Thursday, June 18, 2020

15 June / Birthday The famous revolutionary Taraknath Das

15 जून / जन्मदिवस
सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी तारकनाथ दास

तारकनाथ दास का जन्म 15 जून, 1884 ई. में बंगाल के 24 परगना ज़िले में हुआ था। तारकनाथ दास बड़े प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे, छात्र-जीवन में ही उनका संपर्क अरविन्द घोष, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और चितरंजन दास जैसे नेताओं से हुआ। देशभक्ति के रंग में रंगे इन नेताओं के सम्पर्क में आकर तारकनाथ दास क्रान्तिकारी आंदोलन में सम्मिलित हो गए और देश के क्रान्तिकारी सिपाही बन गए।

 उन्होंने अपना अध्ययन बीच में ही छोड़ दिया और अनुशीलन समिति तथा युगांतर पार्टी के कार्यों में सक्रिय भाग लेने लगे, लेकिन शीघ्र ही अंग्रेज़ पुलिस उनके पीछे पड़ गई। पुलिस के पीछे लग जाने पर युवा तारकनाथ सन 1905 ई. में साधु का वेश बनाकर तारक ब्रह्मचारी के नाम से जापान चले गए, एक वर्ष वहाँ रहकर फिर अमेरिका में सेन फ़्राँसिस्को पहुँचे। यहाँ उन्होंने भारत में अंग्रेज़ों के अत्याचारों से विश्व जनमत को परिचित कराने के लिए फ़्री हिन्दुस्तान नामक पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। उन्होंने ग़दर पार्टी संगठित करने में लाला हरदयाल आदि की भी सहायता की।

 पत्रकारिता तथा अन्य राजनीतिक गतिविधियों के साथ उन्होंने अपना छूटा हुआ अध्ययन भी आरंभ किया और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एम.ए. और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ होने पर वे शोध-कार्य के बहाने जर्मनी आ गए और वहाँ से भारत में अनुशीलन पार्टी के अपने साथियों के लिए हथियार भेजने का प्रयत्न किया। इसके लिए उन्होंने यूरोप और एशिया के अनेक देशों की यात्रा की। बाद में जब वे अमेरिका पहुँचे तो उनकी गतिविधियों की सूचना अमेरिका को भी हो गई। इस पर तारकनाथ दास पर अमेरिका में मुकदमा चला और उन्हें 22 महीने की क़ैद की सज़ा भोगनी पड़ी।

इसके बाद तारकनाथ दास ने अपना ध्यान ऐसी संस्थाएँ स्थापित करने की ओर लगाया, जो भारत से बाहर जाने वाले विद्यार्थियों की सहायता करें। इंडिया इंस्टिट्यूट और कोलम्बिया का तारकनाथ दास फ़ाउंडेशन दो ऐसी संस्थाएं अस्तित्व में आईं। वे कुछ समय तक कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर भी रहे। लम्बे अंतराल के बाद सन 1952 में वे भारत आए और कोलकाता में विवेकानंद सोसाइटी की स्थापना की। इस महान देश-भक्त का 22 दिसंबर सन 1958 ई. को अमेरिका में देहांत हो गया।

साभार - ठाकुर रंजीव सिंह

#हरदिनपावन



15 June / Birthday
 The famous revolutionary Taraknath Das

 Taraknath Das was born on 15 June 1884 in 24 Parganas district of Bengal.  Taraknath Das was a very talented student, in his student life he came in contact with leaders like Arvind Ghosh, Surendranath Banerjee and Chittaranjan Das.  Taraknath Das joined the revolutionary movement after coming in contact with these leaders, who were painted in the color of patriotism, and became the revolutionary soldiers of the country.

  He left his studies in the middle and started taking active part in the works of Anushilan Samiti and Yugantar Party, but the British police soon followed him.  After getting behind the police, young Taraknath went to Japan in the name of Tarak Brahmachari, disguised as a monk in 1905, after staying there for one year and reached San Francisco in America.  Here he started publishing a letter called Free Hindustan to introduce world opinion to the atrocities of the British in India.  He also assisted Lala Hardayal etc. in organizing the Ghadar Party.

  Along with journalism and other political activities, he started his missed studies and got an MA from Washington University.  And a Ph.D. from Georgetown University  Has received the title of.  When the First World War started, he came to Germany on the pretext of research and from there tried to send weapons to his followers of the Anushilan Party in India.  For this, he traveled to many countries in Europe and Asia.  Later, when he reached America, his activities were also reported to America.  On this, Taraknath Das was prosecuted in the US and he was sentenced to 22 months of imprisonment.

 After this, Taraknath Das turned his attention to establishing such institutions, which would help the students going out of India.  India Institute and the Taraknath Das Foundation of Colombia were two such entities that came into existence.  He was also Professor of Political Science at Columbia University for some time.  After a long hiatus, he came to India in 1952 and founded the Vivekananda Society in Kolkata.  This great patriot died on 22 December 1958 in America.

 Sincerely - Thakur Ranjeev Singh

 #Hardinpavan

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