Saturday, May 30, 2020

30/2/2020निर्जला एकादशी व्रत दिनांक 2 जून 2020* NIRJALA EKADASHI 2 JUNE 2020 SPECIAL

*निर्जला एकादशी व्रत दिनांक 2 जून 2020*

निर्जला एकादशी पूजा मुहूर्त 

निर्जला ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी  1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रहा है। अतः व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं। 

निर्जला एकादशी व्रत का समस्त एकादशियों में सबसे ज्यादा महत्व है। एकादशी दो तरह की होती है एक शुद्धा और दूसरी वेद्धा। यदि द्वादशी तिथि को शुद्धा एकादशी दो घड़ी तक भी हो तो उसी दिन व्रत करना चाहिए। शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी व्रत को निषेध माना गया है। 
 
निर्जला, यानी बिना पानी के उपवास रहने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत और उपवास करने से व्यक्ति को दीर्घायु तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। 
निर्जला एकादशी व्रत पौराणिक कथा
 
इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कथा के मुताबिक एक बार महाबली भीम को व्रत करने की इच्छा हुई और उन्होंने महर्षि व्यास से इसके बारे में जानना चाहा। उन्होंने अपनी परेशानी उन्हें बताते हुए कहा कि उनकी माता, भाई और पत्नी सभी एकादशी के दिन व्रत करते हैं, लेकिन भूख बर्दाश्त नहीं होने के कारण उन्हें व्रत करने में परेशानी होती है। इस पर महर्षि व्यास ने भीम से ज्येष्ठ मास की निर्जला एकादशी व्रत को शुभ बताते हुए यह व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस व्रत में आचमन में जल ग्रहण किया जा सकता है, लेकिन अन्न से परहेज किया जाता है। इसके बाद भीम ने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ यह व्रत कर पापों से मुक्ति पाई। 

निर्जला एकादशी पूजन विधि
 
– निर्जला एकादशी का व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरू हो जाता है।

– व्रती को “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
– इस दिन गौ दान करने का विशेष महत्व होता है।
– इस दिन व्रत करने के अतिरिक्त जप, तप गंगा स्नान आदि कार्य करना शुभ रहता है।
– व्रत के बाद द्वादशी तिथि में स्नान, दान तथा ब्राह्माण को भोजन कराना चाहिए। 
निर्जला एकादशी व्रत को करने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि की शाम से ही इसकी तैयारी करनी चाहिए। इस दिन व्रत में प्रयोग होने वाली सामग्री को एकत्रित कर लें। इसके बाद दशमी तिथि की शाम को सात्विक भोजन करके सो जाएं।
 
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर में साफ-सफाई करें। भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं। अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें। 
 
भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें। पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें। पूजा के अंत में विष्णु आरती करें। शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें। इस समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। 
 
अगले दिन यानि द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें। सबसे पहले भगवान विष्णु जी को भोग लगाएं। भोग में अपनी इच्छानुसार कुछ मीठा भी शामिल करें। लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें। ध्यान रहे, व्रत खोलने के बाद ही आपको जल का सेवन करना है।

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*  Nirjala Ekadashi Date 2 June 2020 * 

Nirjhal Ekadashi Pooja Shubhurya Nejabha Ekadashi, on June 1, will be started from 2 to 57 minutes to 2 June at 12 pm at 04 minutes. Therefore, Lord Shrihari Vishnu can be worshiped at this day for 12.4 minutes.

Nirjhal Ekadashi has the highest importance in all the exit. Ekadashi is of two kinds of a purity and second. If the Dakashi date is also possible by the Pura Ekadashi to two clocks, then it should be fasting. In the scriptures, the Ekadashi Vrat has been considered prohibition. Due to the fasting of water without fasting, it is called Dehydal Ekadashi. Eartha Ekadashi, Shukla side of the senior mass, is also known as Bhimsani Ekadashi. By fasting and fasting on this Ekadashi, the person gets longevity and salvation. By doing this Ekadashi, all 24 out of the year gets the result of the fast. Dehydra Ekadashi fast mythology is associated with the legend of Mahabharata. According to the story, once the Mahabali Bhim was desirted to fast and he wanted to know about this from Maharishi Vyas. He said, "He said that his mother, brother and wife fast on all Ekadashi, but due to lack of hunger, they have trouble in fasting. On this, Maharishi Vyas asked to make it auspicious by the auspicious Ekadashi Vrat of the senior mass of Bhima. He said that in this fast water can be taken into anxiety, but it is avoided by food. After this, Bhim got this fast with the strong will and was liberated from sins. Dehydra Ekadashi Poojan Method - The rules of the fasting of Nirhyan Ekadashi starts from the Dasami date. - Vrati should pronounce "Namo Bhagwati Vasudevai" mantra. - This day is a special significance to donate cow. - In addition to fasting this day, it is auspicious to work. - After the fast, there should be food to eat bath, donation and Brahma. The person who performs dehydrated Ekadashi should prepare it from the evening of Dashmi date. Collect the material used in this day. After this, go to Satvik by dinner in the evening of Dasami. Wake up early in the morning and take a bath and resolve the fast. Clean and clean the temple of the house. Lord Vishnu's statue bathed with Ganga water. Now burn the lamp and remember them. Praise them in worship of Lord Vishnu. Use basil leaves in worship. At the end of worship, make Vishnu Aarti. Even in the evening, worshiping the lamp before Lord Vishnu ji. Take Vishnu Sahasramese at this time. Open the fasting time during the next day i.e. Dakashi. First of all, please enjoy Lord Vishnu. Include some sweet as your wishes in the enjoyment. Submit Prasad in people and give them a donation to the Brahmins. Keep in mind, only after opening the fast, you have to take water.

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