Wednesday, June 16, 2021

GURUJI SUBHASHIT

प०पू० श्री गुरुजी ने कहा:-
 सेवा करने से हृदय शुद्ध होता है,अहं  भाव दूर होता है,सर्वत्र परमात्मा का दर्शन करने का अभ्यास होकर बहुत शांति प्राप्त होती है। 
संदर्भ: (पत्र रूप श्री गुरुजी पृष्ठ 436)

सेवा सुभाषित:- 
 *साहब ते सेवक बड़ो जो निज  धरम सुजान ।*
*राम बांधि  उतरे उदधि लाँघि  गए हनुमान।।* 
(तुलसीदास जी)
भावार्थ: सर्वोत्तम धर्म सेवा का पालन करते हुए सेवक स्वामी से बड़ा कार्य कर सकता है।सेवा धर्म का पालन करके हनुमान जी समुद्र को लांघ गए जबकि भगवान रामको समुद्रपार  करने के लिए सेतु बनाना पड़ा ।

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