Sunday, July 31, 2022

31/7/2022 Panchang

*🌞आज का हिन्दू पंचांग 🌞
*⛅दिनांक - 31 जुलाई 2022*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया 01 अगस्त प्रातः 04:18 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - मघा दोपहर 02:20 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग - वरीयान् शाम 07:12 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - शाम 05:43 से 07:22 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:22*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 रविवार विशेष 🔹*
*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर ( बाल काटना व दाढ़ी बनवाना ) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्त्ता तोड़ना वर्जित है ।*
*🔹 व्यापार में वृद्धि हेतु 🔹*
*👉🏻 रविवार को गंगाजल लेकर उसमें निहारते हुए २१ बार गुरुमंत्र जपें, गुरुमंत्र नहीं लिया हो तो गायत्री मंत्र जपें । फिर इस जल को व्यापार-स्थल पर जमीन एवं सभी दीवारों पर छिड़क दें । ऐसा लगातार ७ रविवार करें, व्यापार में वृद्धि होगी ।*
*🔹 विद्याध्ययन में आनेवाली पाँच बाधाएँ*🔹
*🔹 बालकों को विद्याध्ययन में पाँच बाधाओं से सावधान रहना चाहिए*
*१) अभिमान २) क्रोध ३) प्रमाद ४) असंयम ५) आलस्य*
*ये पाँच दोष विद्याध्ययन में बाधक बनते हैं ।
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Thursday, July 28, 2022

29/7/2022 Panchang

*🌞आज का हिन्दू पंचाग 🌞
*⛅दिनांक - 29 जुलाई 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा रात्रि 01:21 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - पुष्य सुबह 09:47 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - सिद्धि शाम 06:36 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल - सुबह 11:07 से 12:36 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:26 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग*
*⛅ विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा,पेठा) न खाएं, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹व्यतिपात योग - 29 जुलाई 2022🔹*
*29 जुलाई शाम 06:37 से 30 जुलाई शाम 07:02 तक*
*🌹व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है ।*
*🔹सावधानी से स्वास्थ्य - भाग (१)🔹*
*🔹स्वस्थ रहने के लिए स्वास्थ्यरक्षक कुछ नियम जान लें*
*👉 ब्राह्ममुहूर्त में उठें (सूर्योदय से लगभग दो घंटे पूर्व ब्राह्ममुहूर्त होता है ।)*
*👉 सुबह खाली पेट रात का रखा हुआ (गुनगुना) पानी पियें । इससे पेट की तमाम बीमारियाँ दूर हो जाती हैं । कब्ज अनेक बीमारियों की जड़ है, वह इस प्रयोग से दस दिन में ठीक हो जाती है ।*
*👉 सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करें । सर्वप्रथम अपने सिर पर पानी डालें फिर पूरे शरीर पर ताकि सिर आदि शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों से निकल जाय । अगर पहले पैरों पर पानी डालते हैं तो पैरों की गर्मी सिर पर चढ़ती है । अतः सावधानी रखें ।*
*👉 सदैव सूती एवं स्वच्छ वस्त्र पहनें । कृत्रिम (सिंथैटिक) कपड़े न पहनें । ये कपड़े जीवनशक्ति का ह्रास करते हैं ।*
*👉 चौबीस घंटों में केवल दो बार भोजन करें । अगर तीसरी बार करते हों तो बहुत सावधान रहें, हलका नाश्ता करें ।*
*🔹धन-सम्पत्ति के लिए क्या करें ?🔹*
*👉 घर के अंदर, लक्ष्मी जी बैठी हों ऐसा फोटो रखना चाहिए और दुकान के अंदर, लक्ष्मी जी खड़ी हों ऐसा फोटो रखना चाहिए ।*
*👉 ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से घर में लक्ष्मी की वृद्धि होती है ।*
*👉 नौकरी-धंधे के लिए जाते हों और सफलता नहीं मिल पाती हो तो इक्कीस बार 'श्रीमद् भगवद गीता' का अंतिम श्लोक बोलकर फिर घर से निकलें तो सफलता मिलेगी । श्लोकः*
*यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।*
*तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ।।*
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29/7/2022 Guru dakshina visheshanka RSS

श्री गुरुदक्षिणा विशेषांक 


 

महर्षि वेदव्यास जी



भगवे नूँ प्रणाम करो 


भगवे नूँ प्रणाम करो, ध्वज भगवे नूँ प्रणाम करो।

हिन्दु जाति दे ध्वज महान, इस भगवे नूँ प्रणाम करो॥

            आदि युग तों हिन्दु जाति दा, महान एही निशान रिहा।

            तेज त्याग साहस सरूप, झंडे दा हुँदा मान रिहा। 

            देश-धरम दा है प्रतीक, इसदी सेवा निष्काम करो॥

            भगवे नूँ प्रणाम करो, ध्वज भगवे नूँ प्रणाम करो।

झंडा शेर जवानां दा, रणमर्दां दा विद्वानां दा।

सदा जित्त के औंदे रहे, ओहनां विजयी वीर बलवानां दा।

जिसदे दर्शन तों जित्त हुंदी, उसदा उच्चा नाम करो॥ 

भगवे नूँ प्रणाम करो, ध्वज भगवे नूँ प्रणाम करो।

           इस ध्वजा नूँ हत्थ लै के, असीं दसां दिशां विच जावांगे।

           वैरी दी अलख मुका के एहनूँ, दूर-दूर फहरावांगे।

           हिन्दू दी जय, भारत दी जय, भगवे दा जयगान करो॥

           भगवे नूँ प्रणाम करो, ध्वज भगवे नूँ प्रणाम करो।

           हिन्दु जाति दे ध्वज महान, इस भगवे नूँ प्रणाम करो॥

           भगवे नूँ प्रणाम.... 


हमको प्राणों से प्यारा

हमको प्राणों से प्यारा , यह भगवा ध्वज है हमारा ।

जीवन का एक सहारा , यह भगवा ध्वज है हमारा ।।

                     शिवराज ने इसको लेकर, प्रताप ने जीवन देकर,

                     यवनों का ताज उतारा, यह भगवा ध्वज है हमारा ।।

                     हमको प्राणों से .......

नलवा ने इसे लिया था, और खैबर पार किया था,

कांपा था काबुल सारा, यह भगवा ध्वज है हमारा ॥

हमको प्राणों से .......

                      हे हिन्दू वीरों प्यारों, सब एक साथ ललकारो –

                      यह हिन्दू राष्ट्र हमारा, यह भगवा ध्वज है हमारा ।।

                      हमको प्राणों से ....... 



भारतमाता तेरा आँचल

भारतमाता तेरा आँचल, हरा-भरा धानी-धानी

मीठा-मीठा छम-छम करता, तेरी नदियों का पानी॥

                           मस्त हवा जब लहराती है, दूर-दूर तक पहुंचाती है

                           जग को मीत बनाने वाली, मधुर-मधुर तेरी वाणी॥

                           भारतमाता तेरा आँचल....


द्वार खड़े हैं चाहने वाले, तेरे घर के हैं रखवाले

ऊंचे-ऊंचे तेरे पर्वत, वीर बहादुर सेनानी॥

भारतमाता तेरा आँचल....


                          जीवन पुष्प चढ़ा चरणों में, मांगें मातृभूमि से यह वर

                          तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें॥

                          भारतमाता तेरा आँचल....




एकल गीत 

मन समर्पित तन समर्पित


मन समर्पित तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित

चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ॥ मन समर्पित ....


               माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन

               किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन

               थाल में लाऊं सजाकर भाल जब

               स्वीकार कर लेना दया कर यह समर्पण

               गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित ॥1॥ चाहता हूँ .... 


माँज दो तलवार को, लाओ न देरी

बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी 

भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी

शीश पर आशीष की छाया घनेरी

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित, आयु का क्षण-क्षण समर्पित ॥2॥ चाहता हूँ ....


               तोड़ता हूँ मोह का बन्धन क्षमा दो

               गाँव मेरे द्वार घर आँगन क्षमा दो

               आज सीधे हाथ में तलवार दे दो ...2

               और बाएँ हाथ में ध्वज को थमा दो

               ये सुमन लो, ये चमन लो, नीड़ का तृण-तृण समर्पित ॥3॥ चाहता हूँ ....

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गुरुर्ब्रह्मा  गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवो महेश्वर: ।

गुरु: साक्षात् परब्रह्म:, तस्मै श्री गुरुवे नमः॥


भावार्थ - गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर हैं। गुरु ही साक्षात् परब्रहम हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।

गुरु गोबिन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय ।

बलिहारी गुरु आपने, गोबिन्द दियो बताय॥

                                                   (सन्त कबीरदास जी)

अर्थ – गुरु और गोबिन्द (भगवान) एक साथ खड़े हों, तो पहले किन्हें प्रणाम् करना चाहिए। ऐसी स्थिति में गुरु के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है, जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोबिन्द के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।



सब धरती कागद करूँ, लेखनि सब बन राय।

सात समुंद की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय॥

भावार्थ – पूरी धरती के बराबर कागज बना लें, वन में उपलब्ध सभी वृक्षों की लकड़ी को एकत्रित करके उसकी लेखनी (कलम) बना लें, सातों समुद्रों के पानी को स्याही बना लें, तो भी गुरु के गुणों को लिखने के लिए वे कम पड़ेंगे। अर्थात् की महिमा अपरंपार है। 


गुरु कुम्हार शिष कुम्भ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़े खोट।

अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट॥


भावार्थ – गुरु ही शिष्य के चरित्र का निर्माण करता है। गुरु के अभाव में शिष्य एक माटी का अनगढ़ टुकड़ा ही होता है। जैसे कुम्हार घड़ा बनाते समय बाहर से तो चोट मारता है और अंदर से हलके हाथ से उसे सहारा भी देता है, कि कहीं घड़ा टूट न जाए, इसी भांति गुरु भी उसके अवगुण तो दूर करते हैं, उसके अवगुणों पर चोट करते हैं, लेकिन अंदर से उसे सहारा भी देते हैं, जिससे कहीं वह टूट न जाए। 


देनहार कोऊ और है, सो भेजत दिन रैन।

लोग भरम मेरो करें, तासों नीचे नैन॥


भावार्थ – कवि रहीम कहते है, कि देने वाला कोई और है, वो दिन-रात दे रहा है। लोगों का ये झूठा भ्रम है, कि मैं दे रहा हूँ। इसीलिए मेरे नेत्र नीचे हैं। 







परम पूजनीय डा० हेडगेवार जी ने कहा -

   “संघ को नया झण्डा खड़ा नहीं करना है। भगवाध्वज का निर्माण संघ ने नहीं किया है। संघ ने उसी परम पवित्र भगवाध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया है, जो हजारों वर्षों से धर्म का ध्वज था। भगवाधवज के पीछे इतिहास है, परम्परा है, वह हिन्दू संस्कृति का द्योतक है। इसे हमने पूज्य गुरु के रूप में स्वीकार किया है।“


परम पूजनीय श्री गुरुजी ने कहा – 

        “भगवाध्वज अनादिकाल से हमारे धर्म, संस्कृति, परम्पराओं और आदर्शों का प्रतीक रहा है। यह यज्ञ की पवित्र अग्नि के रंग को, जो आदर्शवाद की अग्निशिखा में आत्मबलिदान करने का संदेश देती है तथा विश्व में सभी ओर अन्धकार दूर कर प्रकाश फैलाने वाले उदयोन्मुख तेजस्वी सूर्य के नारंगी रंग को अपने में मूर्तिमान करता है।“ 


परम पूजनीय श्री गुरु जी ने कहा है – 

        “अखण्ड श्रद्धा और दृढ़ संकल्प, यही जिनकी एकमात्र शक्ति होती है, ऐसे सामान्य मनुष्यों से ही देश के महान कार्य हुए हैं।“



महर्षि अरविन्द जी ने कहा -

      “ भगवान् को अर्पण करने का अर्थ है, अपनी सब शक्तियाँ किसी ईश्वरीय कार्य के लिए लगा देना। अपने शरीर, मन, बुद्धि का उपयोग अच्छे कामों के लिए, देश-धर्म के कार्यों के लिए तथा परमेश्वर की प्राप्ति के लिए करना... ।“



पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने कहा – 

   “जहां समर्पण वृत्ति होती है, वहाँ अन्तःकरण शुद्ध होता है। समर्पण जितना बढ़ता है – जीवन में सौम्यता, सरलता, शुद्धता, निर्मलता, परमात्मा की कृपा से आती ही चली जाती है।“







  * भारत में श्रीगुरुदक्षिणा की परंपरा अति प्राचीन है ।

  • वर्ष में एक बार श्री गुरुचरणों में गुप्त रूप से कुछ धन अर्पित करने की परंपरा । 

  • संघ में परम पवित्र भगवा ध्वज को गुरु माना गया है। 


मनुष्य जीवन में गुरु की आवश्यकता क्यों

बिना गुरु के आशीर्वाद के जीवन में आगे बढ़ना कठिन है। 

विवेक जागृत करने के लिए गुरु की आवश्यकता

संस्कार देने का कार्य गुरु ही करता है। 

माँ हमारी प्रथम गुरु, इसलिए कहा – ‘मातृ देवो भव’

पिताजी शिक्षा देते हैं, इसलिए कहा – ‘पितृ देवो भव’

फिर हमें आचार्य शिक्षा देते हैं, इसलिए कहा – ‘आचार्य देवो भव’

गुरु कौन 

गुरु दो शब्दों का समुच्चय है :

गु यानि अंधकार

रू यानि मिटाने वाला

 हमारे जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान द्वारा विवेक जागृत करने वाला ही गुरु है। 

जिससे जीवन में सीखने को मिले वह गुरु है। 

कहते हैं भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु थे।

 गुरु वही जो हमारा सच्चा पथ-प्रदर्शक, हमारे उद्देश्य व आदर्श की साक्षात् मूर्ति हो।

 हमारे कार्य का साकार रूप हो।

परम पवित्र भगवा ध्वज हमारा गुरु

परम पवित्र भगवा ध्वज को हमने गुरु के रूप में स्वीकार किया, व्यक्ति को क्यों नहीं ?

क्योंकि हमारे ऋषियों ने गुरु के गुणों की विस्तार से व्याख्या की, परन्तु किसी एक व्यक्ति में ये सभी गुण मिल पाना कठिन है

व्यक्ति स्खलनशील (गायत्री मंत्र के निर्माता विश्वामित्र जी का उदाहरण) 

व्यक्ति सब जगह उपस्थित नहीं हो सकता। 

‘व्यक्ति मरणधर्मा’ : अतः व्यक्ति के जाते ही संगठन की उद्देश्य से भटकने की संभावना।

 हमें व्यक्तिनिष्ठ नहीं तत्वनिष्ठ समाज रचना करनी है।

परम पवित्र भगवा ध्वज की विशेषता

ऐतिहासिक - 

भगवद् ध्वज यानि भगवान का ध्वज, यह हमारी अनादि काल की परंपरा का वाहक।

उसी की छत्रछाया में भारत जगद्गुरु बना।

यह स्वर्ण गैरिक (स्वर्ण- ऐश्वर्य, गैरिक-त्याग) ध्वज हमारे ऐश्वर्य व त्याग का प्रतीक है। 

भारत की बलिदानी परंपरा एवं शौर्य का प्रतीक।

यज्ञ हमारी सांस्कृतिक जीवनधारा।

यज्ञ यानि व्यक्तिगत जीवन को समर्पित करते हुए समष्टि जीवन को परिपुष्ट करने का प्रयास। 

(“राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम")

यज्ञ यानि सद्गुण रूपी अग्नि में अयोग्य, अनिष्ट व अहितकारी बातों का होम करना।

यज्ञ यानि श्रद्धामय, त्यागमय, सेवामय एवं तपस्यामय जीवन व्यतीत करना। यज्ञ के अधिष्ठात्री देवता अग्नि हैं। अग्नि की ज्वालाओं का प्रतिरूप हमारा परम पवित्र भगवा ध्वज।

सांस्कृतिक - 

हम ज्ञान के उपासक, अज्ञान के नहीं। जीवन के हर क्षेत्र में विशुद्ध ज्ञान की प्रतिष्ठापना करना ही हमारी सांस्कृतिक विशेषता। अज्ञान का प्रतीक अंधकार - ज्ञान का प्रतीक सूर्य। सूर्यनारायण के रथ पर लहराने वाला हमारा परम पवित्र भगवा ध्वज।



धार्मिक - 

हिन्दू संस्कृति का प्रतीक। हिन्दुत्व का प्रतीक। मठ - मंदिर - यज्ञशाला पर यही ध्वज फहराता है।

साधु - संतों, सन्यासियों, योद्धाओं का बाना है। अर्थात् त्याग व सर्वस्व अर्पण का प्रतीक है।

जीवन में समभाव का प्रतीक है । (उगते व अस्त होते सूर्य का रंग एक जैसा होता है)

समर्पण क्यों

संगठन आत्मनिर्भर बनता है। किसी पर आश्रित नहीं। (महामना मालवीय जी एवं महात्मा गांधी जी का उदाहरण)

अपनत्व भाव का जागरण होता है। हम चला रहे हैं, यह अनुभूति रहती है।

आत्मनिर्भर एवं ध्येय समर्पित होने के कारण किसी भी परिस्थिति में डिगता नहीं है।

जहां समर्पण की आवृत्ति है, वहां अंतःकरण शुद्ध होता है। समर्पण जितना बढ़ता है, जीवन में सौम्यता, सरलता, शुद्धता व निर्मलता भगवान की कृपा से आती ही चली जाती है।

समर्पण कैसे

सच्ची भावना से अधिकाधिक समर्पण करना हमारा कर्तव्य।

हम कितना देते हैं, इस बात से अधिक महत्व की बात है, कि हम कितने प्रयास और किस भावना से देते हैं।

धन से सेवा करने पर, धन में रहने वाली ममता कम होती है। तन से सेवा करने पर देहाभिमान कम होता चला जाता है। मन से सेवा करने पर थकान अनुभव नहीं होती है।

कार्य की आवश्यकता अनुसार अधिक से अधिक समर्पण करना चाहिए। जिस प्रकार संघ कार्य के लिए हम प्रतिदिन समय देते हैं, उसी प्रकार दैनिक समर्पण से हम अधिक समर्पण (गुरुदक्षिणा) कर सकते हैं।

सबसे बड़ा समर्पण है – समय का समर्पण। इसपर ध्यान केन्द्रित करके हम संघ कार्य में जितना समय लगाते है, उसमें शनै: शनै: वृद्धि करना, यह सबसे बड़ा समर्पण है। 





धन्य ! धन्य !! हे पन्ना धाय !!!

   मेवाड़ के राजा न रहे, तो उदयसिंह को सिंहासनारूढ़ किया गया, जो अभी पालने में झूलने वाली उम्र का था। बनवीर को संरक्षक नियुक्त किया गया। 

   बनवीर ने सोचा, क्यों न उस बालक को मारकर गद्दी हथिया ली जाए। सत्ता का नशा पूरे उभार पर था। रात्रि के समय नंगी तलवार लेकर बनवीर वहाँ पहुँचा। पन्ना धाय उसे दूध पिला रही थी। बगल में उसका अपना बच्चा भी सोया हुआ था। 

   धाय को झकझोरते हुए बनवीर ने पूछा – ‘बताओ इनमें से उदयसिंह कौन सा है ?’ एक जैसे कपड़े पहने होने के कारण वह पहचान नहीं पा रहा था। पन्ना को वस्तुस्थिति समझते देर न लगी। धर्म संकट खड़ा था उसके सामने। प्यार को महत्व दे या कर्तव्य को ? सही बताने पर अधिक उपयोगी बच्चा जाता था और कर्तव्यच्युति होती थी। गलत बताने पर अपना बच्चा हाथ से जाता था। 

    असमंजस कुछ ही क्षण रहा। कर्तव्य निर्धारित करते देर नहीं लगी। उसने अपने बच्चे की ओर उंगली से इशारा किया। तलवार चली और बच्चे के दो टुकड़े हो गए। 

   पन्ना का प्राण चीत्कार कर उठा, पर रोने से भेद खुल जाता। बेचारी खून के आँसू पीकर रह गई। काम समाप्त हुआ। राजकुमार धाय का बच्चा बना रहा और उसी प्रकार पलता रहा। किसी को कानों-कान खबर तक न पड़ी। 

    समय बीता। वस्तुस्थिति प्रकट हुई और उदयसिंह को गद्दी पर बैठाया गया। गद्दी पर बैठते समय उदयसिंह ने धाय के चरण चूमे और कहा – ‘माँ, राजपूतों की बलिदान-शृंखला में तुम सदैव मूर्धन्य गिनी जाती रहोगी।‘ 


राष्ट्रधर्म सर्वोपरि 

     राजस्थान के पर्वतीय क्षेत्र माउंट आबू में दिलवाड़ा जैन मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा था। सारा कार्य सुन्दर संगमरमर के पत्थरों से और सुप्रसिद्ध कारीगरों द्वारा करवाया जा रहा था। उस मन्दिर के निर्माण में धन की व्यवस्था कर रहे थे – वहाँ के प्रसिद्ध सेठ भामाशाह। 

          मन्दिर का तीन चौथाई (3/4th) कार्य पूर्ण हो चुका था। केवल एक चौथाई निर्माण कार्य शेष रह गया था। इस बीच भामाशाह को पता लगा, कि हमारे मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप, जिन्होंने मेवाड़ को पूर्ण रूप से मुगल आक्रांताओं से मुक्त कराने का संकल्प लिया हुआ था, वह पूरे परिवार के साथ जंगलों में रहकर अपनी सेना को संगठित करने का कार्य कर रहे हैं, वह निराश हो चुके हैं, क्योंकि सेना के लिए वेतन और भोजन, दोनों की व्यवस्था के लिए अब उनके पास धन नहीं बचा था। वह मन में विचार करने लगे थे, कि इससे तो अच्छा है, कि अकबर से सन्धि कर ली जाए। इसका पता लगते ही भामाशाह अपनी सारी सम्पत्ति घोड़ों पर लादकर महाराणा प्रताप की सहायता के लिए निकल पड़ा। जंगल में महाराणा प्रताप के पास पहुँचकर उन्होंने राणा जी को साष्टांग दण्डवत किया और सारी सम्पत्ति उनके चरणों में समर्पित कर दी और आग्रह किया, कि वह अकबर से सन्धि करने का विचार अपने मन से बिल्कुल त्याग दें। उन्हें सेना के संगठन के लिए धन की कोई कमी नहीं होने देंगे। इस प्रकार भामाशाह ने यह सिद्ध करके दिखाया, कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है।

        दिलवाड़ा जैन मन्दिर का निर्माण करने वाले कारीगरों को जब यह पता लगा, कि हमारे अन्नदाता भामाशाह जी ने अपनी सारी सम्पत्ति महाराणा प्रताप जी को समर्पित कर दी है, तो उन सबने मिलकर विचार किया, कि भामाशाह ने राष्ट्रकार्य के  लिए जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, हमें उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन सबने तय किया, कि मन्दिर का एक चौथाई काम जो बच गया है, उसके लिए वे कोई मजदूरी नहीं लेंगे। जो सामान बचा हुआ था  – पत्थर, ईंट, बजरी आदि, उसी का प्रयोग करके उन सबने मिलकर शेष काम पूरा कर दिया। इस प्रकार उन मजदूरों ने भी अपने राष्ट्र प्रेम के कर्तव्य का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया। 

     आज एक भव्य मन्दिर – दिलवाड़ा जैन मन्दिर आबू पर्वत पर उन कुशल कारीगरों की कलाकृति को प्रस्तुत कर रहा है। मन्दिर के तीन भाग उस कलाकृति के अनुपम उदाहरण है। चौथा भाग उन कारीगरों की कुशलता और कर्तव्यनिष्ठा का जीता जागता प्रमाण है, जिसकी आकृति उन तीन हिस्सों जैसी ही है, परन्तु संगमरमर के छोटे-छोटे टुकड़ों (spares) की सहायता से बना हुआ वह हिस्सा उन कारीगरों की कुशलता और निष्ठा की कहानी स्वयं सुना देता है। 


गुरुदक्षिणा 

        महर्षि संदीपनी जी के आश्रम में श्री कृष्ण जी और बलराम जी की शिक्षा पूर्ण हुई। कृष्ण और बलराम ने गुरु संदीपनी जी के समक्ष जाकर साष्टांग प्रणाम किया और आग्रह किया - “गुरुदेव, गुरु अपने शिष्यों को जो विद्या का दान देता है, शिष्य उसका ऋण कई जन्मों में भी नहीं चुका सकता। फिर भी लोक मर्यादा के अनुसार जाते हुए गुरुदक्षिणा देना शिष्य का धर्म है। इसलिए हम आपसे प्रार्थना करने आए हैं, कि आप जो भी उचित समझें, उसके अनुसार आप हमें गुरुदक्षिणा देने का आदेश करें। हम वचन देते हैं, कि हम उस आदेश का अवश्य पालन करेंगे।“ गुरु संदीपनी बोले -  “कृष्ण, तुमने हमसे यह पूछकर अपने शिष्य धर्म का ठीक ही पालन किया है। परन्तु मेरा ऐसा मत है, कि जो गुरु किसी दक्षिणा के लालच में विद्या प्रदान करता है, वास्तव में वो गुरु कहलाने का अधिकारी नहीं है। वह तो एक निम्न कोटि का व्यापारी है। ऐसे गुरु की शिक्षा में ब्रह्मज्ञान का तेज कैसे हो सकता है ? फिर भी तुम्हें आचार्य ऋण के भार से मुक्त करने के लिए मैं तुमसे गुरुदक्षिणा के रूप में एक वचन मांगता हूँ। “आज्ञा गुरुदेव !” मुझे वचन दो, जो विद्या मैंने तुम्हें सिखाई है, उसका जनकल्याण के लिए सदुपयोग करोगे और जो शक्तियाँ तुम्हें प्रदान कीं हैं, उनका उपयोग किसी को पीड़ा देने के लिए, दुख देने के लिए या किसी के साथ अन्याय करने के लिए नहीं करोगे। हाँ, बल्कि उसका उपयोग किसी दुखी या अन्याय से पीड़ित व्यक्ति की सहायता के लिए अवश्य करोगे। जहां किसी आततायी को, किसी अत्याचारी को देखोगे, उसका नाश करने के लिए इन शक्तियों का प्रयोग अवश्य करोगे। मुझे वचन दो।  बस! मेरी यही गुरुदक्षिणा है। “गुरुदेव! हम वचन देते हैं, कि हम जीवन भर आपकी इस आज्ञा का पालन करेंगे।“ गुरुमाता को प्रणाम करके उनसे आग्रह किया - “गुरुमाता ! इतने दिनों आपने हमें अपनी ममता की छाया में आश्रय दिया। इतना स्नेह दिया, कि हम अपने घर को भूल गए। इस उपकार का बोझ तो इस जीवन में नहीं चुकाया जा सकता, फिर भी यदि आपकी कोई इच्छा हो, जिसे हम पूरा कर सकें, तो हम इसे अपना अहोभाग्य समझेंगे।“ गुरुमाता ने कहा - “मेरी इच्छा तुम पूरी नहीं कर सकोगे। इसलिए मत पूछो मुझसे।“ “नहीं माता ! ऐसी कोई इच्छा नहीं, जिसे हम पूरा न कर सकें। हम वचन देते हैं, कि यदि हमें अपने प्राण भी देने पड़ जाएँ, तो भी हम आपकी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे। इसलिए कहिए, क्या इच्छा है आपकी ! नि:संकोच कहिए माता ! क्या इच्छा है आपकी ! कहिए गुरुमाता !! “क्या पूछते हो मुझसे ! मेरी इच्छा कोई पूरी नहीं कर सकता। इसलिए मत पूछो मुझसे।“ कृष्ण ने कहा – “मेरे वचन पर भरोसा रखिए माता ! मैं आपकी इच्छा अवश्य पूरी करूंगा। कहिए न !” “तो सुनो, हमारा एक ही पुत्र था – पुनर्दत्त। जो जवानी में मर गया। तुम मेरे पुत्र को वापस लाकर दे सकते हो ? बोलो ! मैं जानती थी, कि तुम मेरी इच्छा पूरी नहीं कर सकोगे। इसलिए झूठा वचन क्यों देते हो ? जाओ ! मैं तुम्हें वचन से मुक्त करती हूँ। कृष्ण ने पुनः पूछा - “उसकी मृत्यु कैसे हुई थी ?” गुरुमाता बोलीं - “उसे समुद्र खा गया। हम प्रभास क्षेत्र में स्नान के लिए गए थे। हमारा पुनर्दत्त भी वहीं स्नान कर रहा था। अचानक समुद्र की एक लहर उसे खींचकर अन्दर ले गई। फिर वो वापस नहीं लौटा। बस तभी से हम दोनों पुत्रशोक की ज्वाला में चुपचाप यों ही जल रहे हैं। मेरा तो कुल ही नष्ट हो गया है।“ कृष्ण मे कहा – “परन्तु इस बात का निश्चय आपने कैसे कर लिया, कि पुनर्दत्त की मृत्यु हो गई है। आप अभी निराश न हो माता ! मुझे विश्वास है, कि आपका पुत्र अवश्य 

मिलेगा। मेरा वचन कभी झूठा नहीं होगा। मैं आपके पुत्र पुनर्दत्त को वापस लाने के पश्चात् ही अपने घर वापस जाऊंगा।“  

             ऐसा कहकर कृष्ण और बलराम गुरु आज्ञा लेकर समुद्र देवता के पास गए। समुद्र देवता के कहने पर समुद्र के अन्दर जाकर पांचजन्य शंख में छुपे हुए राक्षस का संहार करके उसका उद्धार किया। पांचजन्य को अपना शंख बनाया। फिर यमपुरी में जीवित देह के साथ जाकर यमराज से पुनर्दत्त की जीवात्मा लेकर आए। पुनर्दत्त को पुनर्जीवित करके गुरु संदीपनी और गुरुमाता को उनका पुत्र समर्पित किया। इस प्रकार गुरुमाता को दिए गए वचन को उन्होंने पूर्ण किया। 




आवश्यक सामान – 1. ध्वज, ध्वज स्तम्भ, ध्वज बैठक (स्टैंड)

      ध्वज धुला व प्रैस किया हुआ हो, ध्वज पर हल्की सफेद माला लगाना। 

2. चित्र - डॉक्टरजी, गुरुजी, भारतमाता, महर्षि वेदव्यास

3. चित्रवेदी हेतु मेज अथवा बिना हत्थे (हैंडल) की कुर्सी, सफेद चादर

4. पुष्पमाला – चित्रों के लिए माला, ध्वज के लिए हल्के फूलों की माला, पूजन हेतु पुष्प पर्याप्त मात्रा में 

5. धूपबत्ती, माचिस

6. पूजन हेतु स्टील, पीतल या मिट्टी का कलश, पुष्प हेतु थाली 

7. पूजन हेतु लिफाफे, सूची बनाने हेतु पत्रक (पत्रक पर क्रमांक व नाम लिखना व वही क्रमांक लिफाफे पर लिखना, लिफाफे पर नाम न लिखना)

8. अध्यक्ष व वक्ता हेतु कुर्सी व मेज

9. वाहन व पदवेश हेतु निश्चित स्थान व रेखांकन

10. ध्वज स्टैंड बीच में रखना, उसके आगे मेज लगाकर पुष्प की थाली और पूजन राशि रखने के लिए कलश रखना। चित्र वेदी अलग से दाईं ओर बनाना। 

पूजन विधि – पहली पंक्ति के सभी स्वयंसेवकों को उतिष्ठ की आज्ञा देना, उसके बाद एक-एक स्वयंसेवक द्वारा ध्वज के समक्ष जाकर पहले ध्वज प्रणाम करना, एक कदम आगे जाना, दाएँ हाथ से ध्वज को पुष्प अर्पित करना, बाएँ हाथ में पहले से लिफाफा लिया हुआ है, उसे कलश में डालना, पुनः ध्वजप्रणाम करना, एक कदम पीछे आना, दूसरी ओर से अपनी पंक्ति में जाकर खड़े होना, उपविश मिलने पर अपने स्थान पर बैठना (पुष्प ध्वज को अर्पित करना है, चित्रों को नहीं) एक पंक्ति के सभी स्वयंसेवकों का पूजन हो जाने के बाद उस पंक्ति को उपविश देना, फिर दूसरी पंक्ति को उतिष्ठ कराना। 


विशेष - 1. पूर्व तैयारी हेतु व स्वयंसेवकों की सक्रियता हेतु अलग-अलग गटों का गटश: कार्यक्रम करना, जैसे – गटश: बैठक, सहभोज आदि। स्वयंसेवकों के बीच समर्पण भाव और 365 दिन के समर्पण का विषय रखना।

2. अपनी शाखा की सूची के स्वयंसेवकों की गट-रचना बनाकर प्रत्येक स्वयंसेवक को एक सप्ताह पूर्व सूचना व कार्यक्रम से एक दिन पूर्व पुनः सूचना की योजना बनाना

3. शाखा टोली की बैठक करके कार्यक्रम में आवश्यक सामग्री की सूची बनाना और सभी स्वयंसेवकों को काम बांटना – कौन कार्यकर्ता क्या सामान लाएगा, जैसे चित्र, चादर, अगरबत्ती आदि                                           4. कार्यक्रम से एक दिन पूर्व व्यवस्थाओं का सारा सामान कार्यक्रम स्थल अथवा निकट के किसी स्थान पर पहुँचा दिया जाए, ताकि अगले दिन कार्यक्रम समय पर प्रारम्भ हो सके 

5. कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक, गीत, अवतरण बोलने वाले व पूजन विधि बताने वाले कार्यकर्ता पहले से ही निश्चित करना, ताकि कार्यक्रम चलते समय किसी को नाम लेकर न बुलाना पड़े व वे पहले से ही निश्चित स्थान पर बैठे हों 

6. जिस समय पूजन प्रारम्भ हो, उस समय एक स्वयंसेवक द्वारा धीमे स्वर में समर्पण गीत बोलना अथवा गीत की सी.डी. चलाना उचित रहेगा

7. अध्यक्ष तय करना अनिवार्य नहीं है, परन्तु यदि निश्चित हैं तो उनका उद्बोधन (सीमित समय का) बौद्धिक से पहले करवाना 

8. कार्यक्रम के पश्चात् अध्यक्ष व वक्ता के जलपान की व्यवस्था

9. कार्यक्रम के तुरन्त पश्चात् शाखा टोली के 2-3 कार्यकर्ता मिलकर पूजन राशि की सूची तैयार करें व शीघ्रातिशीघ्र व्यवस्था प्रमुख जी को जमा करवा दें 10. कार्यक्रम के पश्चात् समीक्षा बैठक अवश्य हो। किसी कारण से कार्यक्रम में 

उपस्थित न हो सके स्वयंसेवकों के पूजन की किसी अन्य कार्यक्रम में व्यवस्था 

श्री गुरुदक्षिणा कार्यक्रम 

आचार विभाग (आज्ञाएँ)     


आज्ञाएँ

कार्यकर्ता (पहले से नाम लिखना)


संघ दक्ष



आरम्



अग्रेसर



अग्रेसर सम्यक्



आरम्



संघ सम्पत्



संघ दक्ष



संघ सम्यक् 



अग्रेसर अर्धवृत



संघ आरम्



संघ दक्ष



ध्वजप्रणाम 1-2-3 



उपविश



गीत (सब स्वयंसेवक दोहराएंगे)



अध्यक्ष व वक्ता का परिचय



अध्यक्षीय आशीर्वचन



अवतरण (अमृतवचन)



एकल गीत 



बौद्धिक



पूजन विधि बताना



पूजन



उतिष्ठ



प्रार्थना



विकिर



प्रसाद वितरण (यदि व्यवस्था है तो)


प्रार्थना

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।

महामंगले पुण्यभूमे त्वदर्थे 

पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ॥1॥

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्रांग भूता

इमे सादरन् त्वान् नमामो वयं ।

त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्

शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ॥

अजय्यांच विश्वस्य देहीश शक्तिम् 

सुशीलं जगद्येन नम्रम् भवेत् ।

श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्ण मार्गम्

स्वयं स्वीकृतं न: सुगं कारयेत् ॥2॥

समुत्कर्ष नि:श्रेय सस्यैक मुग्रम्

परं साधनं नाम वीरव्रतम् ।

तदन्त: स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा

हृदन्त: प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ॥

विजेत्री च नस् संहता कार्यशाक्तिर् 

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।

परं वैभवन् नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्

समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ॥3॥

 ॥ भारतमाता की जय ॥ 






 








Wednesday, July 27, 2022

28/7/2022

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 28 जुलाई 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 07:05 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - वज्र शाम 05:57 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:25 से 04:05 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:26 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, अमावस्या*
*⛅ विशेष - अमावस्या के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹गुरुपुष्यामृत नक्षत्र योग 28 जुलाई 2022🔹* 
🌹 *28 जुलाई 2022 गुरुवार सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक*
🌹 *१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु बृहस्पति । पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पत्ति बढ़ानेवाला है । उस दिन बृहस्पति का पूजन करना चाहिये । बृहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोलें –*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नम : ।...... ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नम : ।*
*🔹कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में🔹* 
*🌹बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें ।*
*-लोक कल्याण सेतु – जून २०१४ से*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹* 
( *28 जुलाई 2022 गुरुवार अमावस्या है ।* )
*🌹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🌹अमावस्या ( 28 जुलाई ) के दिन ध्यान रखने की योग्य बातें🌹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है ।*
*(स्कन्द पुराण, प्रभाव खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे "ब्रह्महत्या" का पाप लगता है ! -विष्णु पुराण*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
🚩🕉️🌲🌹🏵️💐🌲🕉️🚩

26/7/2022

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
*⛅दिनांक - 26 जुलाई 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी शाम 06:47 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा 27 जुलाई प्रातः 04:09 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - व्याघात शाम 04:08 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - शाम 04:05 से 05:45 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:08*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - आर्द्रा नक्षत्र योग, मासिक शिवरात्रि*
*⛅ विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग : 26 जुलाई 2022*
*🌹पुण्यकाल : 26 जुलाई 2022 शाम 06:48 से 27 जुलाई प्रातः04:09 तक ।*
*🌹ॐ कार का जप अक्षय फलदायी है ।*
*🌹 आर्द्रा नक्षत्र से युक्त चतुर्दशी के योग में प्रणव का जप किया जाए तो वह अक्षय फल देनेवाला होता है ।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2013*
*🌹मासिक शिवरात्रि : 26 जुलाई 2022*🌹
*🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।*
*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*
*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें । जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें । इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*
🌹1) *ॐ शिवाय नमः* 
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*    
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*  
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः* 
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:* 
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*     
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः* 
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*   
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः* 
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*
🕉️🚩🌹🌲💐🏵️🌻🚩🕉️

27/7/2022 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 27 जुलाई 2022*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्दशी रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग - हर्षण शाम 05:07 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:46 से 02:26 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:08*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - चतुर्दशी के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग : 26 जुलाई शाम 06:48 से 27 जुलाई प्रातः04:09 तक ।*
*🌹ॐ कार का जप अक्षय फलदायी है ।*
*🔹ॐ कार की 19 शक्तियाँ🔹*
*🌹कोई मनुष्य दिशाशून्य हो गया हो, लाचारी की हालत में फेंका गया हो, कुटुंबियों ने मुख मोड़ लिया हो, किस्मत रूठ गयी हो, साथियों ने सताना शुरू कर दिया हो, पड़ोसियों ने पुचकार के बदले दुत्कारना शुरू कर दिया हो, चारों तरफ से व्यक्ति दिशाशून्य, सहयोगशून्य, धनशून्य, सत्ताशून्य हो गया हो फिर भी हताश न हो वरन् सुबह-शाम 3 घंटे ॐ कार सहित भगवन्नाम का जप करे तो वर्ष के अंदर वह व्यक्ति भगवत्शक्ति से सबके द्वारा सम्मानित, सब दिशाओं में सफल और सब गुणों से सम्पन्न होने लगेगा ।*
*🌹रक्षण शक्ति, गति शक्ति, कांति शक्ति, प्रीति शक्ति, तृप्ति शक्ति, अवगम शक्ति, प्रवेश अवति शक्ति, श्रवण शक्ति, स्वाम्यर्थ शक्ति, याचन शक्ति, क्रिया शक्ति, इच्छित अवति शक्ति, दीप्ति शक्ति, वाप्ति शक्ति, आलिंगन शक्ति, हिंसा शक्ति, दान शक्ति, भोग शक्ति, वृद्धि शक्ति ।*
*🌹 शरीर में कहीं भी तकलीफ हो तो...*
*🌹 भगवान को प्रार्थना करके हाथ की हथेली रगड़ें... ॐ ॐ ॐ... मेरी आरोग्य शक्ति जग रही है फिर जहाँ भी शरीर में तकलीफ हो उधर लगाने से आरोग्य के कण, आरोग्य की शक्ति, सुक्ष्म कण उस रोग को मिटाने की बड़ी मदद करते हैं ।*
*🌹हाथ रगड़ के ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ जप करके हाथ मुँह पर घुमाने से चेहरा प्रभावशाली हो जाता है ।*
*🌹आँखों पर घुमाने से आँखों की रोशनी बरकरार होती है, आँखों की ज्योति बढ़ती है ।*
*🌹 माथे पर घुमाएँ, जहाँ चोटी रखते हैं । इससे मस्तक में स्मृति शक्ति, निर्णय शक्ति का विकास होता है, मानसिक तनाव दूर होता है । मानसिक तनाव का मुख्य कारण है मलिन चित्तवृत्तियाँ । भगवान का नाम जपने से मलिन चित्तवृत्तियाँ भाग जाती हैं ।*
🚩🕉️🌲🌹🏵️🏵️🌹🌲🕉️🚩

25/7/2022 Panchang

*🌞आज का हिन्दू पंचाग 🌞
*⛅दिनांक - 25 जुलाई 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वादशी शाम 04:15 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 01:06 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 03:04 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - सुबह 07:47 से 09:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:07*
*⛅सूर्यास्त - 07:25*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - सोमप्रदोष व्रत*
*⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹पेट सम्बन्धी तकलीफों में🔹*
*🔹नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस, सौंफ पी ले । फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो । ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमा दूर होगा और भूख खुलकर लगेगी । कब्ज की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी ।
*🔹आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?🔹*
*🔹सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी-इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है ।*
*🔹पूज्य गुरुदेव जी के सत्संग-वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु-दोष हैं, भूत-पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।"*
*🔹बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख, घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए । संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाणु रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।*
*🔹वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसी हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता ।*
*🔹अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए ।  उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।*
*🔹अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु🔹*
*🔹भगवान नारायण देवउठी (प्रबोधिनी) एकादशी को योगनिद्रा से उठते हैं । उस दिन कपूर से आरती करनेवाले को अकाल मृत्यु से सुरक्षित होने का अवसर मिलता है ।*
*🔹कपूर का वैज्ञानिक महत्त्व🔹*
*🔹कई शोधों के बाद विज्ञान ने कपूर की महत्ता को स्वीकारा है । कपूर अपने आसपास की हवा को शुद्ध करता है, साथ ही शरीर को हानि पहुँचानेवाले संक्रामक जीवाणुओं को दूर रखने में मददगार होता है । इसकी भाप या सुगंध सर्दी-खाँसी से राहत देती है तथा मिर्गी, दिमागी झटके एवं स्थायी चिंता या घबराहट को कम करती है । कपूर की भाप या इसके तेल की उग्र सुगंध से नासिका के द्वार खुल जाते हैं । यह सुगंध श्वसन-मार्ग, स्वर-तंत्र, ग्रसनी, नासिका-मार्ग तथा फुफ्फुस-मार्ग हेतु तुरंत अवरोध-निवारक का काम करती है । इसलिए कपूर का उपयोग सर्दी-खाँसी की कई दवाओं (बाम आदि) में किया जाता है । कपूर-भाप की सुंगध बलगमयुक्त गले की सफाई करके श्वसन-संस्थान के मार्ग खुले करने में मदद करती है । कपूर मसलकर शरीर पर लगाने से यह रक्त प्रवाह बढ़ाता है ।*
🚩🕉️🌹🌻🏵️💐🕉️🚩


Friday, July 22, 2022

23/7/2022 Panchang



*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 23 जुलाई 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी सुबह 11:27 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका शाम 07:03 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - गण्ड दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 09:26 से 11:06 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:06*
*⛅सूर्यास्त - 07:26*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:24 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को चावल खाना वर्जित है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹कामिका एकादशी🌹*
*एकादशी 23 जुलाई शनिवार सुबह 11:28 से 24 जुलाई रविवार दोपहर 01:45 तक ।*
*🔸व्रत उपवास 24 जुलाई रविवार को रखें ।* 
*🌹शनिवार के दिन विशेष प्रयोग*🌹
*🌹 'ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं - 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी । जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी ।' (ब्रह्म पुराण)*
 *🌹शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
 *🌹हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है 
*🔹बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?*🔹
*बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ...’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा...’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ ...’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके🔹*
*१] शास्त्र का पठन*
*२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान*
*३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना*
*४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य*
 *🔹जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया...’ मिल गया तो क्या है !*
*🔹ज्यादा सुखी - दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।*
🚩🕉️🌲💐🌹🌻🏵️🌲🕉️🚩

*🌞 ~ Today's Hindu Panchang ~🌞*
 *⛅Date - 23 July 2022*
 *⛅Day - Saturday*
 *⛅Vikram Samvat - 2079*
 *Shak Samvat - 1944*
 *⛅Ayan - Dakshinayan*
 *⛅season - rain*
 *⛅ month - Shravan (Ashadh according to Gujarat and Maharashtra)*
 *⛅ Paksha - Krishna*
 * Tithi - Dashami till 11:27 in the morning after that Ekadashi *
 * Nakshatra - Kritika till 07:03 in the evening, then Rohini *
 *⛅Yoga-Gand then increase till 01:08 in the afternoon*
 *Rahu Kaal - from 09:26 am to 11:06 am*
 *⛅Sunrise - 06:06*
 *⛅Sunset - 07:26*
 *⛅Disha shool - in the east direction*
 *⛅Brahma Muhurta - from 04:41 to 05:24 in the morning*
 *Nishita Muhurta - Night from 12:25 to 01:08*
 *⛅Vrat festival details-*
 * Special - On the tenth day Kalmbi herb is discarded. It is forbidden to eat rice on Ekadashi. (Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-34)*
 *Kamika Ekadashi🌹*
 *Ekadashi 23 July Saturday 11:28 am to 24 July Sunday 01:45 pm.*
 *keep fasting on 24th July, Sunday.*
 *🌹special experiment on Saturday*🌹
 In the 118th chapter of 'Brahma Purana', Shani Dev says - 'Those who regularly touch the Peepal tree on my day i.e. Saturday, all their works will be accomplished and they will not have any pain from me. Those who wake up early in the morning on Saturday and touch the Peepal tree, they will not suffer from planetary pain. (Brahma Purana)*
  On a Saturday, while touching the Peepal tree with both hands, chanting the mantra 'Om Namah Shivaya' 108 times, the effect of sorrow, difficulty and planetary defects gets pacified. (Brahma Purana)*
  On every Saturday, by offering water to the root of Peepal and lighting a lamp, many kinds of troubles are eliminated. (Padma Purana)*
 *🔹For financial troubleshooting*
 Mixing water, milk, jaggery and black sesame in a pot and offering it to the core of Peepal on every Saturday and reciting the mantra 'Om Namo Bhagwate Vasudevaya' 7 times around the Peepal tree, financial troubles are removed.
 * How does the development and destruction of intelligence happen?*
 How is the intellect destroyed and how does it develop? Students should understand this special, shouldn't they? How is intelligence destroyed? Wisdom: Shoken Nasyati. By remembering the things of the past, 'It didn't happen, it didn't happen...' By doing this, those who don't worry, their intellect gets destroyed. And 'I'll be like this by doing this'

Thursday, July 21, 2022

22/7/22 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 22 जुलाई 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - नवमी सुबह 09:32 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - भरणी अपरान्ह 04:25 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - शूल दोपहर 12:31 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 11:06 से 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:06*
*⛅सूर्यास्त - 07:26*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:23 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) , दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है ।*
*🔹आरती क्यों करते हैं ?*🔹
*🔹हिन्दुओं के धार्मिक कार्यों में संध्योपासना तथा किसी भी मांगलिक पूजन में आरती का एक विशेष स्थान है । शास्त्रों में आरती को ‘आरात्रिक’ अथवा ‘नीराजन’ भी कहा गया है ।*
*🌹पूज्य गुरुदेव जी वर्षों से न केवल आरती की महिमा, विधि, उसके वैज्ञानिक महत्त्व आदि के बारे में बताते रहे हैं बल्कि अपने सत्संग – समारोहों में सामूहिक आरती द्वारा उसके लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव भी करवाते रहे हैं ।*
*🌹पूज्य गुरुदेव जी के सत्संग - अमृत में आता है : “आरती एक प्रकार से वातावरण में शुद्धिकरण करने तथा अपने और दूसरे के आभामंडलों में सामंजस्य लाने की एक व्यवस्था है । हम आरती करते हैं तो उससे आभा, ऊर्जा मिलती है । हिन्दू धर्म के ऋषियों ने शुभ प्रसंगों पर एवं भगवान की, संतो की आरती करने की जो खोज की है । वह हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है, एक-दूसरे के मनोभावों का समन्वय करती है और आध्यात्मिक उन्नति में बड़ा योगदान देती है ।*
*🌹शुभ कर्म करने के पहले आरती होती है तो शुभ कर्म शीघ्रता से फल देता है । शुभ कर्म करने के बाद अगर आरती करते हैं तो शुभ कर्म में कोई कमी रह गयी हो तो वह पूर्ण हो जाती है । स्कन्द पुराण में आरती की महिमा का वर्णन है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :*
*मंत्रहीनं क्रियाहीनं यत्कृतं पूजनं मम ।*
*सर्व सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने सुत ।।*
*🌹‘जो मन्त्रहीन एवं क्रियाहीन (आवश्यक विधि-विधानरहित) मेरा पूजन किया गया है, वह मेरी आरती कर देने पर सर्वथा परिपूर्ण हो जाता है ।’ (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, मार्गशीर्ष माहात्म्य : ९:३७)*
*🔹ज्योत की संख्या का रहस्य🔹*
*🔹सामान्यत: ५ ज्योतवाले दीपक से आरती की जाती है, जिसे ‘पंचदीप’ कहा जाता है । आरती में या तो एक ज्योत हो या तो तीन हों या तो पाँच हों । ज्योत विषम संख्या (१,३,५,....) में जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है । यदि ज्योत की संख्या सम (२,४,६,...) हो तो ऊर्जा - संवहन की क्रिया निष्क्रिय हो जाती है ।*
*🔹अतिथि की आरती क्यों ?🔹*
*🌹हर व्यक्ति के शरीर से ऊर्जा, आभा निकलती रहती है । कोई अतिथि आता है तो हम उसकी आरती करते हैं क्योंकि सनातन संस्कृति में अतिथि को देवता माना गया है । हर मनुष्य की अपनी आभा है तो घर में रहनेवालों की आभा को उस अतिथि की नयी आभा विक्षिप्त न करे और वह अपने को पराया न पाये इसलिए आरती की जाती है । इससे उसको स्नेह-का-स्नेह मिल गया और घर की आभा में घुल-मिल गये । कैसी सुंदर व्यवस्था है सनातन धर्म की !
*🔹गोमूत्र का करें सेवन*🔹
*🔹वर्षा ऋतुजन्य व्याधियों से रक्षा व रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने हेतु गोमूत्र सर्वोपरि है । सूर्योदय से पूर्व १५ से २० मि.ली. ताजा गोमूत्र कपड़े से छानकर पीने से अथवा १० से १५ मि.ली. गोमूत्र अर्क पानी में मिला के पीने से शरीर के सभी अंगों की शुद्धि होकर ताजगी, स्फूर्ति व कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।*
🚩🕉️🏵️🌻💐🌹🕉️🚩

21/7/2022 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 21 जुलाई 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अष्टमी सुबह 08:11 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 02:17 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - धृति दोपहर 12:21 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - अपरान्ह 02:26 से 04:06 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:06*
*⛅सूर्यास्त - 07:26*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:23 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:08 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । नवमी को लौकी खाना त्याज्य है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दमा के रोगियों के लिए🔹*
*🔹वर्षा ऋतु में आकाश में बादल छा जाने पर दमा के मरीजों को श्वास लेने में अत्यधिक पीड़ा होती है । उस समय निम्न उपाय करें ।*
*🔹(१) लौंग, सोंठ, काली मिर्च व मिश्री का १ ग्राम समभाग चूर्ण व २ चुटकी सेंधा नमक थोड़े-से शहद में मिलाकर ३-४ बार चटायें ।*
*🔹(२) उपरोक्त उपायों से कफ पिघल के बाहर न आ रहा हो तो दो चम्मच मुलेठी (यष्टिमधु) चूर्ण व १ चम्मच सेंधा नमक लगभग एक लीटर गुनगुने पानी में मिला के पियें और उलटी करें, उलटी न हो तो गले में उँगली डाल के उलटी कर लें ।*
*🔹(३) पुराने दमे में रात को सोते समय २ चम्मच सरसों का तेल गर्म पानी के साथ सेवन करें और हलके गुनगुने सरसों के तेल में २ चुटकी सेंधा नमक मिलाकर १५-२० मिनट छाती पर मालिश करें ।*
*🔹धन, आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति के लिए*🔹
*🔹जो व्यक्ति चतुर्मास में अथवा अधिक ( पुरुषोत्तम) मास में भगवान् विष्णु पर कनेर के पुष्प अर्पित करता है, उस पर लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है । उसे आरोग्य एवं शाति की प्राप्ति होती है तथा उसके संकट दूर होते हैं ।
*🔹इनका रखें ध्यान🔹*
*🔹दोनों हाथों से सिर नहीं खुजलाना चाहिए । जूठे हाथों से सिर को स्पर्श नहीं करना चाहिए । नहीं तो बुद्धि मंद होती है ।*
*🔹जो गलती छुपाता है उसका गिरना चालू रहता है और जो गिरने की बात को भगवान के आगे, गुरु के आगे, अपने नजदीकी सत्संगी, विश्वासपात्र मित्र के आगे बोल के, रोकर पश्चाताप करके रास्ता खोजता है उसको भगवान बचा भी लेते हैं ।*
🕉️🚩🌲🌹💐🌻🏵️🚩🕉️

*🌞 ~ Today's Hindu Panchang ~🌞*
 *⛅Date - 21 July 2022*
 *⛅Day - Thursday*
 *⛅Vikram Samvat - 2079*
 *Shak Samvat - 1944*
 *⛅Ayan - Dakshinayana*
 *⛅season - rain*
 *⛅ month - Shravan (Ashadh according to Gujarat and Maharashtra)*
 *⛅ Paksha - Krishna*
 * Tithi - Ashtami till 08:11 in the morning, then Navami *
 * Nakshatra - Ashwini till 02:17 in the afternoon, then Bharani *
 *⛅Yoga-Dhriti till 12:21 in the afternoon after that shool*
 *⛅ Rahu Kaal - 02:26 pm to 04:06 pm*
 *⛅Sunrise - 06:06*
 *⛅Sunset - 07:26*
 *⛅Disha shool - in the south direction*
 *⛅Brahma Muhurta - from 04:40 to 05:23 in the morning*
 *Nishita Muhurta - Night from 12:25 to 01:08*
 *⛅Vrat festival details-*
 * * Special - Eating coconut fruit on Ashtami destroys the intellect. It is forbidden to eat gourd on Navami.*
 *(Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-34)*
 *🔹For asthma patients🔹*
 In the rainy season, when the sky becomes cloudy, asthma patients have extreme pain in breathing. At that time do the following measures.*
 * (1) clove, dry ginger, black pepper and 1 gram equal parts powder and 2 pinches of rock salt mixed with a little honey, lick it 3-4 times.*
 *🔹(2) If the phlegm is not coming out of the melt due to the above measures, then drink two spoons of liquorice (Yashtimadhu) powder and 1 spoon of rock salt mixed in about one liter of lukewarm water and vomit, if there is no vomiting then put a finger in the throat. Do the opposite.*
 *🔹(3) In chronic asthma, take 2 teaspoons of mustard oil with warm water at night while sleeping and mix 2 pinches of rock salt in lukewarm mustard oil and massage it on the chest for 15-20 minutes.*
 *🔹For the attainment of wealth, health and peace*🔹
 * The person who offers Kaner flowers to Lord Vishnu in Chaturmas or in more (Purushottam) months, the blessings of Lakshmiji always remain on him. He gets health and peace and his troubles are removed.
 *🔹Take care of them*
 * The head should not be scratched with both hands. The head should not be touched with clenched hands. Otherwise the intellect becomes retarded.*
 * The one who hides the mistake continues to fall and the one who finds the way by repenting, after speaking in front of God, in front of Guru, in front of his nearest satsangi, confidant friend, God saves him.
 

Monday, July 18, 2022

18/7/2022

*🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 18 जुलाई 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी सुबह 08:54 तक तत्पश्चात षष्टी*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 12:24 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*⛅योग - शोभन अपरान्ह 03:26 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 07:45 से 09:25 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:27*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:22 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹चतुर्मास में बिल्वपत्र की महत्ता🔹*
*🔹चतुर्मास में शीत जलवायु के कारण वातदोष प्रकुपित हो जाता है । अम्लीय जल से पित्त भी धीरे - धीरे संचित होने लगता है । हवा की आर्द्रता (नमी) जठराग्नि को मंद कर देती है । सूर्यकिरणों की कमी से जलवायु दूषित हो जाते हैं । यह परिस्थिति अनेक व्याधियों को आमंत्रित करती है । इसलिए इन दिनों में व्रत उपवास व होम-हवनादि को हिन्दू संस्कृति ने विशेष महत्त्व दिया है । इन दिनों में भगवान शिवजी की पूजा में प्रयुक्त होने वाले बिल्वपत्र धार्मिक लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं ।*
*🔹बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं । इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं । चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है ।*
*🔹बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाले हैं । ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं । शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं । इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो जाती है । बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं । इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है ।*
*🔹बिल्वपत्र के प्रयोगः*🔹
*➡️१. बेल के पत्ते पीसकर गुड़ मिला के गोलियाँ बनाकर खाने से विषमज्वर से रक्षा होती है ।*
*➡️२. बेल पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से इन दिनों में होने वाली सर्दी, खाँसी, बुखार आदि कफजन्य रोगों में लाभ होता है ।*
*➡️३. बारिश में दमे के मरीजों की साँस फूलने लगती है । बेल के पत्तों का काढ़ा इसके लिए लाभदायी है ।*
*➡️४. बरसात में आँख आने की बीमारी (Conjuctivitis) होने लगती है। बेल के पत्ते पीसकर आँखों पर लेप करने से एवं पत्तों का रस आँखों में डालने से आँखें ठीक हो जाती है ।*
*➡️५. कृमि नष्ट करने के लिए पत्तों का रस पीना पर्याप्त है ।*
*➡️६. एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते हैं ।*
*➡️७. संधिवात में पत्ते गर्म करके बाँधने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है ।*
*➡️८. बेलपत्र पानी में डालकर स्नान करने से वायु का शमन होता है, सात्त्विकता बढ़ती है ।*
*➡️९. बेलपत्र का रस लगाकर आधे घंटे बाद नहाने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है ।*
*➡️१०. पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त (Acidity) में आराम मिलता है ।*
*➡️११. स्त्रियों के अधिक मासिक स्राव व श्वेतस्राव (Leucorrhoea) में बेलपत्र एवं जीरा पीसकर दूध में मिलाकर पीना खूब लाभदायी है। यह प्रयोग पुरुषों में होने वाले धातुस्राव को भी रोकता है ।*
*➡️१२. तीन बिल्वपत्र व एक काली मिर्च सुबह चबाकर खाने से और साथ में ताड़ासन व पुल-अप्स करने से कद बढ़ता है । नाटे ठिंगने बच्चों के लिए यह प्रयोग आशीर्वादरूप है ।*
*➡️१३. मधुमेह (डायबिटीज) में ताजे बिल्वपत्र अथवा सूखे पत्तों का चूर्ण खाने से मूत्रशर्करा व मूत्रवेग नियंत्रित होता है ।*
*🔹बिल्वपत्र की रस की मात्रा : 10 से 20 मि.ली.*
🚩🕉️ जय सियाराम 🕉️🚩

14/7/2022 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 जुलाई 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 08:18 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वैधृति सुबह 08:28 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:26 से 04:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:03*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:20 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹श्रावण मास में वरदानस्वरूप बेलपत्र*
*(श्रावण मास : 14 जुलाई से 12 अगस्त )*
*🔹श्रावण मास भगवान शिवजी की पूजा-उपासना के लिए महत्त्वपूर्ण मास है । इन दिनों में शिवजी को बेल के पत्ते चढ़ाने का विधान हमारे शास्त्रों में है । इसके पीछे ऋषियों की बहुत बड़ी दूरदर्शिता है ।*
*🔹इस ऋतु में शरीर में वायु का प्रकोप तथा वातावरण में जल-वायु का प्रदूषण बढ़ जाता है । आकाश बादलों से ढका रहने से जीवनीशक्ति भी मंद पड़ जाती है । इन सबके फलस्वरूप संक्रामक रोग तेज गति से फैलते हैं ।*
*🔹इन दिनों में शिवजी की पूजा के उद्देश्य से घर में बेल के पत्ते लाने से उसके वायु शुद्धिकारक, पवित्रतावर्धक गुणों का तथा सेवन से वात व अजीर्ण नाशक गुणों का भी लाभ जाने-अनजाने में मिल जाता है ।*
*🔹उनके सेवन से शरीर में आहार अधिकाधिक रूप में आत्मसात् होने लगता है । मन एकाग्र रहता है, ध्यान केन्द्रित करने में भी सहायता मिलती है ।*
*🔹परीक्षणों से पता चला है कि बेल के पत्तों का सेवन करने से शारीरिक वृद्धि होती है । बेल के पत्तों को उबालकर बनाया गया काढ़ा पिलाने से हृदय मजबूत बनता है ।*
*🔹औषधि-प्रयोग🔹*
*1. बेल की पत्तियों के 10-12 ग्राम रस में 1 ग्राम काली मिर्च व 1 ग्राम सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर रोज सुबह-दोपहर-शाम सेवन करने से अजीर्ण में लाभ होता है ।*
*🔹2. बेलपत्र, धनिया व सौंफ को समान मात्रा में लेकर कूट लें । 10 से 20 ग्राम यह चूर्ण शाम को 100 ग्राम पानी में भिगो दें और सुबह पानी को छानकर पी जायें । इसी प्रकार सुबह भिगोकर शाम को पीयें । इससे स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा । यह प्रमेह एवं स्त्रियों के प्रदर में भी लाभदायक है ।*
*🕉️🚩🏵️🌹💐💐🌹🏵️🚩🕉️


*🌞 ~ Today's Hindu Panchang ~🌞*
 *⛅Date - 14 July 2022*
 *⛅Day - Thursday*
 *⛅Vikram Samvat - 2079*
 *Shak Samvat - 1944*
 *⛅Ayan - Dakshinayana*
 *⛅season - rain*
 *⛅ month - Shravan (Ashadh according to Gujarat and Maharashtra)*
 *⛅ Paksha - Krishna*
 *⛅ Tithi - Pratipada night till 08:16 after that Dwitiya*
 * Nakshatra - Uttarashada night till 08:18 after that hearing *
 *⛅Yoga-validity till 08:28 in the morning, then Vishakambh*
 *⛅ Rahu Kaal - from 02:26 to 04:07 in the afternoon*
 *⛅Sunrise - 06:03*
 *⛅Sunset - 07:28*
 *⛅Disha shool - in the south direction*
 *⛅Brahma Muhurta - from 04:38 to 05:20 in the morning*
 *Nishita Muhurta - Night from 12:25 to 01:07*
 *⛅Vrat festival details-*
 *⛅ Special - Do not eat Kushmand (Kumhda, Petha) on Pratipada, because it is the destroyer of wealth.*
 *(Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-38)*
 * Belpatra as a boon in the month of Shravan
 *(Shravan month: 14th July to 12th August)*
 *Shravan month is an important month for the worship of Lord Shiva. In these days, the law of offering bael leaves to Shiva is in our scriptures. There is a great vision of the sages behind this.
 In this season, there is an outbreak of air in the body and the pollution of water and air in the environment increases. The life force also slows down due to the sky being covered with clouds. As a result of all this, infectious diseases spread at a faster rate.
 In these days, for the purpose of worshiping Lord Shiva, bringing bael leaves into the house, one gets its air purifying, purifying properties and also the benefits of Vata and indigestion destroying properties are obtained knowingly or unknowingly.
 Due to their consumption, the food in the body starts getting assimilated in more and more form. The mind remains concentrated, it also helps in concentrating.
 * Tests have shown that consuming bael leaves leads to physical growth. Drinking a decoction made by boiling bael leaves makes the heart strong.*🚩🏵️🌹💐💐🌹🏵️🚩🕉️

15/7/2022 Panchang

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
*⛅दिनांक - 15 जुलाई 2022*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया शाम 04:39 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 05:31 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - प्रीति रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:03*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:21 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दिशा विवेक🔹*
*👉🏻 पूजा आरती पश्चिम में है तो खुशियाँ दबेंगी । दक्षिण में है तो बिमारी आयेगी ।*
*👉🏻 तुम्हारी पूजा की दिशा पूर्व या उत्तर में हो तो स्थिति उन्नत होगी ।*
 *👉🏻 पूजा की दिशा उत्तर में है तो आध्यात्मिक उन्नति होगी, पूर्व में है तो लौकिक उन्नति होगी ।*
*👉🏻 गुरूमंत्र है तो दोनों में आध्यात्मिक और लौकिक उन्नति होगी ।*
*तो देख लेना की आरती की दिशा, पूजा करते तो आपकी दिशा पश्चिम की तरफ तो नहीं, होगी तो बदल देना । सत्संग से कैसा ज्ञान मिलता है ।*
*👉🏻 सोते समय पश्चिम में सिर रहेगा तो चिंता पीछा नहीं छोड़ेगी, उत्तर में सिर करते हैं तो बिमारी पीछा नहीं छोड़ेगी ।  सोते समय सिरहाना पूरब की तरफ अथवा दक्षिण की तरफ हो ।*
*🔹विद्यार्थी कमजोर हो तो..🔹*
*🔹जो बच्चे पढ़ने में कमजोर रहते हो न, वे बच्चे, कच्चा दूध हो उसमें मिश्री पाऊडर मिला दें, या शहद मिला दें, अच्छी तरह से घोल दें । उस से, बच्चे जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें, वो शिवजी पर चढ़ाएं, फिर जल चढ़ाएँ, बेल-पत्र रख दें, दिया जला दें । थोड़ी देर उधर बैठ के जप करें । तो वो बच्चे पढ़ने में बड़े होशियार, प्रतिभावान होंगे ।*

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*🌞 ~ Today's Hindu Panchang ~🌞
 *⛅Date - 15 July 2022*
 *⛅Day - Friday*
 *⛅Vikram Samvat - 2079*
 *Shak Samvat - 1944*
 *⛅Ayan - Dakshinayana*
 *⛅season - rain*
 *⛅ month - Shravan (Ashadh according to Gujarat and Maharashtra)*
 *⛅ Paksha - Krishna*
 * Date - Dwitiya till 04:39 after that Tritiya *
 * Nakshatra - Hearing till 05:31, then Dhanishtha *
 *⛅Yoga-Preeti till 12:21 after that Ayushman*
 *⛅ Rahu Kaal - from 11:05 am to 12:46 pm*
 *⛅Sunrise - 06:03*
 *⛅Sunset - 07:28*
 *⛅Disha shool - in the west direction*
 *⛅Brahma Muhurta - from 04:38 to 05:21 in the morning*
 *Nishita Muhurta - Night from 12:25 to 01:07*
 *⛅Vrat festival details-*
 * * Special - Eating Brihati (small brinjal or Katehari) on the second day is prohibited.*
 *(Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-34)*
 *🔹direction discretion🔹*
 * * If the worship aarti is in the west then happiness will be suppressed. If it is in the south, then disease will come.*
 *👉🏻 if the direction of your worship is in the east or north, then the situation will be improved.*
  * * If the direction of worship is in the north then there will be spiritual progress, if it is in the east then there will be worldly progress.*
 * * If there is a Gurumantra, then there will be spiritual and worldly progress in both.*
 * So see that the direction of the aarti, if you worship, then your direction is not towards the west, then change it. What kind of knowledge do you get from satsang?
 * * If the head remains in the west while sleeping, then the worry will not give up, if you head in the north, the disease will not leave the chase. While sleeping, the head should be towards the east or towards the south.*
 *🔹if the student is weak..*
 * * Children who are weak in studies, those children, if they are raw milk, add sugar candy powder to it, or add honey, mix it well. From that, the children go and do anointing on the Shivling, they should offer it to Shiva, then offer water, keep the Bel-Patra, light the lamp. Sit there and chant for a while. So those children will be very smart, talented in reading.*

17/7/2022

*🌞आज का हिन्दू पंचांग🌞
*⛅दिनांक - 17 जुलाई 2022*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी सुबह 10:49 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 01:25 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग - सौभाग्य शाम 05:49 तक तत्पश्चात शोभन*
*⛅राहु काल - शाम 05:47 से 07:28 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹किसी का मन बदलने के लिए*🔹
*🔹कोई बात मानता नहीं हो ..तो रात को जब वो व्यक्ति सो जाए ...तब आप उसके श्वासोश्वास के करीब चले जाएँ ... उसका श्वास और आपका श्वास वातावरण में मिल जाए ऐसे आप विचार करें कि दारू छोड़ दो ...दारू से बहुत हानियाँ होती हैं ..या पत्नी को मारना छोड़ दो ..मानो मैं कमला हूँ और मेरा पति का गुड्डू .. तो बोले गुड्डू .. कमला को मारना छोड़ दे ... उसको सताओ मत जैसा उसमें दुर्गुण है उसके विपरीत बोलो .. थोड़े दिन में उसका मन बदल जायेगा ।*
*🔹रविवार विशेष🔹*
*🔹रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए ।* *(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्ष करना निषेध है ।*रविवार के दिन तुलसी पत्त्ता तोड़ना वर्जित है ।*
🕉️🌹💐🏵️🌻🌻🏵️💐🌹🕉️

19/7/2022

*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 19 जुलाई 2022*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्टी सुबह 07:49 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - अतिगण्ड दोपहर 01:44 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - शाम 04:06 से 05:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:05*
*⛅सूर्यास्त - 07:27*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:22 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹आपत्तिनिवारण के लिए ‘शिवसूत्र’ मंत्र*
*🌹जिस समय आपत्तियाँ आ धमकें, उस समय भगवान शिव के डमरू से प्राप्त १४ सूत्रों को अर्थात् ‘शिवसूत्र’ मंत्र को एक श्वास में बोलने का अभ्यास करके इसका एक माला (१०८ बार) जप प्रतिदिन करें । कैसा भी कठिन कार्य हो, इससे शीघ्र सिद्धि प्राप्ति होती है| ‘शिवसूत्र’ मंत्र इस प्रकार है-*
*🌹‘अइउण, ॠलृक्, एओड़्, ऐऔच्, हयवरट्, लण्, ञमड़णनम्, झभञ्, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव्, कपय्, शषसर्, हल् ।’*
*🌹इसी मंत्र के अन्य प्रयोग निम्नानुसार है-*
*१. बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर जाता है ।*
*२. जिस व्यक्ति में प्रेत का प्रवेश आया हो, उस पर उपरोक्त सूत्रों से अभिमंत्रित जल के छीटें मारने से प्रवेश छूट जाता है तथा इन्हीं सूत्रों को भोजपत्र पर लिख कर गले मे बाँधने से अथवा बाजू पर बाँधने से प्रेतबाधा दूर हो जाती है ।*
*३. ज्वर, तिजारी (ठंड लगकर तीसरे दिन आनेवाला ज्वर), चौथिया (हर चौथे दिन आनेवाला ज्वर) आदि में इन सूत्रों द्वारा झाड़ने-फूँकने से ज्वर उतर जाता है । अथवा इन्हें पीपल के एक बड़े पत्ते पर लिखकर गले या हाथ पर बाँधने से भी ज्वर उतर जाते हैं ।*
*४. मिर्गी(अपस्मार) होने पर भी इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा अभिमंत्रित जल प्रतिदिन पिलाना चाहिए ।*
*🔹मासिक के दिनों में ये सावधानी रहें ।🔹*
*🔹मासिक के दिनों में जो माता..बहन ... अपने हाथ से आटा गूंधती है... भोजन बनाती है .... बेटे को, पति को ....परिवार को भोजन बनाके खिलाती है .....वो उनकी बुद्धि को कुंठित करती है । इन से उनकी बुद्धि का विकास रुक जाता है .... डरपोक हो जायेगे ....दब्बू हो जायेंगे । मासिक के दिनों में अपने हाथ से भोजन बनाकर नहीं खिलाना चाहिए । मासिक धर्म में मंदिर में भी नहीं जाना चाहिए .....गुरु के पास भी नहीं जाना चाहिए ... और पति को - बच्चों को - पुत्र को स्पर्श नहीं करना चाहिए । अभी वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया मासिक धर्मवाली महिलाओं ने शक्कर की फैक्ट्री में काम किया तो शक्कर की Quality पर भी असर पड़ा ... वस्तु पर भी असर पड़ता है और व्यक्ति पर भी ।*
🚩🌲🕉️💐🌹🏵️🏵️🌹💐🕉️🌲🚩

Friday, July 15, 2022

16/7/2022


*🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 16 जुलाई 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत - 2079*
*⛅शक संवत - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया दोपहर 01:27 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा अपरान्ह 03:10 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - आयुष्मान रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - सुबह 09:25 से 11:05 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:03*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संक्रांति, संकष्ट चतुर्थी*
*⛅ विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹संक्रांति - 16 जुलाई 2022🔹* 
*पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक*
*इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।*
*🌹पीपल-वृक्ष का महत्त्व क्यों ?🌹*
*👉 पीपल को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ वृक्ष माना गया है। इसे 'वृक्षराज' कहा जाता है । पूज्य बापूजी के सत्संग वचनामृत में आता है : "पीपल की शास्त्रों में बड़ी भारी महिमा गायी है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां... 'मैं ने सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ।' (गीता १०.२६)*
*👉 पीपल में विष्णुजी का वास, देवताओं का वास बताते हैं अर्थात् उसमें सत्त्व का प्रभाव है । पीपल सात्त्विक वृक्ष है । संस्कृति विज्ञान पीपल देव की पूजा से लाभ होता है, उनकी सात्त्विक तरंगें मिलती हैं । हम भी बचपन में पीपल की पूजा करते थे ।*
*👉 इसके पत्तों को छूकर आनेवाली हवा चौबीसों घंटे आह्लाद और आरोग्य प्रदान करती है ।* 
*👉 बिना नहाये पीपल को स्पर्श करते हैं तो नहाने जितनी सात्त्विकता, सज्जनता चित्त में आ जाती है और नहा-धोकर अगर स्पर्श करते हैं तो दोगुनी आती है ।*
*👉 शनिदेव स्वयं कहते हैं कि 'जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करता है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी ।'*
*👉 पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है और थके हारे दिल को भी मजबूत बनाता है ।*
*👉 पीपल के वृक्ष से प्राप्त होनेवाले ऋण आयन, धन ऊर्जा स्वास्थ्यप्रद हैं। पीपल को देखकर मन प्रसन्न, आह्लादित होता है । पीपल ऑक्सीजन नीचे को फेंकता है और २४ घंटे ऑक्सीजन देता है। अतः पीपल के पेड़ खूब लगाओ । अगर पीपल घर या सोसायटी की पश्चिम दिशा में हो तो अनेक गुना लाभकारी है ।*
*🔹पीपल की शास्त्रों में महिमा🔹*
*👉 'पीपल को रोपने, रक्षा करने, छूने तथा पूजने से वह क्रमशः धन, पुत्र, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।*
*👉 अश्वत्थ के दर्शन से पाप का नाश और स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उसकी प्रदक्षिणा करने से आयु बढ़ती है ।*
*👉 पीपल की ७ प्रदक्षिणा करने से १० हजार गौओं के, और इससे अधिक बार परिक्रमा करने पर करोड़ों गौओं के दान का फल प्राप्त होता है। अतः पीपल-वृक्ष की परिक्रमा नियमित रूप से करना लाभदायी है ।*
*👉 पीपल को जल देने से दरिद्रता, दुःस्वप्न, दुश्चिता तथा सम्पूर्ण दुःख नष्ट हो जाते हैं। जो बुद्धिमान पीपल वृक्ष की पूजा करता है उसने अपने पितरों को तृप्त कर दिया ।*
*👉 मनुष्य को पीपल के वृक्ष के लगानेमात्र से इतना पुण्य मिलता है जितना यदि उसके सौ पुत्र हों और वे सब सौ यज्ञ करें तब भी नहीं मिल सकता है । पीपल लगाने से मनुष्य धनी होता है ।*
*👉पीपल की जड़ के पास बैठकर जो जप, होम, स्तोत्र-पाठ और यंत्र-मंत्रादि के अनुष्ठान किये जाते हैं उन सबका फल करोड़ गुना होता है ।' (पद्म पुराण)*
*👉 घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष मंगलकारी माना गया है । (अग्नि पुराण)*
*👉 'जो मनुष्य एक पीपल का पेड़ लगाता है उसे एक लाख देववृक्ष (पारिजात, मंदार आदि विशिष्ट वृक्ष) लगाने का फल प्राप्त होता है ।' (स्कंद पुराण)*
*👉 'सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए पीपल और बड़े के मूलभाग में दीपदान करना अर्थात दीपक जलाना चाहिए ।'
🕉️🌹🚩💐🏵️🏵️💐🚩🕉️


*🌞 ~ Today's Hindu Panchang ~🌞*
 *⛅Date - 16 July 2022*
 *⛅Day - Saturday*
 *⛅Vikram Samvat - 2079*
 *Shak Samvat - 1944*
 *⛅Ayan - Dakshinayana*
 *⛅season - rain*
 *⛅ month - Shravan (Ashadh according to Gujarat and Maharashtra)*
 *⛅ Paksha - Krishna*
 * Date - Tritiya till 01:27 after that Chaturthi *
 * Nakshatra - Dhanishtha till 03:10 after that Shatabhisha*
 *⛅Yoga - Ayushman night till 08:50 after that good luck*
 *Rahu Kaal - from 09:25 to 11:05 in the morning*
 *⛅Sunrise - 06:03*
 *⛅Sunset - 07:28*
 *⛅Disha shool - in the east direction*
 *⛅Brahma Muhurta - from 04:39 to 05:21 in the morning*
 *Nishita Muhurta - Night from 12:25 to 01:07*
 *⛅Vrat festival details - Sankranti, Sankashta Chaturthi*
 *⛅ Special - Eating Parwal on Tritiya is going to increase the enemies. Eating radish on Chaturthi destroys wealth.
 *(Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-34)*
 *🔹 Sankranti - 16 July 2022🔹*
 Punya Kaal: Sunrise to Sunset
 * The chanting, meditation, charity and virtuous deeds done in this are renewable.
 * Why the importance of peepal tree?
 * Peepal is considered to be the best tree among all the trees. It is called 'Vriksharaj'. In the Satsang Vachanamrita of Pujya Bapuji: "Peepal has been sung in the scriptures with great glory. Lord Krishna has said: Aswatthah Sarvavrikshanaam... 'I am the Peepal tree among all the trees.' (Gita 10.26)*
 * The abode of Vishnu in Peepal, tells the abode of the gods, that is, there is the effect of sattva in it. Peepal is a sattvik tree. Culture Science: Worship of Peepal Dev is beneficial, they get Sattvik waves. We also used to worship Peepal in our childhood.*
 * The air coming by touching its leaves provides happiness and health round the clock.*
 * * If you touch a peepal without taking a bath, then the sattvikta, gentleness like a bath comes in the mind and if you touch it after taking a bath, it doubles.*
 * Shani Dev himself says that 'Whoever touches Peepal on Saturday, offers water to him, all his works will be accomplished and he will not have any pain from me.