٠•● हरिवंशराय बच्चन की एक सुंदर कविता ●•٠
.
❝ खवाहिश ❞ नही मुझे ❝ मशहुर ❞ होने की
आप मुझे ❝ पहचानते ❞ हो बस इतना ही काफी है
अच्छे ने ❝ अच्छा ❞ और बुरे ने ❝ बुरा ❞ जाना मुझे
क्यों की जिसकी जितनी ❝ जरुरत ❞ थी
उसने उतना ही पहचाना मुझे !!
.
ज़िन्दगी का ❝ फ़लसफ़ा ❞ भी कितना अजीब है,
शामें ❝ कटती ❞ नहीं, और ❝ साल ❞ गुज़रते चले जा रहे हैं !!
.
एक ❝ अजीब ❞ सी दौड़ है ये ❝ ज़िन्दगी ❞
जीत जाओ तो कई ❝ अपने ❞ पीछे ❝ छूट ❞ जाते हैं,
और हार जाओ तो ❝ अपने ❞ ही पीछे ❝ छोड़ ❞ जाते हैं !!
.
❝ बैठ ❞ जाता हूं ❝ मिट्टी ❞ पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी ❝ औकात ❞ अच्छी लगती है !!
.
मैंने ❝ समंदर ❞ से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से ❝ बहना ❞ और अपनी ❝ मौज ❞ में रहना !!
.
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ❝ ऐब ❞ नहीं है
पर ❝ सच कहता हूँ मुझमे कोई ❝ फरेब ❞ नहीं है !!
.
जल जाते हैं मेरे ❝ अंदाज़ ❞ से मेरे ❝ दुश्मन ❞
क्यूंकि
एक मुद्दत से मैंने
न ❝ मोहब्बत ❞ बदली और न ❝ दोस्त ❞ बदले !!.
.
एक ❝ घड़ी ❞ ख़रीदकर हाथ मे क्या
बाँध ली - ❝ वक़्त ❞ पीछे ही पड़ गया मेरे !!
.
❝ सोचा ❞ था ❝ घर ❞ बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने ❝ मुसाफ़िर ❞ बना डाला !!!
.
❝ सुकून ❞ की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला ❝ इतवार ❞ अब नहीं आता !!
.
जीवन की ❝ भाग-दौड़ ❞ में -
क्यूँ ❝ वक़्त ❞ के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ❝ ज़िन्दगी ❞ भी आम हो जाती है..
एक सवेरा था जब ❝ हँस ❞ कर उठते थे हम
और आज कई बार
बिना ❝ मुस्कुराये ❞ ही ❝ शाम ❞ हो जाती है !!
.
कितने ❝ दूर ❞ निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को ❝ खो ❞ दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
लोग कहते है हम ❝ मुस्कुराते ❞ बहोत है,
और हम थक गए ❝ दर्द ❞ छुपाते छुपाते..
खुश हूँ और सबको ❝ खुश ❞ रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी ❝ परवाह ❞ करता हूँ..
मालूम है कोई मोल नहीं मेरा,
फिर भी,
कुछ ❝ अनमोल ❞ लोगो से ❝ रिश्ता ❞ रखता हूँ !!
•● A beautiful poem by Harivansh Rai Bachchan •٠
,
wish not me to be famous
You know me that's enough
Good good and bad bad know me
Why what was needed
He recognized me so much!!
,
The philosophy of life is also so strange,
Evenings don't cut and years are passing by!!
,
It's a strange race, this life
If you win, many leave behind your back,
And if you lose, then you leave behind your own.
,
sit I go on the soil often...
Because I like my status !!
,
I have learned from ocean the beauty of living,
Quietly flowing and staying in your fun !!
,
It's not that I don't have any ab
But I tell the truth, there is no fake in me !!
,
My
because
For a while I
Neither love changed nor friend changed !!.
,
What is in hand by buying a watch
Tied it - time fell behind me !!
,
thought was I will make a house and sit comfortably..
But the necessities of the house made the traveler !!!
,
Don't talk about peace , O Ghalib....
Childhood Sunday does not come now !!
,
In the race of life -
Why loses tone with time ?
Laughing-playing life also becomes common..
There was a morning when we used to wake up laughing
and many times today
Even without smile becomes evening !!
,
How many far gone,
Playing Rishto..
We lost ourselves
Find your loved ones..
People say we smile a lot,
And we are tired pain hide and hide..
I am happy and keep everyone happy
I am careless, yet I care about everyone..
I know I have no value,
Even then,
I keep relation with some priceless people !!
No comments:
Post a Comment