“अथ खलु: त्रय उपस्तंभा: आहार: स्वप्नो ब्रह्मचर्यमिति। एभि: त्रिभि: युक्तियुक्तै: इहैवोपदेक्ष्यते।।
– चरक सूत्र अ० १२/३५
अर्थात् आरोग्य के तीन उपस्तम्भ हैं – आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। इन तीनों का ऋतु अनुसार शास्त्रोक्त विधि से पालन करता हुआ व्यक्ति ही देह को बल, वर्ण, और आरोग्य से युक्त कर सुखपूर्वक दीर्घायु भोगता है।
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