानेंट  रेजिडेंट्स सर्टिफिकेट ना होने के कारण किसी भी नौकरी के योग्य नहीं माने जाते थे। इस भेदभाव पूर्ण और समाज को त्रस्त करने वाले कानून को निरस्त होने का हमें अति आनंद है। हम केंद्र सरकार और उसके कर्ताधर्ताओं को धन्यवाद देते हैं और समाज से अपेक्षा करते हैं कि वह इस प्रकार के सभी विषयों पर ठीक से जागृत होकर जो आवश्यक है वह करें।

देश के पहले प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने देश को कई गहरे जख्म दिए। वे बीच-बीच में हरे होते जाते हैं और उनसे खून और बदबूदार मवाद रिसने लगता है। वे स्वप्न दृष्टा थे। ऐसे ही लोगों को सनकी कहते हैं। कभी-कभी यह सनक पागलपन बन जाती है। जख्म पककर नासूर बन जाते हैं और शल्य क्रिया द्वारा भी उनका इलाज कठिन हो जाता है। कश्मीर का मामला ऐसा ही है। अभी उसके विस्तार में जाना ठीक नहीं है, पर 5 अगस्त 2019 को धारा 370, 35A आदि निरस्त कर जो शल्य क्रिया की गई, दो अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए, उससे समस्या का कुछ तो हल हुआ पर वह पूरी तरह काबू में आ गई, ऐसा कहना कठिन होगा। अभी भी वहां बीच-बीच में आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं। हम वहां सुरक्षा बलों की संख्या कम करने की भी स्थिति में नहीं आ पाए। बहुत बड़ा भूभाग चीन और पाकिस्तान के कब्जे में है। वर्तमान में लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में चीनी अतिक्रमण और आक्रमण हो रहा है, वह भी नेहरू जी की अदूरदृष्टि का ही परिणाम है। भारत और चीन के बीच तिब्बत  स्वतंत्र और सार्वभौम राज्य था। वह भारत के अति निकट था। यहां तक की 29 अप्रैल 1954 को बीजिंग में भारत तिब्बत संबंधों को लेकर जो समझौता हुआ उसमें कुल 6 अनुच्छेदों में से 5 में कहा गया है कि भारत तिब्बत संबंध लगभग पूर्ववत चलते रहेंगे।

 नेहरू जी कम्युनिज्म से बहुत प्रभावित थे और अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि और उदारता को लेकर आत्ममुग्ध रहते थे। इसी के चलते चीन द्वारा चालाकी से धीरे-धीरे तिब्बत को कबजाने की प्रक्रिया वह  चुपचाप देखते रहे। 1952 - 53 में चीन में भारतीय राजदूत ने कम्युनिस्ट चीन की मंशा के  विषय में चेतावनी दे दी थी। मुझे स्मरण आता है कि संघ में एक गीत है, "है देह विश्व,  आत्मा है भारत माता"। पहले इस गीत में चीन बंधुवर शब्द आता था। श्री गुरु जी के बौद्धिक के पहले एक स्वयंसेवक जब वह गीत गा रहा था तो गुरु जी ने उसे बीच में ही रुकवा दिया और कहा जो चीन हमारा बंधु था वह अब अस्तित्व में नहीं है। यह चीन तो कभी हमारे शत्रु रूप में खड़ा होगा।  तिब्बत पर चीन के आधिपत्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में भारत था। इसी प्रकार चीन को संयुक्त राष्ट्र  महासभा की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने में भी भारत की भूमिका अग्रगण्य थी। 

गांव में एक कहावत है जब जागो तभी सवेरा। अब भी समय है। भारत में दलाई लामा की अगुवाई में तिब्बत की निर्वासित सरकार है। तिब्बत की जनता चीन के चंगुल से निकलने के लिए व्यग्र है। वह किसी भी बलिदान से हिचकेगी नहीं। अंतरराष्ट्रीय बिरादरीं में हमें तिब्बत का पक्ष जोर शोर से रखना होगा। तिब्बत जैसे क्षेत्रों की सहायता किस प्रकार कूटनीति स्तर पर और अन्य अनेक प्रकार से की जा सकती है, यह हमारे राजनेता और डिप्लोमेट अच्छी तरह जानते हैं। 

भारत में भी व्यापक जन जागरण करना होगा ताकि राजीव गांधी फाऊंडेशन जैसे संदिग्ध निष्ठा के लोग और संस्थाएं अलग-थलग पड़ जाए। 

अपेक्षा है कि इस विषय के सभी पक्षों को लेकर विस्तृत चर्चा व बातचीत हो। 


News - Review

 7 July 2020

 On August 5, 2019, the changes made in the governance of Jammu and Kashmir have started to bring good results.  As has been written earlier in the same column that a large section of the society was deprived of civil rights due to unconstitutional section 35A and could not use government facilities and government despite being a resident of that state for a long time.  Jobs, scholarships, admission in educational institutions, etc. were deprived of everything, even it could not vote in local bodies and assembly elections.  Among them were the displaced from western Punjab, the people of Valmiki society who were brought in from Punjab, and the Gorkha soldiers and their descendants who fought for the identity of the state.  With the change in the administrative system, Section 35A was automatically repealed.  On 27th June, by organizing a special program in the office of the Commissioner of Jammu and Kashmir, from 1957, when people started giving domicile certificates to the people of the struggling Valmiki society, tears of joy arose in the eyes of the people.  Radhika, who belongs to Valmiki Samaj, was declared the best athlete in the state in 2018, but due to that black law she was ineligible for any job other than as a sweeper.  Many other highly educated youths, but were not eligible for any job due to lack of permanent resident certificate.  We have great pleasure in repealing this discriminatory and law-destroying society.  We thank the Central Government and its personnel and expect the society to do what is necessary by awakening properly on all such topics.

 The country's first Prime Minister, Jawaharlal Nehru, gave many deep wounds to the country.  They become green from time to time, and blood and smelly pus begins to seep from them.  He was a dreamer.  Such people are called eccentric.  Sometimes this craze becomes madness.  Wounds become canker sores and they are difficult to treat even by surgery.  Such is the case of Kashmir.  It is not right to go into its detail right now, but on 5 August 2019, the operation done by repealing Section 370, 35A etc., two separate union territories were created, it solved some of the problem but it was completely under control.  , It would be difficult to say so.  Still there are frequent terrorist incidents.  We have not been able to reduce the number of security forces there.  A large area is under the occupation of China and Pakistan.  At present, Chinese encroachment and invasion is taking place in some areas of Ladakh, that too is the result of Nehru's short-sightedness.  Tibet was an independent and sovereign state between India and China.  He was very close to India.  Even in the agreement reached in Beijing on 29 April 1954 on Indo-Tibetan relations, 5 out of a total of 6 paragraphs have been stated that Indo-Tibetan relations will continue to go almost the same way.

  Nehru was very much influenced by communism and was self-conscious about his international image and generosity.  Because of this, he kept watching silently the process of gradually ceding Tibet to China.  In 1952 - 53, the Indian Ambassador to China warned about the intention of Communist China.  I remember that there is a song in the Sangh, "Hai Deh Vishwa, Atma Hai Bharat Mata".  Earlier this song used to contain the word China Bandhuvar.  Before Shri Guru Ji's intellectual, a volunteer was singing the song while Guruji stopped him in the middle and said that China which was our brother is no longer in existence.  This China will sometimes stand as our enemy.  India was among the first countries to recognize China's suzerainty over Tibet.  Likewise, India's role in making China a permanent member of the Security Council of the United Nations General Assembly was pioneering.

 There is a saying in the village when wake up then morning.  There is still time  India has an exile government in Tibet headed by the Dalai Lama.  The people of Tibet are anxious to get out of the clutches of China.  She will not hesitate from any sacrifice.  In the international fraternity, we have to loudly favor Tibet.  Our politicians and diplomats are well aware of how diplomatic areas like Tibet can be helped and in many other ways.

 Massive public awareness has to be done in India too so that people and institutions of dubious loyalty like the Rajiv Gandhi Foundation are isolated.

 It is expected that there should be a detailed discussion and discussion on all aspects of this subject.

Wednesday, July 15, 2020

2020/7/16 श्रावण कृष्ण एकादशी कथा का माहात्म्य

श्रावण कृष्ण एकादशी कथा का माहात्म्य


 

कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन, आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास्य माहात्म्य मैंने भली प्रकार से सुना। अब कृपा करके श्रावण कृष्ण एकादशी का क्या नाम है, सो बताइए।

 

श्रीकृष्ण भगवान कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही मैं तुमसे कहता हूं। नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा था कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम है? क्या विधि है और उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा करके कहिए।

 

नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोकों के हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।


जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।

 

जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फंसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।

 

हे नारद! स्वयं भगवान ने यही कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से।

 

तुलसी दल पूजन का फल चार भार चांदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूं। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएं नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।

 

कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।

 

ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है। 



TRANSLATION
The significance of the story of Shravan Krishna Ekadashi




 Kuntiputra Dharmaraja Yudhishthira started saying that, O God, I have heard the blessings of Ashadha Shukla Devshayani Ekadashi and Chaturmasya Mahatmya.  Now please tell me what is the name of Shravan Krishna Ekadashi.



 Lord Krishna started saying, O Yudhishthira!  Once upon a time, Lord Brahma himself told the story of this Ekadashi to Devarshi Narada, that is what I tell you.  Naradji had asked Brahma, O father!  I wish to hear the story of Ekadashi of Krishna Paksha of Shravan month, what is its name?  What is the method and what is its significance, so please say.



 Hearing these words of Naradji, Brahma said - O Narada!  You have asked a very beautiful question for the interest of the people.  The name of Krishna Ekadashi of Shravan month is Kamika.  Just by listening to it, you get the result of Vajpayee Yagya.  On this day, Shankha, Chakra, Gadadhari is worshiped by Lord Vishnu, whose names are Sridhar, Hari, Vishnu, Madhav, Madhusudan.  Listen to the fruits that result from worshiping them.


 The fruit that is obtained from bathing in Ganga, Kashi, Naimisharanya and Pushkar, is obtained by worshiping Lord Vishnu.  The fruit which is not obtained by bathing in Kurukshetra and Kashi on sun and lunar eclipse, donating earth including sea, forest, Godavari in Jupiter of Leo zodiac and bathing in Gandaki river also gets worship from Lord Vishnu.



 Those who worship God in Shravan, God, Gandharva and Surya etc. are all worshiped by them.  Therefore, humans who are afraid of sins, must observe Kamika Ekadashi fast and worship Lord Vishnu.  The fast of this Ekadashi and worship of Lord Vishnu is very important for the people trapped in the mud of sin and immersed in the ocean of the world.  Beyond this, there is no way to destroy sins.



 Hey Narada!  God Himself has said that the creature does not get Kuyoni by fasting.  People who devoutly offer Tulsi party to Lord Vishnu on this Ekadashi stay away from all the sins of this world.  Vishnu is not so much pleased with the God Ratna, pearl, gem and jewelery etc. as with the Tulsi group.



 The fruit of Tulsi Dal Pujan is equal to the donation of four weights of silver and one weight of gold.  Hey Narada!  I always greet the Tulsi, the beloved of God.  All the tortures of humans are destroyed by watering the basil plant.  By the mere sight, all sins are destroyed and by touch a person becomes pure.



 Even on the night of Kamika Ekadashi, Chitragupta can not say the glory of the lamp and the fruits of awakening.  Those who light a lamp in the temple of God on the night of this Ekadashi, their ancestors take amritpana in heaven and those who light a lamp of ghee or oil are illuminated with hundred crores of lamps and go to the sun.



 Brahma says, O Narada!  This Kamika Ekadashi, which destroys sins such as bravery and feticide, should be observed diligently.  A person who listens to and observes the fast of Kamika Ekadashi goes to Vishnu Lok free from all sins.



Thursday, July 9, 2020

भारत हमारी माँ है माता का रूप प्याराकरना इसी की रक्षा कर्तव्य है हमारा ॥

भारत हमारी माँ है माता का रूप प्यारा
करना इसी की रक्षा कर्तव्य है हमारा ॥धृ॥

जननी समान धरती जिस पे जनम लिया है
निज अन्न वायु जल से जिसने बडा किया है
जीवन वो कैसा जीवन इसपे अगर न वारा ॥१॥

स्वरणिम प्रभात जिस की अमृत लुटाने आए
जहाँ सांझ मुस्कुराकर दिन की थकन मिटाए
दिन रात का चलन भी जहाँ शेष जग से न्यारा ॥२॥

जहाँ घाम भीगा पावस भिनी शरद सुहाये
बीते शिशिर को पतझड देकर वसन्त जाये
जिसे धूप छांव वर्षा हिमपात ने सँवारा ॥३॥

पावन पुनीत मा का मंदिर सहज सुहाना
फिर से लुटे न बेटो तुम नींद मे न खोना
जागृत सुतों का बल ही मा का सदा सहारा ।४॥

Transliteration:
bhārata hamārī mā hai mātā kā rūpa pyārā
karanā isī kī rakṣā kartavya hai hamārā ||dhṛ||

jananī samāna dharatī jisa pe janama liyā hai
nija anna vāyu jala se jisane baḍā kiyā hai
jīvana vo kaisā jīvana isape agara na vārā ||1||

svaraṇima prabhāta jisa kī amṛta luṭāne āe
jahā sāṁjha muskurākara dina kī thakana miṭāe
dina rāta kā calana bhī jahā śeṣa jaga se nyārā ||2||

jahā ghāma bhīgā pāvasa bhinī śarada suhāye
bīte śiśira ko patajhaḍa dekara vasanta jāye
jise dhūpa chāṁva varṣā himapāta ne savārā ||3||

pāvana punīta mā kā maṁdira sahaja suhānā
phira se luṭe na beṭo tuma nīṁda me na khonā
jāgṛta sutoṁ kā bala hī mā kā sadā sahārā |4||

Wednesday, July 8, 2020

7/7/2020 SANGEETMALAदृढसंकल्प हमारा है।चहुँओर से संकट की, छायाने हमको घेरा है।पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।

दृढसंकल्प हमारा है।


चहुँओर से संकट की, छायाने हमको घेरा है।
पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।। धृ ।।

कितना लंबा होगा संगर, आज हमें यह ज्ञात नहीं ।
कालहरण कितना भी हो पर, साध्य हमारा स्पष्ट सही ।।
क्रियाशील रहने के व्रतको, हम सबने स्वीकारा है ।
पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।। १ ।।

मेलजोल पर है पाबंदी, फिर भी स्नेह खिलायेंगे ।
आभासी पर आत्मीयता से, निर्मल हृदय मिलायेंगे ।।
जो जो वंचित, उस की सेवा, व्रत अपना असिधारा है ।
पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।। २ ।।

रहे न कोई भूखा नंगा रहे न कोई  प्यासा ।
स्नेहामृत से सब के मन में, कर दे अंकुरित आशा ।।
कण कण में है प्रकाश भरना, करना दूर अंधेरा है ।
पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।। ३ ।।

देवोंका वरदान प्राप्त है, ऋषियोंका आशीष हमें ।
कदम उठाया है बढने को, अब न रूके हम झुके..थमे ।।
नही थकेंगे प्रण है जबतक, जयसंकल्प अधूरा है।
पूर्ण शक्तिसे दुःख हटाना, दृढसंकल्प हमारा है ।। ४ ।।


ENGHITRANSLATION 

drdhasankalp hamaara hai.   chahunor se sankat kee, chhaayaane hamako ghera hai. poorn shaktise duhkh hataana, drdhasankalp hamaara hai .. dhr ..  kitana lamba hoga sangar, aaj hamen yah gyaat nahin . kaalaharan kitana bhee ho par, saadhy hamaara spasht sahee .. kriyaasheel rahane ke vratako, ham sabane sveekaara hai . poorn shaktise duhkh hataana, drdhasankalp hamaara hai .. 1 ..  melajol par hai paabandee, phir bhee sneh khilaayenge . aabhaasee par aatmeeyata se, nirmal hrday milaayenge .. jo jo vanchit, us kee seva, vrat apana asidhaara hai . poorn shaktise duhkh hataana, drdhasankalp hamaara hai .. 2 ..  rahe na koee bhookha nanga rahe na koee  pyaasa . snehaamrt se sab ke man mein, kar de ankurit aasha .. kan kan mein hai prakaash bharana, karana door andhera hai . poorn shaktise duhkh hataana, drdhasankalp hamaara hai .. 3 ..  devonka varadaan praapt hai, rshiyonka aasheesh hamen . kadam uthaaya hai badhane ko, ab na rooke ham jhuke..thame .. nahee thakenge pran hai jabatak, jayasankalp adhoora hai. poorn shaktise duhkh hataana, drdhasankalp hamaara hai .. 4 ..


TRANSLATION


Our determination is ours.


 We are surrounded by distress from the crisis.
 Removing sorrow with full power, determination is ours.  Dhr.

 How long will the Sangar, we do not know today.
 No matter how long the call is, our clear right is feasible.
 We have accepted the vow of staying active.
 Removing sorrow with full power, determination is ours.  1.

 Restrictions on social interaction, yet will feed you with affection.
 By affinity on the virtual, the pure heart will shake.
 The fast, the service of the one who is deprived, is his fault.
 Removing sorrow with full power, determination is ours.  2.

 There should not be anyone hungry or someone thirsty.
 From Snehamrit in everyone's mind, give hope to sprouted.
 Particle is filled with light, it is far to dark.
 Removing sorrow with full power, determination is ours.  3.

 The blessing of the sages is upon us.
 We have taken the step to increase, now we do not stop.
 Will not be tired unless there is complete incomes.
 Removing sorrow with full power, determination is ours.  4.

Tuesday, July 7, 2020

7/7/2020 माता यशोदा ने कान्हा को लगाया था छप्पन भोग Mata Yashoda had planted Kanha Chappan Bhog

माता यशोदा ने कान्हा को लगाया था छप्पन भोग 
गोवर्धन पूजा के दौरान छप्पन भोग बना कर भगवान को भोग लगाने की भी परंपरा है । इस अन्नकूट महोत्सव के 56 भोगों में प्रकृति में मिलने वाले छह प्रमुख रसों- कड़वा , तीखा , कसैला , अम्ल , नमकीन और मीठे का समावेश होता है । इन षड् रसों को समायोजित कर 56 व्यंजन बनाए जाते हैं । 1. भक्त ( भात ) , ठाकुर का छप्पनत्यंजनों से सजा भेग 2. सूप ( दाल ) , 3. प्रलेह ( चटनी ) , 4 . सदिका ( कढ़ी ) , 5. दधिशाकजा ( दही - शाक की कढ़ी ) , 6. सिखरिणी ( सिखरन ) , 7. अवलेह ( शरबत ) , 8. बालका ( बाटी ) , 9. इक्षु खेरिणी ( मुरब्बा ) , 10. त्रिकोण ( शर्करा युक्त ) , 11. बटक ( बड़ा ) , 12. मधु शीर्षक ( मठरी ) , 13. फेणिका ( फेनी ) , 14. परिष्टश्च ( पूरी ) , 15. शतपत्र ( खजला ) , 16. सधिद्रक ( घेवर ) , 17. चक्राम ( मालपुआ ) , 18. चिल्डिका ( चोला ) , 19. सुधाकुंडलिका ( जलेबी ) , 20. धृतपूर ( मेसू ) , 21. वायुपूर ( रसगुल्ला ) , 22. चंद्रकला ( पगी हुई ) , 23. दधि ( महारायता ) , 24. स्थूली ( थूली ) , 25. कर्पूरनाड़ी ( लौंगपूरी ) , 26. खंड मंडल ( खुरमा ) , 27. गोधूम ( दलिया ) , 28. परिखा , 29. सुफलाढया ( सौंफ युक्त ) , 30 . दधिरूप ( बिलसारू ) , 31. मोदक ( लड्डू ) , 32. शाक ( साग ) , 33. सौधान ( अधानी अचार ) , 34. मंडका ( मोठ ) , 35. पायस ( खीर ) , 36. दधि ( दही ) , 7 . गोघृत ( गाय का घी ) , 38. हैयंगपीनम ( मक्खन ) , 39. मंडूरी ( मलाई ) , 40. कूपिका ( रबड़ी ) , 41 , पर्पट ( पापड़ ) , 42. शक्तिका ( सीरा ) , 43. लसिका ( लस्सी ) , 44 . सुवत , 45. संघाय ( मोहन ) , 46 , सुफला ( सुपारी ) , 47. सिता ( इलायची ) , 48 . फल , 49. तांबूल , 50. मोहन भोग , 51. लवण , 52. कषाय , 53. मधुर , 54. तिक्त , 55. कटु और 56 , अम्ल । महाप्रभु वल्लभाचार्य के समय सखड़ी , अनसखड़ी और दूध की कतिपय सामग्री तथा फल मेवा का भोग लगाया जाता था । गोसांई विट्ठलनाथजी ने 56 भोग का बड़ा विस्तार किया था ।



Mata Yashoda had planted Kanha. Chappan Bhog


 There is also a tradition of offering Chappan Bhog during the Govardhan Puja and offering it to God.  The 56 bhogas of this Annakoot festival consist of six major juices found in nature - bitter, pungent, astringent, acid, salty and sweet.  56 dishes are made by adjusting these dishes.  1. Bhakta (bhaat), Thakur's decorating with fifty six pieces 2. Soup (lentils), 3. Pralah (chutney), 4.  Sadika (Kadhi), 5. Dadhishakaja (Dahi - Shak Ki Kadhi), 6. Sikhrini (Sikhran), 7. Avleh (Sharbat), 8. Balaka (Bati), 9. Ikshu Kherini (Murba), 10. Triangle (Shirk)  Containing), 11. Batak (big), 12. Madhu title (Mathri), 13. Fenika (feni), 14. Parshishta (Puri), 15. Shatapatra (Khajala), 16. Sadhidraka (Ghevar), 17. Chakram (  Malpua), 18. Childika (Chola), 19. Sudha Kundalika (Jalebi), 20. Dhritpur (Mesu), 21. Vaypur (Rasgulla), 22. Chandrakala (Pagi), 23. Dadhi (Maharayata), 24. Stodgy (  Thuli), 25. Karpoornadi (Longepuri), 26. Khand Mandal (Khurma), 27. Godhum (porridge), 28. Parikha, 29. Suphaladhaya (containing fennel), 30.  Dadhirupa (Bilasaru), 31. Modak (Laddu), 32. Shak (Saag), 33. Saudhan (Adhani Pickle), 34. Mandaka (Moth), 35. Payas (Kheer), 36. Dadhi (Curd), 7.  Goghrit (cow's Ghee), 38. Haiyangapinam (Butter), 39. Manduri (Malai), 40. Kupika (Rabri), 41, Parpat (Papad), 42. Shaktika (Sira), 43. Lasika (Lassi), 44  .  Suvat, 45. Sanghay (Mohan), 46, Sufla (Supari), 47. Sita (Cardamom), 48.  Fruits, 49. Tambool, 50. Mohan Bhoga, 51. Salts, 52. Kashay, 53. Madhur, 54. Tikt, 55. Katu and 56, Acids.  At the time of Mahaprabhu Vallabhacharya, some ingredients of sakhadi, unsakhadi and milk and fruit nuts were offered.  Gosain Vitthalnathji had made a great expansion of 56 bhoga.

Monday, July 6, 2020

किस रज से बनते कर्मवीर ... भाग १

किस रज से बनते कर्मवीर ... भाग १

मैं सुबह नहाकर थोड़ा पूजा पाठ करके भोजन करने बैठा ही था कि तभी मोबाइल की घंटी बजी मैंने अपनी पत्नी को बोला कि जरा फोन उठाना वो कहती है रोटी खा लो फिर दिन भर फोन पर ही बात करनी है इस लॉक डाउन में और काम ही क्या है ..?
फोन मित्र विनोद का था वो संघ का कार्यकर्ता जो आजकल दिन रात निरर्थक समाज सेवा में लगा हुआ था मैं भी उस पर चिढ़ता रहता था कि तुम ही क्यों फालतू परेशान हो रहे हो सबका पेट भरना तो सरकार का काम है तुम्हे कोरोना हो गया तो...
पहिले मन मे आया कि भोजन के बाद बात कर लेंगे पर मन नही माना और फोन उठाया तो उसकी आवाज आई " कहाँ..? घर पर ही हो' मैंने कहाँ हाँ घर पर ही हूँ " उसने बोला "अपने यहां तो सभी अभावग्रस्त परिवारों को राशन पैकिट मिल गए कोई छूट तो नहीं गया.. ?" मैंने कहा कि उसकी गली में तो सब सक्षम है किसी को जरूरत नहीं है उसने कहा "अरे भाई जरा ध्यान लगाकर सोचो वो कोने पर प्रेस करने वाला रहता है उसके यहां कल राशन नहीं था रात को पता चला तो साढ़े दस बजे राशन पैकिट देने गया तब उनके यहां रोटी बनी कोई और ऐसा ध्यान में आये तो बताना" ऐसा कहकर उसने फोन काट दिया भोजन की थाली सामने थी पत्नी लगभग झल्लाते हुए बोली फोकट की बातें बाद में करना पहिले भोजन कर लो ....
मेरा मन सोचने के लिए विवश हो गया था कि मेरी गली में कोई भूखा था मुझे पता नहीं पड़ा और वो दूसरे मुहल्ले से आकर उसे राशन दे गया मैं अपने आप को कितना अच्छा समझता था समय पर घर आना अपने काम से मतलब रखना.. बस । समाज की चिंता मैं क्यों करूँ समाज हमे खाने को दे रहा है क्या ? ऐसा ही सोचता था मैं... अचानक फिर मोबाइल की घंटी बजी फिर से विनोद का ही फोन था..
उसने बड़े संकोच करके कहा " अरे यार एक दिक्कत आ गयी इसके लिए फोन लगाया था पर मैं कह नहीं पाया कल रात को तो घर पर कुछ चावल रखे थे तो काम चल गया था आज मुहल्ले में भोजन पैकिट बांट कर लौटा तो पत्नी ने मुझे देखा और रो पड़ीं मुझसे रहा नहीं गया तुझे फोन लगाया और बता भी नहीं पाया आज घर की स्थिति काफी नाजुक है इस लोक डाउन में आय का कोई साधन है नहीं .. इसके बाद काम करके मैं तुम्हे लौटा दूँगा ।ऐसे शब्द सुनते ही मैं बोल पड़ा कि यार तू तो संघ का अच्छा जिम्मेदार करता है और हां तुम तो रोज ही कई सारे पैकेट भोजन के पैकेट बांटते हो इतना सारा लोगों को दे रहे हो तो उसमें से कुछ पैकेट अपने घर में भी रख लो इसमें क्या समस्या है ..?
नहीं यार वो पैकिट अभावग्रस्त लोगों की सूची है उनके लिए है और संघ ने तो यही सिखाया कि स्वयंसेवक वो होता है जो अपने घर का खाकर समाज का काम करता है लंबी सांस लेते हुए उसने कहा कि यार संघ के काम को तुम नहीं समझोगे । मेरे पास 50 भोजन के पैकेट बांटने की जिम्मेदारी है और मैं वह सभी राशन के पैकेट सूचीबद्ध अभावग्रस्त लोगों को नियमित पहुंचाता हूं एक भी पैकेट अगर समय पर नहीं पहुंचा तो वो परिवार भूखा ही रह जायेगा संघ के स्वयंसेवक के रहते हिंदू समाज भूखा रह रह गया तो स्वयं सेवक के जीवन की सार्थकता ही क्या है यह जो राशन पैकेट है वह स्वयंसेवकों के लिए नहीं है समाज के लिए हैं ।
भोजन थाली में लगभग ठंडा हो चुका था, मैं उठकर रसोई में गया एक झोले में दाल चावल,तेल और आटा रखा और विनोद के घर की ओर निकल पड़ा आज मन को बहुत ही अच्छा लग रहा था क्योंकि विनोद के घर की ओर बढ़ते हर कदम पर मैं स्वयंसेवक बन रहा था और मन में एक ही भाव बार बार हिलोरे मार रहा था .. किस रज से बनते कर्मवीर।

Sunday, July 5, 2020

6/7/2020 suvhashit geet

सुभाषित (व्यवसायी)
(1 जुलाई से १५ जुलाई तक)
ज्ञान शक्ति समारूढ़ः, तत्वमाला विभूषित:।
भुक्ति-मुक्ति प्रदाता च, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
भावार्थ: जो ज्ञान शक्ति से परिपूर्ण हैं, परम तत्व से विभूषित एवं भोग और मोक्ष को देने वाले हैं उन श्री गुरुदेव को मेरा नमस्कार है।

सुभाषित (विद्यार्थी)
(1 जुलाई से १५ जुलाई तक)
सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥
भावार्थ: सब पृथ्वी को कागज, सब जंगल को कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते।

गीत👇

*गीत (व्यवसायी)*

हम करें राष्ट्र आराधन।
तन से, मन से, धन से,
तन मन धन जीवन से,
हम करें राष्ट्रआराधन…।।धृ.।।
अन्तर से, मुख से, कृति से,
निश्चल हो निर्मल मति से,
श्रद्धा से मस्तक नति से, हम करें राष्ट्र अभिवादन ।१।

अपने हँसते शैशव से,
अपने खिलते यौवन से,
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से, हम करें राष्ट्र का अर्चन ।२।

अपने अतीत को पढ़कर,
अपना इतिहास उलटकर,
अपना भवितव्य समझकर, हम करें राष्ट्र का चिंतन ।३।

हैं याद हमें युग युग की, जलती अनेक घटनायें,
जो माँ के सेवा पथ पर आईं बनकर विपदायें,
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशोणित से,
हमने श्रृंगार किया था, माता का अरिमुंडो से,
हमने ही इसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन,
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन,
अब काल चक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन,
अपना तन मन धन देकर, हम करें पुन: संस्थापन ।४।
हम करें राष्ट्र आराधन..

*गीत (विद्यार्थी)*

आज हिमालय की चोटी से ध्वज भगवा लहराएगा
 जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा॥
 इस झंडे की महिमा देखो रंगत अजब निराली है,  
इस पर तो ईश्वर ने डाली सूर्योदय की लाली है ,
प्रखर अग्नि में इसकी पड़ शत्रु स्वाहा हो जाएगा ॥ १।।
ध्वज भगवा लहराएगा,
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा ।
इस झंडे को चंद्रगुप्त ने हिंदूकुश पर लहराया ,
मरहट्ठों ने मुगल तख्त को चूर चूर कर दिखलाया, 
मिट्टी में मिल जाएगा जो इसको अकड़ दिखाएगा॥२।।
ध्वज भगवा लहराएगा,
जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा! 
इस झंडे की खातिर देखो प्राण दिए झांसी रानी, 
हमको भी यह व्रत लेना है सूली हो या हो फांसी, 
बच्चा-बच्चा वीर बनेगा अपना रक्त बहाएगा॥३।।
ध्वज भगवा लहराएगा, 

जाग उठा है हिंदू फिर से भारत स्वर्ग बनाएगा॥

😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😚😚😚


subhaashit (vyavasaayee)  
(1 julaee se 15 julaee tak)

  gyaan shakti samaaroodhah, tatvamaala vibhooshit:.  bhukti-mukti pradaata ch, tasmai shree guruve namah..  bhaavaarth: jo gyaan shakti se paripoorn hain, param tatv se vibhooshit evan bhog aur moksh ko dene vaale hain un shree gurudev ko mera namaskaar hai.   


subhaashit (vidyaarthee)  (1 julaee se 15 julaee tak) 

 sab dharatee kaagaj karoon, likhanee sab banaraay.  saat samudr kee masi karoon, guru gun likha na jaay.  bhaavaarth: sab prthvee ko kaagaj, sab jangal ko kalam, saaton samudron ko syaahee banaakar likhane par bhee guru ke gun nahin likhe ja sakate.



   geet👇 

  *geet (vyavasaayee)*  

 ham karen raashtr aaraadhan.  tan se, man se, dhan se,  tan man dhan jeevan se,  ham karen raashtraaraadhan…..dhr...  


antar se, mukh se, krti se,  nishchal ho nirmal mati se,  shraddha se mastak nati se, ham karen raashtr abhivaadan .1.   apane hansate shaishav se,  apane khilate yauvan se,  praudhata poorn jeevan se, ham karen raashtr ka archan .2.   apane ateet ko padhakar,  apana itihaas ulatakar,  apana bhavitavy samajhakar, ham karen raashtr ka chintan .3.   hain yaad hamen yug yug kee, jalatee anek ghatanaayen,  jo maan ke seva path par aaeen banakar vipadaayen,  hamane abhishek kiya tha, jananee ka arishonit se,  hamane shrrngaar kiya tha, maata ka arimundo se,  hamane hee ise diya tha, saanskrtik uchch sinhaasan,  maan jis par baithee sukh se, karatee thee jag ka shaasan,  ab kaal chakr kee gati se, vah toot gaya sinhaasan,  apana tan man dhan dekar, ham karen pun: sansthaapan .4.  ham karen raashtr aaraadhan..   *geet (vidyaarthee)*   aaj himaalay kee chotee se dhvaj bhagava laharaega   jaag utha hai hindoo phir se bhaarat svarg banaega.   is jhande kee mahima dekho rangat ajab niraalee hai,    is par to eeshvar ne daalee sooryoday kee laalee hai ,  prakhar agni mein isakee pad shatru svaaha ho jaega . 1..  dhvaj bhagava laharaega,  jaag utha hai hindoo phir se bhaarat svarg banaega .  is jhande ko chandragupt ne hindookush par laharaaya ,  marahatthon ne mugal takht ko choor choor kar dikhalaaya,   mittee mein mil jaega jo isako akad dikhaega.2..  dhvaj bhagava laharaega,  jaag utha hai hindoo phir se bhaarat svarg banaega!   is jhande kee khaatir dekho praan die jhaansee raanee,   hamako bhee yah vrat lena hai soolee ho ya ho phaansee,   bachcha-bachcha veer banega apana rakt bahaega.3..  dhvaj bhagava laharaega,   jaag utha hai hindoo phir se bhaarat svarg banaega.
😚😚😚😚😚😚😚😙😙😉😚☺️🙂🤗🤗🤗🤗

Subhashit (Businessman)

 (1 July to 15 July)

 Gyan Shakti Samaruddha, Tatmala adorned:.

 Bhukti-Mukti Provider Ch, Tasmai Shri Guruve Namah.

 Bhaarthar: My salutations to Shri Gurudev, who is full of knowledge, is adorned with the supreme element and is the one who gives enjoyment and salvation.


 Subhashit (Student)

 (1 July to 15 July)

 Let all the earth do paper, write all the banrai

 Should I talk about the seven seas, the Guru qualities should not be written.

 Meaning: Writing the paper to all the earth, pen to all the forest, making ink to the seven seas, even the qualities of the Guru cannot be written.


 Song


 * Song (Businessman) *


 We worship the nation.

 From body, mind, money,

 Body and wealth with life,

 Let us do Rashtra Aradhan….

 From the inside, from the mouth, from the work,

 Be sure of pure temper,

 With reverence, we should greet the nation.


 From his laughing infancy,

 From his blooming youth,

 With the maturity of life, we will worship the nation.


 Reading your past,

 Reversing its history,

 Considering our destiny, we think about the nation.


 Remember us of the era, many burning events,

 Those who came on the path of service of mother, the calamities,

 We had anointed Janani with Arishonit,

 We did the grooming of the mother from Arimundo,

 We had given it, the cultural high throne,

 The mother who sat happily, ruled the world,

 Now at the speed of the cycle, he broke the throne,

 By giving our body and money, we will reinstall.

 We worship the nation ..


 * Song (student) *


 Today saffron will wave the flag from the top of the Himalayas

 Hindu has woken up, India will make heaven again.

 Look at the glory of this flag, the color is amazing,

 God has brought the sunrise over it,

 The enemy will be killed in the fierce fire.  1.

 The flag will wave saffron

 The Hindu has awakened to make India heaven again.

 Chandragupta waved this flag on Hindukush,

 The Marhats smashed the Mughal throne,

 It will be found in the soil, which will make it show airs.

 The flag will wave saffron

 Hindu has woken up, India will make heaven again!

 For the sake of this flag, look at Jhansi Rani

 We also have to take this fast, be crucified or hanged,

 The child will become brave and will shed its blood.

 The flag will wave saffron,

 Hindu has woken up, India will make heaven again.





4 जुलाई/स्थापना-दिवसआजाद हिन्द फौज की स्थापना

4 जुलाई/स्थापना-दिवस
आजाद हिन्द फौज की स्थापना

सामान्य धारणा यह है कि आजाद हिन्द फौज और आजाद हिन्द सरकार की स्थापना नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने जापान में की थी; पर इससे पहले प्रथम विश्व युद्ध के बाद अफगानिस्तान में महान क्रान्तिकारी राजा महेन्द्र प्रताप ने आजाद हिन्द सरकार और फौज बनायी थी। इसमें 6,000 सैनिक थे। 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इटली में क्रान्तिकारी सरदार अजीत सिंह ने ‘आजाद हिन्द लश्कर’ बनाई तथा ‘आजाद हिन्द रेडियो’ का संचालन किया। जापान में रासबिहारी बोस ने भी आजाद हिन्द फौज बनाकर उसका जनरल कैप्टेन मोहन सिंह को बनाया। भारत को अंग्रेजों के चंगुल से सैन्य बल द्वारा मुक्त कराना ही इस फौज का उद्देश्य था।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस 5 दिसम्बर, 1940 को जेल से मुक्त हो गये; पर उन्हें कोलकाता में अपने घर पर ही नजरबन्द कर दिया गया। 18 जनवरी, 1941 को नेताजी गायब होकर काबुल होते हुए जर्मनी जा पहुँचे और हिटलर से भेंट की। वहीं सरदार अजीत सिंह ने उन्हें आजाद हिन्द लश्कर के बारे में बताकर इसे और व्यापक रूप देने को कहा। जर्मनी में बन्दी ब्रिटिश सेना के भारतीय सैनिकों से सुभाष बाबू ने भेंट की। जब उनके सामने ऐसी सेना की बात रखी गयी, तो उन सबने इस योजना का स्वागत किया।

जापान में रासबिहारी बसु द्वारा निर्मित 'इण्डिया इण्डिपेण्डेस लीग' (आजाद हिन्द संघ) का जून 1942 में एक सम्मेलन हुआ, जिसमें अनेक देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इसके बाद रासबिहारी बसु ने जापान शासन की सहमति से नेताजी को आमन्त्रित किया। मई 1943 में जापान आकर नेताजी ने प्रधानमन्त्री जनरल तोजो से भेंट कर अंग्रेजों से युद्ध की अपनी योजना पर चर्चा की। 16 जून को जापानी संसद में नेताजी को सम्मानित किया गया।

नेताजी 4 जुलाई, 1943 को आजाद हिन्द फौज के प्रधान सेनापति बने। जापान में कैद ब्रिटिश सेना के 32,000 भारतीय तथा 50,000 अन्य सैनिक भी इस फौज में सम्मिलित हो गये। इस सेना की कई टुकड़ियाँ गठित की गयीं। वायुसेना, तोपखाना, अभियन्ता, सिग्नल, चिकित्सा दल के साथ गान्धी ब्रिगेड, नेहरू ब्रिगेड, आजाद ब्रिगेड तथा रानी झाँसी ब्रिगेड बनायी गयी। इसका गुप्तचर विभाग और अपना रेडियो स्टेशन भी था।

9 जुलाई को नेताजी ने एक समारोह में 60,000 लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा - यह सेना न केवल भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करेगी, अपितु स्वतन्त्र भारत की सेना का भी निर्माण करेगी। हमारी विजय तब पूर्ण होगी, जब हम ब्रिटिश साम्राज्य को दिल्ली के लाल किले में दफना देंगे। आज से हमारा परस्पर अभिवादन ‘जय हिन्द’ और हमारा नारा ‘दिल्ली चलो’ होगा।

नेताजी ने 4 जुलाई, 1943 को ही ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ का उद्घोष किया। कैप्टेन शाहनवाज के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने रंगून से दिल्ली प्रस्थान किया और अनेक महत्वपूर्ण स्थानों पर विजय पाई; पर अमरीका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर परमाणु बम डालने से युद्ध का पासा पलट गया और जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा।

भारत की स्वतन्त्रता के इतिहास में आजाद हिन्द फौज का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि नेहरू जी के सुभाषचन्द्र बोस से गहरे मतभेद थे। इसलिए आजाद भारत में नेताजी, आजाद हिन्द फौज और उसके सैनिकों को समुचित सम्मान नहीं मिला। यहाँ तक कि नेताजी का देहान्त किन परिस्थितियों में हुआ, इस रहस्य से आज तक पर्दा उठने नहीं दिया गया।

#हरदिनपावन

गुरु-पूर्णिमोत्सव

************* *गुरु-पूर्णिमोत्सव*************
                गुरु-पूर्णिमा का यह परम् पवित्र उत्सव आषाढ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बडे़ ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है.
              भारतीय संस्कृति में गुरु-पूर्णिमा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र अवसर है. इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. महर्षि व्यास ने हमारे राष्ट्र जीवन के श्रेष्ठतम गुणों को निर्धारित करते हुए, उनके महान् आदर्शो को चित्रित करते हुए, आचार तथा विचारों का समन्वय करते हुए, न केवल भारत वर्ष का अपितु सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शन किया. इसीलिए भगवान वेद व्यास जगत् के गुरु हैं.
                इसलिए कहा है -- *"व्यासोनारायणं स्वयं "*. इसी दृष्टि से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. जिसे हमने श्रद्धापूर्वक मार्गदर्शक या गुरु माना है.
              *व्यक्ति-निष्ठा नहीं, तत्व-निष्ठा*
                हम सब यह जानते हैं कि हमारे संघ कार्य में हमने किसी व्यक्ति विशेष को गुरु नहीं माना. हमारे ऋषियों ने गुरु के गुण, विस्तार के साथ ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना है. पर इतने गुण किसी एक व्यक्ति में पाना कठिन है. किसी व्यक्ति में हम कुछ श्रेष्ठ बातें देख लेतें हैं, तो हम उसका आदर करने लगते हैं. पर जैसे ही उसके दोष ध्यान में आ जाते हैं तब हमारे मन में अनादर उत्पन्न होता है. कदाचित हम उसका तिरस्कार भी करने लगते हैं. यह सब घोर अनुचित है. क्योंकि गुरु का त्याग अपने यहाँ बड़ा पाप माना जाता है.
               गायत्री मंत्र के निर्माता ऋषि विश्वामित्र बडे़ उग्र तपस्वी और महान् दृष्टा थे. परन्तु उनका भी पतन हुआ. अतः किसी भी मनुष्य को ऐसा अहंकार नहीं करना चाहिए, कि मैं निर्दोष हूँ और परिपूर्ण हूँ. इसीलिए संघ कार्य में उचित समझा गया कि हम भावना, चिह्न, लक्षण या प्रतीक को गुरु मानें. हमने संघ कार्य के द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र के पुनर्निर्माण का संकल्प किया है समाज के सब व्यक्तियों के गुणों तथा शक्तियों को हमें एकत्र करना है. इस ध्येय की सतत् प्रेरणा देने वाले गुरु की हमें आवश्यकता थी.
          *तेज, ज्ञान एवं त्याग का प्रतीक*
              हमारे समाज की सांस्कृतिक जीवन-धारा में यज्ञ का बड़ा महत्व रहा है. *यज्ञ* शब्द के अनेक अर्थ हैं. व्यक्तिगत जीवन को समर्पित करते हुए समष्टि-जीवन को परिपुष्ट करने के प्रयास को ही यज्ञ कहा गया है. श्रद्धामय, त्यागमय, सेवामय एवं तपस्यामय जीवन व्यतीत करना ही यज्ञ है. यज्ञ की अधिष्ठात्री देवता अग्नि है. अग्नि का प्रतीक है ज्वाला और ज्वालाओं का प्रतिरूप है -- हमारा परम् पवित्र भगवाध्वज.
            हम श्रद्धा के उपासक हैं, अंध विश्वास के नहीं. हम ज्ञान के उपासक हैं अज्ञान के नहीं. जीवन के हर क्षेत्र में बिल्कुल विशुद्ध ज्ञान की प्रतिष्ठापना करना ही हमारी संस्कृति की विशेषता रही है. अज्ञान के नाश के लिए ही हमारे ऋषि-मुनियों ने उग्र तपश्चर्या की है. अज्ञान का प्रतीक है अंधकार और ज्ञान का प्रतीक है प्रकाश (सूर्य). 
             पुराणों में कहा गया है कि सूर्य नारायण रथ में बैठकर आते हैं. उनके रथ में सात घोड़े लगे हैं और उनके आगमन के बहुत पहले उनके रथ की सुनहरी गैरिक ध्वजा फड़कती हुई दिखाई देती है. इसी ध्वजा को हमने हमारे समाज का परम् आदरणीय प्रतीक माना है. वह भगवान का ध्वज है. इसीलिए हम उसे भगवद् ध्वज कहते हैं. उसी से आगे चलकर शब्द बना है *"भगवाध्वज "* वही हमारा गुरु है.
            हमारे यहाँ समाज की सुव्यवस्था के लिए चार आश्रम आवश्यक माने गये हैं. पहले आश्रम में विद्या प्राप्त करना, दूसरे में सामाजिक कर्तव्य को निभाना, तीसरे में समाज सेवा करना और चौथे में संन्यास लेकर मोक्ष प्राप्ति का प्रयास करना. यह चतुर्थ आश्रम सर्वश्रेष्ठ है. उसमें सर्वसंग परित्याग आवश्यक है.
           इस चौथे आश्रम में शुद्ध, पवित्र एवं व्रतस्थ जीवन बिताना पड़ता है. संन्यासी यह ध्यान में रखे कि मैं रात-दिन त्यागरूप अग्नि की ज्वालाओं में खड़ा हूँ. कदाचित इसीलिये हमारे यहाँ के संन्यासी भगवेवस्त्र धारण करते हैं.
              इस प्रकार वंदनीय संन्यास आश्रम ने जिसे मान्यता दी है, सूर्य भगवान का जो आगमन चिह्न है, अग्निशिखाओं की जो प्रतिकृति है, ऐसा हमारा भगवाध्वज, हमारा प्रेरणा स्थान है. उसी के द्वारा हमारे राष्ट्र की आत्मा प्रकट होती है.
               हमारे देश का इतिहास इसी तथ्य को सिद्ध करता है. इन्हीं सब कारणों से संघ ने इस परम् पवित्र तेजोमय, भगवाध्वज को गुरु स्थान पर रखा है, किसी व्यक्ति को नहीं..।।

6/7/2020 21 वर्षीय वैज्ञानिक ने फ्रांस से प्रतिमाह 16 लाख की तनख्वाह, 5 BHK फ्लैट और 2.5 करोड़ की कार ऑफर ठुकरा दिया ... और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इन्हें DRDO में नियुक्त किया है। ....

यह तस्वीर है कर्नाटक के छोटे से गाँव कडइकुडी (मैसूर) के एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुये प्रताप की ... इस 21 वर्षीय वैज्ञानिक ने फ्रांस से प्रतिमाह 16 लाख की तनख्वाह, 5 BHK फ्लैट और 2.5 करोड़ की कार ऑफर ठुकरा दिया ... और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इन्हें DRDO में नियुक्त किया है। ....

प्रताप एक गरीब किसान परिवार से हैं, बचपन से ही इन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में काफी दिलचस्पी थी ... 12 क्लास में जाते-जाते पास के सायबर कैफे में जाकर इन्होंने अंतरिक्ष, विमानों के बारे में काफी जानकारी इकठ्ठा कर ली ....

दुनियाँ भर के वैज्ञानिकों को अपनी टुटी-फुटी अंग्रेजी में मेल भेजते रहते थे कि मैं आपसे सीखना चाहता हूँ ... पर कोई जवाब सामने से नहीं आता ... इंजिनियरींग करना चाहते थे, लेकिन पैसे नहीं थे ....

इसलिये Bsc में एडमिशन ले लिया, पर उसे भी पैसों की वजह से पुरा नहीं कर पाये। 

पैसे न भर पाने की वजह से इन्हें होस्टल से बाहर निकाल दिया गया ... यह सरकारी बस स्टैंड पर रहने सोने लगे, कपड़े वहीं के पब्लिक टॉयलेट में धोते रहे ... इंटरनेट की मदत से कम्प्युटर लैंग्वेजेस जैसे C,C++,java, Python सब सीखा ...
 
इलेक्ट्रोनिक्स कचरे से ड्रोन बनाना सीख लिया। 

भारत कुमार लिखते हैं कि 80 बार असफल होने के बाद आखिरकार वह ड्रोन बनाने में सफल रहे ... उस ड्रोन को लेकर वह IIT Delhi में हो रहे एक प्रतिस्पर्धा में चले गये... और वहाँ जाकर "द्वितिय पुरस्कार" प्राप्त किया... वहाँ उन्हें किसी ने जापान में होने वाले ड्रोन कॉम्पटिशन में भाग लेने को कहा...

उसके लिये उन्हें अपने प्रोजेक्ट को चेन्नई के एक प्रोफसेर से अप्रुव करवाना आवश्यक था... दिल्ली से वह पहली बार चेन्नई चले गये... काफी मुश्किल से अप्रुवल मिल गया... जापान जाने के लिये 60000 रूपयों की जरूरत थी... एक मैसूर के ही भले इंसान ने उनकी मदत की ...प्रताप ने अपनी माता जी का मंगलसुत्र बेच दिया और जापान चले गये।...

जब जापान पहूंचे तो सिर्फ 1400 रूपये बचे थे।... इसलिये जिस स्थान तक उन्हें जाना था उसके लिये बुलेट ट्रेन ना लेकर सादी ट्रेन पकड़ी।... 16 स्टॉप पर ट्रेन बदली... उसके बाद 8 किलोमिटर तक पैदल चलकर हॉल तक पहुंचे।...

प्रतिस्पर्घा स्थल पर उनकी ही तरह 127 देशों से लोग भाग लेने आये हुये थे।... बड़ी-बड़ी युनिवर्सिटी के बच्चे भाग ले रहे थे।... नतीजे घोषित हुये।... ग्रेड अनुसार नतीजे बताये जा रहे थे।... प्रताप का नाम किसी ग्रेड में नहीं आया।...

वह निराश हो गये।

अंत में टॉप टेन की घोषणा होने लगी। प्रताप वहाँ से जाने की तैयारी कर रहे थे।

10 वे नंबर के विजेता की घोषणा हुई ...

9 वे नंबर की हुई ...

8 वे नंबर की हुई ...

7..6..5..4..3..2 और पहला पुरस्कार मिला हमारे भारत के प्रताप को।

अमेरिकी झंडा जो सदैव वहाँ उपर रहता था वह थोड़ा नीचे आया, और सबसे उपर तिरंगा लहराने लगा... 

प्रताप की आँखे आँसू से भर गयी। वह रोने लगे।...

उन्हें 10 हजार डॉलर (सात लाख से ज्यादा) का पुरस्कार मिला।...

तुरंत बाद फ्रांस ने इन्हें जॉब ऑफर की।...

मोदी जी की जानकारी में प्रताप की यह उपलब्धि आयी।... उन्होंने प्रताप को मिलने बुलाया तथा पुरस्कृत किया।... उनके राज्य में भी सम्मानित किया गया।... 600 से ज्यादा ड्रोन्स बना चुके हैं ...

मोदी जी ने DRDO से बात करके प्रताप को DRDO में नियुक्ती दिलवाई।... आज प्रताप DRDO के एक वैज्ञानिक हैं।...

इसलिये हीरो वह है, जो जीरो से निकला हो। प्रताप जैसे लोगों को प्रेरणा का स्त्रोत आज के विद्यार्थियों को बनाना चाहिये, ना की टिकटॉक जैसे किसी एप्प पर काल्पनिक दुनियाँ में जीने वाले किसी रंगबिरंगे बाल वाले जोकर को।


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This picture is of Pratap, born in a poor farmer family of Kadikudi (Mysore), a small village in Karnataka ... This 21-year-old scientist turned down 16 lakh salary, 5 BHK flats and 2.5 crore car offers from France every month.  .. and Prime Minister Narendra Modi has appointed him to the DRDO.  ....

 Pratap hails from a poor peasant family, he was very interested in electronics since childhood ... By going to class 12, he went to the nearby cyber café and collected a lot of information about space, planes ....

 People in the world used to send mail to the scientists in their very little English that I want to learn from you ... but no answer comes from the front ... wanted to do engineering, but there was no money ....

 Therefore took admission in Bsc, but could not complete it due to money.

 Due to lack of money, they were kicked out of the hostel ... They started sleeping at the government bus stand, washing clothes in the public restroom there ... Computer languages ​​like C, C ++, java, with the help of internet  Python learned all ...
 
 Electronics learned to make drones from waste.

 Bharat Kumar writes that after 80 failures, he finally succeeded in making the drone ... He went to a competition in IIT Delhi with that drone ... and went there and received "second prize" ..  There he was asked by someone to participate in the drone competition to be held in Japan.

 For this he needed to get his project approved by a professor in Chennai… From Delhi he moved to Chennai for the first time… It was very difficult to get approval… To go to Japan, he needed 60000 rupees…  A good man from Mysore helped him ... Pratap sold his mother's mangalsutra and went to Japan ...

 When Japan arrived, there was only 1400 rupees left… so the plain train did not take the bullet train for the place where they had to go… changed the train at 16 stops… after that walking up to 8 kilometer to the hall.  Arrived ...

 People from 127 countries had come to participate in the competition site just like them ... The children of big universities were participating ... The results were announced ... The results were being reported according to the grade ...  Pratap's name did not appear in any grade ...

 He got frustrated.

 Finally, Top Ten was announced.  Pratap was preparing to leave from there.

 Winner of number 10 was announced ...

 Number 9 ...

 Number 8 ...

 7..6..5..4..3..2 and Pratap of our India got the first prize.

 The American flag which was always up there came down a little bit, and the tricolor started to wave at the top…

 Pratap's eyes filled with tears.  He started crying ...

 He received a prize of 10 thousand dollars (more than seven lakhs) ...

 Soon after, France offered him a job ....

 This achievement of Pratap came in the knowledge of Modi ji ... He called and rewarded Pratap ... was also honored in his state ... has made more than 600 drones ...

 Modi ji talked to DRDO and got Pratap appointed to DRDO ... Today Pratap is a scientist of DRDO ...

 That is why a hero is one who is descended from zero.  People like Pratap should make today's students a source of inspiration, not a colorful hair clown living in imaginary worlds on an app like TikTok.
 

Saturday, July 4, 2020

6/7/2020Rashtra Sevika Samiti is world’s largest voluntary women organization working for betterment of whole society


 सामान्य जानकारी

 राष्ट्र सेविका समिति विश्व की सबसे बड़ी स्वैच्छिक महिला संगठन है जो पूरे समाज की बेहतरी के लिए काम कर रही है।  भारतीय मूल्यों को मूल रूप में रखते हुए, यह at राष्ट्रहित ’के लिए समर्पित एक सुव्यवस्थित समाज बनाने का प्रयास करता है।

 राष्ट्र सेविका समिति का लक्ष्य एक शानदार हिंदू राष्ट्र का पुनर्निर्माण करना है।  हमारी प्रिय मातृभूमि को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहिए और साथ ही उसे समृद्ध और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए।  भरत ने कभी भी किसी के खिलाफ युद्ध नहीं किया है, लेकिन अगर उस पर युद्ध को मजबूर किया जाता है, तो उसे अजेय और विजयी होना चाहिए।  इसके अलावा, भरत न केवल पृथ्वी पर भूमि या भौगोलिक क्षेत्र का एक टुकड़ा है, बल्कि जीवन के समग्र और अभिन्न दृष्टिकोण के साथ एक जीवित प्राचीन परंपरा है, जो उसकी आत्मा है।  समिति भरत की इस आत्मा का पोषण और सशक्तिकरण करना चाहती है।

 इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शक अद्वितीय उपकरण है।  शाखा का अर्थ है निर्धारित स्थान और समय पर एक घंटे के लिए नियमित रूप से एक साथ आना।  शक में हम शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास के लिए विभिन्न गतिविधियाँ करते हैं।  One किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का यह समग्र और पूर्ण विकास लाभ और समाज की बेहतरी के लिए होता है ’: समिति का शेखा ही इस तरह के अनचाहे संकल्प करने का स्थान है।

 1936 में लगाया गया बीज अब एक बड़े बरगद के पेड़ में उग गया है।  पूरे भारत भर में 2700 से अधिक शिखरों में से 55,000 से अधिक कार्तिकार्थी, अपने बहुत ही तपस्या से समाज में बदलाव ला रहे हैं।  सेविक स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में 475 प्लस सेवा परियोजनाएं चला रहे हैं।

 
 स्थापित
 विजयादशमी 1936


👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭General information
Rashtra Sevika Samiti is world’s largest voluntary women organization working for betterment of whole society. Keeping Indian values at core, it strives for creating a well-organized society devoted to ‘Rashtrahit’.

The goal of Rashtra Sevika Samiti is rebuilding a glorious Hindu Rashtra. Our beloved matrubhoomi should excel in the fields of science, technology and spirituality and at the same time she should be prosperous and economically self-reliant. Bharat has never waged war against anyone but if war is forced upon her, she should emerge unconquerable and victorious. Furthermore, Bharat is not just a piece of land or a geographic area on planet earth but is a live ancient tradition with holistic and integral view of life, which is her soul. Samiti wants to nurture and empower this very soul of Bharat.

Shakha is unique tool to achieve this goal. Shakha means coming together regularly for one hour at a designated place and time. At shakha we perform various activities for physical, intellectual, emotional and spiritual development. ‘This overall and complete development of one’s personality is for benefit and betterment of society’: Samiti shakha is the place to make such unsolicited resolution.

The seed planted in 1936 has now grown into a big banyan tree. More than 55,000 karyakartis, from 2700 plus shakhas across entire Bharat, are making a difference in society by their very demeanor. Sevikas are running 475 plus seva projects in the field of health, education and economic self-reliance.

Founded in
Vijayadashami1936

6/7/2020 राष्ट्र सेविका समिति की प्रार्थना special day of RSS

राष्ट्र सेविका समिति की प्रार्थना

नमामो वयं मातृभूः पुण्यभूस्त्वाम्
त्वया वर्धिताः संस्कृतास्त्वत्सुताः
अये वत्सले मग्डले हिन्दुभूमे
स्वयं जीवितान्यर्पयामस्त्वयि ।।१।।

नमो विश्वशक्त्यै नमस्ते नमस्ते
त्वया निर्मितं हिंदुराष्ट्रं महत्
प्रसादात्तवैवात्र सज्जाः समेत्य
समालंबितुं दिव्यमार्गं वयम् ।।२।।

समुन्नामितं येन राष्ट्रं न एतत्
पुरो यस्य नम्रं समग्रं जगत्
तदादर्शयुक्तं पवित्रं सतीत्वम्
प्रियाभ्यः सुताभ्यः प्रयच्छाम्ब ते ।।३।।

समुत्पादयास्मासु शक्तिं सुदिव्याम्
दुराचार-दुर्वृत्ति-विध्वंसिनीम्
पिता-पुत्र-भ्रातृंश्च भर्तारमेवम्
सुमार्गं प्रति प्रेरयन्तीमिह ।।४।।

सुशीलाः सुधीराः समर्थाः समेताः
स्वधर्मे स्वमार्गे परं श्रद्धया
वयं भावि-तेजस्वि-राष्ट्रस्य धन्याः
जनन्यो भवेमेति देह्याशिषम् ।।५।।

भारत माता की जय।।



Translation

Prayer of Rashtra Sevika Samiti




 Namamo herself Matrubhu: Punyabhuswa
 Tvaya Vardhita: Sanskritastavatsuta:
 Here is Vatsale Magdale
 Swayam Jeevaniyaripayamasatvayi.

 Hello world power
 The importance of the creation of India
 PrasadattvaVayatra Decor: Samity
 Samalabditu Divyamargam Vayam. 2.

 Reformed yen nation
 Puro Yesya Namran Samagraam Jagat
 Tadarsukyuktam parantham sattivam
 Priyabhaya: Sutabhya: Prayachhamba te.

 Samutpadayasamsu Shakti Sudivyam
 Misdemeanor
 Father-son-brotherhood Bhartarmevam
 Submarine per preyantimih.

 Susheela: Sudhira: Samartha: Sameta:
 Self-respectful homage but reverence
 Thank you.
 Jannyo Bhavemetti Dehyashisham. 5.

 Long live Mother India..