Thursday, June 18, 2020

18/6/2020 Real education"वास्तविक शिक्षा"

"वास्तविक शिक्षा"

टी एन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे तब एक बार वे उत्तर प्रदेश की यात्रा पर गए। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। रास्ते में एक बाग के पास वे लोग रुके। बाग के पेड़ पर बया पक्षियों के घोसले थे। उनकी पत्नी ने कहा दो घोसले मंगवा दीजिए मैं इन्हें घर की सज्जा के लिए ले चलूंगी। उन्होंने साथ चल रहे पुलिस वालों से घोसला लाने के लिए कहा। पुलिस वाले वहीं पास में गाय चरा रहे एक बालक से पेड़ पर चढ़कर घोसला लाने के बदले दस रुपये देने की बात कहे, लेकिन वह लड़का घोसला तोड़ कर लाने के लिए तैयार नहीं हुआ। टी एन शेषन उसे दस की जगह पचास रुपए देने की बात कहे फिर भी वह लड़का तैयार नहीं हुआ। उसने शेषन से कहा साहब जी! घोसले में चिड़िया के बच्चे हैं शाम को जब वह भोजन लेकर आएगी तब अपने बच्चों को न देख कर बहुत दुखी होगी, इसलिए आप चाहे जितना पैसा दें मैं घोसला नहीं तोड़ सकता।

इस घटना के बाद टी.एन. शेषन को आजीवन यह ग्लानि रही कि जो एक चरवाहा बालक सोच सका और उसके अन्दर जैसी संवेदनशीलता थी, इतने पढ़े-लिखे और आईएएस होने के बाद भी वे वह बात क्यों नहीं सोच सके, उनके अन्दर वह संवेदना क्यों नहीं उत्पन्न हुई?
उन्होंने कहा उस छोटे बालक के सामने मेरा पद और मेरा आईएएस होना गायब हो गया। मैं उसके सामने एक सरसों के बीज के समान हो गया। शिक्षा, पद और सामाजिक स्थिति मानवता के मापदण्ड नहीं हैं।

प्रकृति को जानना ही ज्ञान है। बहुत सी सूचनाओं के संग्रह से कुछ नहीं प्राप्त होता। जीवन तभी आनंददायक होता है जब ज्ञान,संवेदना और बुद्धिमत्ता हो।
(साभार: टी एन शेषन आत्मकथा)


"Real education"

 TN Seshan was the Chief Election Commissioner once when he visited Uttar Pradesh.  He was also accompanied by his wife.  On the way, they stopped near a garden.  There were birds in the garden on the garden.  His wife said, get two ghoslaas, I will take them for the decoration of the house.  He asked the policemen accompanying him to bring Ghosla.  The policemen asked a boy, who was grazing a cow nearby, to pay ten rupees in lieu of climbing the tree, but the boy was not ready to break the slurry.  TN Seshan asked him to give fifty rupees instead of ten, yet that boy was not ready.  He said to Seshan, sir!  There are bird children in the Ghosla, when they bring food in the evening, then they will be very sad to not see their children, so no matter how much you pay, I cannot break the Ghosla.

 After this incident, T.N.  Sheshan had a lifelong guilt that a shepherd boy could think and had the same sensibility, why he could not think even after being so educated and IAS, why did not that sensation arise in him?
 He said that my position and my IAS disappeared in front of that little boy.  I became like a mustard seed in front of him.  Education, position and social status are not the criteria of humanity.

 Knowing nature is knowledge.  There is nothing to be gained from collecting a lot of information.  Life is enjoyable only when there is knowledge, compassion and intelligence.
 (Sincerely: TN Seshan Autobiography)

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