🙏 *09.03.22 वेदवाणी*🙏
*किमङ्ग त्वा ब्रह्मणः सोम गोपां किमङ्ग त्वाहुरभिशस्तिपां नः।*
*किमङ्ग नः पश्यसि निद्यमानान्ब्रह्मद्विषे तपुषिं हेतिमस्य॥ ऋग्वेद ६-५२-३॥*
हे मित्र ! क्या तुम्हें सत्य धन का रक्षक कहें ? क्या तुम्हें सत्य ज्ञान की निंदा करने वालों को देखते रहना चाहिए ? उन्हें सुधारना नहीं चाहिए ? क्या सत्य ज्ञान से द्वेष करने वालों को दृढ़ता से नहीं सुधारना चाहिए ? क्या उन्हें सही पथ पर लेकर नहीं आना चाहिए ?
O friend ! Can we call you the savior of true wealth ? Should you keep looking at those who condemn the true knowledge ? Shouldn't they be improved ? Should not those who hate true knowledge be corrected with heavy hand ? Shouldn't they be brought on the right path ?
🙏 (Rig Veda 6-52-3)🙏
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