*⛅दिनांक - 16 सितम्बर 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् 31 भाद्रपद - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका सुबह 09:55 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - वज्र 17 सितम्बर प्रातः 05:51 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 11:02 से 12:34 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:26*
*⛅सूर्यास्त - 06:42*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:11 से 12:58 तक पंचक नहीं*
*⛅व्रत पर्व विवरण - षष्ठी, सप्तमी का श्राद्ध*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, पुष्टि, धन-धान्य देनेवाला श्राद्ध - कर्म🔹*
*🔹श्राद्ध-महिमा🔹*
*(श्राद्ध पक्ष : 10 से 25 सितम्बर) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृ पक्ष' या 'महालय पक्ष' बोलते हैं । आपका एक माह बीतता है तो पितृलोक का एक दिन होता है । साल में एक बार ही श्राद्ध करने से कुल खानदान के पितरों को तृप्ति हो जाती है ।*
*🔹श्राद्ध क्यों करें ?🔹*
*🔹गरुड़ पुराण (१०.५७-५९) में आता है कि 'समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।'*
*'हारीत स्मृति' में लिखा है :*
*न तत्र वीरा जायन्ते नारोग्यं न शतायुषः ।*
*न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यत्र श्राद्धं विवर्जितम् ॥*
*🔹'जिनके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते, कोई निरोग नहीं रहता । लम्बी आयु नहीं होती और किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता (किसी-न-किसी तरह की झंझट और खटपट बनी रहती है) ।'*
*🔹महर्षि सुमंतु ने कहा : “ श्राद्ध जैसा कल्याण मार्ग गृहस्थी के लिए और क्या हो सकता है ! अतः बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ।"*
*🔹श्राद्ध पितृलोक में कैसे पहुँचता है ?🔹*
*🔹श्राद्ध के दिनों में मंत्र पढ़कर हाथ में तिल, अक्षत, जल लेकर संकल्प करते हैं तो मंत्र के प्रभाव से पितरों को तृप्ति होती है, उनका अंतःकरण प्रसन्न होता है और कुल खानदान में पवित्र आत्माएँ आती हैं ।*
*🔹'यहाँ हमने अपने पिता का, पिता के पिता का और उनके कुल गोत्र का नाम लेकर ब्राह्मण को खीर खिलायी, विधिवत् भोजन कराया और वह ब्राह्मण भी दुराचारी, व्यसनी नहीं, सदाचारी है । बाबाजी ! हम श्राद्ध तो यहाँ करें तो पितृलोक में वह कैसे पहुँचेगा ?'*
*🔹जैसे मनी ऑर्डर करते हैं और सही पता लिखा होता है तो मनी ऑर्डर पहुँचता है, ऐसे ही जिसका श्राद्ध करते हो उसका और उसके कुल गोत्र का नाम लेकर तर्पण करते हो कि 'आज हम इनके निमित्त श्राद्ध करते हैं' तो उन तक पहुँचता है । देवताओं व पितरों के पास यह शक्ति होती है कि दूर होते हुए भी हमारे भाव और संकल्प स्वीकार करके वे तृप्त हो जाते हैं । मंत्र और सूर्य की किरणों के द्वारा तथा ईश्वर की नियति के अनुसार वह आंशिक सूक्ष्म भाग उनको पहुँचता है ।*
*🔹 यहाँ खिलायें और वहाँ कैसे मिलता है ?🔹*
*🔹भारत में रुपये जमा करा दें तो अमेरिका में डॉलर और इंग्लैंड में पाउंड होकर मिलते हैं । जब यह मानवीय सरकार, वेतन लेनेवाले ये कर्मचारी तुम्हारी मुद्रा (करंसी) बदल सकते हैं तो ईश्वर की प्रसन्नता के लिए जो प्रकृति काम करती है, वह ऐसी व्यवस्था कर दे तो इसमें ईश्वर व प्रकृति के लिए क्या बड़ी बात है ! आपको इस बात में संदेह नहीं करना चाहिए ।*
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[| रात्रि चिंतन ||*
*🌹अंतर्यामी परमात्मा तो अपने भीतर ही है जो उसे छोड़कर किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ की इच्छा करता है, वह अंतर्यामी परमात्मा का अपमान करता है, वह बहुत बड़ी भूल करता है।*
🌲🌹🕉️ जय सियाराम 🕉️🌹🌲