Monday, June 29, 2020

1/7/2020 Devshayani Ekadashi: Mythological Fast Story Padma (Ashadh Shukla) Ekadashi fast story Padma Ekadashi destroys all sinsदेवशयनी एकादशी : पौराणिक व्रत कथापद्मा (आषाढ़ शुक्ल) एकादशी व्रत कथासमस्त पापों का नाश करती है पद्मा एकादशी

देवशयनी एकादशी : पौराणिक व्रत कथा
https://youtu.be/d3wsBrK6Kes
पद्मा (आषाढ़ शुक्ल) एकादशी व्रत कथा
समस्त पापों का नाश करती है पद्मा एकादशी 


धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- हे केशव! आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूं। एक समय नारजी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न किया था।

 

तब ब्रह्माजी ने उत्तर दिया कि हे नारद तुमने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए बहुत उत्तम प्रश्न किया है। क्योंकि देवशयनी एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को नहीं करते वे नरकगामी होते हैं।
 



 

इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस एकादशी का नाम पद्मा है। अब मैं तुमसे एक पौराणिक कथा कहता हूं। तुम मन लगाकर सुनो। सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था। वह अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन किया करता था। उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था।

 

एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया। प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दुखी हो गई। अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए। एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी कि हे राजा! सारी प्रजा त्राहि-त्राहि पुकार रही है, क्योंकि समस्त विश्व की सृष्टि का कारण वर्षा है।

 

वर्षा के अभाव से अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है। इसलिए हे राजन! कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे प्रजा का कष्ट दूर हो। राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दुखी हो गए हैं। मैं आप लोगों के दुखों को समझता हूं। ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया। वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वहां राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया।

 

 






 



मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा। राजा ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दुखी है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है। जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूं तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका।

 

अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूं। कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए। इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है। इसमें धर्म को चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है। लोग ब्रह्म की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है। ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है।

 

इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो। इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूं। आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो।

 

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है। इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो।

 

मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुंचा। अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए। यह व्रत इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। 



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Devshayani Ekadashi: Mythological Fast Story





 Padma (Ashadh Shukla) Ekadashi fast story



 Padma Ekadashi destroys all sins






 Dharmaraja Yudhishthira said- O Keshav!  What is the name of Ashadh Shukla Ekadashi?  What is the method of observing this fast and which deity is worshiped?  Sri Krishna said that O Yudhishthira!  The story that Brahma Ji told Naradji is what I tell you.  At one time Naraji asked this question to Brahma.



 Then Brahmaji replied that, O Narada, you have asked a very good question for the salvation of the living beings.  Because the fast of Devshayani Ekadashi is the best among all the fasts.  All the sins are destroyed by this fast and those who do not observe this fast are hellish.






 Lord Vishnu is pleased by observing this fast.  The name of this Ekadashi is Padma.  Now let me tell you a legend.  Listen diligently.  In the Suryavansha, there was a Chakravarti king named Mandhata, who was truthful and great majesty.  He followed his subjects like a son.  All his subjects were rich and happy.  There was never a famine in his kingdom.



 At one time there was no rain and famine in the king's kingdom for three years.  The people became very sad due to lack of food grains.  Yagnadis were also stopped in the state due to non-availability of food.  One day the people went to the king and said, "O king!"  The whole people are calling out, because the rain is the cause of all the world's creation.



 There is a famine due to lack of rain and people are dying due to famine.  That's why, Rajan!  Suggest some such solution that can alleviate the suffering of the subjects.  King Mandhata said that you are right, food is produced by the rain and you have become very sad due to the lack of rain.  I understand your sufferings.  Having said this, the king took some army and went towards the forest.  He visited the ashram of many sages and finally reached the ashram of Angira Rishi, son of Brahma.  The king got down from his horse and bowed to the sage Angira.








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 The sage blessed the king and asked him the reason for coming to the ashram after Kushalakshme.  The king folded his hands and graciously said, "O God!  There has been a famine in my state even after practicing religion in all respects.  The people are very unhappy with this.  It is said in the scriptures that the subjects suffer because of the king's sins.  When I rule in righteousness, how did there be a famine in my state?  I could not find out the reason for this yet.



 Now I have come to you to retire this doubt.  Please clear my doubts.  Also, suggest a solution to remove the suffering of the subjects.  Hearing this, the sage started saying that, O Rajan!  This golden age is the best in all ages.  This includes all four stages of religion, that is, the most advanced religion in this era.  People worship Brahma and only Brahmins have the right to read Vedas.  Only Brahmins can have the right to do penance, but a Shudra is doing penance in your state.  Due to this defect, there is no rain in your state.



 Therefore, if you want the good of the people, then kill that Shudra.  On this, the king said, "How can I kill that Shudra who is doing penance?"  Give me some other way to get rid of this defect.  Then the sage started saying that, O Rajan!  If you want to know other ways, then listen.



 Legitiously observe the Ekadashi named Padma of the bright half of Ashadha month.  Due to the effect of the fast, there will be rain in your state and people will get happiness because this Ekadashi fast is going to give all the siddhis and destroy all the disturbances.  Fast this Ekadashi with you subjects, servants and ministers.



 The king returned to his city after hearing this word of Muni and he lawfully observed Padma Ekadashi.  Due to the effect of that fast, there was rain and the people got happiness.  Therefore, all humans should observe fast on Ekadashi of this month.  This fast is supposed to give liberation in this world and enjoyment.  By reading and listening to this story, all the sins of human beings are destroyed.

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