Saturday, November 5, 2022

shudha satyivik prem apane kary ka adhar v e ma tere charano me

शुद्ध सात्विक प्रेम अपने 
कार्य का आधार है ॥धृ॥..2
          प्रेम जो केवल समर्पण 
          भाव को ही जानता है
          और उसमें ही स्वयं की 
          धन्यता बस मानता है
          दिव्य ऐसे प्रेम में
          ईश्वर स्वयम् साकार है ॥1॥ 
          शुद्ध सात्विक....
भरत जननी ने किया 
वात्सल्य से पालन हमारा
है कृपा इसकी मिला है 
प्राण तन जीवन हमारा
भक्ति से हम हों समर्पित 
बस यही अधिकार है ॥2॥ 
शुद्ध सात्विक....
           जाति भाषा प्रान्त आदि 
           वर्ग भेदों को मिटाने
           दूर अर्थाभाव करने 
           तम अविद्या को हटाने
           नित्य ज्योतिर्मय हमारा 
           हृदय स्नेहागार है ॥3॥ 
           शुद्ध सात्विक....
कोटि आँखो से निरन्तर 
आज आँसू बह रहे है
आज अनगिन बन्धु दुःसह 
यातनाएं सह रहे हैं
दुख हरें सुख दें सभी को 
एक यह आचार है ॥4॥ 
शुद्ध सात्विक....


ऐ माँ तेरे चरणों में, आकाश झुका देंगे 
अब जाग उठे हैं हम, कुछ करके दिखा देंगे॥  
      अब होश में आए हैं, अब जोश में आए हैं
      अब उठ बैठे हैं हम, तूफान मचा देंगे॥ 
       ऐ माँ तेरे....
आँसू न बहा माता, मोती न लुटा माता 
अब तेरे पसीने पर, खून अपना बहा देंगे॥ 
ऐ माँ तेरे....
     सदियों की गुलामी को, हम सबने भगाया है
     दुनिया के लुटेरों को, दुनिया से मिटा देंगे॥ 
     ऐ माँ तेरे....

No comments:

Post a Comment