23/10/22
श्रीमान रामेश्वर जी, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख उत्तर क्षेत्र
डॉजी ने संघ कार्य विजयदशमी के दिन बैठक में एक संघटन की नींव रखने की बात रखी
आरएसएस की प्रतिदिन शाखा - मोहित बाडा में पहली फिर अलग अलग क्षेत्रों में लगी-
डॉ जी सर्वव्यापी कार्य योजना पूरे राष्ट्र में हो ऐसी सोच व विषय को स्वयंसेवकों के बीच रखी
शाखा में आने वाले स्वयंसेवक परिपक्व हो गये, उन्होंने विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई करते हुए संघ कार्य को अलग अलग प्रांतो में पहुंचाया
अन्य अन्य प्रांत भेजे गए :
बालासाहब जी को कलकत्ता, यादवराव जी कर्नाटक ,यादवराव परमार्थ को महाराष्ट्र, मुरा यक्षराज जी - राजस्थान, राजाभाई पातुरकर- लाहौर, मुंजे जी रावलपिंडी संघ कार्य करने गए थे
विद्यार्थी स्वयंसेवक प्रचारक जीवन में कार्य करने में सदा आगे आए
प्रथम प्रचारक - बाबा साहब आप्टे(उमाकांत केशव आप्टे' = पूर्ण नाम;), पोस्ट ऑफिस में कार्य करते थे; कार्यकर्ता थे
" घर में शादी निमित बात कही जाने लगी तो नौकरी से त्यागपत्र दिया : डॉ जी के पूछने पर कहा: सदा संघ का कार्य ही करूंगा शादी नहीं करूँगा।
प्रचारक परंपरा की शुरुआत, अधिकतम महाराष्ट्र से निकलने लगे
अपना दायित्व जिला प्रचारक- महत्वपूर्ण - अपनी कल्पना व संकल्पना कैसी चाहिए ?
मान्यताएँ प्रचारक हेतु शर्ते :
1) संघटन की योजना से संघ कार्य करने वाला - पूर्ण समय देकर अपना व्यक्तिगत कुछ नहीं - नौकरी, व्यवसाय, पढ़ाई खेती आदि नहीं
2> जहाँ संघटन भेजे वहाँ जाने वाला
Personal Liking disliking नहीं
1946 में माधव राव मूले- पंजाब आ गये, जहाँ भी भेजा उन सब ने अपना जीवन वही खपा दिया ,वहाँ की भाषा, भेदभूष, खाना पान रहन सहन सब कुछ अपना लिया।
• श्रीरामजी से गुरुजी ने पूछा: क्या खाना पसंद है सब कुछ,
मद्रास (तमिलनाडु) भेजे गए अपना"पूरा जीवन तमिलनाडु में लगा दिया परांगती भी वही हुई
माधवराव मुले' का पूरा जीवन प्रेरणादायी
केशवराव दिक्षित - बंगाल भेजे गये - 72 वर्षो तक अखण्ड प्रवास बंगाल में ही, अंतिम सांस भी बंगाल की धरती पर रहे।
डा. राम सिंहनी (हमीरपुर के, लाहौर में पढ़ाई 1942-43 में - MBA Gold Medalist
प्रचारक- अमृतसर में; विभाजन के कालखण्ड में अद्भूत कार्य किया; असम में भेजे गए यानि असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपर अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा - 7 राज्यों के अकेले प्रांत प्रचारक 1971 तक रहे ,बाद मे पंजाब प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक रहे।
• जहाँ भेज दिया वहाँ झोला उठाकर चल पड़े
3) जो काम मिल वे कार्य करने में हम सिद्ध हो -
चमनलाल जी प्रचारक रहते 30 वर्ष तक दिल्ली कार्यालय झंडेवाला कार्यालय प्रमुख रहे संघटक के कहने पर, कार्यालय की व्यवस्था देखी
बाद में, विश्व विभाग का काम देखे - आज पूरी दुनिया में कार्य बढ़ाया।
4) दपोपंत ठेंगडी - श्रीगुरुजी ने मजदूर क्षेत्र कम्युनिष्ट के प्रभाव को कम कर भारतीय मजदूर संघ, किसानों हेतु - भारतीय किसान संघ राष्ट्रव्यापी संघटन खड़ा किया
एकनाथजी रानाडे अपने सरकार्यवाह रहे
श्रीगुरुजी ने कन्याकुमारी में विवेकानंद का स्मारक का कार्य का कार्य दिया अनथक परिश्रम से 'शून्य से सृष्टि' किया - अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्मारक, विवेकानंद साधनास्थली।
•जो जिम्मेदारी मिल गयी इसे पूरा करूंगा, नहीं आता तो सिखूंगा, मन में कोई संशय नहीं
दीनदयाल जी,प्रांतप्रचारक थे श्रीगुरुजी ने कहा- राजनीति में जाना है वही कार्य राष्ट्र हित में बढ़ाना।
1) Unconditional सरेंडर
2) जहाँ भेजा , वहाँ जाना
3) जो काम वही करना
प्रचारक के गुण: प्रचारक की संकल्पना
○ लोकसंग्रही, मिलनसार (आत्मीयता पूर्वक संबंध बनाने वाले), सब हिंदू अपने की भावना : हिंदवा सोदरा सर्वे न हिंदू .....
सभी से प्रेमपूर्वक आत्मीयता का संबंध प्रचारक रखे ,चुम्बन की तरह जहाँ भी जाये...
○ परिश्रमी - कबेर परिश्रमी हो, सुस्त नहीं ढीला ढाला नही, शहर गाँव पहाड़, स्कूल को कर्मचारी दुकानदार खेत में किसानों आदि से मिलने वाला हो
○ सुबह प्रात: उठने वाला, अमृत वेले उठने वाला ,दिनभर परिश्रम करने वाला
○ जीवन में सादगी होनी चाहिए simple living high thinking
○Loves Midle class जैसा रहन सहन, पहनावा सामान्य, विशेष न हो, पेन भी सामान्य हो, Mobile कैसा है, कपड़े Branded नहीं सभी सामान्य हो
6 विषय
1. पूरा समय देकर संघटन कार्य करने वाला
2 जहां संघटन भेजे वहां जाकर काम करने वाला
3 जो काम मिले करना
4 लोकसंग्रही हमारा स्वभाव हो
5. परिश्रमी
4. सादगी पूर्ण जीवन
सामर्थन बन कर संघ कार्य करे यही परत पिता परमेश्वर से
प्रार्थना है।
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