Friday, August 13, 2021

संघ कार्यकर्ताओ की धर्मपत्नियो को समर्पित

संघ कार्यकर्ताओ की धर्मपत्नियो को समर्पित

मेरे मात -पिता के मन में, सखी
जाने क्या थी बात समाई
देखा उन्होंने मेरे लिए ,जो
एक “संघ ” वाला जमाई
क्या कहूँ बहन मुझे न जाने
क्या -क्या सहन करना होता है ?
“इनके’ घर आने -जाने का
कोई निश्चित समय न होता है
कभी कहें दो लोगों का भोजन
कभी दस का भी बनवाते है
जब चाहे ये घर पर बहना
अधिकारियो को ले आते है
लाठिया, नेकर ,दरी – चादर बांध
बस ये तो फरमान सुनाते है
शिविर में जाना हर माह इन्हे
बिस्तर बांध निकल जाते है
प्रातः शाखा ,शाम को बैठक
कार्यक्रम अनेको होते है
दो बोल प्रेम से जो बोल सके मुझे
वो बोल ही इनपर न होते है
इनकी व्यस्त दिनचर्या से बहना
कभी -कभी तंग बहुत आ जाती हूँ
ये तो घर पर ज्यादा न रह पाते
में मायके भी न जा पाती हूँ
पर ………….
ख़ुशी मुझे इस बात की है होती
और “गर्व ” बहुत ही होता है
मेरे “इनके ” अंदर एक चरित्रवान इंसान
“स्वयंसेवक ” के रूप में रहता है
आज के कलुषित वातावरण में भी जो
नियमो से जीवन जी रहा
“संघ ” के कारण अनुशाषित जीवन
और सार्थक राह पर चल रहा
उनके कारण मैं भी तो बहन
कुछ राष्ट्र कार्य कर पाती हूँ
प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से
इस हवन में आहुति दे पाती हूँ
इसीलिए नहीं कोई शिकायत
मैं अपने मात -पिता से करती हूँ
एक स्वयंसेवक के रूप में “संस्कारी “पाया
बस ह्रदय से धन्यवाद उनका करती हूँ

Nomination to Dharmaparna of Sangh Works


  In the mind of my mother father, friend

  let's talk

  For me who saw

  A "Combination" Jamlei

  I don't know what to say

  What to do?

  "their"

  there is no time

  other people

  It's also made of ten

  when it blows at home

  authorized person comes

  Wrapping sheets, neckers, rugs

  They just give orders

  to know every

  left over from bed

  Morning branch, evening meeting

  many programs

  two words of love

  Woh Bol Heaper No.

  drift off

  Sometimes

  it's late at night

  I don't even go

  Feather ………….

  in this matter

  and proud"

  A diverse face within my "their"

  OK as a "Volunteer"

  Even in today's polluted environment

  live life from sleep

  Life by "Combination"

  and daily broadcasts

  me too

  some countries are working

  directly indirectly

  I offer sacrifices in the havan.

  It's not like that

  ,

  Found "sanskari" as a folk

  Bus

Sunday, August 1, 2021

समाज निर्माण में मातृ शक्ति का योगदान

समाज निर्माण में मातृ शक्ति का योगदान
​अथर्ववेद :माता भूमि : पुत्र और अहम् पृथिव्या (भूमि मेरी माता है हम इसके पुत्र हैं )
​विवेकानंद जी ने कहा जिस राष्ट्र की स्त्रियां शिक्षित सक्षम और संपन्न है वही राष्ट्र समृद्धशाली हो सकता है ।
​नेपोलियन बोनापार्ट :तुम मुझे एक योग्य माता दे दो मैं तुमको एक योग्य राष्ट्र दूंगा ।
​माता जीजा , रानी हाडी ,पन्नाधाय ,जैसे माताओं ने सदा धर्म परायण हो कर रही ।
​ नतमस्तक मृत्यु भी इनके आगे रही सदा है
         घुटने टेकता रहा सदैव समक्ष इनके काल है”
​भारतीय जनजीवन की मूल दूरी नारी अर्थात माताएं है
​संस्कृति परंपरा या धरोहर पीढ़ी दर पीढ़ी नारी से ही हस्तांतरित होती रही है
​समाज में सजगता या जड़ता को उखाड़ फेंकने संतान निर्माण शिक्षा-दीक्षा नारी हो मातृशक्ति ने ही किया
​ माता जीजाबाई ने बाल शिवा को छत्रपति शिवाजी जैसा देश भक्त और कुशल योद्धा बनाया
​पन्नाधाय के उत्कृष्ट त्याग, बलिदान से स्वर्णिम भारतीय इतिहास सुसज्जित है
​हाड़ी रानी द्वारा पत्नीमोह भंग करने की मिशाल ,त्याग और बलिदान की परंपरा के गीत आज भारत के घर घर गाई जाती है
​रानी लक्ष्मीबाई ,रजिया सुल्तान, पद्मिनी, मीरा मध्यकाल में शौर्य ,जोहर, भक्ति ,सुकीर्ति का परचम फहराया
​विद्यावती का जिसका पुत्र फाँसी के तख्ते पर खड़ा था और माँ की आँख में आंसू देखकर जब पत्रकार ने पूछा की आप शहीद की माँ होकर भी रो रही है तो उस वीर माँ विद्यावती का उत्तर था कि “मैं अपने पुत्र कि शहीदी पर नहीं रो रही ,मैं तो अपनी कोख पर रो रही हूँ कि काश मेरी कोख ने एक और भगत सिंह पैदा किया होता ,तो मैं उसे भी भगवती भारत माता की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर देती”
​परिवार में नारी केंद्र रूपी सारे घटक चतुर्दिक घूमते पोषक पाते और विश्राम पाते
​सब को एक माला में पिरो ही रखती है
​परिवार समाज राष्ट्र की स्थिति नारी पर निर्भर 
​ सुद्रण सम्मानजनक सुदृढ़ मजबूत समाज हेतु 
​महिलाएं सृष्टि के आरंभ से अनंत गुणों तक आगार रही है
​बाल्यावस्था से मृत्यु पर्यंत परिवार की संरक्षिका बनी रहती है
​दया ,करुणा ,ममता ,सहिष्णुता और प्रेम की पवित्र मूर्ति है| नारी का त्याग और बलिदान भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है !
​पृथ्वी सी सहनशीलता, सूर्य जैसा तेज, समुद्र की गंभीरता, पुष्पों सा मोहक सौंदर्य व कोमलता और चंद्रमा जैसी शीतलता महिलाओ में विद्यमान है
​सीता ,सावित्री ,गार्गी,मैत्रेयी जैसी महान नारियों ने इस देश को अलंकृत किया है|
​मातृ शक्ति गृहस्वामिनी, अर्धांगिनी के सौभाग्य श्रृंगारित ,शिशु की प्रथम शिक्षिका ,गुरु की गरिमा से गौरवान्वित, सनातन शक्ति की आधारशिला
​मातृशक्ति घर समाज और राष्ट्र का आदर्श
​पुण्य कार्य के अनुष्ठान निर्माण महिला के बिना पूर्ण नहीं होते
​पुरातन काल में महिलाओं को पुरुषों के समान ही सामाजिक राजनीतिक व धार्मिक अधिकार प्राप्त थे
​रण क्षेत्र में पतियों का सहयोग देती थी कैकयी ने अपने अद्वितीय रन कौशल से दशरथ को चकित कर दिया था
​यज्ञवल्क् की सहधर्मिणी गार्गी ने आध्यात्मिक धन के समक्ष सांसारिक धन तुच्छ है यह सिद्ध कर समाज में आदरणीय स्थान प्रस्तुत किया
​विध्धोतमा ने कालिदास को संस्कृत का प्रकांड विद्वान बनाने में सहायता प्रदान की 
​तुलसीदास को आध्यात्मिक चेतना उसके पत्नी रत्नावली का ही बुद्धि का चातुर्य था 
​मिथिला के महापंडित मंडन मिश्र की धर्मपत्नी विदुषी भारती से शंकराचार्य से शास्त्रार्थ में पराजित किया था
​80% भारत के तथाकथित विद्वान गौतम बुद्धोत्तरकालीन भारत को ही जानते हैं या पहचानते हैं ,अंग्रेजी के ही ग्रंथों से ही भारत का अनुभव मूल्यांकन करते हैं
​इस्लामिक आक्रमणकारी मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी औरंगजेब आतातावियों के साथ अपरिमित अत्याचार किए विजेता भोग्यवस्तु की भांति  
​बचने के लिए आत्मघात कर लेने के अतिरिक्त और कोई उपाय ही क्या था?
​भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में मातृशक्ति ने पूर्ण सहयोग दिया
​लक्ष्मीबाई ,सरोजिनी नायडू ,भगिनी निवेदिता ,सुचेता कृपलानी ,कैप्टन लक्ष्मी सहगल ,दुर्गा भाभी एवं क्रांतिकारियों को सहयोग देने वाली अनेक मातृशक्तियां भारत में अवतरित हुई जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया
​"इतिहास साक्षी है जब-जब समाज या राष्ट्र ने नारी को अवसर तथा अधिकार दिया है , तब-तब नारी ने विश्व के समक्ष श्रेष्ठ उदाहरण ही प्रस्तुत किया है !"
​मैत्रेयी,गार्गी ,घोषा, अपाला , विदुषी भारती आदि विदुषियां शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए आज भी पूजनीय है 
​आधुनिक काल में महादेवी वर्मा ,सुभद्रा कुमारी चौहान , महाश्वेता देवी ,अमृता प्रीतम आदि स्त्रियों ने साहित्य तथा राष्ट्र की प्रगति में विशेष योगदान है
​कला के क्षेत्र में लता मंगेशकर ,देविका रानी, वैजयंती माला ,सोनल मानसिंह आदि का योगदान
​वर्तमान में महिलाये समाजसेवा, राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रोत्थान के अनेक कार्यो में लगी है
​“तन और मन की कोमलता को, कमजोरी कोई समझे न इनकी ठान लेती जो प्रण मन में तो, झुक जाती ब्रम्हांड की शक्ति||”
​अत्यंत ही हर्ष का विषय है कि अब महिला जगत का बहुत बड़ा भाग अपनी संवाद हीनता, भीरुता एवं संकोचशीलता से मुक्त होकर सुद्रण समाज के सृजन में अपनी भागीदारी के लिए प्रस्तुत है|
​समस्त सामाजिक संदर्भो से जुडी महिलाओ कि सक्रियता को अब न केवल पुरुष वरन परिवार, समाज एवं राष्ट्र ने भी स्वीकारा है|
​वर्तमान में मातृशक्ति के कार्यक्षेत्र का विस्तार इतना घनीभूत हो गया है कि कोई भी क्षेत्र इनके संपर्क से अछूता नहीं है| 
​आज मातृशक्ति भी पुरुषो के सामान सुशिक्षित ,सक्षम एवं सफल है| चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, साहित्य, चिकित्सा, सेना, पुलिस, प्रशासन, व्यापार, समाज सुधार, पत्रकारिता या कला क्षेत्र हो मातृशक्ति कि उपस्थिति,योग्यता एवं उपलब्धियां स्वयं अपना प्रत्यक्ष परिचय प्रस्तुत कर रही है
​| घर -परिवार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उसकी कीर्ती पताका लहरा रही है|

दोहरे दायित्वों से लदी महिलाओ ने अपनी दोगुनी शक्ति का प्रदर्शन कर सिद्ध कर दिया की समाज की उन्नति आज केवल पुरुषो के कंधो पर नहीं ,अपितु उनके हाथो का सहारा लेकर भी उचाईयो की और अग्रसर होती है| 
​उन्नत राष्ट्र की कल्पना तभी यतार्थ रूप धारण कर सकती है जब मातृशक्ति सशक्त होकर राष्ट्र को सशक्त करे| मातृशक्ति तो स्वयं सिद्धा है, वह गुणों की सम्पदा है, आवश्यकता है

unity day

एकात्मता दिवस

 5 अगस्त 

इस दिन के लिये कितने वीर सपूतों ने मृत्यु का वरण किया ! 
कितनों ने घर छोड़ा , कितनों ने संघर्ष आमरण किया !! अनगिनत अनाम शहीद हुए , बेटे भारत माँ के मतवाले थे । जबतक लक्ष्य न प्राप्त किया , तबतक कहाँ रुकने वाले थे ।।

पिछले अनेक वर्षों से जम्मू - कश्मीर में रहने वाला समाज भेदभावपूर्ण नीति का शिकार रहा था । यह भेदभाव विकास योजनाओं से लेकर लोकतांत्रिक भागीदारी तक और OBC , SC , ST के संवैधानिक अधिकारों और बहिन - बेटियों के न्यायसंगत अधिकारों की अवहेलना तक व्याप्त था । 
अमर बलिदानी डॉ . श्यामाप्रसाद मुखर्जी और शेरे - डुग्गर पंडित प्रेमनाथ डोगरा जैसे महापुरुषों के अनवरत संघर्ष और त्याग के परिणामस्वरूप 5 अगस्त , 2019 को अनुच्छेद 370 व 35A की समाप्ति के बाद जम्मू - कश्मीर के वर्षों से उपेक्षित - वंचित वर्गों के साथ न्याय की परियोजना प्रारंभ हुई है । जम्मू - कश्मीर में नयी सुबह हुई और सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हुई है । हम सभी उनके ऋणी हैं , जिन्होंने गाँव - गाँव में जाकर अलख जगाई और न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए जनजागरण किया । 

आज जमीनी बदलाव नजर आ रहे हैं । कुछ काम हो गया है और बहुत काम होना बाकी है । अभी तक हुए मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं 

28 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद जम्मू - कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह लागू हुई है । स्थानीय निकायों को वे सभी अधिकार और संसाधन मिल गये हैं जो पूरे देशभर में मिलते हैं । 

 जम्मू - कश्मीर में ST वर्ग ( गुज्जर बक्करवाल , गद्दी , सिप्पी आदि ) को राजनीतिक आरक्षण मिला है , जिससे इस वर्ग के विकास के रास्ते खुले हैं । 
सरपंच , BDC DDC चुनावों के 
माध्यम से जमीनी लोकतंत्र में ST वर्ग की उल्लेखनीय भागीदारी हुई है । 

जम्मू - कश्मीर की अधिकार - वंचित बहिनों - बेटियों ( जिनका विवाह प्रदेश से बाहर हो जाता था ) को न्याय मिला है । 

 प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के अंतर्गत कश्मीरी विस्थापितों के लिए रोजगार और आवास की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर हो रही है । 

जम्मू - कश्मीर में बसे हुए लाखों दलितों ( विशेषकर बाल्मीकि समाज ) , पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों , गोरखाओं और पीओजेके विस्थापितों को सम्मान , समान अवसर और मतदान जैसे मूल अधिकार और सुविधाएं मिली हैं ।
 • जम्मू - कश्मीर के अन्य पिछड़े वर्गों ( OBC ) को आरक्षण देकर सामाजिक - न्याय सुनिश्चित किया गया है । 

० नयी औद्योगिक नीति लागू होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने की पहल हुई है । 

नई भाषा नीति लागू करके Urdu और English के साथ डोगरी , कश्मीरी और हिंदी को राजभाषा ( शासन - प्रशासन की भाषा ) का दर्जा देकर स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम हुआ है । 

 विधान - सभा क्षेत्रों का परिसीमन करके उन्हें संतुलित और भेदभावरहित बनाया जा रहा है । 

आतंकवाद और भेदभाव के शिकार रहे पर्यटन उद्योग को विकसित किया जा रहा है । अभी तक उपेक्षित और नजरंदाज किये पर्यटन स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । तिरुपति मंदिर का निर्माण और देविका नदी का पुनरुद्धार किया जा रहा है ।

 • दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले जम्मू - कश्मीर वासियों को बिजली , पानी , सड़क , स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधायें उपलब्ध कराने पर तेजी से काम हो रहा है । सरकारी नौकरियों और विकास - योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और भेदभाव की समाप्ति की जा रही है । 

आतंकवादी और देश - विरोधी गतिविधियों में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गयी है । सरकारी कर्मचारियों के लंबित मामलों का निपटारा करने के लिए जम्मू - कश्मीर में CAT के अलग - अलग बैंचों का गठन । आयें , हम सब मिलकर विकास और बदलाव के इस सपने को साकार करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महापुरुषों को याद करते हुए एकात्मता दिवस ( 5 अगस्त ) मनाएं । 

एक विधान , एक निशान ! 
सबको समता और सम्मान !! 
भारत माता की जय ! 

Hienglish

ekaatmata divas 
5 august

 is din ke liye kitane veer sapooton ne mrtyu ka varan kiya !
 kitanon ne ghar chhoda , kitanon ne sangharsh aamaran kiya !! 
anaginat anaam shaheed hue , bete bhaarat maan ke matavaale the . 
jabatak lakshy na praapt kiya , tabatak kahaan rukane vaale the ..

pichhale anek varshon se jammoo - kashmeer mein rahane vaala samaaj bhedabhaavapoorn neeti ka shikaar raha tha . yah bhedabhaav vikaas yojanaon se lekar lokataantrik bhaageedaaree tak aur obch , sch , st ke sanvaidhaanik adhikaaron aur bahin - betiyon ke nyaayasangat adhikaaron kee avahelana tak vyaapt tha . amar balidaanee do . shyaamaaprasaad mukharjee aur shere - duggar pandit premanaath dogara jaise mahaapurushon ke anavarat sangharsh aur tyaag ke parinaamasvaroop 5 agast , 2019 ko anuchchhed 370 va 35a kee samaapti ke baad jammoo - kashmeer ke varshon se upekshit - vanchit vargon ke saath nyaay kee pariyojana praarambh huee hai . jammoo - kashmeer mein nayee subah huee aur sakaaraatmak badalaav kee shuruaat huee hai . ham sabhee unake rnee hain , jinhonne gaanv - gaanv mein jaakar alakh jagaee aur nyaay aur samaanata sunishchit karane ke lie janajaagaran kiya . aaj jameenee badalaav najar aa rahe hain . kuchh kaam ho gaya hai aur bahut kaam hona baakee hai . abhee tak hue mukhy badalaav is prakaar hain 928 varsh kee lambee prateeksha ke baad jammoo - kashmeer mein tristareey panchaayatee raaj vyavastha pooree tarah laagoo huee hai . sthaaneey nikaayon ko ve sabhee adhikaar aur sansaadhan mil gaye hain jo poore deshabhar mein milate hain . 


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vidhaan - sabha kshetron ka pariseeman karake unhen santulit aur bhedabhaavarahit banaaya ja raha hai .

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aatankavaadee aur desh - virodhee gatividhiyon mein shaamil sarakaaree karmachaariyon ke khilaaph kadee kaarravaee kee gayee hai . sarakaaree karmachaariyon ke lambit maamalon ka nipataara karane ke lie jammoo - kashmeer mein chat ke alag - alag bainchon ka gathan . aayen , ham sab milakar vikaas aur badalaav ke is sapane ko saakaar karane ke lie apana sarvasv nyochhaavar karane vaale mahaapurushon ko yaad karate hue ekaatmata divas ( 5 agast ) manaen . ek vidhaan , ek nishaan ! sabako samata aur sammaan !! bhaarat maata kee jay ! 

English
Unity Day
 5th August

 How many brave sons have chosen to die for this day! How many left the house, how many fought till death !! There were countless unnamed martyrs, sons were the followers of Mother India. Where were you going to stop until the goal was achieved?

For the past many years, the society living in Jammu and Kashmir had been a victim of discriminatory policy. This discrimination was widespread from development schemes to democratic participation and disregard for the constitutional rights of OBC, SC, ST and equitable rights of sisters and daughters. Amar Sacrificial Dr. As a result of the relentless struggle and sacrifice of great men like Shyamaprasad Mukherjee and Shere-Duggar Pandit Premnath Dogra, the project of justice for the years neglected and deprived sections of Jammu and Kashmir has started after the abolition of Article 370 and 35A on 5th August, 2019. A new dawn has dawned in Jammu and Kashmir and positive change has begun. We are all indebted to him, who went from village to village and raised awareness to ensure justice and equality. Today the ground changes are visible. Some work has been done and much work remains to be done. The main changes made so far are as follows: After a long wait of 928 years, the three-tier Panchayati Raj system has been fully implemented in Jammu and Kashmir. Local bodies have got all the powers and resources which are available throughout the country.  
 In Jammu and Kashmir, the ST class (Gujjar Bakkarwal, Gaddi, Sippy etc.) has got political reservation, which has opened the way for the development of this class. Sarpanch, BDC 2 of DDC elections

There has been a remarkable participation of the ST class in the grassroots democracy through this. 2 The rights-deprived sisters and daughters of Jammu and Kashmir (who used to get married outside the state) have got justice. Under the Prime Minister's Employment Package, employment and housing for Kashmiri migrants are being arranged on priority basis. 2 Lakhs of Dalits (especially Balmiki Samaj), West Pakistani refugees, Gorkhas and POJK displaced people settled in Jammu and Kashmir have got basic rights and facilities like respect, equal opportunities and voting. • Social justice has been ensured by giving reservation to the Other Backward Classes (OBC) of Jammu and Kashmir. With the implementation of the new industrial policy, an initiative has been taken to provide more and more employment opportunities to the local people. By implementing the new language policy, work has been done to connect the local people with the mainstream by giving the status of official language (language of administration-administration) to Dogri, Kashmiri and Hindi along with Urdu and English. By delimiting the assembly constituencies, they are being made balanced and non-discriminatory. 2 The tourism industry, which has been subjected to terrorism and discrimination, is being developed. Special attention should be given to the development of so far neglected and neglected tourist places.
Used to be . Tirupati temple is being constructed and Devika river is being revived. • Work is being done fast on providing basic facilities like electricity, water, road, health and education to the people of Jammu and Kashmir living in remote and inaccessible areas. Corruption and discrimination prevailing in government jobs and development schemes are being ended. Strict action has been taken against the government employees involved in terrorist and anti-national activities. Constitution of separate CAT Benches in J&K to settle pending cases of Government servants. Come, let us all celebrate Ektamanta Diwas (August 5th) by remembering the great men who laid down their lives to realize this dream of development and change. One sign, one mark! Equality and respect to all!! Long live Mother India !