Thursday, September 15, 2022

16/9/2022 Panchang

: 🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 16 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 31 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका सुबह 09:55 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - वज्र 17 सितम्बर प्रातः 05:51 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 11:02 से 12:34 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:26*
*⛅सूर्यास्त - 06:42*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:11 से 12:58 तक पंचक नहीं*
*⛅व्रत पर्व विवरण - षष्ठी, सप्तमी का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, पुष्टि, धन-धान्य देनेवाला श्राद्ध - कर्म🔹*
*🔹श्राद्ध-महिमा🔹*
*(श्राद्ध पक्ष : 10 से 25 सितम्बर) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृ पक्ष' या 'महालय पक्ष' बोलते हैं । आपका एक माह बीतता है तो पितृलोक का एक दिन होता है । साल में एक बार ही श्राद्ध करने से कुल खानदान के पितरों को तृप्ति हो जाती है ।*
*🔹श्राद्ध क्यों करें ?🔹*
*🔹गरुड़ पुराण (१०.५७-५९) में आता है कि 'समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।'*
*'हारीत स्मृति' में लिखा है :*
*न तत्र वीरा जायन्ते नारोग्यं न शतायुषः ।*
*न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यत्र श्राद्धं विवर्जितम् ॥*
*🔹'जिनके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते, कोई निरोग नहीं रहता ।  लम्बी आयु नहीं होती और किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता (किसी-न-किसी तरह की झंझट और खटपट बनी रहती है) ।'*
*🔹महर्षि सुमंतु ने कहा : “ श्राद्ध जैसा कल्याण मार्ग गृहस्थी के लिए और क्या हो सकता है ! अतः बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ।"*
*🔹श्राद्ध पितृलोक में कैसे पहुँचता है ?🔹*
*🔹श्राद्ध के दिनों में मंत्र पढ़कर हाथ में तिल, अक्षत, जल लेकर संकल्प करते हैं तो मंत्र के प्रभाव से पितरों को तृप्ति होती है, उनका अंतःकरण प्रसन्न होता है और कुल खानदान में पवित्र आत्माएँ आती हैं ।*
*🔹'यहाँ हमने अपने पिता का, पिता के पिता का और उनके कुल गोत्र का नाम लेकर ब्राह्मण को खीर खिलायी, विधिवत् भोजन कराया और वह ब्राह्मण भी दुराचारी, व्यसनी नहीं, सदाचारी है । बाबाजी ! हम श्राद्ध तो यहाँ करें तो पितृलोक में वह कैसे पहुँचेगा ?'*
*🔹जैसे मनी ऑर्डर करते हैं और सही पता लिखा होता है तो मनी ऑर्डर पहुँचता है, ऐसे ही जिसका श्राद्ध करते हो उसका और उसके कुल गोत्र का नाम लेकर तर्पण करते हो कि 'आज हम इनके निमित्त श्राद्ध करते हैं' तो उन तक पहुँचता है । देवताओं व पितरों के पास यह शक्ति होती है कि दूर होते हुए भी हमारे भाव और संकल्प स्वीकार करके वे तृप्त हो जाते हैं । मंत्र और सूर्य की किरणों के द्वारा तथा ईश्वर की नियति के अनुसार वह आंशिक सूक्ष्म भाग उनको पहुँचता है ।*
*🔹 यहाँ खिलायें और वहाँ कैसे मिलता है ?🔹*
*🔹भारत में रुपये जमा करा दें तो अमेरिका में डॉलर और इंग्लैंड में पाउंड होकर मिलते हैं । जब यह मानवीय सरकार, वेतन लेनेवाले ये कर्मचारी तुम्हारी मुद्रा (करंसी) बदल सकते हैं तो ईश्वर की प्रसन्नता के लिए जो प्रकृति काम करती है, वह ऐसी व्यवस्था कर दे तो इसमें ईश्वर व प्रकृति के लिए क्या बड़ी बात है ! आपको इस बात में संदेह नहीं करना चाहिए ।*
*🌞🚩🕉️🌲🌹🌹🌲🕉️🚩🌞*
[| रात्रि चिंतन ||* 
 *🌹अंतर्यामी परमात्मा तो अपने भीतर ही है जो उसे छोड़कर किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ की इच्छा करता है, वह अंतर्यामी परमात्मा का अपमान करता है, वह बहुत बड़ी भूल करता है।* 
🌲🌹🕉️ जय सियाराम 🕉️🌹🌲

Wednesday, September 14, 2022

15/9/2022

*🌞आज का हिन्दु पंचाग🌞
*⛅दिनांक - 15 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 30 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी सुबह 11:00 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - भरणी सुबह 08:05 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - हर्षण 16 सितम्बर प्रातः 05:28 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:07 से 03:39 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:26*
*⛅सूर्यास्त - 06:43*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:11 से 12:58 तक पंचक नहीं*
*⛅व्रत पर्व विवरण -  पंचमी, षष्ठी का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹श्राद्ध में भोजन कराने का विधान🔹*
*🔹भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्त्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए । पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्त्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुरवाणी से कहना चाहिए किः 'हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें ।' फिर क्रोध तथा उतावलेपन को छोड़कर उन्हें भक्ति पूर्वक भोजन परोसते रहना चाहिए ।*
*🔹 ब्राह्मणों को भी दत्तचित्त और मौन होकर प्रसन्न मुख से सुखपूर्वक भोजन करना चाहिए ।*
*🔹 "लहसुन, गाजर, प्याज, करम्भ (दही मिला हुआ आटा या अन्य भोज्य पदार्थ) आदि वस्तुएँ जो रस और गन्ध से निन्द्य हैं, श्राद्धकर्म में निषिद्ध हैं ।" (वायु पुराणः 78.12)*
*🔹 ब्राह्मण को चाहिए कि वह भोजन के समय कदापि आँसू न गिराये, क्रोध न करे, झूठ न बोले, पैर से अन्न के न छुए और उसे परोसते हुए न हिलाये ।*
*🔹 आँसू गिराने से श्राद्धान्न भूतों को, क्रोध करने से शत्रुओं को, झूठ बोलने से कुत्तों को, पैर छुआने से राक्षसों को और उछालने से पापियों को प्राप्त होता है । (मनुस्मृतिः 3.229.230)*
*🔹 जब तक अन्न गरम रहता है और ब्राह्मण मौन होकर भोजन करते हैं, भोज्य पदार्थों के गुण नहीं बतलाते तब तक पितर भोजन करते हैं ।*
*🔹 सिर में पगड़ी बाँधकर या दक्षिण की ओर मुँह करके या खड़ाऊँ पहनकर जो भोजन किया जाता है उसे राक्षस खा जाते हैं । (मनुस्मृतिः 3.237.238)*
*🔹 "भोजन करते हुए ब्राह्मणों पर चाण्डाल, सूअर, मुर्गा, कुत्ता, रजस्वला स्त्री और नपुंसक की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए । होम, दान, ब्राह्मण-भोजन, देवकर्म और पितृकर्म को यदि ये देख लें तो वह कर्म  निष्फल हो जाता है ।*
*🔹 सूअर के सूँघने से, मुर्गी के पंख की हवा लगने से, कुत्ते के देखने से और शूद्र के छूने से श्राद्धान्न निष्फल हो जाता है । लँगड़ा, काना, श्राद्धकर्ता का सेवक, हीनांग, अधिकांग इन सबको श्राद्ध-स्थल से हटा दें । (मनुस्मृतिः 3.241.242)*
*🔹 "श्राद्ध से बची हुई भोजनादि वस्तुएँ स्त्री को तथा जो अनुचर न हों ऐसे शूद्र को नहीं देनी चाहिए । जो अज्ञानवश इन्हें दे देता है, उसका दिया हुआ श्राद्ध पितरों को नहीं प्राप्त होता । इसलिए श्राद्धकर्म में जूठे बचे हुए अन्नादि पदार्थ किसी को नहीं देना चाहिए ।" (अनुक्रम) (वायु पुराणः 79.83)*
🔹 *स्वास्थ्य-कणिकाएँ*🔹
*🔹 पित्तजन्य सिरदर्द में नारियल की सूखी गिरी और मिश्री सूर्योदय से पूर्व खाना फायदेमंद है ।*
*🔹 बच्चों की मिट्टी खाने की आदत हो तो शहद के साथ केला खिलायें ।*
*🔹 १-२ चम्मच (१०-२० ग्राम) गुलकंद रात को गुनगुने दूध के साथ लेने से कब्ज में लाभ होता है ।*
*🌞🚩🕉️🌹🌲🏵️🏵️🌲🌹🕉️🚩🌞*

14/9/2022 Panchang


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् 29 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी सुबह 10:25 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 06:58 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - व्याघात 15 सितम्बर प्रातः 05:36 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:35 से 02:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:26*
*⛅सूर्यास्त - 06:44*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:12 से 12:59 तक पंचक नहीं है*
*⛅व्रत पर्व विवरण - राष्ट्रभाषा दिवस, चतुर्थी एवं पंचमी का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹श्राद्धकर्म व उसके पीछे के सूक्ष्म रहस्य - पूज्य बापूजी*
*🔹जिन पूर्वजों ने हमें अपना सर्वस्व देकर विदाई ली, उनकी सद्गति हो ऐसा सत्सुमिरन करने का अवसर यानी 'श्राद्ध पक्ष' ।*
*🔹श्राद्ध पक्ष का लम्बा पर्व मनुष्य को याद दिलाता है कि 'यहाँ चाहे जितनी विजय प्राप्त हो, प्रसिद्धि प्राप्त हो परंतु परदादा के दादा, दादा के दादा, उनके दादा चल बसे, अपने दादा भी चल बसे और अपने पिताजी भी गये या जाने की तैयारी में हैं तो हमें भी जाना है।'*
*🔹श्राद्ध हेतु आवश्यक बातें🔹*
*🔹जिनका श्राद्ध करना है, सुबह उनका मानसिक आवाहन करना चाहिए । और जिस ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन कराना है उसको एक दिन पहले न्योता दे आना चाहिए ताकि वह श्राद्ध के पूर्व दिन संयम से रहे, पति-पत्नी के विकारी व्यवहार से अपने को बचा ले । फिर श्राद्ध का भोजन खिलाते समय -*
*देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।*
*नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः ॥*
( अग्नि पुराण : ११७.२२)
*🔹यह श्लोक बोलकर देवताओं को, पितरों को, महायोगियों को तथा स्वधा और स्वाहा देवियों को नमस्कार किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि 'मेरे पिता को, माता को... (जिनका भी श्राद्ध करते हैं उनको) मेरे श्राद्ध का सत्त्व पहुँचे, वे सुखी व प्रसन्न रहें ।'*
*🔹श्राद्ध के निमित्त गीता के ७वें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर पाठ कर लें और उसका पुण्य जिनका श्राद्ध करते हैं उनको अर्पण कर दें, इससे भी श्राद्धकर्म सुखदायी और साफल्यदायी होता है ।*
*🔹श्राद्ध करने से क्या लाभ होता है ?🔹*
*🔹आप श्राद्ध करते हैं तो (१) आपको भी पक्का होता है कि 'हम मरेंगे तब हमारा भी कोई श्राद्ध करेगा परंतु हम वास्तव स में नहीं मरते, हमारा शरीर छूटता शरीर के मरने के बाद भी हमारा अस्तित्व रहता है इसका आपको पुष्टीकरण होता है ।*
 *(२) देवताओं, पितरों, योगियों और स्वधा-स्वाहा देवियों के लिए सद्भाव होता है ।*
*(३) भगवद्गीता का माहात्म्य पढ़ते हैं, जिससे पता चलता है कि पुत्रों द्वारा पिता के लिए किया हुआ सत्कर्म पिता की उन्नति करता है और पिता की शुभकामना से पुत्र-परिवार में अच्छी आत्माएँ आती हैं ।*
*🔹ब्रह्माजी ने सृष्टि करने के बाद देखा कि 'जीव को सुख-सुविधाएँ दीं फिर भी वह दुःखी है' तो उन्होंने यह विधान किया कि एक-दूसरे का पोषण करो । आप देवताओं-पितरों का पोषण करो, देवता पितर आपका पोषण करेंगे । आप सूर्य को अर्घ्य देते हैं, आपके अर्घ्य के सद्भाव से सूर्यदेव पुष्ट होते हैं और यह पुष्टि विरोधियों, असुरों के आगे सूर्य को विजेता बनाती है । जैसे रामजी को विजेता बनाने में बंदर, गिलहरी भी काम आये ऐसे ही सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो सूर्य विजयपूर्वक अपना दैवी कार्य करते हैं, आप पर प्रसन्न होते हैं और अपनी तरफ से आपको भी पुष्ट करते हैं ।*
*देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः । परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥*
*🔹'तुम इस यज्ञ (ईश्वरप्राप्ति के लिए किये जानेवाले कर्मों) के द्वारा देवताओं को तृप्त करो और (उनसे तृप्त हुए) वे देवगण तुम्हें तृप्त करें । इस प्रकार (निःस्वार्थ भाव से) एक-दूसरे को तृप्त या उन्नत करते हुए तुम परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे ।'* (गीता : ३.११)
*🔹देवताओं का हम पोषण करें तो वे सबल होते हैं और सबल देवता वर्षा करने, प्रेरणा देने, हमारी इन्द्रियों को पुष्ट करने में लगते हैं । इससे सबका मंगल होता है ।*
*🌞🕉️🌲🌹🏵️🏵️🌹🌲🕉️🌞*

Monday, September 12, 2022

13/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 13 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् 28 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया सुबह 10:37 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - रेवती सुबह 06:36 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - वृद्धि सुबह 07:37 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 03:40 से 05:13 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:45*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:12 से 12:59 तक पंचक 13 सितम्बर प्रात 9.17तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी, तृतीया एवं चतुर्थी का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी 🌹*
*🌹13 सितम्बर सुबह 10:38 से 14 सितम्बर सुर्योदय तक ।*
*👉 अंगारकी चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना... जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है ।*
*👉 बिना नमक का भोजन करें ।*
*👉 मंगल देव का मानसिक आह्वान करो*
*👉 चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें ।*
*👉 कितना भी कर्जदार हो... काम धंधे से बेरोजगार हो... रोजी-रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।*
*🔹श्राद्ध : एक पुण्यदायी, भगवदीय कर्म🔹*
*(श्राद्ध पक्ष 10 सितम्बर से 25 सितम्बर)*
*🌹 गरुड़ पुराण (१०.५७-५९) में आता है कि समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता ।*
*🌹 ... आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम् । पशून सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात् ।...*
*🌹 पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।*
*🌹 देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्त्व है । देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है ।*
*🌹 जो लोग श्राद्ध नहीं करते उनके पितर असंतुष्ट रहते हैं तथा उनके घर में सुख शांति व समृद्धि की कमी, बीमारियाँ यह सब होता है । इसलिए अच्छी संतान व स्वास्थ्य के लिए भी पितृ श्राद्ध करना चाहिए । जो श्राद्ध करता है और दूसरों की भलाई करता है उसको दूसरे लोग कुछ देते हैं तो देनेवाले को पुण्य हो जाता है, आनंद हो जाता है ।*
*🌹 श्राद्ध में जब तुलसी के पत्तों का उपयोग होता है तो पितर तृप्त रहते हैं और 'विष्णुलोक' को चले जाते हैं । बड़े तृप्त होते हैं तो बड़ा आशीर्वाद हैं ! में तो तुलसी के प्रयोग से ही श्राद्ध करता हूँ ।*
*🌞🚩🕉️🌹🌹🕉️🚩🌞*

nivedan

“विनम्र  निवेदन व सुझाव “

इस वर्ष पितृ पक्ष 10-25 सितम्बर सके मध्य  आ रहा है । 
10-11 सितम्बर ( पूर्णिमा/ प्रतिपदा) को प्रथम श्राद्ध व  25 सितम्बर को अमावस्या है और अंतिम श्रद्धा है । 
इस पखवाड़े में  अधिकांश भारतीय ( हिन्दू ) परिवारों   में अपने  दिवंगत पूर्वजों को हम स्मरण करते है व अपनी श्रद्धा व मान्यतानुसार अपने अपने परिवारों में  किसी ब्राह्मण या अन्य श्रद्धावान  व्यक्ति को  भोजन कराकर , वस्त्र व दक्षिणा आदि का समर्पण व दान करते है ।

लेकिन समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो वृद्ध आश्रम व अनाथ आश्रमों में रहकर अपना जीवन समाज के  सहारे व्यतीत कर रहा  है । इन सभी की चिन्ता यानि भोजन-वस्त्र आदि  की व्यवस्था समाज मिलकर करता है ।

आप सभी को  आशापूर्वक  सुझाव व अनुरोध है कि इन दिनों में अपने पूर्वजों को स्मरण करने के साथ- साथ, अपने समाज के अभाव ग्रस्त, मन्दबुद्धि , अपाहिज व निराश्रितों  व असमर्थ लोगों के जीवन का विचार करें। और उनका पालन व भरण पोषण करने में सहयोग करें ।
आप अपनी सुविधानुसार किसी भी अनाथ आश्रम या आल्ड एज होम में जाकर यह सेवा कर सकते है ।

*जानकारी हेतु: *

पिछले दो तीन वर्षों से  हम आप सभी के सहयोग से   ऐसे बंधुओं के निमित्त  राशन ( चावल- आट्टा, चीनी, दाल आदि ) भिजवा कर  सेवा व पुण्यकार्य  में सहयोग कर रहे  है  ।

 यह राशन “Earth Saviour Foundation”  को भिजवाते है।

जिनके द्वारा  संचालित दो  सेवाआश्रम है :
1. फरीदाबाद- गुरुग्राम रोड़ पर बंधवाड़ी गाँव में है ( टोल प्लाजा के पास ) 
2. पाली-सोहना रोड, मंडावर गाँव में स्थित है । 
इन दोनों आश्रमों में   लगभग 900 से अधिक वृद्ध, मानसिक रोगी ( महिला, पुरुष आदि)  रहते है ।
इस वर्ष हम समाज के पिछड़े बंधुओं के सहयोग से लगभग 5000 किलो ( आट्टा, चावल, दाल- चीनी ) प्रति मास भिजवा रहे है । 

लेकिन संख्या बढ़ने के कारण इतना राशन भी कम पड़ता है , और सभी की पूर्ति नहीं कर पाता है । 
इसलिये हम और अधिक राशन की व्यवस्था का प्रबंध करने का प्रयत्न कर रहे है ।

हम वहाँ (आट्टा व चावल , दाल व चीनी ) भिजवाने की व्यवस्था कर रहे है । आपसे निवेदन है और अपेक्षा भी है आप हमारा पूर्व की तरह श्राद्ध ( श्रद्धा दिवस) के समय में सहयोग करें व पुण्य के भागीदार बनें ।

आपकी जानकारी हेतु:
The cost of 100 kg rice and 100 kg wheat floor os around  Rs. 5000.00( Rs. 25.00 per kg ) 

विनम्र निवेदन : 
आप सभी से  पुन: निवेदन व अनुरोध कि इस वर्ष  भी हम ऐसा सहयोग करने का विचार  करें ।अपनी सहयोग राशि निम्न बैंक अकाउंट में जमा करवायें :


Bharat Seva Pratisthan ( Serve India)
Account: 50200057457195
IFFC:  code : HDFC0001466

यह ट्रस्ट 80G के माध्यम से exempted  from Income tax भी है ।

Shri Krishan Singhal( 8750055504
Chairman
Deepak agarwal( 9810243030)
President 
Deepak Thukral( 9810019539)
General Secretary 
Kaushal Goyal(9810712926)
Finance Secretary

Sunday, September 11, 2022

12/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् 27 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 11:35 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 06:59 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - गण्ड सुबह 09:32 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 07:58 से 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:46*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:13 से 12:59 तक। और पंचक 13 सितम्बर प्रात 9.17 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - द्वितीया, तृतीया का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹श्राद्ध में रखें ये सावधानियाँ🔹*
*🌹 पितरों को खिलाये बिना नहीं खायें । पराया अन्न भी नहीं खाना चाहिए ।*
 *🌹श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल-मालिश, स्त्री-सम्भोग, संग्रह आदि न करें ।*
*🌹श्राद्ध का भोक्ता दुबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करें । श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें ।*
*🌹श्राद्ध करनेवाला व्यक्ति ३ से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलायें ।*
*🌹श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आये ।*
*🔹श्राद्ध में उत्तम क्या ?🔹*
*🔹तीन चीजें श्राद्ध में प्रशंसनीय हैं :*
*(१)शुद्धि*
*(२) अक्रोध*
*(३) अत्वरितता : जल्दबाजी नहीं, धैर्य ।*
*🔹तीन चीजें श्राद्ध में पवित्र होती हैं :*
*(१) तिल*
*(२) बेटी का बेटा दौहित्र*
*(३) कुतपकाल*
*🔹 सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक विशेषकाल माना जाता है । थोड़ा आगे-पीछे हो जाय तो कोई बात नहीं लेकिन इस काल में श्राद्ध की विशेष पवित्रता होती है ।*
*🌹श्राद्धकाल में सात विशेष शुद्धियों का ध्यान रखना चाहिए :*
*(1) नहा-धोकर शरीर शुद्ध हो ।*
*(2) श्राद्ध की द्रव्य-वस्तु शुद्ध हो ।*
*(3) स्त्री शुद्ध हो, मासिक धर्म में न हो ।*
*(4) जहाँ श्राद्ध करते हैं वह भूमि शुद्ध हो । गोझरण से, देशी गाय के गोबर से लीपन की हुई हो ।*
*(5) मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें ।*
*(6) ब्राह्मण भी शुद्ध भाववाला हो और तम्बाकू, जर्दा आदि का सेवन न करता हो ।*
*(7) मन को भी शुद्ध रखें ।*
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

Saturday, September 10, 2022

11/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 11 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् 26 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:14 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद सुबह 08:02 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*⛅योग - शूल दोपहर 12:00 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 05:15 से 06:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:47*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:13 से 01:00 तक*
पंचक 13 सितम्बर 9.17 तक हैं
*⛅व्रत पर्व विवरण - आश्विन प्रतिपदा एवं द्वितीया  का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹श्राद्धयोग्य तिथियाँ 🔹*
*🔹 ऊँचे में ऊँचा, सबसे बढ़िया श्राद्ध श्राद्धपक्ष की तिथियों में होता है । हमारे पूर्वज जिस तिथि में इस संसार से गये हैं, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ होता है ।*
*🔹 जिनके दिवंगत होने की तिथि याद न हो, उनके श्राद्ध के लिए अमावस्या की तिथि उपयुक्त मानी गयी है । बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर बुद्धिमानों को श्राद्ध करना चाहिए ।*
*🔹 जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती। वह पर्व का पूर्ण फल भोगता है ।*
*🔹 इसी प्रकार प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती ।*
*🔹 द्वितिया को श्राद्ध करने वाला व्यक्ति राजा होता है ।*
*🔹 उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतिया विहित है। यही तृतिया शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी है ।*
*🔹 जो चतुर्थी को श्राद्ध करता है वह शत्रुओं का छिद्र देखता है अर्थात उसे शत्रुओं की समस्त कूटचालों का ज्ञान हो जाता है ।*
*🔹 पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति करता है ।*
*🔹 जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता लोग करते हैं ।*
*🔹 जो सप्तमी को श्राद्धादि करता है उसको महान यज्ञों के पुण्यफल प्राप्त होते हैं और वह गणों का स्वामी होता है ।*
*🔹 जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियाँ प्राप्त करता है ।*
*🔹 नवमी तिथि को श्राद्ध करने वाला प्रचुर ऐश्वर्य एवं मन के अनुसार अनुकूल चलने वाली स्त्री को प्राप्त करता है ।*
*🔹 दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी प्राप्त करता है ।*
*🔹 एकादशी का श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ दान है । वह समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त कराता है । उसके सम्पूर्ण पापकर्मों का विनाश हो जाता है तथा उसे निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*
*🔹 द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गयी है ।*
*🔹 त्रयोदशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, स्वतंत्रता, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*
*🔹 चतुर्दशी का श्राद्ध जवान मृतकों के लिए किया जाता है तथा जो हथियारों द्वारा मारे गये हों उनके लिए भी चतुर्दशी को श्राद्ध करना चाहिए ।*
*🔹 अमावस्या का श्राद्ध समस्त विषम उत्पन्न होने वालों के लिए अर्थात तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्याएँ हों उनके लिए होता ह । जुड़वे उत्पन्न होने वालों के लिए भी इसी दिन श्राद्ध करना चाहिए ।*
*🔹 सधवा अथवा विधवा स्त्रियों का श्राद्ध आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन किया जाता है ।*
*🔹 बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है ।*
*🔹 दुर्घटना में अथवा युद्ध में घायल होकर मरने वालों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है ।*
*🔹 जो इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हैं वे समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं । मघा नक्षत्र पितरों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला है । अतः उक्त नक्षत्र के दिनों में किया गया श्राद्ध अक्षय कहा गया है । पितृगण उसे सर्वदा अधिक पसंद करते हैं ।*
*🔹 जो व्यक्ति अष्टकाओं में पितरों की पूजा आदि नहीं करते उनका यह जो इन अवसरों पर श्राद्धादि का दान करते हैं वे देवताओं के समीप अर्थात् स्वर्गलोक को जाते हैं और जो नहीं करते वे तिर्यक्(पक्षी आदि अधम) योनियों में जाते हैं ।*
*🔶 रात्रि के समय श्राद्धकर्म निषिद्ध है ।*
🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

10/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् 25 सितम्बर  - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा अपरान्ह 03:28 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा सुबह 09:37 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*⛅योग - धृति अपरान्ह 02:55 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - सुबह 09:31 से 11:04 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:48*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:13 से 01:00 तक*
पंचक 13 सितम्बर को रात को 9.17 वजे तक चलेंगे  
*⛅व्रत पर्व विवरण - भाद्रपदी पूर्णिमा, महालय श्राद्धारम्भ, पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹महालय श्राद्ध - 10 से 25 सितम्बर 2022🌹*
*🌹श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम*
*🌹1) श्राद्ध के दिन भगवद्गीता के सातवें अध्याय का महात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए ।*
*🌹2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें ।*
*मंत्र ध्यान से पढ़ें :*
*देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।*
*नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः ll*
*(समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं । ये सब शाश्वत  फल प्रदान करने वाले हैं ।)*
*🌹3) श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आप के कुल-खानदान को आशीर्वाद देते हैं ।*
*मंत्र ध्यान से पढ़ें :*
*ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा ।*
*🌹4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं । कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है ।*
*🌹5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुँआ भी न करें ।*
*🌹6) अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :*
*"हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का पुत्र, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।" ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।*
*🌹7) श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश अक्षर मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" की जप करनी चाहिए और उस जप का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए ।*
*🌹8) विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दें । परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारें तो उन्हें भी भोजन कराना चाहिए ।*
*🌹9) भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए ।*
*🌹 पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुर वाणी से कहना चाहिए कि 'हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें ।'*
*श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर मिलता है । (विष्णु पुराणः 3.16,16)*
*🌹10) श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण - ये सात चीजें विशेष शुद्ध होनी चाहिए ।*
*🌹11) श्राद्ध में तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिए : शुद्धि, अक्रोध और अत्वरा (जल्दबाजी नहीं करना)।*
*🌹 12) श्राद्ध में मंत्र का बड़ा महत्त्व है । श्राद्ध में आपके द्वारा दी गयी वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों न हो, लेकिन आपके द्वारा यदि मंत्र का उच्चारण ठीक न हो तो काम अस्त-व्यस्त हो जाता है । मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और जिसके निमित्त श्राद्ध करते हों उसके नाम का उच्चारण भी शुद्ध करना चाहिए 
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

Thursday, September 8, 2022

9/9/2022 Panchang


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 09 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 24 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी शाम 06:07 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा सुबह 11:35 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - सुकर्मा शाम 06:12 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - सुबह 11:04 से 12:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:49*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक पंचक 08 सितंबर को 12.29 वजे पड जाएंगे और 13 सितम्बर सुबहा 09.17 वजे समाप्त हो जाएंगे
*⛅व्रत पर्व विवरण - अनंत चतुर्दशी*
*⛅ विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*
 *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)* 
*🌹महालय श्राद्धारम्भ -- 10 सितम्बर 2022🌹*
*🌹श्रद्धा और मंत्र के मेल से जो विधि होती है उसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं । जीवात्मा का अगला जीवन पिछले संस्कारों से बनता है । अतः श्राद्ध करके यह भावना की जाती है कि उसका अगला जीवन अच्छा हो । जिन पितरों के प्रति हम कृतज्ञतापूर्वक श्राद्ध करते हैं, वे हमारी सहायता करते हैं । विधिपूर्वक श्राद्ध करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं और निष्काम भाव से करने पर व्यक्ति अंतःकरण की शुद्धि और परब्रह्म-परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है, ब्रह्मत्व की सिद्धि प्राप्त कर सकता है ।*
*🔹ध्यान रखने योग्य 3 बातें :🔹*
*(1) शुद्धि (2) अक्रोध (3) अत्वरा यानी जल्दबाजी नहीं ।*
*🌹7 चीजों की शुद्धि : श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य (धन, वस्तुएँ आदि), स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण - ये 7 चीजें विशेष शुद्ध होनी चाहिए ।*
*🌹गीता-पाठ व फल-अर्पण🌹*
*🌹 श्राद्ध के दिन भगवद्गीता के सातवें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए ।*
*🌹पद्म पुराण (सृष्टि खंड) में ब्रह्माजी देवर्षि नारदजी से कहते हैं : ‘‘जो अपनी तर्जनी उँगली में चाँदी की अँगूठी धारण करके पितरों का तर्पण करता है, उसका सब तर्पण लाख गुना अधिक फल देनेवाला होता है ।"*
*🌹 इसी प्रकार यदि "अनामिका उँगली में सोने की अँगूठी पहनकर पितृवर्ग का तर्पण करे तो वह करोड़ों गुना अधिक फल देनेवाला होता है ।’’*
🔹 *साइड इफेक्ट हुआ हो तो...*🔹
*🔹आयुर्वेद साइड इफेक्ट न हो ऐसा बताता है । गिलोय का रस ले लिया करो । गिलोय जहां तहां खूब मिलती है । उसकी टहनियों तोड़ के मिक्सी में घुमा दो और सुबह सुबह गिलोय का 20 - 25 मि.ली. रस ले लिया करो । कैसा भी साइड इफेक्ट हुआ हो भाग जाएगा ।*
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

MOTIVATIONAL Rakshabandhan 2022

*आज की प्रेरणा*

ना थकना, ना थककर रुकना... बल्कि हमेशा मुस्कुराते रहना... तो एक दिन जिंदगी भी तुम्हें परेशान करते-करते थक जाएगी।
👉 (हम मुस्कुराते रहें)

 *TODAY'S INSPIRATION*

Neither get tired nor let tiredness stop you... Always keep smiling....and one day life will get tired of upsetting you.
👉(let's keep smiling)


 

Wednesday, September 7, 2022

8/9/2022 Panchang

*🌞 🚩। l ॐ l ।🚩 🌞*
🕉 || *श्री गणेशाय नमः* || 🕉
  *आज का पंचांग* 
⌛ *समय काल* - *सूरतगढ़ (राज)* 
🔔 *तिथि* :- *13* (त्रयोदशी)रात्रि 09:04 तक
🌻08 सितम्बर 2022 (ग्रेगोरियन कालगणना)
🕉️ *गुरु प्रदोष व्रत* 🕉️
✴️ *विश्व साक्षरता दिवस* ✴️
🅿️ *पंचक रात्रि 12:39 से प्रारंभ* 🅿️
0️⃣8️⃣-0️⃣9️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣
💈 *वार*       :-            गुरुवार
 ☀ *नक्षत्र*   :-              श्रवण
🌅 *सूर्योदय* :-    प्रातः 06:15
🌃 *सूर्यास्त* :-    सायं  06:48 
🌖 *पक्ष*..........            शुक्ल 
🌝 *चन्द्र राशि*...           मकर 
☔ *ऋतु*........               शरद 
🌷 *मास*......            भाद्रपद 
🌍 *युगाब्द*....             5124
🌎 *विक्रम संवत्*.....   2079
🌚 *राहुकाल* सायं 02:06 से सायं 03:40 तक (मांगलिक कार्य वर्जित)
♐ *दिशा शूल*.........     दक्षिण 
🌻 *आपका दिन मंगलमय हो*🌻
    🙏 ● *जय श्रीकृष्ण* ● 🙏                 


🌞आज का हिन्दु पंचाग 🌞
*⛅दिनांक - 08 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 23 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी रात्रि 09:02 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण दोपहर 01:46 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - गण्ड रात्रि 09:41 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 02:10 से 03:44 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:24*
*⛅सूर्यास्त - 06:50*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक*
पंचक कल शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅ विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 
🔹 *अंत्येष्टि संस्कार क्यों ?* 🔹
*🔹(१) देहत्याग के समय क्या करें और क्यों ? (भाग-१)🔹*
*🔹 व्यक्ति अंतिम श्वास ले रहा होता है तो उस आतुर काल में भूमि को गाय के गोबर से लेपन करके शुद्ध करें और जल-रेखा से मंडल (घेरा) बनायें । फिर उस भूमि पर दक्षिणाग्र कुश (नुकीला अग्रभाग दक्षिण की ओर किये हुए कुश) तथा तिल को बिछा दें ।*
*🔹 मरणासन्न व्यक्ति को उस पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर सिर करके सीधा लिटा दें ।*
*🔹 सिर पर तुलसी का पत्ता रखें । उस व्यक्ति के मुँह में बीच-बीच में तुलसी दल डला हुआ गंगाजल डालते रहें । ऐसा करने से वह पापमुक्त हो जाता है ।*
*🔹 घी का दीपक जला दें । मरणासन्न व्यक्ति के दोनों हाथों में कुशा रखें । 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें ।*
*🔹 मरणासन्न व्यक्ति से उसकी सद्गति के लिए तिल, नमक, गाय आदि का दान करा दें । आतुर काल में लवण (नमक) दान करने से जीव की दुर्गति नहीं होती ।*
*🌹स्वास्थ्यप्रद और औषधीय गुणों से भरपूर : हींग 🌹*
*🔹आयुर्वेद के अनुसार हींग अन्न एवं दोषों का पाचन करनेवाली, भोजन में रुचि उत्पन्न करनेवाली व भूखवर्धक है ।*
*🔹यह कफ व वायु शामक तथा तंत्रिका-तंत्र (Nervous system) के लिए बल्य है । कृमिरोग, गृध्रसी (sciatica), पेट के रोग, गठिया, हृदयरोग, वायु के कारण होनेवाला छाती व पेट का दर्द तथा दमा, खाँसी आदि फेफड़ों के रोगों में लाभदायी है ।*  
*🔹दाल अथवा सब्जी में छौंक लगाते समय हींग का उपयोग करने से वह रुचिकर व सुपाच्य हो जाती है । इससे पेट की वायु का शमन होता है व कब्जियत में भी लाभ होता है ।*
*🔹मंदाग्नि हो तो घी में भुनी हुई 2 चुटकी हींग में नींबू का 1 चम्मच रस मिलाकर भोजन के प्रथम कौर के साथ लेने से पेट में पाचक रस स्रावित होने लगते हैं, जिससे जठराग्नि तीव्र हो जाती है ।*
*🔹दूषित अन्न की डकार आती हो, थोड़ा-थोड़ा दस्त होता हो और पेट में वायु भरी हो तो 2 चुटकी हींग में घी मिलाकर गर्म पानी के साथ लें अथवा हिंगादि हरड़ चूर्ण या रामबाण बूटी का सेवन गर्म पानी के साथ करें ।*
*🔹 मात्रा : 125 से 250 मि.ग्रा. ।*
*🔹 सावधानी : पित्त-प्रकोपजनित समस्या हो तो हींग का उपयोग न करें । गर्मियों में हींग का उपयोग अल्प मात्रा (25 मि.ग्रा.) में करें ।*
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*                                             
           
  

31/8/2022 Panchang

*🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 31 अगस्त 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् 15 भाद्रपद- 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी अपरान्ह 03:22 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि 12:12 तक तत्पश्चात स्वाती*
*⛅योग - शुक्ल रात्रि 10:48 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:40 से 02:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:21*
*⛅सूर्यास्त - 06:58*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:03 तक
     पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।*
 *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌹 *गणेश चतुर्थी - 31 अगस्त 2022* 🌹
*👉🏻 गणेश चतुर्थी का व्रत एवं पूजन 31 अगस्त 2022 को है । ‘इस दिन स्नान, दान, जप और उपवास करने से 100 गुना फल होता है ।’ (भविष्यपुराण)*
*👉🏻 भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (कलंकी चौथ) को चन्द्रदर्शन करने से मिथ्या दोष लगता है । इस वर्ष दिनांक 30 और 31 अगस्त - दो दिन चन्द्रदर्शन न करें ।*
🌹 *भारत के विभिन्न शहरों में चन्द्रास्त का समय -*
*मुम्बई -*
30 अगस्त - रात्रि 9-01 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-37 पर
*अहमदाबाद -*
30 अगस्त - रात्रि 9-00 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-34 पर
*जोधपुर -*
30 अगस्त - रात्रि 8-58 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-30 पर
*जम्मू -*
30 अगस्त - रात्रि 8-48 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-16 पर
*बेंगलुरु -*
30 अगस्त - रात्रि 8-43 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-22 पर
*भोपाल -*
30 अगस्त - रात्रि 8-41 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-15 पर
*नयी दिल्ली -*
30 अगस्त - रात्रि 8-40 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-11 पर
*हैदराबाद -*
30 अगस्त - रात्रि 8-38 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-15 पर
*हरिद्वार -*
30 अगस्त - रात्रि 8-35 पर
31 अगस्त - रात्रि 9-06 पर
*लखनऊ -*
30 अगस्त - रात्रि 8-25 पर
31 अगस्त - रात्रि 8-57 पर
*पटना -*
30 अगस्त - रात्रि 8-08 पर
31 अगस्त - रात्रि 8-41 पर
*भुवनेश्वर -*
30 अगस्त - रात्रि 8-07 पर
31 अगस्त - रात्रि 8-43 पर
*कलकत्ता -*
30 अगस्त - रात्रि 7-56 पर
31 अगस्त - रात्रि 8-30 पर
*गुवाहटी -*
30 अगस्त - रात्रि 7-41 पर
31 अगस्त - रात्रि 8-14 पर
🌹 *भूलवश चन्द्रदर्शन हो जाये तो उसका प्रभाव कम करने के लिये -*
*👉🏻 इस मंत्र का 21, 51 या 108 बार जप करके पवित्र किया हुआ जल पीयें -*
*सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः ।*
*सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः ।।*
*अर्थ – 'सुंदर सलोने कुमार ! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान् ने उस सिंह का संहार किया है; अतः तुम रोओ मत । अब इस स्यमन्तक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है ।'*
*(ब्रह्मवैवर्तपुराण)*
*👉🏻 ‘श्रीमद् भागवत’ के 10वें स्कंध के 56-57वें अध्याय में दी गयी ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करना चाहिए ।*
*👉🏻 भाद्रपद शुक्ल तृतीया या पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए ।*
*🌹गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः ।’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।*
*🌹शिवा चतुर्थी - 31 अगस्त 2022🌹* 
*🌹भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है । इस दिन किये गये स्नान, दान, उपवास, जप आदि सत्कर्म सौ गुना हो जाते हैं ।*
*🌹इस दिन जो स्त्री अपने सास-ससुर को गुड़ के तथा नमकीन पुए खिलाती है वह सौभाग्यवती होती है । पति की कामना करनेवाली कन्या को विशेषरूप से यह व्रत करना चाहिए ।*
*🌞🚩🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🚩🌞*

1/9/2022 Panchang

🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 01 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 16 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी दोपहर 02:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - स्वाती रात्रि 12:12 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - ब्रह्म रात्रि 09:12 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:14 से 03:48 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:57*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:02 तक*
       पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण - ऋषि पंचमी*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 ऋषि पंचमी - 01 सितम्बर 2022🌹*
👉 *ऋषि पंचमी के दिन माताएँ आमतौर पर व्रत  रखती हैं । जिस किसी महिला ने मासिक धर्म के दिनों में शास्त्र-नियमों का पालन नहीं किया हो या अनजाने में ऋषि का दर्शन कर लिया हो या इन दिनों में उनके आगे चली गयी हो तो उस गलती के कारण जो दोष लगता है, उस दोष का निवारण  करने हेतु वह व्रत रखा जाता है ।*
*🌹गुरुभक्ति बढ़ाने के प्रयोग🌹*
*🌹गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🌹एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*🌹ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
 *🌹फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*-- 📖 लोक कल्याण सेतु , अंक - 116*
*🔹दुग्धसेवन संबंधी महत्त्वपूर्ण बातें🔹*
*🔹क्या करें ? (✔️)*
*(१) रात्रि को दूध पीना पथ्य ( हितकर), अनेक दोषों का शामक एवं नेत्रहितकर होता है ।*
*(२) पीपरामूल, काली मिर्च, सोंठ इनमें से एक या अधिक द्रव्य दूध के साथ लेने से वह सुपाच्य हो जाता है तथा इन द्रव्यों के औषधीय गुणों का भी लाभ प्राप्त होता है ।*
*(३) उबले हुए गर्म दूध का सेवन वात-कफशामक तथा औटाकर शीतल किया हुआ दूध पित्तशामक होता है ।*
*(४) देशी गाय के दूध में देशी घी मिला के पीने से मेधाशक्ति बढ़ती है ।*
*🔹क्या न करें (❌)*
*(१) फल, तुलसी, अदरक, लहसुन, खट्टे एवं नमकयुक्त पदार्थों के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*(२) नया बुखार, मंदाग्नि, कृमिरोग, त्वचारोग, दस्त, कफ के रोग आदि में दूध का सेवन न करें ।*
*(३) दूध को ज्यादा उबालने से वह पचने में भारी हो जाता है ।*
*(४) बासी, खट्टा, खराब स्वादवाला, फटा हुआ एवं खटाई पड़ा हुआ दूध भूल के भी नहीं पीना चाहिए ।*
*🌞🚩🕉️🌲🌹🌹🌲🕉️🚩🌞*

1/9/2022 Panchang

🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 01 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् 16 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी दोपहर 02:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - स्वाती रात्रि 12:12 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - ब्रह्म रात्रि 09:12 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:14 से 03:48 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:57*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:02 तक*
       पंचक नहीं
*⛅व्रत पर्व विवरण - ऋषि पंचमी*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 ऋषि पंचमी - 01 सितम्बर 2022🌹*
👉 *ऋषि पंचमी के दिन माताएँ आमतौर पर व्रत  रखती हैं । जिस किसी महिला ने मासिक धर्म के दिनों में शास्त्र-नियमों का पालन नहीं किया हो या अनजाने में ऋषि का दर्शन कर लिया हो या इन दिनों में उनके आगे चली गयी हो तो उस गलती के कारण जो दोष लगता है, उस दोष का निवारण  करने हेतु वह व्रत रखा जाता है ।*
*🌹गुरुभक्ति बढ़ाने के प्रयोग🌹*
*🌹गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🌹एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*🌹ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
 *🌹फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*-- 📖 लोक कल्याण सेतु , अंक - 116*
*🔹दुग्धसेवन संबंधी महत्त्वपूर्ण बातें🔹*
*🔹क्या करें ? (✔️)*
*(१) रात्रि को दूध पीना पथ्य ( हितकर), अनेक दोषों का शामक एवं नेत्रहितकर होता है ।*
*(२) पीपरामूल, काली मिर्च, सोंठ इनमें से एक या अधिक द्रव्य दूध के साथ लेने से वह सुपाच्य हो जाता है तथा इन द्रव्यों के औषधीय गुणों का भी लाभ प्राप्त होता है ।*
*(३) उबले हुए गर्म दूध का सेवन वात-कफशामक तथा औटाकर शीतल किया हुआ दूध पित्तशामक होता है ।*
*(४) देशी गाय के दूध में देशी घी मिला के पीने से मेधाशक्ति बढ़ती है ।*
*🔹क्या न करें (❌)*
*(१) फल, तुलसी, अदरक, लहसुन, खट्टे एवं नमकयुक्त पदार्थों के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*(२) नया बुखार, मंदाग्नि, कृमिरोग, त्वचारोग, दस्त, कफ के रोग आदि में दूध का सेवन न करें ।*
*(३) दूध को ज्यादा उबालने से वह पचने में भारी हो जाता है ।*
*(४) बासी, खट्टा, खराब स्वादवाला, फटा हुआ एवं खटाई पड़ा हुआ दूध भूल के भी नहीं पीना चाहिए ।*
*🌞🚩🕉️🌲🌹🌹🌲🕉️🚩🌞*

2/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 17 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी दोपहर 01:51 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 11:47 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - इन्द्र शाम 07:16 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल - सुबह 11:05 से 12:39 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:56*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:02 तक*
   पंचक 08 सितंबर शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹लोकोपयोगी प्रयोग🔹*
*🔹 घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है ।*
*🔹 किसी भी नयी मूल्यवान वस्तु का उपयोग शुरू करने से पहले हल्दी को गंगाजल में मिलाकर उस पर छींटें देने से वह वस्तु अधिक समय तक चलती है मोटापा से राहत पाने के लिए🌹*
*🔹क्या करें ? (✅)*
*🌹1.भोजन नियमित समय पर (सुबह 09:00 से 11:00 बजे तथा शाम को 05:00 से 07:00 के बीच) सीमित मात्रा में पचने में हल्का रुक्ष करें । सलाद व सब्जियों का उपोयोग अधिक करें । गेहूँ का उपयोग कम करें । जौ, ज्वार या बाजरे की रोटी लें ।*
*🌹2. प्राणायाम, आसन, तेजी से चलना, दौड़ना, तैरना आदि शारीरिक श्रम नियमित करें । सप्ताह में 1 दिन उपवास जरूर करें ।*
*🌹3. तखत पर पतला बिस्तर बिछाकर सोना, तिल या सरसों के तेल से मालिश करना सामान्यतया लम्बे-गहरे श्वास लेना लाभकारी है ।*
*🌹4. प्रात:काल गुनगुने पानी में शहद तथा नींबू का रस मिलाकर लें । गर्म-गर्म अन्न, गर्म पानी, चावल के माँड का सेवन करें ।*
*🌹5. शहद, आँवला चूर्ण, गोमूत्र अर्क, त्रिफला चूर्ण शुद्ध शिलाजीत तथा सोंठ अदि का सेवन  हितकारी है ।*
*🔹क्या न करें ❎*
*🌹1. पचने में भारी मधुर व शीतल आहार का सेवन, अधिक मात्रा में भोजन व निद्रा तथा व्यायाम व परिश्रम का अभाव आदि कारणों से शरीर स्थूल होता है । अतः इनसे बचें ।*
*🌹2. दिन में सोना, लगातार बैठे रहना, देर रात को भोजन करना, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गद्दों तथा ए.सी. या कूलर की हवा में सोना, आराम प्रियता आदि का त्याग करें ।*
*🌹3. कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा वाले पदार्थ जैसे चावल, शक्कर, गुड़, आलू, शकरकंद व इनसे बने हूए व्यंजन, स्निग्ध पदार्थ जैसे घी, तेल व इन से बने पदार्थ एवं दही, दूध से बने खोया, मिठाई आदि व्यंजन और सूखे मेवे व फास्ट फूड के सेवन से बचें ।*
*🌹4. अधिक तनाव भी अति स्थूलता का कारण हो सकता है, अतः इससे बचें । इसके लिए सत्संग, ध्यान, हरि का आश्रय लें ।*
*🌹5. बार-बार खाने तथा भोजन के बाद तुरंत नींद लेने या स्नान करने से बचें ।*
*🌞🕉️🌹💐💐🌹🕉️🌞*

3/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 03 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् 18 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 10:57 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*⛅योग - वैधृति शाम 05:00 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - सुबह 09:31 से 11:05 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:55*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:02 तक*
     पंचक 08 शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अति नींद और सुस्ती आती हो तो...*
*🔹 पढ़ते समय नींद आती हो और सिर दुखता हो तो पान में एक लौंग डालकर चबा लेना चाहिए । इससे सुस्ती और सिरदर्द में कमी होगी तथा नींद अधिक नहीं सतायेगी ।*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है *
अशुभ क्या है ? (भाग-१) बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)*
*🔹 कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)*
*🔹 'महाभारत' में यह भी आया है कि 'घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।'*
*🔹 दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)*
*🔹जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।*
*🌞🕉️🌹💐🌲🌲💐🌹🕉️🌞*

5/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 05 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् 20 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी सुबह 08:27 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 08:06 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - प्रीति सुबह 11:28 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - सुबह 07:57 से 09:31 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:53*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 01:01 तक
  पंचक 08 शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण - शिक्षक दिवस*
*⛅ विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । दशमी को कलम्बिका शाक खाना सर्वथा त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सर्वांगीण विकास की कुंजियाँ🔹*
*🔹यादशक्ति बढ़ाने हेतु🔹*
*👉 (१) प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस, एक चम्मच च्यवनप्राश व थोड़ी-सी किशमिश का घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पीयें । ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा ।*
*👉 (२) भोजन के बाद तिल का एक लड्डू चबा-चबाकर खायें ।*
*👉 (३) १०० ग्राम सौंफ, १०० ग्राम बादाम व २०० ग्राम मिश्री तीनों को कूटकर मिला लें । सुबह ३ से ५ ग्राम यह मिश्रण चबा-चबाकर खायें, ऊपर से दूध पी लें । दूध के साथ भी ले सकते हैं । इससे भी यादशक्ति बढ़ेगी ।*
*🔹पढ़ा हुआ याद रहे, इस हेतु :🔹*
*👉 (१) अध्ययन के समय पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके सीधे बैठें ।*
*👉 (२) सारस्वत्य मंत्र का जप कर के जीभ की नोक को तालू में लगाकर पढ़ें ।*
*👉 (३) अध्ययन के बीच-बीच में व अंत में शांत हों और पढ़े हुए का मनन करें । भगवद्सुमिरण कर के शांत हों ।*
*🔹कद बढ़ाने हेतु🔹*
*👉 प्रातःकाल दौड़ लगायें, पुल-अप्स व ताड़ासन करें तथा २ काली मिर्च के टुकड़े करके मक्खन में मिलाकर निगल जायें । देशी गाय का दूध कदवृद्धि में विशेष सहायक है ।* 
 *🔹शरीरपुष्टि हेतु:🔹* 
*👉 (१) भोजन से पहले हरड़ चूसें व भोजन के साथ भी खायें  ।*
*👉 (२) रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर उसमें दो किशमिश भिगो दें । सुबह पानी छानकर पी जायें व किशमिश चबाकर खा लें ।*
*🌞🕉️🌹🏵️💐💐🏵️🌹🕉️

6/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् 21 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी प्रातः 05:54 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा शाम 06:09 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - आयुष्मान सुबह 08:16 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 03:45 से 05:19 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:52*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 01:01 तक*
   पंचक 08 शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण - पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी*
*⛅ विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 
*एकादशी (06, 07 सितंबर 2022 )के दिन चावल खाना वर्जित है ।*
*🌹पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी - 07 सितंबर 2022*
*🔹एकादशी 06 सितंबर प्रातः 05:54 से 07 सितंबर प्रातः 03:04 तक है । व्रत उपवास 07 सितंबर बुधवार को रखें ।*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है *👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*      
*🌹श्रवण नक्षत्र युक्त बुधवारी द्वादशी योग : 07 सितम्बर (शाम 03:59 बजे से रात्रि 12:06 तक)*
*🌹बुधवारयुक्त श्रवणद्वादशी महिमा🌹*
*🌹 भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : "राजन् ! भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यदि श्रवण नक्षत्र से युक्त हो तो इसमें व्रत करने से सभी कामनाएँ पूर्ण हो  जाती है ।*
*🌹 एकमात्र इस श्रवणद्वादशी का व्रत कर लेने से १२ द्वादशी व्रतों का फल मिलता है ।*
*🌹 यदि यह श्रवण नक्षत्र युक्त द्वादशी बुधवार के दिन होती है तो उसमें संयमपूर्वक व्रती रहने से महान फल प्राप्त होते हैं - उसमें किये हुए जप, सत्संग, ध्यान, हरिकीर्तन, व्रत, उपवास, स्नान, दान, मौन, सेवा आदि सभी सत्कर्म अक्षय फल देते हैं । अतः इस दिन बिना विचारे ये सत्कर्म अवश्य करने चाहिए । इस व्रत से गंगा स्नान का लाभ होता है ।*
*🌞🕉️🌹🏵️🏵️🌹🕉️🌞*

Tuesday, September 6, 2022

30/8/2022 Panchang



7/9/2022 Panchang

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 07 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् 22 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी 07 सितंबर प्रातः 03:04 तक तत्पश्चात द्वादशी (07 सितंबर रात्रि 12:04 तक)*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा शाम 04:00 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - शोभन रात्रि 01:16 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:38 से 14:11 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:24*
*⛅सूर्यास्त - 06:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 01:01 तक*
  पंचक 08 सितंबर शाम को
*⛅व्रत पर्व विवरण - पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी, वामन जयंती*
*⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 
*एकादशी व्रत (07 सितंबर 2022 ) के दिन चावल खाना वर्जित है ।*
*🌹श्रवण नक्षत्र युक्त बुधवारी द्वादशी योग : 07 सितम्बर (शाम 03:59 बजे से रात्रि 12:06 तक)*
*🌹पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी - 07 सितंबर 2022*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है 
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