Tuesday, June 16, 2020

16/6/2020समाचार--समीक्षा , NEWS ANALYSIS

समाचार--समीक्षा ,
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● 2 जून को निर्जला एकादशी थी--भारतीय मनीषा का प्रतिनिधि पर्व। स्वयं निर्जला रहकर उपवास करें, पर अन्यों के लिए शीतल जल, शर्बत की छबील लगाएं। प्याऊ द्वारा व्यवस्था करें। यह व्यवस्था थोड़ी-थोड़ी दूर पर हर रास्ते और गली मौहल्ले में हो-- सजग समाज बन्धु, संवेदनशील और समर्थ सज्जन करें। कथा कोब छोड़ दें, तो कर्म काण्ड तो इतना ही बताया गया है। गहरी बात है हमारा चिन्तन, हमारी चिन्ता और हमारा आचरण। चिन्तन ऐसा कि हम स्वयं के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त साधनों का प्रयोग कम से कम करें--अभाव के कारण,विवशता है, ऐसा कदापि नहीं । परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परोपकाराय पुण्याय, यही भावना हमारी है। इसी प्रकार के करणीय कार्यो को हम धर्म कहते हैं, इसलिए यह धार्मिक पर्व हैं। साधक के लिए कठिन साधना और समाज के समुत्कर्ष का सफल साधन।
● जल संरक्षण और जल को कितना सम्भाल कर खर्च करना आदि बहुत विस्तृत विषय है। इस विषय में हम पहले भी विचार कर चुके हैं। आज हम केवल ग्रामीण और कस्बाई आबादी में फैले और मृतप्रायः हो चुके या होते जा रहे जौहडों और तालाबों आदि को पुनः जीवित करने के विषय में विचार करेंगे। इस समय ग्रामों में श्रमिकों की संख्या बड़ी हुई है । जॉब कार्ड रहित मजदूरों को भी मनरेगा में काम मिले यह व्यवस्था बनी है । ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जल संरक्षण और सिंचाई जैसे कार्यो को प्राथमिकता की सूची में रखा है । केंद्रीय बजट में 61 हजार करोड़ इस योजना के लिए रखे थे अब इसमें 40 हजार करोड़ और बढ़ाए गए हैं । इसमें से 28 हजार करोड़ जारी भी हो चुके हैं । कुल मिलाकर आर्थिक व श्रम साधन भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं अगर हम कुछ ऐसे स्थान चुन सकें जहां अपना प्रभाव हो और प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हो तो तुरंत योजना बनाकर उन स्थानों में जोहड़,तालाब आदि को पुनः जीवित किए जाने का प्रयास हो सकता है। तालाब की भूमि पर अतिक्रमण वाले स्थान फिलहाल छोड़ने होंगे। इधर वर्षा काल प्रारंभ होने में 1 महीना है। इतने समय में बहुत कुछ किया जा सकता है। पहले झालरा, बांदी, बावड़ी,खादिन,कुण्डा, कुण्डी़, टँका, नौला आदि नामों से यह व्यवस्था की जाती थी। इतना ही नहीं इस व्यवस्था को सम्भालने वाले लोगों को भी हमने कई नाम दिए थे। ये नाम थे जलधर, जलसुंधा, नीरघंटी, रामनामी, बुलई आदि। तालाबों की खराब होती स्थिति से कहीं-कहीं भूगर्भ जल 1500 फीट तक नीचे चला गया है। 27% गांवों और 46% शहरी क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध नहीं है। माताएं पीने का पानी खोजते हुऐ मीलों दूर जाती हैं। 1950 में देश में 24 लाख तालाब थे। हर छोटे से गांव में भी 3,4 तालाब होते थे। 17% कृषि की सिंचाई भी इनसे होती थी और सभी कामों के लिए सहजता से जल उपलब्ध था। वर्षा ऋतु में बाढ़ से बचाव भी होता था। एक बहुत अच्छा उदाहरण प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर का दो हजार साल पुराना तालाब है। यह 250 मील लम्बा है। लगता है कि गंगा में आने वाली बाढ़ से रोकथाम के लिए भी इसका उपयोग होता होगा। कुल मिलाकर घटते और खराब होते इन जलाशयों की स्थिति में सुधार की बहुत आवश्यकता है। इससे गांवों में प्रचुर मात्रा में रोजगार, मनेरगा जैसी योजना का सार्थक उपयोग होगा और जलापूर्ति भी आश्चर्यजनक रूप से बढेगी। इसी बात को लेकर हमारे ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि इस गाढे समय में मनेरगा जैसी योजना ग्रामीण गरीबोँ के जीवन का आधार बन गई है। सरकार के काम करने का अपना तरीका है। समाज सजग और सक्रिय होगा तो ही कल्याण होगा।
● लगता है चालाकी और चालबाजी चीन के जेहन में है। भारत, चीन, भूटान सीमा पर डोकलाम का प्रकरण हम सभी के ध्यान में है। अभी ताजा मामला पूर्वी लद्दाख में तीन क्षेत्रों दौलत बेग औल्डी़, गलवा घाटी तथा पैंगौंग लेक में चीन नेअपनी सेना घुसा दी है। 80 टैंट भी लगा लिए। दस दिन पहले तक वहां चीनी लड़ाकू विमान व हैलीकॉप्टर भी उड़ते दिखाई दिए। एक प्रकार से यह वास्तविक नियन्त्रण रेखा एल.ए.सी. की यथास्थिति और अपने देश की सुरक्षा को खुली चुनौती है। अपने रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बडे़ संयत पर दृढ शब्दों में प्रतिक्रिया दी कि हमें जो करना था वह हम भी कर रहे हैं और हम भारत का शीश नहीं झुकने देंगे। स्पष्ट है कि हमने भी अपनी सेना बढाई, उन्हें ललकारा और अपने विमान आदि भी तैनात किए। चीन बात करने को विवश हुआ और उसने अपने टैन्ट उखाड़ लिए और उसकी सेना एल.ए.सी. से दो कि.मी. पीछे हट गई। चीन भूलता है कि यह 1962 का एक स्वप्नदर्शी का भारत नहीं है। ठोस धरातल पर हर स्थिति से निबटने में सक्षम यह 2020 का भारत है। पुरानी कहावत है कि युद्ध के लिए तैयार रहना ही युद्ध टालने का एकमात्र कारगर उपाय है। लोग इन घटनाओं को चीन पर बढ रहे अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के रूप में भी देख रहे हैं। अभी कल ही जनरल स्तर के सेना नायकों की बैठक में चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में हमारे सहयोग की याचना की है। वैश्विक स्थिति में अनेक कारणों से चीन दबाव में है। कारण कोई भी हो हम अपने क्षेत्र में उसकी उपस्थिति कैसे सहन कर सकते हैं! हम प्राणपण से अपनी सार्वभौमिकता और समाज के शिखर छूते मनोबल को बनाएं रखने के लिए सन्नद्ध हैं।।
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 ● On June 2, there was Nirjala Ekadashi - the representative festival of Indian Manisha.  Fast on your own being waterless, but apply cold water, syrup to others.  Make arrangements by drinking  This arrangement should be a little far in every street and street locality - make the society alert, sensitive and capable gentleman.  If you leave the story behind, then this much has been told.  It is our deep thinking, our concern and our behavior.  Thinking that we should use the means provided by nature to ourselves at least - due to lack, compulsion is not so.  Parit Saris is not religion, brother, philanthropy, Punya, this feeling is ours.  We call these similar causes of work, therefore, it is a religious festival.  Difficult practice for the seeker and a successful tool for the empowerment of society.
 ● Conservation of water and how much water is spent, etc. is a very wide topic.  We have discussed this subject before.  Today, we will consider only the resurrection of Jauhad and ponds etc. which have spread and died in rural and town population.  At this time, the number of workers in the villages has increased.  This arrangement has been made for laborers without job cards to get work under MNREGA.  The Ministry of Rural Development has placed works like water conservation and irrigation on the priority list.  In the Union Budget, 61 thousand crores were kept for this scheme, now 40 thousand crores have been increased in it.  Out of this, 28 thousand crores have also been released.  Overall, economic and labor resources are available in plenty, if we can choose some places where we have our influence and are committed workers, then there can be an immediate plan to try to revive the johad, pond etc. in those places.  Places encroached on the pond land will have to be left for the time being.  Here it is 1 month for the onset of rainy season.  A lot can be done in this time.  Earlier, this arrangement was done under the names Jhalra, Bandi, Bawdi, Khadin, Kunda, Kundi, Stitch, Naula etc.  Not only this, we also gave many names to the people handling this system.  These names were Jaldhar, Jalasundha, Neeraghanti, Ramnami, Bullai etc.  Due to the deteriorating condition of the ponds, groundwater has gone down to 1500 feet.  Drinking water is not available in 27% of the villages and 46% of the urban areas.  Mothers go miles away looking for drinking water.  In 1950 there were 24 lakh ponds in the country.  Every small village also had 3,4 ponds.  17% of the agricultural irrigation was also done by them and water was readily available for all the work.  In the rainy season there was also protection from flood  A very good example is the two thousand year old pond of Shringverpur near Prayagraj.  It is 250 miles long.  It seems that it will also be used to prevent floods in the Ganges.  Overall there is a great need to improve the condition of these reservoirs which are depleting and deteriorating.  This will lead to abundant employment in villages, meaningful use of schemes like Mnerga and water supply will also increase surprisingly.  Regarding this, our Rural Development Minister Shri Narendra Singh Tomar said that a scheme like Manerga has become the basis of life of rural poor in this thick time.  The government has its own way of working.  There will be welfare only if the society is alert and active.
 ● Looks like cleverness and tact are in the mind of China.  The case of Doklam on the India, China, Bhutan border is in our attention.  In the latest case, China has entered its forces in three areas of Daulat Beg Oldi, Galwa Valley and Pangong Lake in eastern Ladakh.  Also took 80 tents.  Ten days ago, Chinese fighter aircraft and helicopters were also seen flying.  In a way, this real control line is LAC.  The status quo and the security of our country are an open challenge.  His Defense Minister Shri Rajnath Singh reacted strongly in a very strong manner that we are also doing what we had to do and we will not let the head of India bow down.  It is clear that we also increased our army, defied them and also deployed our aircraft etc.  China was forced to talk and uprooted his tent and his army LAC.  2 km from  She backed away.  China forgets that this is not a 1962 India of a dreamer.  It is a 2020 India capable of dealing with every situation on the concrete surface.  The old saying is that being prepared for war is the only effective way to avoid war.  People are also seeing these events as increasing international pressure on China.  Just yesterday, in the meeting of general level army heroes, China has requested for our cooperation in the World Health Organization.  China is under pressure due to several reasons in the global situation.  Whatever the reason may be, how can we bear his presence in our region!  We are dedicated to keeping our universality and the morale of the society touching the top of our life.

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