Friday, May 29, 2020

29/5/2020 WHAT RSS GIVE TO US राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने क्या दिया ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने क्या दिया ?

महाराष्ट्र के सतारा जिले में रहने वाले 
एक पिता के शब्दो मे -

दसवीं की परीक्षा देने के बाद, गर्मी की छुट्टियों में संघ का पंद्रह दिन का शिक्षण समाप्त कर कल ही मेरा बेटा वापस आया l आठ दिन का प्राथमिक वर्ग 'सतारा' में हुआ फिर एक सप्ताह विस्तारक के रूप में संघ कार्य करने के लिए वह वहीँ से शिरवल चला गया l वहाँ सात दिन में चौदह परिवारों में उसका भोजन हुआ l एक पुराने बाड़े में पतरे की छत वाले घर में उसका निवास था l वहां उसने स्वावलम्बन सीखा l दिनभर संपर्क कर ग्रामवासियों से मिलकर उसने कई लोगो से परिचय किया , आत्मीयता बढ़ाई l शाम को बाल स्वयंसेवकों की शाखा में काम कर उसे 'नेतृत्व' कैसे किया जाता है यह पाठ सीखने को मिला और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि संघ का अनुशासन वह आत्मसात करने लगा l
वह जब घर वापस आया तब उसकी माँ दूसरे शहर गई हुई थी इसलिए घर के हाल 'दर्शनीय' थे l " क्या बाबा, ये क्या हाल किया हुआ है ? घर है या .... " ऐसा कहकर वह पूरा घर अवेरने में लग गया l कुछ ही देर में सारा घर साफ-सुथरा हो गया यहाँ तक कि सारे पदवेश (फुट वियर ) भी उसने करीने से जमाए उसके बाद ही चाय पी l
भीषण गर्मी के कारण वर्ग में जाने से पहले उसने कहा था, " बाबा इस बार तो एसी लेना ही है .." उसे जब उसकी कही बात याद दिलाई तो उसकी प्रतिक्रिया एकदम उलट थी " बिलकुल नहीं बाबा ..बिलकुल नहीं, एसी की कोई ज़रूरत नहीं है कूलर भी नहीं चाहिए ... बस्तियों में रहने वाले हमारे असंख्य समाज बंधुओं के पास तो पंखा तक नहीं है "
बाथ रूम में नल टपक रहा था यह देखकर उसने खुद ही प्लम्बर को फोन किया , जैसा कि होना था प्लम्बर हाँ कहकर भी नहीं आया पर बेटे ने टपकने वाले नल के निचे बाल्टी रख दी और भर जाने पर शाम को वह पानी गमले के पौधों को डाल दिया l मुझे बताने लगा , "बाबा हमने वर्ग में पहले दिन ३३००० लीटर पानी का उपयोग किया पर वर्ग में जब हमने पानी बचाने के उपाय सुने समझे तो अंतिम दिन केवल १२००० लीटर पानी खर्च हुआ l हमें शिक्षकों ने सिखाया कि औरों को दोष मत दो अच्छे काम की शुरुवात खुद से और अपने घर से करो l
इस लड़के को क्रिकेट मैच देखने का शौक पागलपन की सीमा तक था पर पंद्रह दिन में ही वह जैसे ख़त्म हो गया l आई.पी.एल.देखने के बजाय कुछ अच्छी किताबें पढ़ो यह बताते सुझाते मैं थक कर निराश हो गया था पर उसने कभी सुना नहीं लेकिन अब टी.वी. की ओर उसका ध्यान तक नहीं था उलटे वर्ग में पढ़ी हुई किताबों की माहिती(जानकारी) उसने मुझे दी तथा और कौनसी पुस्तकें खरीदनी हैं इसकी एक सूची मुझे थमा दी थी l
आज अपनी आदत के अनुसार वह सुबह जल्दी जागा और तुरंत नहाकर अपने कपडे धो डाले , कहने लगा , " आई इतना सारा काम करती है उस और तकलीफ क्यूँ "
ये सारे बदलाव कितने दिन रहेंगे, यह मैं नहीं जानता पर बदलाव ला सकने वाली इस 'वयःसन्धि' में संघ ने उसके अंतःकरण में जो संस्कार मिले हैं वे सरलता से मिटेंगे नहीं यह निश्चित है
माता-पिता को अपनी संतान से और भला क्या चाहिए होता है ? संघ ने हमारे बेटे के व्यक्तित्व निर्माण में सहायता की , यह अनमोल भेंट दी है संघ ने हमें l

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What did the Rashtriya Swayamsevak Sangh give?

 Living in satara district of maharashtra
 In the words of a father -

 After giving tenth exam, my son came back yesterday after finishing fifteen days of Sangh in summer vacation. Eight days primary class was in 'Satara' then one week to do Sangh work as an extensionist.  Shirwal went away. He had food in fourteen families in seven days. He lived in an old enclosure with a roof house. He learned self-reliance there. He approached the villagers throughout the day and introduced them to many people, increased intimacy.  In the evening, he learned how to 'lead' the child volunteers by working in the branch and the most important thing was that he started to imbibe the discipline of the Sangh.
 When he came back home, his mother had gone to another city, so the condition of the house was 'Visible'. "Baba, what is this? How is the house or…"  In a short time, the whole house became clean and even all the footwear (foot wear) were collected neatly and only after that, they drink tea.
 Before going to class due to the scorching heat, he said, "Baba has to take AC this time .." When he reminded her of what he said, his reaction was completely opposite "Absolutely not Baba .. Absolutely, no AC  No need, not even cooler… Our innumerable society brothers living in settlements do not even have fans.
 Seeing that the tap was dripping in the bath room, he called the plumber himself, as it was supposed to happen, the plumber did not even say yes, but the son placed the bucket under the dripping tap and in the evening, he filled the water with the potted plants.  Put it to tell me, "Baba, we used 33000 liters of water on the first day in the class, but when we heard the measures to save water in the class, then only 12000 liters of water was spent on the last day. The teachers taught us not to blame others.  Start two good things from yourself and from your home.
 This boy was fond of watching cricket matches to the extent of insanity but it was over in just fifteen days. Instead of watching IPL, read some good books, suggesting that I was tired and disappointed but he never  Not heard but now T.V.  He did not even notice that he gave me the information (information) of the books read in the reverse category and gave me a list of what other books to buy.
 Today, according to his habit, he woke up early in the morning and immediately took a bath and washed his clothes, saying, "Why does she do so much work?"
 I do not know how many days these changes will last, but in this 'old age' that can bring change, the rites that the Sangh has received in its conscience will not easily disappear.
 What else do parents want from their children?  The Sangh helped in building the personality of our son, it has given us a priceless gift.

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