बाल शिवाजी का स्वाभिमान .
शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाह जी और माता का नाम जीजाबाई था . पिता शाहजी बीजापुर दरबार के कृपापात्र दरबारी थे .शाहजी चाहते थे कि उनका पुत्र बीजापुर दरबार का सेवक बने जब शिवाजी आठ वर्ष के थे उनके पिता उन्हें दरबार दिखाने ले गए उन्होंने सोचा शिवा दरबार की शान शौकत से प्रभावित हो जायेगा पर बालक शिवा पर माता जीजाबाई दुवारा बचपन से रामायण महाभारत , और पुराणों की सुनाई गई वीर गाथाओं का प्रभाव था .बालक शिवा बिना किसी से प्रभावित हुए पिता के साथ ऐसे चलते गए जैसे साधारण मार्ग पर जा रहे हो . नवाब के सामने पहुचकर पिता ने नवाब का झुककर अभिवादन किया और शिवा को कहाँ - ' बेटा ! बादशाह को सलाम करो ' बालक ने पिता की और देखा और खा बोला- ' बादशाह मेरे राजा नहीं हैं . मैं इनके सामने सिर नहीं झुका सकता.'दरबार में सनसनी फैल गई . नवाब बालक की ओर घूरकर देखने लगा ; किन्तु शिवा ने सिर नहीं झुकाया शाहजी ने नवाब से प्रार्थना की- ' शाहंशाह ! क्षमा करें.यह अभी नादान हैं और बालक को लेकर घर आ गए घर आने पर शाहजी ने शिवा को डाटा , तब शिवा ने उत्तर दिया- ' मेरा मस्तक केवल तुलजा भवानी और आपको छोड़कर किसी की सामने नहीं झुक सकता ' .
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Motivational context-6.
The self-respect of Bal Shivaji.
Shivaji Maharaj's father's name was Shah ji and mother's name was Jijabai. Father Shahji was a favored courtier of the Bijapur court. Shahji wanted his son to be a servant of the Bijapur court when Shivaji was eight years old. His father took him to show him the court. Duvara was the influence of the heroic stories narrated from childhood, Ramayana, Mahabharata and Puranas. Balak Shiva walked with his father as if he was going on a simple path without being influenced by anyone. Reaching in front of the Nawab, the father bowed down to the Nawab and shouted to Shiva - 'Son! Salute the king, 'the child looked at the father and said,' The king is not my king. I cannot bow my head in front of them. 'A sensation spread in the court. The Nawab stared at the child and looked; But Shiva did not bow his head, Shahji prayed to the Nawab - 'Shahshah! Sorry. It is immature now and upon coming home with the child, Shahaji gave the data to Shiva, then Shiva replied - 'My forehead cannot bow in front of anyone except Tulja Bhavani and you'.
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