Monday, June 1, 2020

2/6/2020 TODAYS SPECIAL आज का दिन

आज का पवित्र दिन:

मंगलवार , 2 जून , 2020 : युगाब्द5122 ज्येष्ठ शुक्ल 11 वि . 2077

सुविचार

अहंकार के वृक्ष पर विनाश के ही फल लगते हैं

सुभाषित

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।

उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम्॥

 

- यह मेरा है, वह उसका है जैसे विचार केवल संकुचित मस्तिष्क वाले लोग ही सोचते हैं। विस्तृत मस्तिष्क वाले लोगों के विचार से तो वसुधा एक कुटुम्ब है। 


कविता

मातृभूमि
मैथलीशरण गुप्त

नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥
नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।
बंदीजन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है॥
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की॥
जिसके रज में लोट-लोट कर बड़े हुये हैं।
घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुये हैं॥
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।
जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाये॥
हम खेले-कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में।
हे मातृभूमि! तुझको निरख, मग्न क्यों न हों मोद में?
पा कर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा।
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है।
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है॥
फिर अन्त समय तू ही इसे अचल देख अपनायेगी।
हे मातृभूमि! यह अन्त में तुझमें ही मिल जायेगी॥
निर्मल तेरा नीर अमृत के से उत्तम है।
शीतल मंद सुगंध पवन हर लेता श्रम है॥
षट्ऋतुओं का विविध दृश्ययुत अद्भुत क्रम है।
हरियाली का फर्श नहीं मखमल से कम है॥
शुचि-सुधा सींचता रात में, तुझ पर चन्द्रप्रकाश है।
हे मातृभूमि! दिन में तरणि, करता तम का नाश है॥
सुरभित, सुन्दर, सुखद, सुमन तुझ पर खिलते हैं।
भाँति-भाँति के सरस, सुधोपम फल मिलते है॥
औषधियाँ हैं प्राप्त एक से एक निराली।
खानें शोभित कहीं धातु वर रत्नों वाली॥
जो आवश्यक होते हमें, मिलते सभी पदार्थ हैं।
हे मातृभूमि! वसुधा, धरा, तेरे नाम यथार्थ हैं॥
क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है।
सुधामयी, वात्सल्यमयी, तू प्रेममयी है॥
विभवशालिनी, विश्वपालिनी, दुःखहर्त्री है।
भय निवारिणी, शान्तिकारिणी, सुखकर्त्री है॥
हे शरणदायिनी देवि, तू करती सब का त्राण है।
हे मातृभूमि! सन्तान हम, तू जननी, तू प्राण है॥
जिस पृथ्वी में मिले हमारे पूर्वज प्यारे।
उससे हे भगवान! कभी हम रहें न न्यारे॥
लोट-लोट कर वहीं हृदय को शान्त करेंगे।
उसमें मिलते समय मृत्यु से नहीं डरेंगे॥
उस मातृभूमि की धूल में, जब पूरे सन जायेंगे।
होकर भव-बन्धन- मुक्त हम, आत्म रूप बन जायेंगे॥

कविता
अमरीका में हो रहे जगह - जगह उत्पात ,
थाम नहीं हैं पा रहे चचा ट्रंप के हाथ ।
चचा ट्रंप के हाथ अगर घर ना संभलेगा ,
तब तो पक्का चीन तुम्हें हल्के में लेगा ।
है बिल्ली के भाग्य आज फूटा यह छींका ,
नई मुसीबत बीच तभी उलझा अमरीका ।

अमेरिकी अंतरिक्ष यान चांद पर सफलतापूर्वक उतरा आज ही के दिन 1966 में अमेरिकी अंतरिक्ष यान सर्वेयर -1 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में कामयाब रहा । यह पहला मौका था जब कोई अमेरिकी यान चांद पर पहुंचा । हालांकि इससे पूर्व सोवियत संघ का लूना -2 अंतरिक्ष यान 1959 में चांद पर पहुंचा था ।

देश - विदेश।

ब्रिटेन की महारानी एलिजावेथ द्वितीय की ताजपोशी आजही के दिन 1953 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की लंदन के वेस्टमिस्टर एवं में ताजपोशी हुई । किंग जॉर्ज षष्ठम की मृत्यु के बाद 16 साल की एलिजावेथ को महारानी बनाया गया । करीब 30 लाख लोग लंदन की सड़कों पर महारानी को शुभकामनाएं देने के लिए खड़े थे ।

व्यक्ति विशेष

कई भाषाओं में बेहतरीन फिल्में देने वाले निर्देशक मणिरत्नम आज ही फिल्म निर्देशक मणिरत्नम का जन्म 1956 में तमिलनाडु के मदुरै में हुआ । वास्तविक नाम गोपाला रत्नम सुब्रमण्यम है । पहले तमिलनाडु फिर मुंबई से पढ़ाई की । हिंदी के साथ तमिल और मलयालम फिल्में भी बनाई हैं । 1983 में पहली बार तमिल फिल्म पल्लवी अनु पल्लवी निर्देशित की । 1986 में मौना रागम ने उन्हें निर्देशक के रूप में स्थापित किया । गुरू , रोजा , बांबे , साथिया जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया है । उनकी फिल्मों के विषय काफी अलग होते हैं । उनकी आने वाली फिल्म पोन्नीयन सेल्वन है ।

निर्भय बनें

संकटकाल में संयम बनाए रखना और बल का सदुपयोग दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं । इनके समन्वय से ही वीरता का जन्म होता है । युद्ध में जाने वाला योद्धा कितना भी निडर क्यों न हो वह सर्वप्रथम अपनी सुरक्षा का प्रबंध करता है । एक हाथ में यदि तलवार हो तो दूसरे हाथ में ढाल अवश्य होती है । वह ढाल आगे रखता है और तलवार का वार बाद में करता है । जब वह स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित कर लेगा तभी भरपूर प्रहार कर सकेगा । स्वयं की सुरक्षा का विश्वास ही उसे निर्भय बनाता है । आज वैश्विक महामारी से बचने के उपाय विश्व भर में , प्रचारित हो रहे हैं । इसके बावजूद बहुत से लोग उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं । ये उनकी निडरता , वीरता नहीं दुस्साहस है । युद्ध के मैदान में बिना ढाल उतरने वाला योद्धा कब तक तलवार का कौशल दिखाकर टिक सकेगा । एक वर्ग ऐसे लोगों का भी है जो भयभीत होकर इतने मानसिक दबाव में आ गए हैं कि अपनी सहजता ही खो बैठे हैं । महामारी से लड़ने के लिए सावधानियों की ढाल भी चाहिए और मानसिक दबाव से बचने के लिए आत्मबल भी , ताकि निश्चित उपाय खोजे जा सकें । आज मनुष्य के संकल्प की भी परीक्षा है । परिस्थितियां कितनी भी विकट क्यों न हों उनसे पलायन संभव नहीं होता । ऐसे में मनुष्य के पास सबसे उपयोगी अस्त्र होता है उसका धैर्य । यदि धैर्य बना रहे तो बुद्धि और बल का अधिकतम सदुपयोग किया जा सकता है । इसके विपरीत जब चेतना को भय ग्रस ले तो मनुष्य अमित हो जाता है । समय सदैव एक जैसा नहीं रहता । परिवर्तन होते रहते हैं । परिवर्तन मंद गति से होते हैं , जिनका आभास ही नहीं होता और कुछ परिवर्तन एकाएक परिदृश्य बदल देते हैं । आज जीवन का ढंग बदल गया है । जो मनुष्य आज तक करता आया है , हो सकता है अब कभी न कर सके । इस सत्य को स्वीकार करने के साथ ही जीवन आगे बढ़ सकेगा , किंतु हर हाल में निर्भय होना ही फलदाई होता है ।

Tuesday, June 2, 2020: UT 5122 Jiilda Subhr 11 V. 2077

Thought of theday
seems to be the destruction of the ego tree


Subhashitm:


Ah Nij Paro Wati County Burnchuresam Liberation You Vasudhavitambak -
This is mine, it is like the idea of the people with the compressed brain only. Vasudha is a family with the idea of the wide brain.

Poem

Matribhumi {MOTHERLAND}
Maithlisharan Gupt

Nilambar Garment is beautiful on the green coast. Sun-chandra era is crown, Makhla Ratnakar. Rivers flow flow, flower stars are Mandan. Bandjan Khag-Vrind, Balfan is the throne. Doing Abhishek Piyod, Balihari of this place. Hey homeland! You are the truth, Sagun Murthy Sarvesh. In which there is a lot of looted in the state. The knees are standing and standing. Paramahansa could get all the happiness in childhood. Due to which the dust is called diamond. We played and hit Harshi, whose lovely lap. Hey homeland! Do not be disgusted, why not be enough? By getting you all the pleasures we will suffer. What will you ever get from us? Your body is made from your body. Simply have sunny with your own. Then the end will adopt it to see it. Hey homeland! This will end only in you. Nirmal Tera Neer is better than Amrit. Soft slow aroma wind is labor. There is a diverse scenario amazing sequence of hex. The floor of greenery is not less than velvet. Shutchi Sudha is in the night, you have Chandraprakash on. Hey homeland! In the day, the destruction is destroyed. Surabhit, beautiful, pleasant, Suman blooms on you. Like, the Sudhopam is found. Medicines are obtained from one different. The mines are shocked somewhere metal gems. We are all the substances that are necessary. Hey homeland! Vasudha, Dhara, your name are true. Athamaye, you are merciful, is forced. Sudamati, Vatsalyamayi, you are love. Vibhashalini, the University, is a sadness. Fear is a dishonor, peaceful, happiness. O Sharanadayini Devi, you have all the states. Hey homeland! Sonan, you, you are a life, you are life. Our ancestors who meet in the earth. O God! Sometimes we do not stay. Lot-looting will calm down. While meeting in it, death will not be afraid. In the dust of that homeland, when the whole will go away. By becoming a bad-fast-free, we will become self-form.

Poem

The place in the USA - the place is not paced,
the hand of the trump.
If the hand of the trunk will not be home, then then China will take you lightly.
The fate of the cat is frustrated today,
it is confused by the new trouble.

SCIENCE AND TECHNOLOGY

The American spacecraft successfully landed on the moon, in 1966, the American spacecraft has successfully managed to successfully land on the surface of the moon. This was the first time when a US Yan reached the moon. Although earlier, the Soviet Union's Luna-2 spacecraft reached the moon in 1959.


Country - abroad

On the day of Maharani Elizaveth II of Britain, Maharani Elizabeth II of Urine Elizabeth II in 1953 and corpsey. After the death of King George Chhirem, Elizaveth was made Maharani. About 30 lakh people standing on the streets of London to give greetings to the Queen.

PEOPLE SPECIAL

Maniratnam, who gave the best films in many languages, was born in the Madurai of Tamil Nadu in 1956 in 1956. The real name is Gopalala Ratnam Subramaniam. First Tamil Nadu studied from Mumbai. Tamil and Malayalam films have also been made with Hindi. For the first time in 1983, Tamil film Pallavi Anu Pallavi directed. In 1986, the Mona Ragam established him as a director. The best films like Guru, Rosa, Bombay, Saathiya have been directed. The subjects of their films are quite different. His upcoming film is Ponnian Selvan.

Be fearless.



Maintaining crisis moderation and good use of force are both important. It is through their coordination that bravery is born. No matter how fearless a warrior is, he first manages his security. If there is a sword in one hand, there is a shield in the other hand. He puts the shield forward and strikes the sword later. Only when he can ensure his own safety will he be able to strike heavily. The belief of self-protection makes him fearless. Today, measures to avoid global epidemics are being spread around the world. Despite this, many people are not taking them seriously. This is not his boldness, bravery but courage. How long a warrior without a shield can survive by showing the skill of the sword. There is also a class of people who have come under so much mental pressure in fear that they have lost their spontaneity. There is also a need for a shield of caution to fight the epidemic and self-defense to avoid mental pressure, so that certain measures can be found. Today the determination of man is also tested. No matter how severe the circumstances, migration from them is not possible. In such a situation, the most useful weapon a man has is his patience. If patience is maintained then intelligence and strength can be utilized to the maximum. On the contrary, when the consciousness takes fear, a person becomes immense. Time is not always the same. Changes keep happening. Changes happen at a slow pace, which is not understood and some changes abruptly change the scenario. Today the way of life has changed. A man who has been doing till date, may never do it now. By accepting this truth, life will be able to move forward, but it is fruitful to be fearless in every situation.  

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