.समर्थ गुरु रामदास का शिवाजी के प्रति अधिक स्नेह देख उनके अन्य शिष्य सोचते थे कि शिवाजी के राजा होने से गुरु रामदास का उनके प्रति अधिक स्नेह है । आखिर एक दिन समर्थ गुरु ने अपने शिष्यों की इस गलत फहमी को दूर करने का निश्चय किया । एक दिन समर्थ गुरु रामदास अपने शिष्यों के साथ जंगल के रास्ते गुजर रहे थे । तभी अचानक उनके पेट में दर्द शुरु हो गया । सभी शिष्य गुरुदेव के दर्द को लेकर बहुत परेशान थे । तब शिवाजी ने पूछा ' इसका कोई इलाज नहीं है क्या गुरुदेव ? " समर्थ गुरु बोले - " शिवा ! इलाज तो है लेकिन वो तुम्हारे में से किसी के बस का नहीं है । " यह सुनकर सभी शिष्य एक स्वर में बोले - “ गुरुदेव ! आप बताइए , हम आपका इलाज जरुर करेंगे । " तब समर्थ गुरु बोले अगर शेरनी के दूध की व्यवस्था हो सके तो मेरा दर्द दूर हो सकता है । " यह सुनते ही सभी शिष्य पीछे हट गये । लेकिन शिवाजी ने साहस से आगे बढ़कर अपने गुरु का पात्र लेकर जंगल की ओर निकल गये । बहुत देर तक जंगल में भटकने के बाद शिवाजी ने देखा कि एक गुफा में गुर्राने की आवाज़े आ रही है । जब शिवाजी ने अन्दर जाकर देखा तो पाया कि एक शेरनी अपने बच्चों को दूध पिला रही है ।शिवाजी शेरनी से प्रार्थना करने लगे कि - " हे माँ ! मैं यहाँ तुम्हे या तुम्हारे बच्चों को नुकसान पहुँचाने नहीं आया बल्कि अपने गुरुदेव के पेट दर्द को दूर करने के लिए मुझे तुम्हारे थोड़े से दूध की आवश्यकता है । इसलिए कृपा करके मुझे दूध लेने दे 1 " इतना सुनकर शेरनी शिवाजी के पास आकर उनका पैर चाटने लगी । शिवाजी ने दूध निकाल लिया और शेरनी को प्रणाम करके चल दिए ।जब शिवाजी समर्थ गुरु के पास पहुंचे तो गुरुदेव बोले ' देवा ! मुझे पता था । शिवा दूध लेकर जरुर आएगा । मेरा कोई पेट दर्द नहीं हो रहा है , ये सब तो तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए एक नाटक किया मैंने । अब समझे मुझे शिवा से अधिक स्नेह क्यों है ! " सभी शिष्यों ने अपने सिर झुका लिए ।
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Guruji's devotion to Shivaji.
Seeing the affection of Guru Ramdas more towards Shivaji, his other disciples thought that Guru Ramdas had more affection for him than Shivaji being king. Finally one day the able Guru decided to remove this misconception of his disciples. One day Samarth Guru Ramdas was passing through the jungle with his disciples. Suddenly, his stomach started to ache. All the disciples were very upset about Gurudev's pain. Shivaji then asked 'Is there no cure for it, Gurudev? "Samarth Guru said -" Shiva! There is a cure, but it is not for any of you. "Hearing this, all the disciples said in one voice -" Gurudev! You tell us, we will definitely treat you. "Then Samarth Guru said if the lioness milk can be arranged then my pain can be relieved. "On hearing this, all the disciples retreated. But Shivaji proceeded with courage and went towards the forest with the character of his Guru. After wandering in the forest for a long time, Shivaji saw that the sound of growling in a cave. When Shivaji went inside and saw that a lioness was feeding her children, Shivaji started praying to the lioness that - "O mother! I did not come here to harm you or your children, rather I need some milk from you to relieve my Gurudev's stomach ache. So please let me take milk 1 "Hearing this, the lioness came to Shivaji and licked his leg. Shivaji took out the milk and bowed to the lioness. When Shivaji reached Samarth Guru, Gurudev said 'Deva! I knew . Siva will surely come with milk. I am not having any stomach ache, I did a drama to test you. Now understand why I have more affection than Shiva! "All the disciples bowed their heads. 11
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