Sunday, May 31, 2020

1/6/2020 BASIC EXERCISE FOR DAILY ROUTINE प्रतिदिन के प्राणायम

Kapalabhati: Keep the waist straight in Kapalabhati and sit in Siddhasana and keep both hands in the gyana Mudra. Exhale rapidly through the nose and pull the stomach in and out. Keep in mind that do not take breath, only leave. This will automatically inhale.

 Benefits: Helps to eject toxins from the body. Asthma, weight loss, constipation, acidity, stomach diseases are away. Increases immunity and cleans the respiratory tract. Helps to activate the brain.


• Bhastrika: The literal meaning of Bhastrika is the blower. Sounding like a blower, pure air is taken in and impure air is thrown out. Sitting in Siddhasana, keep neck and back straight. Breathe in fast and release. Keep in mind that flatulence should be taken while inhaling and contraction should be done while exhaling. 

Benefits: Increases lung function. Vata, Pitta, removes the defects of Kapha. Obesity, asthma and respiratory diseases are away. It is also beneficial in nervous diseases. 


• Ujjayi Pranayama: Sitting in Sukhasana, close the mouth and breathe in the air through the nose holes to fill the air in the lungs. Keep the air in for some time and then close the right nostril of the nose and expel the air slowly. Keep in mind that the sound of snoring comes while pulling air in and out.

Benefits: Balances respiratory tract, thyroid, weeding system. Prevents many diseases. 

• Bhramari: Relax the body by sitting in a comfortable posture and relax the body. Close the ears with the thumb and place all four fingers on the head. Take a long and deep breath and then exhale the breath while making a hum like sound of a honey bee. 

Benefits: Beneficial in fear, insomnia, anxiety, anger and mental disorders. Beneficial for sinus patients. 
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🏐 Anulom - Antonym: While sitting in Siddhasana, close the right nostril with the thumb of the right hand and inhale from the left. Count to five and then close the left nostril and release the breath from the slit while counting to five from the right nostril. Now repeat the same sequence with left hand and left nostril. In this way one cycle of anulom vilom pranayama is completed. 

Benefits: Purifies the pulse. Stress reduces depression. Improves concentration and corrects blood circulation. 

• Sheetli: Sitting in a comfortable position, give the shape of the tube by turning the tongue and take out the breath in full capacity by taking it out of the mouth. 

Benefits: Lowers blood pressure. Bile dosha removes depression. Relieves heat. Provides mental peace.

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कपालभातिःकपालभाति में कमर सीधी रखें और सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें । श्वास को नाक से तेजी से बाहर छोड़ें व पेट को अंदर की और खीचे । ध्यान रखें कि श्वांस लेनी नही है , सिर्फ छोड़नी है । इससे श्वास स्वतः ही अंदर चली जाएगी । 

लाभ : शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है । अस्थमा , वजन कम करने , कब्ज , एसिडिटी , पेट संबंधी रोग दूर होते हैं । इम्युनिटी बढ़ाता है और श्वसन मार्ग को साफ करता है । मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद करता है ।

• भस्त्रिका : भस्त्रिका का शाब्दिक अर्थ धौंकनी है । धौंकनी की तरह आवाज करते हुए शुद्ध वायु को अंदर लिया जाता है और अशुद्ध वायु को बाहर फेंका जाता है । सिद्धासन में बैठकर गर्दन और रीढ को सीधा रखें । तेज गति से श्वांस लें और छोड़ें । ध्यान रखें कि श्वांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वांस छोड़ते समय पेट सिकुड़ना चाहिए । 

लाभ : फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है । वात , पित्त , कफ के दोषों को दूर करता है । मोटापा , दमा और श्वांस रोग दूर होते हैं । स्नायु रोगों में भी लाभकारी है ।

• उज्जायी प्राणायाम : सुखासन में बैठकर मुंह को बंद कर नाक के छिद्रों से वायु को फेफड़ों में भरने तक सांस खीचें । कुछ देर वायु को अंदर ही रखें और फिर नाक के दाए छिद्र को बंद कर वायु को धीरे - धीरे बाहर निकालें । ध्यान रखें कि वायु को अंदर और बाहर खीचते समय खर्राटे की आवाज आए ।

लाभः श्वास नलिका , थॉयराइड , खर तंत्र को संतुलित करता है । कई बीमारियों से बचाता है । 

• भ्रामरी : सुविधाजनक आसन में बैठकर आखें बंद कर शरीर को शिथिल करें । कानों को अंगूठे से बंद करें और चारों अंगुलियों को सिर पर रखें । लंबी और गहरी श्वांस लें और फिर श्वांस को मधुमवखी के गुंजन जैसी आवाज करते हुए सांस बाहर निकालें । लाभ : भय , अनिद्रा , चिंता , गुस्सा और मानसिक विकारों में लाभकारी है । साइनस के रोगियों के लिए फायदेमंद । 
*अनुलोम - विलोम : सिद्धासन में बैठकर दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और बाएं से श्वांस लें । पांच तक गिनती करे और फिर बाएं नथुने को बंद करें और दाएं नथुने से पांच की गिनती करते हुए आहिस्ता से श्वांस छोड़ें । अब यही क्रम बाएं हाथ और बाएं नथुने से दोहराएं । इस तरह से अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है । 

लाभः नाड़ियों को शुद्ध करता है । तनाव , अवसाद कम करता है । एकाग्रता में सुधार और रक्त परिसंचरण को ठीक करता है । 


• शीतली : आरामदायक स्थिति में बैठकर के जीभ को मोड़कर के नली का आकार दे और मुंह के बाहर निकालकर श्वांस को पूरी क्षमता से अंदर ले ।

लाभ : रक्तचाप कम करता है । पित्त दोष , डिप्रेशन को दूर करता है । गर्मी से निजात दिलाता है । मानसिक शांति प्रदान करता है ।

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