Monday, May 9, 2022

8/5/2022 हट के हिंदू राष्ट्र


*हिंदू प्रधानमंत्री वही गलती कर रहे हैं जो पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने की थी* 

-अगर आप अंबेडकर की किताब पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन पढ़ेंगे तो आपको उसमें एक बहुत कटु सत्य पढ़ने को मिलेगा । उस किताब में लिखा है कि पंजाब में बहुत लंबे समय तक मुस्लिम शासन रहा जिसकी वजह से बहुत तेजी से पंजाब का इस्लामीकरण हुआ । बाद में सिखों ने अपनी बहादुरी से पंजाब में मुस्लिम शासन का खात्मा भी कर दिया लेकिन उन्होंने मुस्लिम संस्कृति का विनाश नहीं किया इसी वजह से आखिरकार पंजाब हिंदुओं के हाथ से निकलना तय हो गया ! 

-जैसी हालत पंजाब के समाज की महाराजा रणजीत सिंह के समय थी । ठीक वैसे ही हालत आज के हिंदुस्तान की है । और अगर हिंदू प्रधानमंत्रियों ने वही गलती करी जो महाराजा रणजीत सिंह ने की थी तो ये तय मानकर चलिए कि इस बचे हुए हिंदुस्तान की हालत वैसी ही होगी जैसी पंजाब की आज की तारीख में है । (यहां मैंने पाकिस्तानी पंजाब की बात की है... पंजाब का मुख्य इलाका तो पूरी तरह से इस्लामी होकर पाकिस्तान में ही चला गया)

-क्या आपको पता है कि ईरान आज शिया मुल्क क्यों है ? इसका श्रेय आज वहां के एक बादशाह को जाता है । दरअसल उसका देश इराक से सटा हुआ था और इराक एक सुन्नी बहुल क्षेत्र था । उस वक्त ईरान में शिया और सुन्नी की आबादी 50-50 फीसदी के ही करीब थी । शिया बादशाह के खिलाफ सुन्नी हमेशा विद्रोह करते थे और उनको इराक की सुन्नी आबादी का समर्थन मिलता था । तब शिया बादशाह ने एक कठोर फैसला किया । उसने ये ऐलान किया कि अगली सुबह से ईरान में सब सुन्नी लोग शिया ही माने जाएंगे अगर वो ये फैसला स्वीकार नहीं करते तो या तो ईरान छोड़कर चले जाएं और या फिर कत्ल होने के लिए तैयार हो जाएं । इस तरह उस शिया बादशाह ने अपने एक कठोर फैसले से पूरे मुल्क को शिया मुल्क में बदल दिया और सदैव के लिए सुन्नी मुसमलानों के आतंक से मुक्ति पा ली । 

-ठीक उसी तरह अगर महाराजा रणजीत सिंह ने भी ये फरमान निकाल दिया होता कि मेरे राज्य के सारे मुसलमान या तो राष्ट्रधर्म को स्वीकार करें या फिर मेरे राज्य से बाहर निकाल जाएं तो पंजाब के एक-एक मुसलमान को ये बात माननी ही पड़ती क्योंकि महाराज की शक्ति के सामने उनके पास कोई विकल्प नहीं होता । 

*नोट- कई मित्रों ने 9990521782  मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की , लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव,  दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना* 

 *मुल्ला मौलवी योगी जी के सामने क्यों गिड़गिड़ा रहे हैं?* 
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- महाराजा रणजीत सिंह का शासन पंजाब में 1780 से 1839 ईस्वी तक रहा । उन्होंने अपनी तलवार के वजन से अफ़ग़ानिस्तान के पठानों को भी दबा रखा था । 

- पंजाब और महाराजा रणजीत सिंह का उदाहरण आज के हिंदुस्तान की परिस्थितियों में इसलिए भी सार्थक है क्योंकि बंटवारे के वक्त भारत में सबसे ज्यादा मुसलमान पंजाब प्रांत में ही थे और पंजाबी मुसलमानों ने भी पाकिस्तान की मांग की थी ।

- हिंदू और सिख महाराज सहनशील और सभी धर्मों का सम्मान करने वाले होते हैं इसलिए महाराज रणजीत सिंह ने ऐसा कोई फ़रमान कभी नहीं निकाला । और इसीलिए भारत ने पंजाब का उपजाऊ हिस्सा पाकिस्तान के हाथों गंवा दिया । 

*मित्र यूट्यूब पर मैंने एक राष्ट्रवाद का चैनल भी बनाया है । आप यूट्यूब पर सर्च कीजिए लिखिए... Dileep Pandey तो आपको सबसे पहले मेरा चैनल मिल जाएगा ! उसी चैनल पर आपको कई वीडियो मिलेंगे.. जैसे हिंदुओं को क्या करना चाहिए और एक वीडियो ये भी है कि कैसे योगी जी के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं मौलाना । आप से निवेदन है कि आप जरूर चैनल को सब्रस्क्राइब करें और ऑल नोटिफिकेशन वाला बेल आइकन दबाएं धन्यवाद ।* 

-हम सभी महाराजा रणजीत सिंह का बहुत आदर-सम्मान करते हैं और उनके चरणों की धूल के बराबर भी नहीं हैं । फ़िर भी ऐतिहासिक सत्य तो यही है कि सिख महाराजाओं ने पंजाबी मुसलमानों को उचित दंड नहीं दिया और इसका परिणाम पाकिस्तान के रूप में आया और इसकी सबसे ज्यादा पीड़ा भी सिखों को ही झेलनी पड़ी । इसका एक अर्थ ये भी निकलता है कि दुष्ट को उसकी दुष्टता का उचित दंड नहीं देना भी पाप है जिसका परिणाम भोगना पड़ता है... अहिंसा वगैरह ये सब तो एक मानसिक बीमारी है ।

- निष्कर्ष ये है कि दया और सहनशीलता... ये शब्द सुनने भी बहुत मीठे लगते हैं लेकिन ऐसी प्यारी और सुकोमल भावनाओं के आधार पर लिए गए फ़ैसलों का परिणाम हमें अपने ही भाइयों की हत्या और बेटियों के अपमान से चुकाना पड़ता है ।

- अब भी हमारे देश में 25 करोड़ ऐसे लोग हैं जो इस देश को अपना राष्ट्र नहीं मानते । वंदेमातरम नहीं बोलते । पाकिस्तान को मूक समर्थन देते हैं । जिनके धर्मस्थल मिडिल ईस्ट में हैं । तो क्या हम फिर से महाराजा रणजीत सिंह बन जाएँगे या फिर इतिहास से सबक़ लेंगे ? 

- ऐसे राष्ट्रघाती लोगों पर दया, सहनशीलता का परिणाम हमारे आने वाली पीढ़ी को किस तरह भुगतना होगा ? ये इतिहास हमें 1947 में बता चुका है और आगे फिर इतिहास दोहराया जाएगा । अगर हम सब मिलकर एक्टिव नहीं हुए ।

 *धन्यवाद
प्लीज शेयर टू ऑल *
The Hindu Prime Minister is committing the same mistake that Maharaja Ranjit Singh of Punjab did.

 If you read Ambedkar's book Pakistan or Partition of India, then you will get to read a very harsh truth in it.  It is written in that book that there was Muslim rule in Punjab for a very long time, due to which the Islamization of Punjab happened very fast.  Later, the Sikhs with their bravery also ended the Muslim rule in Punjab, but they did not destroy the Muslim culture, due to which it was finally decided to get Punjab out of the hands of the Hindus.

 As was the condition of the society of Punjab during the time of Maharaja Ranjit Singh.  Exactly the same is the condition of today's India.  And if the Hindu Prime Ministers made the same mistake as Maharaja Ranjit Singh, then assume that the condition of the rest of India will be the same as that of Punjab today.  (Here I have talked about Pakistani Punjab... the main area of ​​Punjab was completely Islamic and went to Pakistan itself)

 Do you know why Iran is a Shia country today?  Today the credit for this goes to a king there.  Actually his country was adjacent to Iraq and Iraq was a Sunni majority area.  At that time, the Shia and Sunni population in Iran was only about 50-50 percent.  The Sunnis always rebelled against the Shia emperor and were supported by the Sunni population of Iraq.  Then the Shia emperor took a tough decision.  He announced that from the next morning all Sunni people in Iran would be considered Shia, if they did not accept this decision, then either leave Iran and be ready to be killed.  In this way, that Shia emperor, by his one harsh decision, converted the whole country into Shia country and got freedom from the terror of Sunni Muslims forever.

 In the same way, if Maharaja Ranjit Singh had also issued a decree that all the Muslims of my state should either accept the national religion or be expelled from my state, then every Muslim of Punjab would have to accept this because Maharaj  They had no choice in front of the power of

 *Note- Many friends have saved mobile number as 9990521782  Dilip but did not miss call, both missed call and save number have to work for the article because I send message from broadcast list to those who have not saved the number.  Wouldn't have found it.. Those who get articles, don't misscall, pray

  Why is Mulla Maulvi pleading in front of Yogi ji?*
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  *this is my youtube channel please subscribe it and press bell icon*

 The rule of Maharaja Ranjit Singh lasted in Punjab from 1780 to 1839 AD.  He also suppressed the Afghan Pathans with the weight of his sword.

 The example of Punjab and Maharaja Ranjit Singh is also meaningful in the conditions of today's India because at the time of partition, most of the Muslims in India were in Punjab province and Punjabi Muslims also demanded Pakistan.

 Hindu and Sikh Maharaj are tolerant and respectful of all religions, so Maharaj Ranjit Singh never issued any such decree.  And that is why India lost the fertile part of Punjab to Pakistan.

 * Friends, I have also created a nationalism channel on YouTube.  You search on YouTube and write... Dileep Pandey then you will get my channel first!  On the same channel you will find many videos.. like what Hindus should do and one video is how Maulana is pleading in front of Yogi ji.  You are requested to subscribe to the channel and press the bell icon with all notifications. Thank you.

 We all have great respect for Maharaja Ranjit Singh and are not equal to the dust of his feet.  Yet the historical truth is that the Sikh Maharajas did not punish the Punjabi Muslims properly and the result came in the form of Pakistan and the Sikhs also suffered the most.  It also means that not giving proper punishment to the wicked for his wickedness is also a sin which has to bear the consequences... Non-violence etc. All this is a mental illness.

 - The conclusion is that kindness and tolerance... these words are too sweet to hear, but the decisions taken on the basis of such sweet and tender feelings, we have to pay for the murder of our own brothers and the humiliation of daughters.

 Even now there are 25 crore such people in our country who do not consider this country as their nation.  Vande Mataram is not spoken.  Give silent support to Pakistan.  Whose shrines are in the Middle East.  So will we become Maharaja Ranjit Singh again or will we learn from history?

 How will our coming generation have to suffer the result of mercy and tolerance on such patriotic people?  This history has told us in 1947 and in future history will be repeated again.  If we don't get active together.

  *Thank you
 Please share in all group*

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