Tuesday, June 16, 2020

17/6/2020 YOGINI EKADASHI KHATHAयोगिनी एकादशी कथा sadabad krishn Ekadashi आषाढ़ कृष्ण एकादशी

https://youtu.be/Jg5JHPEJdRM
YOGINI EKADASHI KHATHA
योगिनी एकादशी कथा

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि भगवन, मैंने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत का माहात्म्य सुना। अब कृपया आषाढ़ कृष्ण एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है? माहात्म्य क्या है? यह भी बताइए।

श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं तुमसे पुराणों में वर्णन की हुई कथा कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।

स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहाँ फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।

इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया।

हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ ‍उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’

कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा।

रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहाँ जाकर उनके पैरों में पड़ गया।

उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह ‍सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएँगे।

यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

भगवान कृष्ण ने कहा- हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।



Dharmaraja Yudhishthira said that God, I heard the significance of the fast of Jyeshtha Shukla Ekadashi.  Now please listen to the story of Ashadh Krishna Ekadashi.  What is its name?  What is the significance  Please also tell this.

 Shri Krishna started saying that, O Rajan!  The name of Ashadha Krishna Ekadashi is Yogini.  All sins are destroyed by its fast.  It is liberating in this world of enjoyment and hereafter.  It is famous in all three worlds.  I tell you the story described in the Puranas.  Listen carefully

 A king named Kubera lived in the city of Alakapuri in Swargadham.  He was a devotee of Shiva and worshiped Shiva daily.  A gardener named Hem used to bring flowers to him for worship.  Hem had a beautiful woman named Vishalakshi.  One day he brought a flower from Mansarovar, but due to being a Kamasakta, he started humming and humming his woman.

 Here the king kept waiting till his afternoon.  Finally, King Kubera ordered the servants to go and find out the reason for the gardener not coming, because he has not yet brought a flower.  The servants said that Maharaj is a sinful infidel, humorous humor and delight with his woman.  Hearing this, Kubera got angry and called him.

 Hem Mali was shaken by fear of the king.  King Kubera got angry and said- "Hey sinner!  Low  Kami!  You have disrespected the God of my Most Worshiped God, Shri Shivji Maharaj, therefore I curse you that you will bear the disconnection of the woman and go to the dead land to be leprosy. '

 Hem Mali fell from heaven due to Kuber's curse and he fell on the earth at that moment.  As soon as he came to the ground, his body became white leprosy.  His woman also disappeared at the same time.  After coming to the land of death, the gardener suffered great sorrow, wandering in the terrible forest, wandering without food and water.

 Even sleep did not come in the night, but due to the effect of worship of Shiva, he must have knowledge of the memory of previous birth.  While wandering, he reached the ashram of the sage Markandeya, who was older than Brahma and whose ashram looked like a gathering of Brahma.  Hem Mali went there and fell on his feet.

 Seeing him, the sage Markarkandya said, what kind of sin you have committed, due to which this condition has happened.  Hem Mali heard the whole story.  Hearing this, the sage said - Surely you have told the truth in front of me, that's why I tell you a fast for your salvation.  All your sins will be destroyed if you lawfully observe the Ekadashi called Yogini of Krishna Paksha of Ashadha month.

 Hearing this, Hem Mali, very pleased, bowed prostrate to Muni.  Muni raised him with affection.  Hem Mali methodically observed Yogini Ekadashi according to Muni's statement.  Due to the effect of this fast, he came to his old form and started living happily with his woman.

 Lord Krishna said- O Rajan!  This Yogini Ekadashi fast gives the equivalent of giving food to 88 thousand Brahmins.  By this fast, all sins are removed and finally heaven is attained.

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