शिवाजी बाल और किशोरों के लिए
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माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले के यहां एक युग प्रवर्तक बालक ने 19 फरवरी 1630 ई . ( शके संवत 1551 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया ) को शिवनेरी दुर्ग में जन्म लिया जिसका नाम रखा गया शिवा । अपनी माता के संकल्प के अनुसार 6 जून 1674 ईस्वी ( ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी ) को उन्होंने हिंदू पदपादशाही की स्थापना की । जीवन भर हिंदू गौरव , स्वाभिमान और हिंदू स्वराज के लिए जीने वाली यह महान आत्मा 3 अप्रैल 1680 को परम तत्व में विलीन हो गई ।
1. मातृभक्त शिवाजी उदाहरण -कोंडाणा दुर्ग , माता के द्वारा सती होने का विचार प्रकट होने पर शिवाजी की स्थिति ।
2.शिवाजी की बाल टोली जीवन पर्यंत साथ रहे , तोरणा दुर्ग की खुदाई के समय बहुत सारा धन निकला मित्र भी वहीं थे , तो भी किसी ने गरीब होने पर भी अपने लिए नहीं मांगा । दो गांव वालों का आम के वृक्ष के आमों के लिए लड़ना और शिवाजी का उनको समझाना ।
3. शिवाजी का संकल्प- शिवाजी द्वारा रोहिडेश्वर मंदिर में बाल टोली के साथ हिंदवी स्वराज्य का संकल्प । 4.शिवाजी का आत्मविश्वास नित्य प्रति व्यायाम , सूर्य नमस्कार आदि से मजबूत शरीर , तोरण दुर्ग विजय छोटी टोली के द्वारा , गधे की जगह स्वर्ण जड़ित सींग वाले बैल और स्वर्ण जड़ित हल से स्वयं भूमि को जोता , अपनी छोटी सी टोली होते हुए भी बीजापुर के मुंह लगे रांझे के पाटिल को सजा ,शाहिस्ता ख़ा पर भरी सेना के बीच में आक्रमण कर सुरक्षित वापिस निकलना ।
5.शिवाजी का राष्ट्रीय स्वाभिमान बीजापुर के दरबार में सुल्तान को कुर्निसात ( सलाम ) करने से मना करना । औरंगजेब के दरबार हिंदू स्वाभिमान के लिए शिवाजी की हुंकार ।
6. शिवाजी की योजकता पन्हालगड़ से विशालगढ़ की यात्रा , आगरा से सुरक्षित निकलने की घटना ,
7.शिवाजी द्वारा प्रशिक्षण नित्य प्रति व्यायाम , सूर्य नमस्कार आदि से मजबूत शरीर स्वयं भी करते थे और माता जीजाबाई के द्वारा जो भी जानकारी / प्रशिक्षण मिला वह अपने मित्रों को भी सिखाया । अखाड़ों के माध्यम से भी शरीर सौष्ठव और मानसिक और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने का काम किया । उदाहरण -बाजी प्रभु देशपांडे जिनकी तलवार तब तक चलती रही जब तक कि उन्होंने विशालगढ़ तक शिवाजी के पहुंचने का संकेत प्राप्त नहीं कर लिया , येसाजी कंक का तलवार के एक ही वार से हाथी का काम तमाम करना ।
8. शिवाजी की श्रद्धा भक्ति , गुरुभक्ति , बड़ों का सम्मान
9. शिवाजी और महिला सशक्तिकरण सती प्रथा के विरोधी थे , सती होने से अपनी माता और तानाजी मालुसरे की धर्मपत्नी को रोका । अन्तिम समापन बौद्धिक में छोटी - छोटी कहानियों के माध्यम से शिवाजी की ध्येय निष्ठा , अनवरत कार्य और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना । विशेष - छोटे - छोटे प्रश्नों के माध्यम से भी विषय को आगे बढ़ाया जा सकता है । हिन्दूसामाज्य दिनोत्सव क्यों ?
छत्रपति शिवाजी महाराज की विजय केवल शिवाजी महाराज की विजय नही अपितु समूचे हिन्दू राष्ट्र की विजय थी । इसके परिणामस्वरूप सारे देश में हिन्दू स्वाभिमान जागा । औरंगजेब की चाकरी पर लात मारकर कविवर भूषण हिन्दू गौरव के नाते शिवजी महाराज की स्तुति करते हैं । संत समाज में भी शिवाजी महाराज का स्थान हिन्दू संरक्षक के नाते बना । राजस्थान में भी अधिकांश राजपूत राजा दुर्गा दास राठौड़ के नेतृत्व में हिन्दवी पताका को लेकर निकल पड़े और वहाँ से विधर्मी सत्ता को उखाड़ फेंका । बुन्देलखंड के महाराजा छत्रसाल , असम के राजा चक्रध्वज सिंह , कूचबिहार के राजा रुद्र सिंह जैसे अनेक राजाओं ने हिन्दू स्वराज्य के प्रति स्वाभिमान व आत्मविश्वास के निर्माण की प्रेरणा शिवाजी महाराज ही थे । शिवाजी महाराज का समूचा व्यक्तित्व सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए आज भी मूर्तिमंत आदर्श है । शिवाजी महाराज के द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए किए गए प्रयासों की यह राज्याभिषेक सफल परिणीति है । इसलिए इसको हम शिवाजी साम्राज्य दिवस न कह कर हिन्दू साम्राज्य दिवस कहते हैं । शिवाजी के चरित्र की , नीति की , कुशलता की , उद्देश्य के पवित्रता की आज भी आवश्यकता है ।
अवतरण छत्रपति शिवाजी महाराज का संकल्प :
" हम हिंदू हैं , यह पूरा देश हमारा है । फिर भी मुस्लिमों ने उस पर अधिकार किया है । यह मुसलमान हमारे मंदिर भष्ट करते हैं , मूर्तियां तोड़ते हैं , हमारा धन लूटते हैं , हिंदुओं को मुसलमान बनाते हैं , हिंदुओं की स्त्रियों का अपमान करते हैं , हमारी पवित्र गाय को काटते हैं । अब हम इसको नहीं सहेंगे । हमारी बाहों में शक्ति है । चलो , हम अपने पवित्र धर्म के लिए तलवार उठाएं , अपने देश को स्वतंत्र करें । अपने प्राचीन पूर्वजों के जैसे ही हम शक्तिशाली एवं पराक्रमी हैं । अगर यह कार्य हमने हाथ में लिया तो ईश्वर हमारी सहायता करेगा । हम अपनी भूमि के नायक हैं और स्वतंत्रता के विधाता हैं ।
" संदर्भ : - मुस्लिम आक्रमण का हिन्दू प्रतिरोध ( डॉ शरद हेबालकर )
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Points of Hindu Empire Dinotsav
Shivaji for child and teenagers
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An era promoter child of mother Jijabai and father Shahaji Bhonsle for Shivaji child and teenagers of Hindu Empire Dinotsav on 19 February 1630. (Shakti Samvat 1551 Falgun Mas Shukla Paksha Tritiya) was born in the Shivneri fort, named Shiva. According to his mother's resolve, on 6 June 1674 AD (Jyestha Shukla Trayodashi), he established the Hindu Padapadshahi. On April 3, 1680, this great soul, living for Hindu pride, self-respect and Hindu Swaraj, merged into the ultimate element.
1. Matriarchal Shivaji example - Kondana Durg, Shivaji's position when the mother's idea of Sati is revealed.
2. Shivaji's Bal Toli stayed with him for life, a lot of money came out during the excavation of the Torana fort, even if the friends were there, nobody asked for it even when they were poor. Two villagers fight for mango tree mangoes and Shivaji convinces them.
3. Shivaji's Resolution - Shivaji's resolution of Hindavi Swarajya with Bal Toli in Rohideswara Temple.
4. Shivaji's confidence in daily exercise, strong body with Surya Namaskar, etc., by the fortification fort Vijay Vijay Toli, plowing the land with gold-studded horned ox and gold-plow plow instead of donkey, Bijapur despite being its own small group Ranjit Patil's face punished,Returning safely by attacking Shahista Kha in the middle of the army.
5. Shivaji's national pride in the Bijapur court forbid the Sultan to perform kurnisat (salute). Shivaji's shout for Aurangzeb's court Hindu self-respect.
6. Shivaji's journey from Panhalgad to Vishalgad, the event of getting out of Agra,
7. Training by Shivaji used to do strong body by regular exercise, Surya Namaskar etc. and whatever information / training was received by Mother Jijabai Also taught to friends. Through the akharas also worked to increase bodybuilding and mental and intellectual capacity. Example- Baji Prabhu Deshpande whose sword kept going till he got the signal of Shivaji reaching Vishalgad, Yasaji Kank doing all the work of elephant with a single sword.
8. Shiva's devotion to devotion, Gurubhakti, respect of elders
9. Shivaji and women empowerment were opposed to the practice of Sati, preventing her mother and Tanaji Malusare's consort from becoming Sati. In the final concluding intellectual, Shivaji's aimful allegiance, continuous work and the establishment of Hindavi Swarajya through short stories. The subject can also be taken forward through special questions. Why Hindusamajaya Dinotsav?
The victory of Chhatrapati Shivaji Maharaj was not only the victory of Shivaji Maharaj but the victory of the entire Hindu nation.
As a result, Hindu self-respect was awakened throughout the country. Kavivar Bhushan praises Shivji Maharaj as Hindu pride by kicking Aurangzeb's wheel. Shivaji Maharaj became a place in Hindu community as a Hindu patron. In Rajasthan too, most of the Rajputs, led by King Durga Das Rathore, went out with the Hindu flag and overthrew the heretic. Many kings like Maharaja Chhatrasal of Bundelkhand, Raja Chakradhwaj Singh of Assam, Rudra Singh of Cooch Behar, Shivaji Maharaj were the inspiration for building self-respect and self-confidence for Hindu self-rule. The entire personality of Shivaji Maharaj is still the ideal idol for the entire Hindu society. This coronation is a successful culmination of the efforts made by Shivaji Maharaj for the entire nation. Therefore, we do not call it Shivaji Empire Day, but it is called Hindu Empire Day. The sanctity of Shivaji's character, policy, skill, purpose is still needed today. Revision of Chhatrapati Shivaji Maharaj: "We are Hindus, this whole country belongs to us. Yet Muslims have taken over it. These Muslims devour our temples, break idols, loot our wealth, make Hindus Muslims. , Insulting the women of Hindus, biting our sacred cow. Now we will not bear it. There is power in our arms. Come, let us raise the sword for our sacred religion, make our country free. Like our ancient ancestors We are powerful and mighty. If we take up this task, God will help us. We are the heroes of our land and the freedom fighters.
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