भारत व कोरोना समस्याएं
भारत के कुछ , मुस्लिम नेता इन्डोनेशिया, कतर, बहरीन, बंगलादेश जैसे 50- से अधिक देशों के कोरोना कैरियर मुसलमानों को रिहाई की माँग कर रहे हैं । भारत विरोधी तत्व कोरोना को फैलाने हेतु पूरी ताकत झोंक रखी हैं । पहले 6 -माहीनों से ईस्लामिक तत्वों का CAA , NRC के नाम पर भारत में व्यापक हिंसा , आगजनी, दंगे , कत्लेआम जारी हैं । आतंकी तत्व ने भारत को बर्बाद करने हेतु लगातार प्रयास कर रहे हैं। भारत का कमजोर न्याय प्रणाली से ईस्लामिक -जेहाद को नहीं रोक पा रहा हैं । ।।। अरब मुल्कों (इस्लामिक देशों ) में कानून-(1.) सरकारी सम्पत्ति के चोरी /नुकसान पर हाथ काट दी जाती हैं। (2.) लूट पर सर को काट दी जाती हैं । ( 3.) आतंकी हमला होने पर 10-दिनों के भीतर चौराहे पर फांसी दी जाती हैं। ।।। भारत की 135-करोड़ की आबादी को नियंत्रण हेतु इसी तरह की कानूनों द्वारा घुसपैठ, आतंकी -हमले, ईस्लामिक - जेहाद , वामपंथी -आतंकवाद , फेंक -करेन्सी, चोरी , लूटपाट , बैंक घोटाले , सभी समस्याओं को समाप्त हो जाएंगे। भारत की अखंडता हेतु कड़े कानूनों की जरूरत हैं।
प्रवासी मजदूरों के पास रेलवे टिकट के लिए पैसे नहीं बचे हैं। गरीब मजदूर और उनके 5-6 बर्ष के बच्चे अब हजारों किलोमीटर की दूरी को चलकर पैदल घर लौट रहे हैं। उनके रोजमर्रा भूख से दम तोड़ने , सवारियों से कुचलने , कोरोना संक्रमण की बुरी खबर आ रही हैं।।।। जिन मजदूरों के पास पैसे नहीं हैं , वे घर कैसे लौटेंगे ? बेबस मजदूरों को किराए को माफ/अल्प होना चाहिए । ।।। दूसरी ओर राज्यों व रेलवे में किराए को लेकर विवाद हो रहे हैं।
भारत में बढती हुई मजदूरों की संख्या के दो कारण हैं --(1.) सरकारी स्कूलों में शिक्षा की खराब हालत (2.) गरीबी के कारण उच्च शिक्षा का संभव न हो पाना । ।।। भारत में "सर्व-शिक्षा अभियान " एवं सरकारी स्कूलों पर 45- हजार कोरोड़ से क्या फायदा हुआ ? आजादी के 73-बर्षों के बाद अरबों लोगों के पास मजदूरी से ज्यादा विकल्प नहीं हैं। ।।। दूसरी तरफ बिना किसी सरकारी मदद से चल रहे "प्राईवेट इस्टीट्यूशन " में शिक्षा का स्तर उन्नत हैं। जबकि ,सरकारी स्कूलों के बच्चे अपना नाम तक लिखने में असमर्थ हैं। एसे भारत का विकास असंभव हैं। क्या आजादी के 73 बर्षों में अगर उच्च शिक्षा पर, 45-हजार करोड़/Year खर्च होते , तो क्या भारत की अरबों की आबादी मजदूरी को बेबस होते ? ।।। हमारे पड़ोसी कम्युनिस्ट मुल्क चीन में भी IQ लेवल के आधार पर बच्चों का ग्रेडेशन कर प्रतिभा के आधार पर मुफ्त शिक्षा दी जाती हैं।
विश्व के सभी देश , कोरोना वाइरस फैलाने में चीन की जिम्मेवारी को तय करने में लगे हुए हैं। सभी प्रभावित देशों को किसी एसे कानून का पता लगाना होगा , जिसका चीन ने उल्लंघन की हैं। हेग स्थित "इन्टरनेशनल-कोर्ट आँफ जस्टिस'" हैं , लेकिन इसमें सुनवाई के लिए देश की सहमति जरूरी हैं, लेकिन चीन की इसमें उपस्थित होने की संभावना नहीं हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुच्छेद-75 के इस्तेमाल की बेहतर संभावना हैं। पहले WHO के एसेम्बली में यह मुद्दा लेकर जाना होगा। "क्लास एक्शन लाँ शूट" एक दूसरा रास्ता हैं-- इसमें एक पक्ष व्यक्ति न होकर व्यक्तियों का समूह होता हैं। जिसमें कम्पनियाँ,वाइरस से मरने वाले लोगों के रिश्तेदार शामिल हैं। तीसरा रास्ता- "इम्युनिटी-जियूस्टिकशन " इसमें बाधा हैं-जो किसी राष्ट्र को दूसरे देशों के भीतर मुकादमा चलाने से रोकता हैं। लेकिन चीन के कम्युनिस्ट पार्टी को निश्चित ही इसका पार्टी बनाया जा सकता हैं। चीन द्वारा विभिन्न देशों में निवेश की गई शेयरों, कम्पनियों, निवेशों से यह रकम वसूला जा सकता हैं।.................................................................................................................................................................
India & Corona problems


No comments:
Post a Comment