Friday, May 27, 2022

माता शेरावाली वाली के गीत

माता शेरावाली के *2 द्वार जो भी आता है
माता शेरावाली के द्वार जो भी जाता है *2
खाली हाथ 
देखो खाली हाथ जाता है झोली भर के लाता है
माता शेरावाली के द्वार जो भी जाता है....

ममता छलकती है *2तेरे दिव्य मुखड़े से 
ममता छलकती है तेरे दिव्य मुखड़े से 
निराश लोगो की 2 झोली महकते  हुए फूलों से हंसते हंसते भरी तूने 
और तपस्या जो  निराहार  रहकर तेरी की  तो चंद्रभागा की किस्मत संवार दी तूने
ममता .....तू निहार ले जिसको वही मोक्ष पता है
माता शेरावाली के ...

जो भी व्यक्ति आता है मैया तेरे द्वारे पर 
मांगने  के लिए हे अम्बे मां
 धनवान हो या  रंक हरेक शीश झुकाता है यहां 
अपने हृदय के जलाकर श्रद्धा के चिराग अपना सर यहां ध्यानु भगत चढ़ता है यहां

जो भी व्यक्ति आता है मैया तेरे...प्रार्थना के धागे में दिल पिरोके लाता है 
माता शेरावाली के ...


सबके घर है उजियारा इसलिए की जग सारा *2
लिपटी हुई डगर में को डगर नही दुनिया को अब किसी महिषासुर का डर नहीं 
कण कण में तेरा वाश है मैया तूही बता
 वो कोन सा है दिल जिसमे तेरा घर नहीं
हे अम्बे माता
माता शेरावाली तेरे द्वार की माटी आंखों से लगता है माता शेरावालिंकेब्द जो भी


वृंदावन होन्या काशी सभी है तेरे अभिलाषी
वो प्यार की मिठास  हो या समंदर कि लहर हो 
सबको तेरी तलाश काशी सब है तेरे अभिलाषी 
मुझको किसी से    तेरे इमदाद चाहिए 
वृंदावनहो या काशी   सारा जग *2 तेरे धुन में बसूरी बजाता है 
माता शेरावाली के द्वार जो भी जाता है


तू  विनाश करती है दानवों का असुरो का *2
क्योंकि श्रीधर के घर में एक दिन*2
 नवरात्रों में आई भैरो के सामने जब खाना सजा के लाई
भैरों ने तेरे मुख पर जब अपनी दृष्टि डाली तू दिव्य कन्या है ये गुप्त बात पा ली
जैसे ही मैया उसने तुम्हे पकड़ना चाहा
इस निर्दई ने तेरी शक्ति से लड़ना चाहा
बस एक पल में ओझल तु हो गई नजर से 
भैरों भी तेरे पीछे आया इधर उधर से 
तू दर्शानी दरवाजे से होकर गुजरी मैया
और बाण गंगा तेरे बालों से निकली मैया 
लंगूरवीर ने भी पानी यहीं पिया था 
पीछा वहा पर भैरो ने भी किया था
चरणों की पादुका से तू गर्भ जोन समाई
उस गर्भजोन से बाहर 9 माह तक न आई
9माह बाद निकली तू पहुंची हाथीमथा
जिसकी चढ़ाई मुश्किल रास्ता न जिसका सीधा 
जैसे तू वहा से अपनी गुफा तक आई
भैरों भी आन पहुंचा होने लगी लड़ाई
भैरों से लड़ते लड़ते हनुमान थक गए तो
लंगूरवीर भैरव से हारने लगे तो 
धारण किया उसी क्षण चंडी का रूप तूने
भैरों की जान ले ली भैरो की आरजू ने 
धड़बकट के जब गिरा था दुहलीज पर गुफा की
लहरा रहा था मस्तक आगोश में हवा की 
होंठो से उसके लेकिन आवाज सच की आई +4
ही मां तेरी दुहाई *4
तू विनाश करती है दानवों का आसूरो का 
तेरा नाम सुनते ही दैत्य कांप जाता है
माता शेरावाली के द्वार जो भी जाता है 
खाली हाथ जाता है झोली भर के लाता है



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