Monday, April 18, 2022

17/4/2022 panchang Calendar

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 17 अप्रैल 2022*
⛅ *दिन - रविवार*
⛅ *विक्रम संवत 04 वैशाख - 2079 (गुजरात-2078)*
⛅ *शक संवत -1944*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत ऋतु* 
⛅ *मास - वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र मास)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण* 
⛅ *तिथि - प्रतिपदा रात्रि 10:01 तक तत्पश्चात द्वितीया*
⛅ *नक्षत्र - चित्रा सुबह 07:17 तक तत्पश्चात स्वाती*
⛅ *योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिध्दि*
⛅  *राहुकाल - शाम 05:23 से शाम 06:58 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:57*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - श्री एकलिंगजी पाटोत्सव (कैलाशपुरी)*
💥 *विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌷 *आरती में कपूर का उपयोग* 🌷
🔥 *कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है |*                                                      
🌷 *वैशाख मास माहात्म्य* 🌷 
🙏🏻 *वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी ईंधन  को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।*
🙏🏻 *देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।*
🙏🏻 *पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।*
🙏🏻 *वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढकर हितकारी है ।*
🌷 *वैशाख मास* 🌷
🙏🏻  *(इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। - पद्म पुराण)*
🙏🏻🌷🍀🌹🌻🌺🌸💐🌼🙏🏻


~ * today's Hindu calendar * ~
 *Date - 17 April 2022*
 *Day - Sunday*
 *Vikram Samvat 04 Vaishakh - 2079 (Gujarat-2078)*
 *Shaka Samvat-1944*
 *Ayan - Uttarayan*
 * season - spring season *
 * Month - Vaishakh (Chaitra month according to Gujarat and Maharashtra) *
 *Paksha - Krishna*
 * Tithi - Pratipada night till 10:01 after that Dwitiya *
 *constellation - Chitra till 07:17 in the morning, then Swati*
 *Yoga - thunderbolt till 11:41 after that Siddhi*
 *Rahukal - from 05:23 in the evening to 06:58 in the evening*
 *sunrise - 06:19*
 *sunset - 18:57*
 *Dishashul - in the west direction*
 *Vrat festival details - Shri Eklingji Patotsav (Kailashpuri)*
 * Special - Do not eat Kushmanda (Kumhda, Petha) on Pratipada, because it is the destroyer of wealth. (Brahmavaivarta Purana, Brahma Khand: 27.29-34)*
 *use of camphor in aarti*
 * Camphor - combustion has a wonderful ability to purify the external environment. It has the power to destroy bacteria, viruses and even more harmful bacteria. By burning camphor regularly in the house, the environment of the house remains pure, diseases do not attack the body easily, nightmares do not come and Devdosh and Pitru Doshas are mitigated.
 *Vaisakh month mahatmya*
 🙏🏻 * The month of Vaishakh is attainable with happiness, burns the fuel of sin like a fire, bestows great virtues and gives Dharma, Artha, Kama, Moksha - to all the four Purusharthas.
 🙏🏻 * Devarshi Naradji says to King Ambarish: "Rajan! One who takes holy bath in Vaishakh before sunrise while contemplating God, Lord Vishnu loves him continuously.
 🙏🏻 * sins roar only until the soul does not take this holy bath.*
 🙏🏻 * In the month of Vaishakh, all the deities of the pilgrimage etc. are always situated in the water outside (besides the pilgrimage). The merit that comes from all the donations and the fruit that comes in all the pilgrimages, the same person gets it only by donating water in Vaishakh. This is more beneficial than all donations.*
 *Vaisakh month*
 🙏🏻 *(The virtue of good deeds like charity, chanting, havan, bath etc. done with devotion in this month is renewable and hundred crore times more. - Padma Purana)*
 

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