Saturday, May 30, 2020

31/5/2020 6भ भारत के नाम 6BH FOR THE BHARAT

“कुशल क्षेम संवाद सप्ताह “
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विषय रहा :-
भजन- भोजन 
भाषा - भूषा 
भवन - भ्रमण 
मुख्य बिंदु :-
भजन - भोजन 
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*भजन यानि अपने आराध्य देवता का सत्संग करें इससे हमारे मन में अच्छे भाव जागृत होते हैं बुरे भाव ख़त्म होते हैं ;
*इकठठा बैठने का भाव भी बन जाता है;
*ऐसा करने से हमारी आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है व घर में हमेशा लक्ष्मी जी का निवास रहता है;
* मन व बुद्दि में निखार आता है
भजन - कीर्तन केवल गीत गाना नहीं बल्कि मंत्रों के उच्चारण का अभ्यास भी होता है। हमें सप्ताह में एक बार परिवार सहित भजन - कीर्तन अवश्य करना चाहिए ;
* हम भोजन किस प्रकार का करते हैं यानि की हम व्यस्त होने के कारण या तो  भोजन बाहर जाकर खाते हैं या बाहर से लाकर घर खाते हैं।
* घर का भोजन सात्विक होता है जिसमें मन का भाव व मातृशक्ति का प्यार होता है;
*जैसा खाओगे अन्न - वैसा बनेगा मन;
* करोना महामारी के चलते भारत में ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या दूसरे देशों के मुक़ाबले ज़्यादा है इसका मुख्य कारण हमारे घरों में बना पोष्टिक भोजन है जिसको हमारी मातृशक्ति बनाती है जो कि माँ के मातृत्व युक्त होता है;
*घर में पहली रोती गाय व आख़िरी रोटी कुत्ते की बनती है। ये भाव होटल के खाने में कहाँ;
भाषा - भूषा 
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* हमारी बोलने व लिखने की भाषा एक ही होनी चाहिए ;
*हम अक्सर अंग्रेज़ी भाषा में बात करके अपने को बड़ा मानते है जबकि ऐसा नहीं है;
* ज्ञान हमें ज़्यादा से ज़्यादा भाषाओं का हो लकिन हमारे प्रयोग में केवल मातृभाषा होनी चाहिए ;
*हमें अपने विवाह व जन्मदिन वग़ैरा के निमंत्रण पत्र हिंदी भाषा में ही छपवाने चाहिए ;
*हमें अपने परिवार में भी अपनी भाषा बोलने का आग्रह करना चाहिए ;
* कम से कम हम सब अपने हस्ताक्षर तो हिंदी में करने शुरू करें।
* हमें भारतीय परिधान (पहरावा) डालने का आग्रह करना चाहिए ;
*हम परिवार में विशेष अवसरों पर अपनी भारतीय वेश भूषा डालने का आग्रह करना चाहिए। 
भवन - भ्रमण
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*घर बनाते समय लगे की ये हिंदू घर है;
*घर में हिंदू घर के सभी चिन्ह होने चाहिए जैसे : तुलसी - मुख्य द्वार पर कोई धार्मिक चिन्ह - घर में महापुरुषों व देवी देवताओं के चित्र - पूजा स्थल ;
* हमें अधिकतर संस्कार घर से ही मिलते हैं;
*हमारे जीवन में भ्रमण का एक विशेष महत्व होता है;
* हर प्रकार के भ्रमण का अपना अलग अलग महत्व होता है जैसे अगर मैं अकेला गया-दो तीन दोस्तों के साथ गया -अपने परिवार के साथ गया - चार पाँच परिवारों के साथ गया सभी में अलग अलग संस्कार मिलते हैं।

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"Skilled Cus Communications Week" ---- The Subject: - Psalm - Dining Language - Bhujya Bhawan - Touring Main Point: - Psalm - Food ----- * Psalms, * Becomes a sense of seating; * By doing so, our economic situation is strong and there is always a residence of Lakshmi ji at home; * It comes to mind and budding. Psalm - Kirtan is not only a song song but also practice the pronunciation of the mantras. We must make a hymn - kirtan once a week; * What kind of food we do, that is, due to being busy either eat food or bring home from outside. * Home food is Satvik, in which the feeling of mind and motherhood is the love; * As you eat - the mind will be made; * The number of patients who are recovering in India due to the Epidemic is more than the other countries, the main reason is that there is a nature food made in our homes which are our motherhood that is maternity; * The first criminal cow and the last bread is made in the house. Where to eat this price hotel; Language - Board ----- * The language of our speaking and writing should be the same; * We often consider themselves bigger by talking in English language while it is not; * Knowledge should be more of more languages but our use should be only mother tongue; * We should print the invitation letter of our wedding and birthday vaghra only in Hindi language; * We should also urge to speak their language in our family; * At least we all start your signature in Hindi. * We should insist to put Indian apparel (first); * We should urge to put our Indian vendor on special occasions in the family. Building - excursion ----- It is a Hindu house that it is when making home; * There should be all signs of Hindu house in the house like: Tulsi - a religious sign at the main door - Pictures of great men and goddesses in the house - Puja Venue; * We meet mostly rites from home; * There is a special significance of excursions in our lives; * Every type of excursion has its own significance like if I went alone with two three friends - went with my family - all went with four five families to meet different rites.

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