सुविचार:
जिसे स्वयं पर विश्वास नहीं , उसे ईश्वर में विश्वास नहीं हो सकता
सुभाषित
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ।
वाक्यांश का अर्थ है, जो लोग ’धर्म’ की रक्षा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं हो जाती है। इसे ऐसे भी कहा जाता है, ‘रक्षित किया गया धर्म रक्षा करता है’।
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कविता:
जितना खतरा है नहीं चीन - ओ - पाकिस्तान ,
घर के भेदी कर रहे हैं उतना नुकसान ।
हैं उतना नुकसान बोलकर भोकै नश्तर ,
ये बैठे चुपचाप रहेगा तो ही बेहतर ।
कभी न बोले चीन खोलकर मुंह खुद इतना ,
बिना विचारे राग अलापें राहुल जितना ।
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Poem:
The danger is not as much as China - O - Pakistan,
as much damage is done to the house piercing.
Bhokai Nashtar by saying so much loss, it is better if you sit quietly.
Never open China, open your mouth so much, without ranting as much as Rahul.
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पलायन.
पलायन अमांत किसी परिस्थिति और उत्तरदायित्व से भाग जाना । हममें से कुछ ही ऐसे होते है जो हर शोषय को ताजीवन न केवल स्वीकार करते है , बल्कि उसका सहर्ष सामना करने के लिए प्रतिबद्ध रहते है । परंतु देखा जाता है कि अधिकांश मनुष्य एक लीक पर चलते जाते हैं । कुछ असहज परिस्थिति को झेलने से निरंतर कतराते हैं । यह एक प्रकार से संकट से भाग जाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है । यह उनकी बाध्य वस्तुस्थिति का परिणाम हो सकता है या हो सकता है कि उनका व्यक्तित्व ही पलायनवादी हो । जीवन परमात्मा की अलौकिक देन है । इसमें सहजता और असहजता का क्रम चलता ही रहता है । आनंदमयी समय तो पलभर में कट जाता है , पर दुख के दिन अत्यंत लंबे प्रतीत होते हैं , मानो बीतते ही नहीं । ऐसे में संकल्पशक्ति के धनी तो परिस्थितियों से समझौता कर उन्हें चुनौती मानते हुए कष्टों से भिड़ जाते हैं । परंतु कुछ लोग जीवन के कड़वे सत्य को नकारते हुए कठिनाइयों से पलायन कर उनसे दूर भाग जाना ज्यादा सुविधाजनक समझते हैं । जो सही तो नहीं , लेकिन जीवन के कभी सौधे कभी टेढ़े - मेढ़े मार्ग पर चलते - चलते थककर या हारकर स्थिति से पलायन कर लेना ही उन्हें एकमात्र उद्धार का साधन प्रतीत होता है । पलायन या भाग जाने की प्रवृत्ति किसी भी आयु में दिखाई दे सकती है । ऐसे लोग तनिक सी भी विषमता में दूसरों पर सब कुछ छोड़ स्वयं परिस्थिति से किनारा कर लेते हैं । अपनी मन : स्थितिवश उन्हें अपने आचरण के लिए ग्लानि भी न होना स्वाभाविक है । वास्तव में वे परिवार एवं समाज के लिए एक तरह से बोश हो हो जाते हैं । उन्हें इस तथ्य का ज्ञान करवाना अपरिहार्य हो जाता है कि जीवन संघर्ष है , पलायन नहीं । यही कभी - कभी पलायन ही एकमात्र विकल्प रह जाता है । पर निर्भर करता है ।
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Today's Panchang. Yugabd 5122 Saturday, May 30, 2020 Jyotish Shukla 8 V. 2077
THOUGHT OF THE DAY
One who does not believe in himself cannot believe in God
Subhashit.
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ।
Dharma and Hanto Hanti Dharmo Rakshati Rakshata.
Tasmadharmo na hantavyao ma no dharmo hato vadhita.
The phrase means, those who protect 'Dharma' are protected by themselves. It is also called, 'Preserved Dharma protects'.
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Getaway.
Fleeing, fleeing from any situation and responsibility. There are only a few of us who not only accept life of every show, but are committed to face it happily. But it is seen that most humans walk on a rut. Some relentlessly face an uncomfortable situation. It shows a tendency to run away from a crisis. This may be the result of their constrained objectivity or that their personality is escapist. Life is a supernatural gift of God. In this, the order of spontaneity and discomfort keeps going on. The blissful time is cut in a moment, but the days of sorrow seem to be extremely long, as if not passing. In such a situation, the rich people of resolve are compromised with the circumstances and they face challenges and face the difficulties. But some people find it more convenient to flee from the difficulties by denying the bitter truth of life. Which is not right, but sometimes the only way of life seems to be the only means of salvation, to get away from the situation by walking or walking on the crooked path. The tendency to flee or flee can be seen at any age. Such people leave everything on others in a little asymmetry and keep themselves away from the situation. It is natural for them not to be guilty of their conduct. In fact, they become a way for the family and society. It becomes unavoidable to make them realize the fact that life is a struggle, not an escape. Sometimes, migration is the only option. it depends on .
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कॉमेडी को नया आयाम देने वाले वाले परेश रावल
.आज ही 1955 में बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल का जन्म मुंबई में हुआ । मुंबई विश्वविद्यालय से बी कॉम किया । पहली बार बॉलीवुड में फिल्म नाम से शोहरत मिली । शुरुआती कई फिल्मों में खलनायक के किरदार निभाए । हालांकि इसके बाद कॉमेडी किरदारों में खूब सराहे गए । मोहरा , हंगामा , सरदार , हलचल , हेराफेरी , संजू , उरी जैसी फिल्मों के जरिये लोगों को दीवाना बना दिया । अभिनय के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय रहे और 2014 में गुजरात से सांसद बने । वे काफी सक्रिय हैं और उनकी कई फिल्में आने वाली हैं ।
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ACTOR COMEDIAN
Paresh Rawal who gave a new dimension to comedy.
Today in 1955, Bollywood actor Paresh Rawal was born in Mumbai. B Com from University of Mumbai. For the first time, the film got fame in Bollywood. Many early films played villainous characters. However, after this, the comedy characters were well appreciated. Through films like Mohra, Hungama, Sardar, Hustle, Heraferi, Sanju, Uri made people crazy. Apart from acting, he was also active in politics and became an MP from Gujarat in 2014. He is very active and has many films to come.
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पहला समाचार पत्र
हिंदी के पहले समाचार पत्र उदंत मार्तड का प्रकाशन शुरु हुआ .
आज ही के दिन देश में पहली बार 1826 में कलकत्ता से हिंदी के पहले समाचार उदंत मार्तड का प्रकाशन शुरु हुआ।यह साप्ताहिक पत्र था , जिसका प्रकाशन हर मंगलवार को पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा किया जाता था ।
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FIRST NEWSPAPER OF INDIA
The publication of the first Hindi newspaper Udant Martad started.
Today, the first day in the country, the publication of the first Hindi newspaper Udant Martad started from Calcutta in 1826. It was a weekly paper, published every Tuesday by Pandit Jugal Kishore Shukla. Used to be done.
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व्यक्ति विशेष
बांग्लादेश के राष्ट्रपति जिया उर रहमान की हत्या हुई .आज ही के दिन 1981 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति जिया उर रहमान की दक्षिण पूर्वी शहर चटगांव में हत्या कर दी गई । सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले कुछ सैनिकों ने उस गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया था , जहां पर रहमान ठहरे थे । हमले में कुछ और लोग भी मारे गए ।
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PEOPLE SPECIAL
Bangladesh President Zia ur Rehman was assassinated.
Today, in 1981, the President of Bangladesh Zia ur Rehman was assassinated in the south eastern city of Chittagong. Some soldiers who had revolted against the government attacked the guest house where Rahman stayed. Some more people were also killed in the attack.
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