Wednesday, June 7, 2023

sangh geet

: मिलता है सच्चा सुख केवल,

हमको तो संघ की शाखा में। 

'हमको तो संघ की शाखा में..' 2

मिलता है .....

      यहाँ भगवा ध्वज लहराता है, 

      हमें त्याग का पाठ पढ़ाता है। 

      आनन्द बहुत ही आता है, हम को तो संघ की शाखा में 

      मिलता है ....

हमें हिन्दू-संगठन करना है, 

निज ध्येय-मार्ग बढ़ना है। 

मिलकर सब ही से चलना है, हमको तो संघ की शाखा में 

मिलता है ....

      सब देश-भक्त बन जाएंगे, 

      भारत को सुखी बनाएंगे। 

      हिन्दू को वीर बनाना है, हम को तो संघ की शाखा में 

      मिलता है ....

यह भारत देश हमारा है,

हमें प्राणों से भी प्यारा है। 

यह जीवन सफल बनाना ,है हमको तो संघ की शाखा में 

मिलता है ....

      केशव जी का सन्देश यही, 

      माधव जी का उपदेश यही।

      बस देश-भक्ति सिखलानी है, हम को संघ की शाखा में 

      मिलता है ....




 धरती की शान, तू है मनु की सन्तान 

तेरी मुट्ठियों में बन्द तूफान है रे, 

मनुष्य तू बड़ा महान् है, भूल मत।।धृ।।

         तू जो चाहे पर्वत, पहाड़ों को फोड़ दे, 

         तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे, 

         तू जो चाहे माटी से, अमृत निचोड़ दे, 

         तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड़ दे,

         अमर तेरे प्राण,

         अमर तेरे प्राण, मिला तुझको वरदान, 

        तेरी आत्मा में स्वयं भगवान है, रे।।1।। मनुष्य तू......

नयनों में ज्वाल तेरी गति में भूचाल, 

तेरी छाती में छिपा महाकाल है, 

पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिरि सा भाल, 

तेरी भृकुटि में ताण्डव का ताल है, 

निज को तू जान,

निज को तू जान, जरा शक्ति पहचान, 

तेरी वाणी में युग का आह्वान है रे।।2।। ।। मनुष्य तू....





: जलते जीवन के प्रकाश में, अपना जीवन तिमिर हटाएँ।

उस दधीचि की तप: ज्योति से, एक एककर दीप जलाएँ॥

        जल-जल दीप प्रखर तेजस्वी, अरुणाञ्चल माता का कर दें

        अमृतमय शोभामय मधुमय, भारत भू वैभव से भर दें

        निजादर्श रख निज जीवन को, हँसते-हँसते भेंट चढ़ाएँ॥1॥ जलते जीवन....

जगें जगाएँ मातृभूमि को, पुण्य भूमि को जन्मभूमि को 

अर्पित कर दें जीवन की, तरुणाई पावन देव-भूमि को 

तन में शक्ति हृदय में बल हो, प्रभु वह ज्योति पुनः प्रकटाएँ॥2॥ जलते जीवन....

         नहीं चाहिए पद-यश गरिमा, सभी चढ़ें माँ के चरणों में

         भारतमाता की जय केवल,  शब्द पड़ें जग के कर्णों में 

         आशा रख विश्वास बढ़ाकर, श्रद्धामय जीवन अपनाएं॥3॥ जलते जीवन....

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