Thursday, May 28, 2020

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राष्ट्रीय महापर्व : वर्ष प्रतिपदा वर्ष र्ष प्रतिपदा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन प्रतियं आती है । अपने देश के पर - बर वर्ष प्रतिपदा का पर्व बड़े उल्लास और बद्धा के साथ मनाया जाता है । इसीलिये इस पावन दिवस को राष्ट्रीय महापर्व का मात्व प्राप्त है । ज्योतिष विद्या के प्रसिद्ध ग्रन्थ हेमादि में उल्लिखित है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को आरम्भ की थी । ब्रा पुराण में भी इसी V वत्र मासिजग नया ससर्ज प्रयमेऽहिन । शुक्सपो सम्बनं तु तदा सूचोदये सति ।। अर्थात् ब्रह्मा जी ने चैत्र मास में शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय काल में सृष्टि की रचना की है । विश्वविख्यात वैज्ञानिक भास्काराचाच अपने प्रसिद्ध ग्रन्य सिद्धांत शिरोमणि में लिखते हैं कि क्षेत्र मात के शुक्ल पक्ष के प्रारम्भ में रविवार के दिन से मात , वर्ष एवं दिन एक साथ आरम्भ हुए हैं । यही कारण है कि भारतवर्ष में प्रचलित अनेक सम्बत् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही शुरू होते हैं । सृष्टि रचना के क्रमिक विकास में १ अरब , ६७ करोड़ , २६ लाख .४६ हजार , १ ९ ० वर्ष पूर्व ( ईस्वी सन् के अनुसार ) भारत भूमि पर नेत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही पहले मानव का आविर्भाव हुआ है । इस दृष्टि से यह दिन केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं अपितु सारे मानवक्त के लिए माननीय है । कालान्तर में इस दिन के साथ राष्ट्रीय महत्त्व की कुछ ऐसी घटनाएं जुड़ गई जिससे इस पर को समाज में अत्यधिक आस्था और मान्यता प्राप्त हुई । जैसे सतयुग में जगत के त्राण के लिए भगवान् विष्णु ने इसी दिन मत्स्य रूप में पहला अवतार ग्रहण किया । स्मृतिकौस्तुभ ग्रन्थ में लिखा कृते व प्रभवे चैत्रे प्रतिपचहुक्लपक्षगा । मत्स्यरूपकुमार्या व अवतीणो हरि स्वयम् । वर्ष के प्रथम नवरात्रों का आरम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है । इन्हें वासन्तिक नवरात्रे कहते हैं । इसके अतिक्ति यह नवरात्रे राम नवराने मी कहलाते हैं क्योंकि इन नवरात्रों में चक्रवर्ती सम्राट मवादा पुरुषोत्तम भगवान रामचन्द्र का जन्म दिन ' राम नवमी का पर्व आता है तथा भारतीय मान्यता के अनुसार आज से १ करोड ८५ लाख वर्ष पूर्व रामचन्द्र जी का राज्याभिषेक भी इसी नवरात्र के पहले दिन वर्ष प्रतिपदा को हुआ था । इतिहस दिनकर : ५३

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