🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 01 अप्रैल 2022*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत 19 चैत्र - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत ऋतु*
⛅ *मास - चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - अमावस्या सुबह 11:53 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 10:40 तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - ब्रह्म सुबह 09:37 तक तत्पश्चात इन्द्र*
⛅ *राहुकाल - सुबह 11:10 से दोपहर 12:43 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:33*
⛅ *सूर्यास्त - 18:52*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - चैत्र अमावस्या*
💥 *विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌷 *नवरात्रि पूजन विधि* 🌷
➡ *02 अप्रैल 2022 शनिवार से नवरात्रि प्रारंभ ।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।*
➡ *कलश / घट स्थापना विधि*
🌷 *घट स्थापना शुभ मुहूर्त (सुरत - गुजरात) :*
*02 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 06:31 से 08:31 तक*
*अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:18 से दोपहर 01:07 तक*
🙏🏻 *देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश / घट की स्थापना की जाती है। घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आवाहन कर उसे कार्यरत करना । कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।*
🌷 *सामग्री:*
👉🏻 *जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र*
👉🏻 *जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी*
👉🏻 *पात्र में बोने के लिए जौ*
👉🏻 *घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (“हैमो वा राजतस्ताम्रो मृण्मयो वापि ह्यव्रणः” अर्थात 'कलश' सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का छेद रहित और सुदृढ़ उत्तम माना गया है । वह मङ्गलकार्योंमें मङ्गलकारी होता है )*
👉🏻 *कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल*
👉🏻 *मौली*
👉🏻 *इत्र*
👉🏻 *साबुत सुपारी*
👉🏻 *दूर्वा*
👉🏻 *कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के*
👉🏻 *पंचरत्न*
👉🏻 *अशोक या आम के 5 पत्ते*
👉🏻 *कलश ढकने के लिए ढक्कन*
👉🏻 *ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल*
👉🏻 *पानी वाला नारियल*
👉🏻 *नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा*
👉🏻 *फूल माला*
🌷 *विधि*
🙏🏻 *सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मौली बाँध दें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। कलश में थोडा सा इत्र डाल दें। कलश में पंचरत्न डालें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “पञ्चपल्लवसंयुक्तं वेदमन्त्रैः सुसंस्कृतम्। सुतीर्थजलसम्पूर्णं हेमरत्नैः समन्वितम्॥” अर्थात कलश पंचपल्लवयुक्त, वैदिक मन्त्रों से भली भाँति संस्कृत, उत्तम तीर्थ के जल से पूर्ण और सुवर्ण तथा पंचरत्न मई होना चाहिए।*
🙏🏻 *नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मौली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है: “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”। अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है।नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे। ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है।*
🙏🏻 *अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। "हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इसमें पधारें।" अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।*
🌷 *कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं ओर रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में नवार्णमन्त्र युक्त यन्त्र को स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें "हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।" उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।*
🙏🏻 *नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे "चावल" रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा "सप्तधान्य" रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है*
🙏🏻 *माता की पूजा "लाल रंग के कम्बल" के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया है*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।*
🙏🏻 *नवरात्रि के प्रतिदिन कंडे की धुनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कर्पूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।*
🙏🏻 *लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्रि में पान और गुलाब की ७ पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें*
🙏🏻 *मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।*
🙏🏻 *प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार “एकैकां पूजयेत् कन्यामेकवृद्ध्या तथैव च। द्विगुणं त्रिगुणं वापि प्रत्येकं नवकन्तु वा॥” अर्थात नित्य ही एक कुमारी का पूजन करें अथवा प्रतिदिन एक-एक-कुमारी की संख्या के वृद्धिक्रम से पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने-तिगुने के वृद्धिक्रम से और या तो प्रत्येक दिन नौ कुमारी कन्याओं का पूजन करें।*
🙏🏻 *यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ हैं तो उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए। प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।*
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏
#Today_Ka_Vichar "Sometimes we accept mistakes without making any mistake, because we are afraid that someone might get angry with us!"
~ * Today's Hindu Panchang * ~
*Date - 01 April 2022*
*Day - Friday*
*Vikram Samvat 19 Chaitra - 2078*
*Shaka Samvat-1943*
*Ayan - Uttarayan*
* season - spring season *
* Month - Chaitra (Gujarat and Maharashtra - Falgun)*
*Paksha - Krishna*
* Tithi - Amavasya till 11:53 am, then Pratipada *
* Nakshatra - Uttar Bhadrapada till 10:40 in the morning, then Revathi *
*Yoga-Brahm till 09:37 in the morning after that Indra*
*Rahukal - from 11:10 am to 12:43 pm*
*sunrise - 06:33*
*sunset - 18:52*
*Dishashul - in the west direction*
*Vrat festival details - Chaitra Amavasya*
* Special - On the day of Amavasya, it is prohibited to eat and apply female-cohabitation and sesame oil. (Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-38)*
*Navratri worship method*
* Navratri starts from Saturday 02 April 2022.*
Shri Shailputri, Shri Brahmacharini, Shri Chandraghanta, Shri Kushmanda, Shri Skandmata, Shri Katyayani, Shri Kalratri, Shri Mahagauri, Shri Siddhidatri are worshiped on every day of Navratri. This sequence starts early in the morning on Chaitra Shukla Pratipada. After taking bath early every day, one should meditate and worship Goddess Bhagwati. First the Kalash is established.*
* Kalash / Ghat installation method *
* Ghat Establishment Auspicious Muhurta (Surat - Gujarat):*
*02 April 2022 on Saturday from 06:31 am to 08:31*
*Abhijit Muhurta from 12:18 in the afternoon to 01:07 in the afternoon*
🙏🏻 * According to the Goddess Purana, while worshiping Goddess Bhagwati, the Kalash / Ghat is established first. To establish Ghat means to make it work by invoking the energy element working in the universe during the period of Navratri. Due to the working power element, the distressing waves present in Vastu get destroyed completely. According to the scriptures, the Kalash is considered a symbol of happiness, prosperity, wealth and good wishes. Vishnu's abode in the mouth of the Kalash, Rudra in the throat and Brahma in the root and in the middle of the Kalash reside the Divine Mother Shaktis.
*Material:*
*earthen pot for sowing barley*
*pure clean soil for sowing barley*
* barley to sow in the pot *
* Earthen pot for establishment of Ghat ("Hamo va Rajatastamro Mrinmayo Vapi Hyavarnah" meaning 'Kalash' made of gold, silver, copper or clay is considered good without holes and strong. It is auspicious in auspicious works)*
*pure water to fill in the urn, Gangajal*
*Molly*
*perfume*
*whole betel nut*
*Durva*
*some coins to keep in the urn*
*Panchratna*
*5 leaves of Ashoka or Mango*
*lid to cover the urn*
* unbroken rice to keep in the lid *
*water coconut*
* red cloth to wrap on the coconut *
*flower garland*
*law*
🙏🏻 * first of all take an earthen pot for sowing barley. Spread a layer of soil in this pot. Now spread a layer of barley. Spread a layer of soil on top of it. Now again spread a layer of barley. Spread the barley on all sides so that the barley does not get buried under the kalash. Spread a layer of soil on top of it. Now tie Molly on the neck of the Kalash. Write Om and Swastika from Roli on the top of the Kalash. Now fill the Kalash with pure water, Gangajal till the throat. Put whole betel nut, durva, flowers in the kalash. Put some perfume in the vase. Put Pancharatna in the Kalash. Put some coins in the Kalash. Put five leaves of Ashoka or mango in the Kalash. Now close the mouth of the Kalash with the lid. Stuff the rice in the lid. According to the Srimad Devi Bhagavata Purana, “Panchpallavasyuktam Vedamantraih Susanskrit. Sutirthajalasampurnam hemaratnaih samyogamum” That is, the urn should be Panchpallavyukt, Sanskrit like Vedic mantras, full of water from the best pilgrimage and may be golden and Pancharatna.
🙏🏻 * Wrap the red cloth on the coconut and wrap the molly. Now place the coconut on the Kalash. It is mentioned in the scriptures: “Adho Mukham enemy Vivardhanaya, Urdhvasya Vastram Bahuroga Vridhyay. Prachimukham vit vinishnay, tastamat shubham sammukhnam naarikelam”. That is, keeping the face of the coconut facing downwards leads to an increase in the enemy. Keeping the face of the coconut upwards increases the diseases, while keeping the face of the coconut towards the east leads to destruction of wealth. Therefore, the establishment of coconut should always be done in such a way that its face should be towards the seeker. Keep in mind that the face of the coconut is at the end from which it is attached to the branch of the tree.*
🙏🏻 * now lift the urn and keep it in the middle of the barley pot. Now invoke all the deities in the Kalash. "O all the Gods and Goddesses and Mother Durga, may all of you come here for nine days." Now worship the Kalash by lighting a lamp. Show the incense stick. Offer garland to the Kalash. Offer sweets to the Kalash. Dedicate perfume to the Kalash.*
* After the establishment of the urn, the outpost of Maa Durga is established.*
🙏🏻 * A wooden post should be established on the first day of Navratri. After purifying it with Ganges water, a beautiful red cloth should be spread over it. It should be kept on the right side of the Kalash. After that a metal idol of Maa Bhagwati or a framed photo of Navdurga should be installed. In the absence of an idol, install a yantra containing Navarna Mantra. Maa Durga should fly red chunari. Pray to Maa Durga "O Maa Durga, you sit in this chowki for nine days." After that, first of all show the lamp to the mother. After that dedicate incense, flower garland, perfume. Offer fruits, sweets.*
There is a special importance of keeping fast of Goddess Bhagwati for nine days in Navratri and reciting Durga Saptashati every day. Every wish gets fulfilled. Gets rid of all troubles.*
On the first day of Navratri, the eternal flame is lit, which keeps burning for nine days. Keeping "Rice" under the lamp keeps the grace of Mother Lakshmi and keeping "Saptadhanya" removes all kinds of troubles.
It is considered best to worship the mother by sitting on the seat of "red blanket".
🙏🏻 * A necklace of flowers should be offered to Mother Rani every day on Navratri. Sweets should be offered to Mother Bhagwati by lighting a ghee lamp (use of gold, silver, bronze lamps is best for worshiping the mother). Man Bhagwati is very fond of perfume/attar.*
🙏🏻 * every day of Navratri by burning the conduit of the candle, ghee, havan material, batasha, pair of cloves, paan, betel nut, camphor, google, cardamom, kismis, lotus must be offered.*
🙏🏻 * To get Lakshmi, keep 7 petals of betel and rose in Navratri and offer it to Mother Bhagwati.
Special Bhog is offered to Maa Durga every day. We will tell further in detail about which thing to offer on which day.*
* Special worship of girls is done every day. According to the Srimad Devi Bhagwat Purana, “Ekaikan pujayet kanyamekavridhya tathaiva ch. Dwigunam trigunam vapi eacham navkantu vaam” That is, worship one kumari every day or worship every single kumari in the order of increasing the number of kumaris or double and thrice daily and either worship nine kumari girls every day.
🙏🏻 * If a person is unable to worship daily till Navratri, then he must worship especially on Ashtami date. In ancient times, the great Bhagwati Bhadrakali, who destroyed the sacrifice of Daksha, had appeared on the Ashtami date along with crores of Yoginis.
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