*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 01 अगस्त 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी 02 अगस्त प्रातः 05:13 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम 04:06 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - परिघ शाम 07:04 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - सुबह 07:49 से 09:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:21*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, लोकमान्य तिलक पुण्यतिथि*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹शास्त्रीय, वैज्ञानिक भारतीय व्यवस्था का एक प्रमाण : गोबर-लेपन*
*🔹देशी गाय का गोबर शुद्धिकारक, पवित्र व मंगलकारी है । यह दुर्गंधनाशक एवं सात्त्विकता व कांति वर्धक है । भारत में अनादि काल से गौ-गोबर का लेपन यज्ञ-मंडप, मंदिर आदि धार्मिक स्थलों पर तथा घरों में भी किया जाता रहा है ।*
*भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*सभा प्रपा गृहाश्चापि देवतायतनानि च ।*
*शुध्यन्ति शकृता यासां किं भूतमधिकं तत: ।।*
*🔹‘जिनके गोबर से लीपने पर सभा-भवन, पौसले (प्याउएँ), घर और देव-मंदिर भी शुद्ध हो जाते हैं, उन गौओं से बढ़कर पवित्र और कौन प्राणी हो सकता है ?’ (महाभारत, आश्वमेधिक पर्व)*
*🔹मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाने का रहस्य !*
*🔹मरणासन्न व्यक्ति को गोबर-लेपित भूमि पर लिटाये जाने की परम्परा हमारे भारतीय समाज में आपने-हमने देखी ही होगी । क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण हैं ?*
*🔹गरुड़ पुराण के अनुसार ‘गोबर से बिना लिपी हुई भूमि पर सुलाये गये मरणासन्न व्यक्ति में यक्ष, पिशाच एवं राक्षस कोटि के क्रूरकर्मी दुष्ट प्रविष्ट हो जाते हैं ।’*
*🔹वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों का निष्कर्ष भी इस भारतीय परम्परा को स्वीकार करता है । अनुसंधानों के अनुसार गोबर में फॉस्फोरस पाया जाता है, जो अनेक संक्रामक रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है । मृत शरीर में कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु होते हैं । अत: उसके पास उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य-संरक्षण हेतु भूमि पर गोबर-लेपन करना अनिवार्य माना गया है ।*
*🔹हानिकारक विकिरणों से रक्षा का उपाय :*
*वर्तमान समय में वातावरण में हानिकारक विकिरण (radiations) फेंकनेवाले उपकरणों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है । इन विकिरणों तथा आणविक प्रकल्पों व कारखानों एवं परमाणु हथियारों के प्रयोग से निकलनेवाले विकिरणों से सुरक्षित रहने का सहज व सरल उपाय भारतीय ऋषि-परम्परा के अंतर्गत चलनेवाली सामाजिक व्यवस्था में हर किसीको देखने को मिल सकता है ।*
*🔹इस बात को स्पष्ट करते हुए डॉ. उत्तम माहेश्वरी कहते हैं : “घर की बाहरी दीवार पर गोबर की मोटी पर्त का लेपन किया जाय तो वह पर्त हानिकारक विकिरणों को सोख लेती है, जिससे लोगों का शरीरिक-मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है ”*
*🔹भारतीय सामजिक व्यवस्था संतो-महापुरुषों के सिद्धांतों के अनुसार स्थापित व प्रचलित होने से इसके हर एक क्रियाकलाप के पीछे सूक्ष्मातिसूक्ष्म रहस्य व उन महापुरुषों की व्यापक हित की भावना छुपी रहती है । विज्ञान तो उनकी सत्यता और महत्ता बाद में व धीमे-धीमे सिद्ध करता जायेगा और पूरी तो कभी जान ही नहीं पायेगा । इसलिए हमारे सूक्ष्मद्रष्टा, दिव्यद्रष्टा महापुरुषों के वचनों पर, उनके रचित शास्त्रों-संहिताओं पर श्रद्धा करके स्वयं उनका अनुभव करना, लाभ उठाना ही हितकारी है ।*
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