Friday, May 29, 2020

29/5/2020 शिवाजी का महान चरित्र. ⚕️Great character of Shivaji.

शिवाजी का महान चरित्र. 

छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ महान योद्धा ही नहीं वरन एक चरित्रवान इंसान भी थे | उनकी वीरता की कई कहानिया आपसे सुनी होगी किन्तु आज हम आपको उनके ऊंचे चरित्र की दास्तान सुना रहें है | एक बार शिवाजी के वीर सेनापति ने कल्याण का किला जीता | हथियारों के जवीरे के साथ उनके हाथ अकूत संपत्ति भी लगी | एक सैनिक ने मुगल किलेदार की बहू को , जो दिखने में काफी सुंदर थी , उसके सामने पेश किया | वह सेनापति उस नवयौवना के सौंदर्य पर मुग्ध हो गया | सेनापति ने शिवाजी महाराज को बतौर नजराना उस महिला को भेंट करने की ठानी | वह नवयौवना को एक पालकी में बिठाकर शिवाजी महाराज के दरबार में पहुंचा | शिवाजी उस समय अपने सेनापतियों ते साथ शासन - व्यवस्था के संबंध में विचार - विमर्श कर रहे थे | युद्ध में जीतकर आए सेनापति ने शिवाजी को प्रणाम किया और कहा कि महाराज वह कल्याण से जीतकर लाई गई एक चीज को आपको भेंट करना चाहता है | यह कहकर उसने एक पालकी की ओर इंगित किया | शिवाजी ने ज्यों ही पालकी का पर्दा उठाया तो देखा की उसमें एक सुंदर मुगल नवयौवना बैठी हुई है | शिवाजी महाराज का शीश लज्जा से झुक गया और वह बोले , ' काश ! हमारी माता भी इतनी खूबसूरत होती तो मैं भी खूबसूरत होता । ' इसके बाद अपने सेनापति को डांटते हुए उन्होंने कहा कि तुम मेरे साथ रहते हुए भी मेरे स्वभाव के समझ नहीं सके | शिवाजी दूसरे की माता - बेटियों को अपनी मां के समान मानता है | अभी इनको ससम्मान इनकी माता के पास छोड़कर आओ | सेनापति शिवाजी के व्यवहार से काफी अचंभित हुआ | कहां तो वह अपने आपको इनाम का हकदार समझ रहा था और नसीब हुई तो सिर्फ फटकार लेकिन मुगल सूबेदार की बहू को उसके घर पहुंचाने के उसके पास कोई चारा नहीं था | मन ही मन उसने शिवाजी महाराज के चरीत्र को पहचाना और मुगल खेमे की महिला को उसके खेमे तक पहुंचा दिया | ऐसे थे महान छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका चरित्र |

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Great character of Shivaji.

  Chhatrapati Shivaji Maharaj was not only a great warrior, but also a man of character.  Many stories of his bravery must have been heard from you, but today we are telling you the story of his elevated character.  Once the valiant commander of Shivaji won the fort of Kalyan.  Along with the jeweler of arms, he also had a lot of wealth.  A soldier presented the daughter-in-law of the Mughal fortress, who was quite beautiful in appearance.  The commander was enchanted by the beauty of the newborn.  Senapati decided to pay tribute to Shivaji Maharaj as that woman.  He seated the young man in a palanquin and reached Shivaji Maharaj's court.  At that time Shivaji was discussing with him his generals regarding governance.  The commander, who had won the battle, bowed down to Shivaji and said that he wants to present to you one thing brought by winning by welfare.  Saying this, he pointed to a palanquin.  As soon as Shivaji lifted the curtain of the palanquin, he saw that a beautiful Mughal young lady is sitting in it.  Shivaji Maharaj's head bowed with shame and he said, 'Alas!  Had our mother been so beautiful, I would have also been beautiful.  After this, while scolding his general, he said that you could not understand my nature even while living with me.  Shivaji treats the other's parents and daughters as his mother.  Now leave them with respect to their mother and come.  Senapati was quite surprised by Shivaji's behavior.  Where he thought he deserved the reward and if he was lucky, he was reprimanded, but he had no choice but to take the daughter-in-law of the Mughal Subedar to his house.  In his mind he recognized Shivaji Maharaj's charitra and brought the lady of the Mughal camp to his camp.  Such was the great Chhatrapati Shivaji Maharaj and his character.

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