Monday, March 21, 2022

SHIVAJI MAHARAJ ChhatrapatiShivajiJayanti

(छत्रपति शिवाजी महाराज)


समाज में सुधार की इच्छा, शौर्य, ऐसे अनेक गुणों के प्रतीक रहे छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श हमें लेना चाहिए – डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक  #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिवाजी महाराज का अनुकरण कर आदर्श समाज निर्मिती के लिए प्रयास करना चाहिए | हम सब के आचरण से ही संपूर्ण विश्व को शिवाजी महाराज के कर्तृत्व का एहसास होना चाहिए - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक   #ChhatrapatiShivajiJayanti


राष्ट्रोत्थान के लिये शिवाजी महाराज की जीवनी मार्गदर्शक पुस्तिका के समान है| - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक   #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का अनुसरण कर देश के उत्थान के लिये कार्य किया तो सबका जीवन सुखी होगा - डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक #ChhatrapatiShivajiJayanti


छत्रपति शिवाजी महाराज  का जन्म सन 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ | पिता शाहजी भोंसले व माता जीजाबाई थीं|  #ChhatrapatiShivajiJayanti



बाल्यकाल से ही जीजाबाई शिवाजी को रामायण, महाभारत तथा पुराणों में वर्णित वीरों, सत्पुरुषों एवम् साधुसंतों की कहानियाँ सुनती थीं|  #ChhatrapatiShivajiJayanti



माँ जीजाबाई से वीर कथाओं तथा धर्म-कथाओं को सुनते-सुनते शिवाजी के मन में राम, कृष्ण, भीम या अर्जुन के समान बनने के विचार उठते थे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज को दादाजी कोणडदेव जैसे महापुरुष प्राप्त हुए थे | #ChhatrapatiShivajiJayanti


केवल 16 वर्ष की छोटी आयु में शिवाजी ने एक किला जीता |उस किले का नाम था तोरणा| केसरिया रंग का पवित्र ध्वज,  भगवा झंडा तोरणा दुर्ग पर फहराने लगा|  #ChhatrapatiShivajiJayanti


तोरणागढ़ के बाद छत्रपति शिवाजी  एक के बाद एक किले जीतने लगे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिवाजी 28 वर्ष के थे तब कोंडाणा, पुरंदर, प्रतापगढ़, राजगढ़, चाकण, आदि चालीस दुर्गों पर स्वराज्य का झंडा फहर रहा था|  #ChhatrapatiShivajiJayanti

      

छत्रपति शिवाजी महाराज  ने एक राजा के तौर पर निष्पक्ष शासन किया और एक सेनापति के नाते हर सैनिक का ऐसा मनोबल बढ़ाया कि पलक झपकते ही दुश्मन ढेर हो जाते थे |  #ChhatrapatiShivajiJayanti



भारत की पवित्र माटी में जन्मे छत्रपति शिवाजी महाराज साहस, राजकौशल और कुशल प्रशासक की सनातन प्रतिमूर्ति थे।  #ChhatrapatiShivajiJayanti


छत्रपति शिवाजी महाराज  बहुत ही अच्छे योजनाकार और संगठनकर्ता थे|  #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी महाराज ने उतार-चढ़ावों का सामना किया, लेकिन कभी भी मर्यादा का हनन नहीं किया|    #ChhatrapatiShivajiJayanti


सत्ताओं से देश को जो खतरा था उसे सबसे पहले शिवाजी ने आँका| उनके आक्रमणों को रोकने की उन्होंने व्यवस्था की थी| शिवाजी एक दूर द्रष्टा थे |   #ChhatrapatiShivajiJayanti


छत्रपति शिवाजी महारण ने देखा मराठों में जोश और स्वदेशाभिमान तो है, पर एकता नहीं होने के कारण वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए शिवाजी ने उन्हें एक-एक करके संगठित किया।   #ChhatrapatiShivajiJayanti



 शिवाजी महाराज की राजकीय व्यवस्था और सेना खड़ी करने की क्षमता अद्भुत थी। उनकी न्याय व्यवस्था तो ऐसी थी कि दुश्मन भी इस मामले में उनकी तारीफ करते थे।   #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते थे। उनसे जुड़ा एक प्रसंग बताता है कि वे अपने आलोचकों से भी सीख लेते थे।  #ChhatrapatiShivajiJayanti


छत्रपति शिवाजी महाराज ने जहाजी बेड़ा बनाकर एक मजबूत नौसेना की स्थापना की। इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना का पिता कहा जाता है।  #ChhatrapatiShivajiJayanti


 

शिवाजी ने राज्य की चिरकालीन दृढ़ता के लिए अनेक संस्थाओं का निर्माण करवाया। औरंगजेब की प्रचंड शक्ति का सामना कर विजय प्राप्त करने में इन संस्थाओं का बहुत उपयोग हुआ। इस कारण स्वसंरक्षण और राज्यवर्धन, ये दोनों काम मराठा कर सके।   #ChhatrapatiShivajiJayanti


समर्थ गुरु रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti



शिवाजी महाराज ने अपना राज्य रामदास जी की झोली में डाल दिया। रामदास ने महाराज से कहा- "'यह राज्य न तुम्हारा है न मेरा। यह राज्य भगवान का है, हम सिर्फ़ न्यासी हैं।" शिवाजी समय-समय पर समर्थ गुरु रामदास से सलाह-मशविरा किया करते थे।      #ChhatrapatiShivajiJayanti


छत्रपति शिवाजी महाराज ने सुशासन और प्रशासन हिंदुस्तान के इतिहास में नवीन अध्याय लिखा था और ये सब उन्होंने अपने योग्यता और क्षमता के आधार पर किया था – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी   #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी महाराज यानि घोड़ा, तलवार, युद्ध लड़ाई विजय तक ही सीमित नहीं थे| वे पराक्रमी थे, वीर थे, पुरुषार्थी थे और हम सबकी प्रेरणा है - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  #ChhatrapatiShivajiJayanti



समर्थ गुरु रामदास छत्रपति शिवाजी को गुरु नीति और ज्ञान की बातें समझाते रहते थे। 

समर्थ गुरु रामदास ने शिवाजी महाराज को समझाया कि हमारे अन्दर पालनकर्ता का अभिमान नहीं आना चाहिए। #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिवाजी महाराज हर विचारधारा और मत-पंथ का सम्मान करते थे। उन्होंने अपने शासन काल में सभी मत-पंथों को पूर्ण स्वतंत्रता दे रखी थी, लेकिन उन्होंने जबरन धर्मान्तरण का विरोध किया था|   #ChhatrapatiShivajiJayanti



इतिहासकार कफी खां और एक फ्रांसीसी पर्यटक बर्नियर ने छत्रपति शिवाजी महाराज की धार्मिक नीतियों की प्रशंसा की है। #ChhatrapatiShivajiJayanti



शिवाजी महाराज समस्त मानवता के लिए आदर्श और प्रेरणा के स्रोत हैं। उनकी अद्वितीय प्रतिभा, अदम्य साहस और समर्पित सेवा से आने वाली पीढ़ियां भी मानवता का भविष्य उज्ज्वल करती हैं।    #ChhatrapatiShivajiJayanti



1645 में 16 वर्ष की आयु में शिवाजी ने आदिलशाह सेना को आक्रमण की सूचना दिए बिना हमला कर तोरणा किला विजयी कर लिया।   #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिवाजी एक कुशल सेनापति, जन्मजात नेता, महान संगठनकर्ता, निश्चयी और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे, किसी भी विपत्ती का सामना करने के लिए वे सदैव तैयार रहते थे|  #ChhatrapatiShivajiJayanti


हिंदू समाज में गुलामी और निराशा के भाव के साथ जीने की भावना को शिवाजी ने ही समाप्त किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना तन−मन−धन न्यौछावर कर दिया। #ChhatrapatiShivajiJayanti



शिवाजी की दूरदृष्टि व्यापक थी। शिवाजी के शासनकाल में अपराधियों को दण्ड अवश्य मिलता था लेकिन साबित हो जाने पर। #ChhatrapatiShivajiJayanti


शिवाजी केवल युद्ध में ही निपुण नहीं थे अपितु उन्होंने कुशल शासन तंत्र का भी निर्माण किया। राजस्व, खेती, उद्योग आदि की उत्तम व्यवस्था की भी शुरुआत की|  #ChhatrapatiShivajiJayanti



 अफजल खां शिवाजी को पकड़ने निकला लेकिन शिवाजी उससे कहीं अधिक चतुर निकले और अफजल खां मारा गया। इसके बाद शिवाजी महाराज के यश की कीर्ति पूरे भारत में ही नहीं अपितु यूरोप में भी सुनी गयी |    #ChhatrapatiShivajiJayanti




छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म पर स्वामी रामदास ने तुलजापुर की माँ भवानी से प्रार्थना की – 

“तुझ तू वाढवी रजा, शीघ्र अम्हांसी देवता”

अर्थात “माँ जगदम्बे, महाराष्ट्र के इस भावी राजा को तुम्हीं बड़ा करो और वह भी शीघ्रातिशीघ्र हमारी आँखों के सामने”|   #ChhatrapatiShivajiJayanti


नवनिर्मित राज्य शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिवाजी महाराज ने अष्ट प्रधान की व्यवस्था की – 

पेशवा (प्रधानमंत्री)

अमात्य (लेखा परीक्षक)

व्याकानवीस (अभिलेखक) 

शुरूनवीस (सचिव) 

दबीर ( विदेश सचिव) 

सदर-ए- नौबल (सेनापति)

सदर-ए-मोहतिश्व (पंडित राव)

काजी-उल-कुजात ( न्यायाधीश)  #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी महाराज अपने चरित्र बल, दृढ़ इच्छाशक्ति एवं प्रखर राष्ट्रभक्ति के ही कारण महानता के उच्च शिखर तक पहुँच गए|  #ChhatrapatiShivajiJayanti


गुरुदक्षिणा में छत्रपति शिवाजी महाराज ने सारा साम्राज्य गुरु समर्थ रामदास के चरणों में अर्पित कर दिया था और स्वयं एक प्रबंधक के रूप में निरपेक्ष भाव से शासन प्रबंध करते थे| #ChhatrapatiShivajiJayanti  


छत्रपति शिवाजी महाराज माँ भवानी के परम भक्त थे |   #ChhatrapatiShivajiJayanti



एक प्रखर राष्ट्रभक्त होने के कारण शिवाजी ने सदैव यह प्रयास किया कि हिन्दुओं में एकता स्थापित हो और वे एक जुट होकर विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध हथियार उठाकर भारत माता को दासता से मुक्त कर सकें|  #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति शिवाजी महाराज ने राजा जयसिंह को एक मार्मिक पत्र लिखकर हिन्दू एकता के लिए निवेदन भी किया था| #ChhatrapatiShivajiJayanti



छत्रपति महाराज का शासन एकतंत्रीय राजतन्त्र था पर वे व्यवहार में सदैव जनतांत्रिक पद्धति का ही पालन करते थे| बिना अष्ट प्रधान की सलाह और परामर्श के कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेते थे|   #ChhatrapatiShivajiJayanti



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