Monday, June 1, 2020

1/6/2020 Sarvottam vart of ekadashi आने वाले एकादशी व्रत

   आने वााली एकादशी


योगिनी एकादशी- 17 जून 2020

देवशयनी एकादशी - 1 जुलाई 2020 

कामिका एकादशी - 16 जुलाई 2020

श्रावण पुत्रदा एकादशी - 30 जुलाई 2020

अजा एकादशी - 15 अगस्त 2020

परिवर्तिनी एकादशी - 19 अगस्त 2020

इन्दिरा एकादशी - 13 सितंबर 2020

पद्मिनी एकादशी - 27 सितंबर 2020

परम एकादशी - 13 अक्टूबर 2020

पापांकुशा एकादशी - 27 अक्टूबर 2020

रमा एकादशी - 11 नवंबर 2020

देव उठनी एकादशी - 25 नवंबर 2020

उत्पन्ना एकादशी - 11 दिसंबर 2020

मोक्षदा एकादशी - 25 दिसंबर 2020



*❗०२ जून २०२० मंगलवार ❗*
*‼ज्येष्ठशुक्लपक्षएकादशी 2020*
*💦निर्जला एकादशी 💦* है !
*🙏बहुत बहुत शुभकामना व बधाई🙏*

*॥ अपने लक्ष्य पर केंद्रित हो जाइए ॥*

👉 *यदि आप वास्तव में अपने जीवन को सुखी, शांत एवं सफल बनाना चाहते हों, तो सर्वप्रथम अपना केवल एक ही आदर्श विचारपूर्वक निश्चित करिए कि "मैं यह चाहता हूँ" और "मैं यह बनूँगा" ।* केवल अपनी ओर देखते रहिए और अपनी दृष्टि अर्जुन की भाँति अपने लक्ष्य पर ही केंद्रित कीजिए । *"दूसरों की "विशेषता" या "अवगुणों"* पर ध्यान मत दीजिए । दूसरों की विशेषता देखकर ही वैसा बनने की मत सोचिए । यदि किसी में अच्छे गाने की विशेषता है, तो एक अच्छा गायक बनने की मत सोचिए । यदि वास्तव में संगीत तुम्हें प्रिय है, तो अपने सामर्थ्य की सीमा के भीतर गाने की विशेषता अपने में लाने का प्रयास कर सकते हो ।
👉 *अपने "लक्ष्य" की प्राप्ति के लिए सच्चाई, ईमानदारी एवं निरंतर परिश्रम से काम करिए, सोचिए कम, करिए अधिक ।* प्रत्येक काम को बिना घबराए निश्चिंत भाव से कीजिए, संतोष से काम कीजिए,मन को निर्द्वन्द एवं प्रसन्न रखकर आत्मबल को जाग्रत कीजिए । *अपनी दृष्टि "लक्ष्य" की ओर गड़ाकर सारी शक्तियाँ उस पर केंद्रित कर दीजिए ।*
👉मनुष्य के हाथ में कर्म करना है । *"लक्ष्य" के प्रति तन्मय रहना" यह मनुष्य की इतनी बड़ी विशेषता, प्रतिष्ठा, सफलता और महानता है कि उसकी तुलना में अनेक प्रकार के आकर्षक गुणों को तुच्छ ही कहा जाएगा ।*


आज निर्जला एकादशी पर वैष्णव जनों के प्राणधन भगवान विष्णु को अति प्रिय है एकादशी व्रत । पुराणों के अनुसार , भगवान विष्णु ने कहा कि तिथियों में मैं एकादशी तिथि हूं । मान्यता है कि पूर्व काल में आततायी मुर दैत्य को मारने के लिए भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य कन्या प्रकट हुई , जिसके हुंकार मात्र से ही मुर दैत्य भस्म हो गया । इस दिव्य कन्या को भगवान विष्णु ने एकादशी देवी कहकर पुकारा । उन्होंने वर देते हुए कहा- तुम तिथियों में श्रेष्ठ एकादशी तिथि कहलाओगी व सभी विघ्नों का नाश करने वाली देवी होगी । एक माह में दो पक्षों ( शुक्ल और कृष्ण पक्ष ) में दो एकादशी होती हैं । इस प्रकार 1 वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं । विभिन्न नक्षत्रों का योग होने पर प्रत्येक एकादशी व्रत का नाम तथा महत्व भिन्नभिन्न होता है । मान्यतानुसार , एकादशी के दिन अन्न का त्याग करना चाहिए । एकादशियों में निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व है , जो ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं । यह व्रत बिना जल पिए रखा जाता है । व्रत के पूर्ण होने बाद ही द्वादशी को जल पीने का विधान है । स्वास्थ्य के अनुरूप स्वयं का ध्यान रखते हुए ही निर्जला एकादशी का व्रत धारण करना चाहिए । 


कथा
धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि भगवन, मैंने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत का माहात्म्य सुना। अब कृपया आषाढ़ कृष्ण एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है? माहात्म्य क्या है? यह भी बताइए।

 श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं तुमसे पुराणों में वर्णन की हुई कथा कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।

 स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहाँ फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।

 इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया।

 हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ ‍उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’

 कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा।

 रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहाँ जाकर उनके पैरों में पड़ गया।

 उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह ‍सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएँगे।

 यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

 भगवान कृष्ण ने कहा- हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।





🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀


Upcoming Ekadashi 

yogini ekadashi -- 17 jun 2020 
devshayani ekadashi -- 1 july 2020 
kamika ekadashi -- 16 july 2020
 shravan putrada ekadashi -- 30 july 2020
 aja ekadashi -- 15 august 2020
 parivertini ekadashi -- 19 august 2020 indira ekadashi -- 13 septamber 2020 
padmini ekadashi -- 27 septamber 2020 
param ekadashi -- 13 october 2020 papankusha ekadashi -- 27 october 2020 rama ekadashi -- 11 novembar 2020 
dev uthani ekadashi -- 25 novembar 2020 utpanna ekadashi -- 11 decembar 2020 mokshada ekadashi -- 25 decembar 2020



❗02 June 2020 Tuesday ❗ * *! Eyeshhukkalapaksha Akadashi is 2020


* *Nirjala Ekadashi 💦 * *
🙏Very good luck and congratulations * *. Go to your goal. *
👉 * If you really want to make your life happy, calm and successful, then first of all, definitely make one of the only ideals that "I want it" and "I will make it". Just look at yourself and your vision Do not pay attention to "" attribute "or" disagreement "* of others. Do not think of becoming the same thing. If anybody is characteristic of good songs, then do not think of becoming a good singer. If the music is dear to you, then within the limit of your strength

👉 * Work with sincerity, honesty and continuous hard work to achieve your "goal", think less, do more. * Do every task without worry, work with satisfaction, keep the mind free and happy, and strengthen your self-confidence. Wake up * Concentrate your powers on the "target" and focus on it. *
Have to do deeds in the hands of a man. * Staying attentive to the "goal" is such a great attribute, prestige, success and greatness of man that many types of attractive qualities will be despised compared to him. *


Today, the life of Vaishnav people on Nirjala Ekadashi is very dear to Lord Vishnu.  According to the Puranas, Lord Vishnu said that among the dates, I am Ekadashi.  It is believed that a divine girl appeared from the body of Lord Vishnu to kill the terrorist Mur demon in the earlier period, the Mur monster was consumed by the mere humiliation.  Lord Vishnu called this divine girl as Ekadashi Devi.  He said while giving the bride- You will be called the best Ekadashi date in the dates and will be the Goddess who will destroy all obstacles.  There are two Ekadashi in two sides (Shukla and Krishna Paksha) in a month.  Thus, there are 24 monasteries in 1 year.  The name and importance of each Ekadashi fast is different when different Nakshatras are combined.Varies.  According to the norm, food should be sacrificed on the day of Ekadashi.  Nirjala Ekadashi fast has special significance in Ekadashi, which is observed on the day of Shukla Paksha Ekadashi of Jyeshtha month, it is also known as Bhimsen Ekadashi.  This fast is kept without drinking.  There is a law to drink water on Dwadashi only after completion of fast.  One should observe fasting of Nirjala Ekadashi keeping in mind his health.

Katha 
Dharmaraja Yudhishthira said that God, I heard the significance of the fast of Jyeshtha Shukla Ekadashi.  Now please listen to the story of Ashadh Krishna Ekadashi.  What is its name?  What is the significance  Please also tell this.

 Shri Krishna started saying that, O Rajan!  The name of Ashadha Krishna Ekadashi is Yogini.  All sins are destroyed by its fast.  It is liberating in this world of enjoyment and hereafter.  It is famous in all three worlds.  I tell you the story described in the Puranas.  Listen carefully

 A king named Kubera lived in the city of Alakapuri in Swargadham.  He was a devotee of Shiva and worshiped Shiva daily.  A gardener named Hem used to bring flowers to him for worship.  Hem had a beautiful woman named Vishalakshi.  One day he brought a flower from Mansarovar, but due to being a Kamasakta, he started humming and humming his woman.

 Here the king kept waiting till his afternoon.  Finally, King Kubera ordered the servants to go and find out the reason for the gardener not coming, because he has not yet brought a flower.  The servants said that Maharaj is that sinful infatuation, must be humorous and delightful with his woman.  Hearing this, Kubera got angry and called him.

 Hem Mali was shaken by fear of the king.  King Kubera got angry and said- "Hey sinner!  Low  Kami!  You have disrespected the God of my Most Worshiped God, Shri Shivji Maharaj, therefore I curse you that you will bear the disconnection of the woman and go to the dead land to be leprosy. '

 Hem Mali fell from heaven due to Kuber's curse and he fell on the earth at that moment.  As soon as he came to the ground, his body became white leprosy.  His woman also disappeared at the same time.  After coming to the land of death, the gardener suffered great sorrow, wandering in the terrible forest, wandering without food and water.

 Even sleep did not come in the night, but due to the effect of worship of Shiva, he must have knowledge of the memory of previous birth.  While wandering, he reached the ashram of the sage Markandeya, who was older than Brahma and whose ashram looked like a gathering of Brahma.  Hem Mali went there and fell on his feet.

 Seeing him, the sage Markarkandya said, what kind of sin you have committed, due to which this condition has happened.  Hem Mali heard the whole story.  Hearing this, the sage said - Surely you have told the truth in front of me, that's why I tell you a fast for your salvation.  All your sins will be destroyed if you lawfully observe the Ekadashi called Yogini of Krishna Paksha of Ashadha month.

 Hearing this, Hem Mali, very pleased, bowed prostrate to Muni.  Muni raised him with affection.  Hem Mali methodically observed Yogini Ekadashi according to Muni's statement.  Due to the effect of this fast, he came to his old form and started living happily with his woman.

 Lord Krishna said- O Rajan!  This Yogini Ekadashi fast gives the equivalent of giving food to 88 thousand Brahmins.  By this fast, all sins are removed and finally heaven is attained.

No comments:

Post a Comment